23-11-2018, 04:45 PM
अब कुछ भाषा की बात कर लें.
सर्वप्रथम तो आपकी कहानी की भाषा सरल और शुद्ध होनी चाहिए. आप स्थानीय बोली में भी संवाद लिख सकते हैं. लेकिन उनके साथ आप उनका हिन्दी रूपान्तर भी अवश्य लिखें क्योंकि आपकी कहानी पूरे भारत वर्ष के अलावा नेपाल और अन्य देशों में रहने वाले भारतीय भी पढ़ते हैं, उन्हें स्थानीय भाषा समझने में असुविधा हो सकती है.
भाषा के शब्द आपके औजार या टूल्स होते हैं जो पढ़ने वाले को आनन्दित कर सकते हैं या उन्हें आहत भी कर सकते हैं; अतः अपने पात्रों के अनुसार एक एक शब्द को चुन चुन कर लिखिए. किसी दूसरे लेखन की नक़ल करने का प्रयास कभी न करें. आपका लेखन मौलिक और सामयिक हो बस!
जब आपकी कहानी पूरी हो जाए तो उसे कुछ दिनों के भूल जाइये और इसके बारे में कुछ न सोचिये. फिर दो तीन दिन बाद अपनी कहानी खुद पढ़िए किसी पाठक की तरह और उसे खुद सम्पादित कीजिये. पुनः कहानी का निरीक्षणकीजिये; ऐसा करते समय आप खुद अनावश्यक भाग मिटा देंगे और जो नये विचार मन में आयेंगे उन्हें सम्मिलित कर लेंगे.
आखिरी बात है कहानी का नाम या शीर्षक; क्योंकि कहानी का नाम ही पाठकों को आकृष्ट करता है. अपनी कहानी लिखने के बाद आप उसे एक अच्छा सा शीर्षक दे सकते हैं जो लुभावना लगे, पाठक बरबस ही आपकी कहानी को पढ़ने पर विवश हो जाय; बस इतना ध्यान रखिये कि आपकी कहानी का शीर्षक सड़कछाप या निम्नस्तरीय न लगे जैसे “एवरेस्ट की चोटी पर चुदाई” इत्यादि.
बस इतनी सी बात है… कहानी लिखने के प्लॉट्स हमारे चारों ओर बिखरे पड़े हैं, बात आपकी पारखी नज़रों की है कि अपने नजदीक के किस करैक्टर के साथ अपनी कहानी लिख सकते हैं.
उम्मीद है यह लघु निबन्ध सभी नए लेखकों का मार्गदर्शन कर उन्हें कुछ अच्छा और नया लिखने को प्रोत्साहित करेगा
Regards
Firefly
सर्वप्रथम तो आपकी कहानी की भाषा सरल और शुद्ध होनी चाहिए. आप स्थानीय बोली में भी संवाद लिख सकते हैं. लेकिन उनके साथ आप उनका हिन्दी रूपान्तर भी अवश्य लिखें क्योंकि आपकी कहानी पूरे भारत वर्ष के अलावा नेपाल और अन्य देशों में रहने वाले भारतीय भी पढ़ते हैं, उन्हें स्थानीय भाषा समझने में असुविधा हो सकती है.
भाषा के शब्द आपके औजार या टूल्स होते हैं जो पढ़ने वाले को आनन्दित कर सकते हैं या उन्हें आहत भी कर सकते हैं; अतः अपने पात्रों के अनुसार एक एक शब्द को चुन चुन कर लिखिए. किसी दूसरे लेखन की नक़ल करने का प्रयास कभी न करें. आपका लेखन मौलिक और सामयिक हो बस!
जब आपकी कहानी पूरी हो जाए तो उसे कुछ दिनों के भूल जाइये और इसके बारे में कुछ न सोचिये. फिर दो तीन दिन बाद अपनी कहानी खुद पढ़िए किसी पाठक की तरह और उसे खुद सम्पादित कीजिये. पुनः कहानी का निरीक्षणकीजिये; ऐसा करते समय आप खुद अनावश्यक भाग मिटा देंगे और जो नये विचार मन में आयेंगे उन्हें सम्मिलित कर लेंगे.
आखिरी बात है कहानी का नाम या शीर्षक; क्योंकि कहानी का नाम ही पाठकों को आकृष्ट करता है. अपनी कहानी लिखने के बाद आप उसे एक अच्छा सा शीर्षक दे सकते हैं जो लुभावना लगे, पाठक बरबस ही आपकी कहानी को पढ़ने पर विवश हो जाय; बस इतना ध्यान रखिये कि आपकी कहानी का शीर्षक सड़कछाप या निम्नस्तरीय न लगे जैसे “एवरेस्ट की चोटी पर चुदाई” इत्यादि.
बस इतनी सी बात है… कहानी लिखने के प्लॉट्स हमारे चारों ओर बिखरे पड़े हैं, बात आपकी पारखी नज़रों की है कि अपने नजदीक के किस करैक्टर के साथ अपनी कहानी लिख सकते हैं.
उम्मीद है यह लघु निबन्ध सभी नए लेखकों का मार्गदर्शन कर उन्हें कुछ अच्छा और नया लिखने को प्रोत्साहित करेगा
Regards
Firefly