20-01-2020, 10:55 AM
“इस बार?” पंकज निराशा से बोले. “… अब दुबारा होना तो बहुत मुश्किल है!”
“क्या बात करते हैं, बाबूजी?” निराली विश्वास से बोली. “आप चाय पी लीजिये. फिर मैं आपके लंड को तैयार न कर दूं तो मेरा नाम निराली नहीं.”
यह सुन कर पंकज चौंक गए, न सिर्फ निराली के आत्मविश्वास से बल्कि उसकी भाषा से भी. वे ऐसे शब्दों से अनभिज्ञ नहीं थे, अनभिज्ञ तो कोई भी नहीं होता. पर उन्होंने अब तक किसी भी स्त्री के साथ ऐसी भाषा में बात नहीं की थी. किसी स्त्री के मुंह से ऐसे शब्द सुनना तो और भी विस्मयकारी था. उनकी पत्नी तो इतनी शालीन थी कि उनके सामने ऐसी भाषा का प्रयोग करना अकल्पनीय था.
“क्या बात करते हैं, बाबूजी?” निराली विश्वास से बोली. “आप चाय पी लीजिये. फिर मैं आपके लंड को तैयार न कर दूं तो मेरा नाम निराली नहीं.”
यह सुन कर पंकज चौंक गए, न सिर्फ निराली के आत्मविश्वास से बल्कि उसकी भाषा से भी. वे ऐसे शब्दों से अनभिज्ञ नहीं थे, अनभिज्ञ तो कोई भी नहीं होता. पर उन्होंने अब तक किसी भी स्त्री के साथ ऐसी भाषा में बात नहीं की थी. किसी स्त्री के मुंह से ऐसे शब्द सुनना तो और भी विस्मयकारी था. उनकी पत्नी तो इतनी शालीन थी कि उनके सामने ऐसी भाषा का प्रयोग करना अकल्पनीय था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.