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Misc. Erotica द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism}
#33
अपडेट - 4

राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था। लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।

नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।


अब आगे....



राज: नानी, ओ नानी, सो गई क्या।

नानी अचानक से अपने ख़्यालों की दुनिया से बाहर निकल कर..

नानी: हम्म हाँ हाँ बेटा क्या हुआ?

राज: नानी दीदी बोल रही थी कि आपको बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। सुनाओ ना कोई अच्छी सी कहानी।

नानी को अपनी बेटी की बात याद आती है कि राज को जादू वादु से दूर ही रखो। पर नानी सोचती है अगर ये सब घटनाएं सच है जो राज ने बताई है तो फिर राज को इन कहानियों से दूर रखना मुश्किल है वो खुद इसे चुन लेंगी। अगर ये भी भटक गया तो। नहीं नहीं मैं ऐसा नही होने दूँगी।


नानी अभी ये सब सोच ही रही थी कि राज फिर से बोल उठता है।


राज: क्या हुआ नानी कहाँ खो गयी। खुली आँखों से सो जाती हो क्या?


नानी अपने ख़्यालों से बाहर आ जाती है । 

नानी हंसते हुए राज को जवाब देती है।


नानी: नहीं नहीं बेटा सोई नही वो क्या है ना मेरे प्यारे लाल को मैं कोनसी अच्छी कहानी सुनाऊं बस यही सोच रही थी।


राज: खुश होते हुए बोलता है तो मिली क्या?,


नानी: हाँ मिल तो गयी लेकिन तुम्हे एक वादा करना होगा।


राज: कैसा वादा नानी?

नानी: ये वादा की तुम कभी भी दादा जी के उस झोपड़े मैं नहीं जाओगे। कभी भी नहीं, और भूल कर भी नही।


राज: कुछ देर सोच कर ठीक है नानी


नानी : ठीक है तो मैं तुम्हे कहानी सुनाऊँगी लेकिन एक बात पहले ही जान लो ये कहानी सिर्फ कहानी नही है हक़ीक़त है।


राज: ठीक है फिर तो और भी मज़ा आएगा।


नानी कहानी सुनाना शुरू करती है।



"कहानी नानी की जुबानी"



नानी कहानी शुरू करती है....


बहुत साल पहले एक राजा की पुत्री थी नेत्रा। 

[Image: 5c58bb91372f3.jpg] 

नेत्रा बहुत ही खूबसूरत और दयालु थी। 
उसने कभी किसी का बुरा नही चाहा था ना ही कभी किसी को कोई दुःख दिया था। 


नेत्रा हर वक़्त बस अपने राज्य के बारे में सोचती रहती थी। उसके पिता और पति दोनों युद्ध में मारे गए।


नेत्रा का पति और उसके पिता बहुत शूरवीर थे। उन दोनों ने अपनी सेना के साथ 45 राज्यों को हरा कर अपनी राज्य सीमा में समा लिया था। 


नेत्रा का पति जब तलवार चलाता था तो ऐसा लगता था जैसे कहीं से बिजली गिर रही हो। 

और जब नेत्रा का पिता तलवार चलाता था तो साँय साँय की तूफान जैसी आवाज गूंज उठती थी। नेत्रा ने अपने पिता और पति से सभी कलाओं का ज्ञान ले लिया था।

नेत्रा तलवार बाजी, घुड़सवारी, धुनुर्विद्या, कूटनीति, राजनीति जैसी सभी विद्याओं मैं निपुण हो गयी थी। सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी किसी ने राजा जी को बताया कि किसी गैर मुल्की रियासत का राजा हमारे राज्य की और चढ़ाई कर रहा है। राजा को जब ये बात पता चली तो उन्होंने अपनी सेना तैयार करने की तैयारी शुरू कर दी। लेकिन केवल 35000 सैनिकों से क्या हो सकता था। क्यों कि कुछ 10 दिन पहले ही युद्ध से उनकी सेना लौटी थी तो काफी सैनिक तो घायल थे और काफी मार गए थे। और जो बचे हुए थे वो अभी अभी लंबे युद्ध से थक कर आये थे। शायद इसी बात का फायदा उठा कर दुश्मन राजा उनके राज्य पर चढ़ाई कर रहा था।

उस दुश्मन राजा का नाम था भैरव, 


[Image: 5c58bc4e75cbf.jpg] 
कुछ दूसरे राज्य के राजा भैरव को यमदूत बोलते थे तो कुछ काली मौत। काली मौत से उनका मतलब था ऐसी मौत जिसकी चपेट में आने से एक बार तो मौत को भी सोचना पड़ जाए। महा जालिम, वीर और बलशाली लेकिन पापी और अधर्मी। 

भैरव को किसी सैनिक से पता चला कि राजा जी के कोई भी राजकुमार नही है बस एक राजकुमारी है। और वो राज कुमारी बहुत सुंदर है। उसका विवाह हुए अभी कोई दो वर्ष ही हुए हैं। बस भैरव केवल राजकुमारी से विवाह करने की कामना के साथ राज्य पर चढ़ाई कर दी।

राजा जी ने कैसे जैसे करके सारी सेना इक्कठी की और भैरव के सामने अपने दामाद के साथ जाकर खड़े हो गए। भैरव एक बार शांति वार्ता के लिए रात को एक सभा का आयोजन किया। उस सभा में भैरव ने राजा को अपनी इच्छा बताई की वो राज कुमारी से विवाह का इछुक है। उसे युद्ध में कोई रुचि नही है।

नानी ने कहानी बताते हुए सारी अभद्र बातें जो भैरव ने कही थी सब छिपा कर साफ सुथरी बातें राज को बताने लगी।

जब राजा जी को पता चला कि भैरव की नज़र उनकी एकलौती बेटी पर है तो वो तुरंत शांति सभा को भंग कर के वहां से निकल गए और सुबह युद्ध आरम्भ करने की चेतावनी भी भैरव को दे गए। राजा जी के साथ नेत्रा का पति भी अपनी आंखों में अंगारे भरे हुए चला गया। 


भैरव राजा के इस प्रकार के व्यवहार से बुरी तरह से गुस्सा होकर पागलो की तरह राजा को मारने की इच्छा करने लगा। भैरव सुबह का इस प्रकार से इंतजार कर रहा था जैसे भूखा शेर अपने शिकार का इंतजार कर रहा हो।

भैरव ने सुबह तक बिल्कुल भी आंख बंद नही की और ना ही नेत्रा के पति ने। दोनों बदले की आग में जल रहे थे। जब सुबह होने को हुई तो दोनों तरफ की सेनाएं एक दूसरे के सामने थी। ये निर्णय लिया गया कि सूर्य की पहली किरण के साथ ही युद्ध शुरू हो जाएगा। भैरव के पास सैन्य बल बहुत ज्यादा था। भैरव की पहली टुकड़ी ही डेड लाख सैनिकों की थी। जैसे ही सूर्य की पहली किरण युद्ध भूमि पर पड़ी भैरव ने अपने डेड लाख सैनिकों को आगे भेज दिया। इतनी बड़ी सेना को देख कर राजा को मुज़बूरन पूरी सेना भेजनी पड़ी। जब दूसरे प्रहर तक भी राजा के सैनिक युद्ध में डेट रहे और भैरव की सेना का मुकाबला करते रहे तो भैरव ने अपनी दूसरी सेना जो कि नब्बे हजार तीरंदाजों की थी को आगे कर दिया। 

भैरव ने बिना सोचे समझे अपने तीरंदाजों को तीर चलाने का आदेश दे दिया। जब एक साथ नब्बे हजार तीर चले तो सूरज उन तीरों के पीछे चिप गया। राजा को इस बात का अंदाजा नही था कि भैरव इतनी बड़ी सेना के साथ हमला करेगा। क्योंकि भैरव की सेना की एक टुकड़ी तो भैरव के सैह खड़ी थी लेकिन दूसरी टुकड़ी और तीसरी टुकड़ी थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी थी जो साधारण तौर पर युद्ध भूमि पर देखी नही जा सकती थी। लेकिन जैसे ही भैरव का युद्ध का इशारा मिलता तो 10 मिनट में युद्ध भूमि में पहुंच जाती।

जब हजारों बाण सूरज को छिपाना छोड़ कर सेना पर बरसना शुरू हुए तो बस कुछ नही बचा राजा की सारी सेना मारी गयी। और वही दूसरी और भैरव की सेना भी अपनी ही तीरंदाजों के हाथों मारी गयी। 


अब युद्ध भूमि में नेत्रा का पति ही बचा था वो भी बुरी तरह से घायल था। भैरव ने उसे बंधी बना लिया और युद्ध भूमि में एक गड्ढा बनवाकर उसका पूरा धड़ गाड़ दिया केवल सर बाहर रहने दिया। भैरव ने अपनी सेना को आदेश देकर दोनों सेनाओं के सैनिकों की लाश को एकत्रित कर के आग लगने का हुकुम सुना दिया हुआ भी यूँ ही बस भैरव ने राजा और नेत्रा के पति का राज मुकुट अपनी शरण में ले लिया।


जब सारी लाशें जल कर खाक हो गयी तो भैरव ने मरे हुए कुछ साँप नेत्रा के पति के आस पास और उसके शरीर पर डलवा दिए और वहां से थोड़ी दूरी बनवाकर एक तंबू मैं रहने लगा। तीन दिन तक नेत्रा का पति चिल्लाता रहा। क्यों कि आसमान में जो चील कौए थे वो उसके सर को नोच खा रहे थे। और भैरव उसकी चीखे सुन कर भी बेरहम बना रहा। जब नेत्रा के पति की सांस बैंड होगयी और चीखों का भी कोई शोर ना रहा तो भैरव रानी नेत्रा के पास चला गया।

भैरव नेत्रा का इंतजार करता रहा काफी समय बाद नेत्रा भैरव के सामने आयी।

[Image: 5c58bcdcb5386.jpg] 

जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें बंद हो गयी। नेत्र का राज तिलक करके नेत्रा को उसके पिता और पति दोनों राज्यों का भार उसके कंधो पर राज्यों के मंत्रियों ने डाल दिया। नेत्रा ने भी नि:संकोच ये भार अपने कंधों पर उठाने की कसम खाली।

जब नेत्रा भैरव के सामने आयी तो भैरव की आंखें नेत्रा के राजमुकुट मैं जडे हीरों की चमक से बंद हो गयी थी। एक सफेद चांदी जैसी धातु से बना राजमुकुट जिसे आज हम लोग प्लेटिनम बोलते है। उस मुकुट मैं सफेद रंग के मोतियों से ग़ुलाब के फूल जैसी आकृति जड़ी हुई थी।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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RE: द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A tell of Tilism} - by Rocksanna999 - 05-02-2019, 01:01 AM



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