05-02-2019, 12:39 AM
अपडेट - 3
राज़ और उसके पापा को घर से निकले अभी आधा घंटा भी नही हुआ था कि एक बार फिर से बारिश होने लगती है। इस बार सुबह से भी ज्यादा तेज... राज के पापा को लगता है कि ऐसी बारिश मैं आगे बढ़ना ठीक नही लेकिन अब यहां रुक भी तो नही सकते हम लोग शहर से बाहर आ गये है। राज़ के पापा अभी ये सब विचार कर ही रहे थे कि अचानक से बारिश कम हो जाती है। राज़ के पापा अपनी स्पीड बढ़ा लेते है। राज़ की नज़र खिड़की से बाहर की तरफ थी। जब अचानक से राज़ गाड़ी की स्पीड बढ़ते देखता है तो वो सामने नज़र करत है। राज़ एकदम से चोंक जाता है। फिर राज़ पीछे नज़र करता करता। पीछे की और देख कर तो राज़ और भी बुरी तरह से डर जाता है।
अब आगे.......
राज़: पापा?
गिरधारी: हम्म
राज़: पापा
गिरधारी अपनी स्पीड कम करते हुए
गिरधारी: क्या बात है बेटा?
राज़: पाप हमारी गाड़ी के सामने बारिश कम है और साइड में तो बहुत तेज है।
गिरधारी एक बार तो ये सुन कर चोंक जाता है लेकिन फिर अगले ही पल खुद को संभालते हुए।
गिरधारी: बेटा कई बार ऐसा होता है। कई बार तो पूरी दोपहर में जब धूप रहती है तब भी बारिश हो जाती है जिसे हम बिन बादल बरसात भी कहते है ।
राज़: लेकिन पापा हमारी गाड़ी के पीछे भी ऐसी ही बारिश हो रही है तेज।
गिरधारी खुद डरा हुआ था जब उसने ये मंज़र देखा तो अब गिरधारी और कुछ भी नही देखना चाहता था।
गिरधारी:तुम डरो मत बेटा मैं हूँ ना।
राज़ गिरधारी की बात सुनकर कुछ नहीं बोलता।
गिरधारी खुद इतना डर हुआ था कि उसके हाथ ड्राइविंग करते हुए काँप रहे थे।
राज़ समझ गया था कि उसके पापा डर रहे है। राज़ ने जब अपनें पापा को डर से कांपते हुए देखा तो राज़ खुद डर के मारे कांपने लगा।
गिरधारी ने एक नज़र राज़ पर डाली तो राज़ को डर से कांप कर सिमटते हुए देखा।
गिरधारी इस बरसात के बारे में सोच रहा था। वो मन ही मन विचार कर रहा था की जिस तरह से सुबह बरसात का होना। हमारे निकलने के थोड़ा सा पहले आसमान बिल्कुल साफ और जब हम घर से थोड़ा दूर निकल आये तो फिर से बरसात। और अब ये बरसात सिर्फ हमारी कार पर हल्की हल्की हो रही बाकियों पर तो जैसे कहर बरस रहा हो। कहीं ये सब राज़ को वहां ले जाने के कारण तो नही हो रहा। नहीं नहीं राज़ तो अभी बच्चा है। उसका और इस मौसम का एक दूसरे से कोई लेना देना नही है पता नही मैं भी क्या सोचने लगे गया हूँ। लेकिन ये जो सब कुछ हो रहा है ये भी तो नार्मल नहीं है ना। ओह गॉड क्या करूँ मैं अकेला ऊपर से मेरे साथ मेरा मासूम बच्चा ठीक से डर भी जाहिर करूँ तो किस से करूँ।
इसी तरह डर डर कर गिरधारी पूरे 4- 4.5 घंटे की ड्राविंग के बाद राज़ की नानी के घर पहुंच गया। अपने सास के घर पहुंच कर राज़ के पापा काफी खुश थे ।
और अब बरसात भी हल्की हो गयी थी।
दिन के यही कोई 4 या 4.15 का समय होगा लेकिन बारीश के बादल अभी भी थे जिनके कारण ऐसा लग रहा था जैसे शाम के 7 बजे हो।
राज़ के पाप मुश्किल से 30 मिनट राज़ के पास उसकी नानी के घर रुके होंगे कि उन्होंने फिर से घर लौटने के लिए गाड़ी चालू की और चल दिये घर को।
राज़ अपनी नानी के पैर वगैरा छू कर आराम से खाट पर बैठ गया।
हालांकि राज के लिए अपनी नानी का घर कोई नई बात तो नही थी लेकिन फिर भी अभी वो बच्चा ही तो है। कुछ दिन तो अटपटा लगेगा ही।
अभी राज को कोई 1.30 घंटा भी नही हुआ था कि कुछ बच्चे भागते हुए राज़ के सामने आ गए।
सभी बच्चे भाग कर राज़ की नानी के घर में छिप गए। उन सभी बच्चों के पीछे एक काले रंग का आदमी दौड़ता हुआ आ रहा था जिसके हाथ में एक हाथ बड़ा गन्ने का टुकड़ा भी था। जिसने सफेद मैली सी धोती और बाजू वाली बनियान पहन रखी थी, जिसके सामने की तरफ ठीक नाभि और सीने के बीच मे एक जेब बनी हुई थी, सर पर एक फटा पुराना गमछा साफे की तरह गोल बांध रखा था। पैरों कोई चप्पल नही थी।
बच्चे तो सभी भाग कर राज़ की नानी के मकान मैं छिप गये लेकिन राज़ वहीं खड़ा रहा। उस आदमी ने आते ही राज का गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ लिया। उसके इतना करते ही राज़ की नानी आ गयी।
नानी: ऐsssssss धनिया खबरदार जो मेरे नाती को हाथ भी लगाया तो तेरा हाथ उखाड़ लुंगी।
उस आदमी ने नानी की आवाज सुनते ही राज़ का कॉलर छोड़ दिया और नानी से बोला।
धनिया: पाय लागू काकी
नानी अपने हाथ में लस्सी के 2 गिलास लेकर आयी थी उसमें से एक राज़ को देते हुए,
नानी: जीता रह, ये बता तूने मेरे नाती पे हाथ कैसे डाला रे?
धनिया एक नज़र राज़ को देखते हुए
धनिया: अरे माफ कर दो काकी, ये अपने गांव के बच्चे है ना वो मेरे गन्ने के खेत से गन्ने चुरा कर ले आये बस उन्ही का पीछा कर रहा था कि आपके नाती हमारे हाथ लग गए।
नानी: अरे रे रे कलमुहे तू नन्ही जानों के पीछे पड़ा था। अरे थोड़े से गन्ने ले भी लिए तो तेरा क्या जाता है। बचपन है थोड़ी बहुत शरारत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे।
धनिया: थोड़ी बहुत अरी काकी पूरी एक क्यारी उखाड़ दिए। हमसे मांग लेते तो क्या हम मना करते?
अभी धनिया ने इतना ही कहा था कि बच्चे भी नानी के मकान से बाहर निकल कर आ गये।
उन बच्चों में से एक बच्चा जिसे सब छोटू कह कर बुलाते थे बीच में बोल पड़ा।
छोटू: झूंट बोलता है धनिया काकी, हम गन्ने मांगते है तो ये काटने को दौड़ता है । इसके पास वो फरषे जैसा कुछ है उससे हमारी नुन्नी काटने को बोलता है।
छोटू ने अभी इतना ही बोल था कि धनिया
धनिया: यही है काकी ये इधर आकर छिप गया था, अब बोल अब कहाँ जाएगा।
छोटू ने जब धनिया की ये बात सुनी तो उसे एहसास हुआ कि भावनाओं में बह कर वो सबके सामने आ गया। छोटू ने जीभ अपने दांतों के नीचे दबा कर और सर पर हाथ रख कर बोला।
छोटू: ओह तेरी मर गया अब तो
धनिया छोटू के पीछे और छोटू नानी के चारों और घूम कर नानी से बोल रहा था काकी हमे बचा लो धनिया से , ये हमारी मासूम नुन्नी काट देगा।
राज़ जब छोटू की बेवकूफी भरी बात सुनता है और हरकत देखता है तो खिलखिला कर हसने लगता है। राज़ को हंसता देख राज की नानी बहुत खुश होती है।
राज और नानी दोनों खुश थे कि धनिया ने छोटू को पकड़ लिया और छोटू का कान खींचने लगा।
नानी: ओ धनिया जाने दे बच्चा है। अरे सुन छोटू तू राज को यहाँ आस पास घुमा ला इसका मन लग जायेगा।
धनिया राज की नानी की बात सुनकर तुरंत छोटू को छोड देता है। और छोटू नानी को हां बोल कर राज को घुमाने ले जाता है जहां राज और छोटू मैं दोस्ती हो जाती है।
वही दूसरी और धनिया और नानी कोई 30-40 मिनट बात चीत करते है फिर धनिया अपने खेतों की तरफ चल देता है।
छोटू और राज भी कोई 1 घंटे बाद घर पहुंच जाते है। छोटू राज को कल आने का वादा करके चला जाता है। और राज भी नानी के पास चला जाता है।
राज बहुत खुश लग रहा था। आज राज ने अपनी ज़िन्दगी का पहला दोस्त बनाया था। छोटू... बहुत ही भोला भाला और डरपोक भी।
नानी भी राज को खुश देख कर खुश होती है।
नानी राज का बिस्तर अपने पास ही लगा लेती है दोनों का कमरा तो एक था लेकिन बिस्तर अलग अलग खटिया पर था।
सोने से पहले नानी राज़ से इधर उधर की बातें और शहर की बाते पूछती है और राज सब बात रहा था। बातों ही बातों में राज ने रास्ते में जो बारिश की घटना हुई थी उसके बारे में नानी को बता दिया। नानी ये बात सुन कर झट से बिस्तर पर बैठ गयी।
नानी ने राज से बारिश की और घर से रवाना होने की सारी घटनाएं राज से जानी। नानी अजीब सी चिंता मैं डूब गई थी।
राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था।
लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।
नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।
राज़ और उसके पापा को घर से निकले अभी आधा घंटा भी नही हुआ था कि एक बार फिर से बारिश होने लगती है। इस बार सुबह से भी ज्यादा तेज... राज के पापा को लगता है कि ऐसी बारिश मैं आगे बढ़ना ठीक नही लेकिन अब यहां रुक भी तो नही सकते हम लोग शहर से बाहर आ गये है। राज़ के पापा अभी ये सब विचार कर ही रहे थे कि अचानक से बारिश कम हो जाती है। राज़ के पापा अपनी स्पीड बढ़ा लेते है। राज़ की नज़र खिड़की से बाहर की तरफ थी। जब अचानक से राज़ गाड़ी की स्पीड बढ़ते देखता है तो वो सामने नज़र करत है। राज़ एकदम से चोंक जाता है। फिर राज़ पीछे नज़र करता करता। पीछे की और देख कर तो राज़ और भी बुरी तरह से डर जाता है।
अब आगे.......
राज़: पापा?
गिरधारी: हम्म
राज़: पापा
गिरधारी अपनी स्पीड कम करते हुए
गिरधारी: क्या बात है बेटा?
राज़: पाप हमारी गाड़ी के सामने बारिश कम है और साइड में तो बहुत तेज है।
गिरधारी एक बार तो ये सुन कर चोंक जाता है लेकिन फिर अगले ही पल खुद को संभालते हुए।
गिरधारी: बेटा कई बार ऐसा होता है। कई बार तो पूरी दोपहर में जब धूप रहती है तब भी बारिश हो जाती है जिसे हम बिन बादल बरसात भी कहते है ।
राज़: लेकिन पापा हमारी गाड़ी के पीछे भी ऐसी ही बारिश हो रही है तेज।
गिरधारी खुद डरा हुआ था जब उसने ये मंज़र देखा तो अब गिरधारी और कुछ भी नही देखना चाहता था।
गिरधारी:तुम डरो मत बेटा मैं हूँ ना।
राज़ गिरधारी की बात सुनकर कुछ नहीं बोलता।
गिरधारी खुद इतना डर हुआ था कि उसके हाथ ड्राइविंग करते हुए काँप रहे थे।
राज़ समझ गया था कि उसके पापा डर रहे है। राज़ ने जब अपनें पापा को डर से कांपते हुए देखा तो राज़ खुद डर के मारे कांपने लगा।
गिरधारी ने एक नज़र राज़ पर डाली तो राज़ को डर से कांप कर सिमटते हुए देखा।
गिरधारी इस बरसात के बारे में सोच रहा था। वो मन ही मन विचार कर रहा था की जिस तरह से सुबह बरसात का होना। हमारे निकलने के थोड़ा सा पहले आसमान बिल्कुल साफ और जब हम घर से थोड़ा दूर निकल आये तो फिर से बरसात। और अब ये बरसात सिर्फ हमारी कार पर हल्की हल्की हो रही बाकियों पर तो जैसे कहर बरस रहा हो। कहीं ये सब राज़ को वहां ले जाने के कारण तो नही हो रहा। नहीं नहीं राज़ तो अभी बच्चा है। उसका और इस मौसम का एक दूसरे से कोई लेना देना नही है पता नही मैं भी क्या सोचने लगे गया हूँ। लेकिन ये जो सब कुछ हो रहा है ये भी तो नार्मल नहीं है ना। ओह गॉड क्या करूँ मैं अकेला ऊपर से मेरे साथ मेरा मासूम बच्चा ठीक से डर भी जाहिर करूँ तो किस से करूँ।
इसी तरह डर डर कर गिरधारी पूरे 4- 4.5 घंटे की ड्राविंग के बाद राज़ की नानी के घर पहुंच गया। अपने सास के घर पहुंच कर राज़ के पापा काफी खुश थे ।
और अब बरसात भी हल्की हो गयी थी।
दिन के यही कोई 4 या 4.15 का समय होगा लेकिन बारीश के बादल अभी भी थे जिनके कारण ऐसा लग रहा था जैसे शाम के 7 बजे हो।
राज़ के पाप मुश्किल से 30 मिनट राज़ के पास उसकी नानी के घर रुके होंगे कि उन्होंने फिर से घर लौटने के लिए गाड़ी चालू की और चल दिये घर को।
राज़ अपनी नानी के पैर वगैरा छू कर आराम से खाट पर बैठ गया।
हालांकि राज के लिए अपनी नानी का घर कोई नई बात तो नही थी लेकिन फिर भी अभी वो बच्चा ही तो है। कुछ दिन तो अटपटा लगेगा ही।
अभी राज को कोई 1.30 घंटा भी नही हुआ था कि कुछ बच्चे भागते हुए राज़ के सामने आ गए।
सभी बच्चे भाग कर राज़ की नानी के घर में छिप गए। उन सभी बच्चों के पीछे एक काले रंग का आदमी दौड़ता हुआ आ रहा था जिसके हाथ में एक हाथ बड़ा गन्ने का टुकड़ा भी था। जिसने सफेद मैली सी धोती और बाजू वाली बनियान पहन रखी थी, जिसके सामने की तरफ ठीक नाभि और सीने के बीच मे एक जेब बनी हुई थी, सर पर एक फटा पुराना गमछा साफे की तरह गोल बांध रखा था। पैरों कोई चप्पल नही थी।
बच्चे तो सभी भाग कर राज़ की नानी के मकान मैं छिप गये लेकिन राज़ वहीं खड़ा रहा। उस आदमी ने आते ही राज का गर्दन के पीछे से शर्ट पकड़ लिया। उसके इतना करते ही राज़ की नानी आ गयी।
नानी: ऐsssssss धनिया खबरदार जो मेरे नाती को हाथ भी लगाया तो तेरा हाथ उखाड़ लुंगी।
उस आदमी ने नानी की आवाज सुनते ही राज़ का कॉलर छोड़ दिया और नानी से बोला।
धनिया: पाय लागू काकी
नानी अपने हाथ में लस्सी के 2 गिलास लेकर आयी थी उसमें से एक राज़ को देते हुए,
नानी: जीता रह, ये बता तूने मेरे नाती पे हाथ कैसे डाला रे?
धनिया एक नज़र राज़ को देखते हुए
धनिया: अरे माफ कर दो काकी, ये अपने गांव के बच्चे है ना वो मेरे गन्ने के खेत से गन्ने चुरा कर ले आये बस उन्ही का पीछा कर रहा था कि आपके नाती हमारे हाथ लग गए।
नानी: अरे रे रे कलमुहे तू नन्ही जानों के पीछे पड़ा था। अरे थोड़े से गन्ने ले भी लिए तो तेरा क्या जाता है। बचपन है थोड़ी बहुत शरारत नहीं करेंगे तो क्या करेंगे।
धनिया: थोड़ी बहुत अरी काकी पूरी एक क्यारी उखाड़ दिए। हमसे मांग लेते तो क्या हम मना करते?
अभी धनिया ने इतना ही कहा था कि बच्चे भी नानी के मकान से बाहर निकल कर आ गये।
उन बच्चों में से एक बच्चा जिसे सब छोटू कह कर बुलाते थे बीच में बोल पड़ा।
छोटू: झूंट बोलता है धनिया काकी, हम गन्ने मांगते है तो ये काटने को दौड़ता है । इसके पास वो फरषे जैसा कुछ है उससे हमारी नुन्नी काटने को बोलता है।
छोटू ने अभी इतना ही बोल था कि धनिया
धनिया: यही है काकी ये इधर आकर छिप गया था, अब बोल अब कहाँ जाएगा।
छोटू ने जब धनिया की ये बात सुनी तो उसे एहसास हुआ कि भावनाओं में बह कर वो सबके सामने आ गया। छोटू ने जीभ अपने दांतों के नीचे दबा कर और सर पर हाथ रख कर बोला।
छोटू: ओह तेरी मर गया अब तो
धनिया छोटू के पीछे और छोटू नानी के चारों और घूम कर नानी से बोल रहा था काकी हमे बचा लो धनिया से , ये हमारी मासूम नुन्नी काट देगा।
राज़ जब छोटू की बेवकूफी भरी बात सुनता है और हरकत देखता है तो खिलखिला कर हसने लगता है। राज़ को हंसता देख राज की नानी बहुत खुश होती है।
राज और नानी दोनों खुश थे कि धनिया ने छोटू को पकड़ लिया और छोटू का कान खींचने लगा।
नानी: ओ धनिया जाने दे बच्चा है। अरे सुन छोटू तू राज को यहाँ आस पास घुमा ला इसका मन लग जायेगा।
धनिया राज की नानी की बात सुनकर तुरंत छोटू को छोड देता है। और छोटू नानी को हां बोल कर राज को घुमाने ले जाता है जहां राज और छोटू मैं दोस्ती हो जाती है।
वही दूसरी और धनिया और नानी कोई 30-40 मिनट बात चीत करते है फिर धनिया अपने खेतों की तरफ चल देता है।
छोटू और राज भी कोई 1 घंटे बाद घर पहुंच जाते है। छोटू राज को कल आने का वादा करके चला जाता है। और राज भी नानी के पास चला जाता है।
राज बहुत खुश लग रहा था। आज राज ने अपनी ज़िन्दगी का पहला दोस्त बनाया था। छोटू... बहुत ही भोला भाला और डरपोक भी।
नानी भी राज को खुश देख कर खुश होती है।
नानी राज का बिस्तर अपने पास ही लगा लेती है दोनों का कमरा तो एक था लेकिन बिस्तर अलग अलग खटिया पर था।
सोने से पहले नानी राज़ से इधर उधर की बातें और शहर की बाते पूछती है और राज सब बात रहा था। बातों ही बातों में राज ने रास्ते में जो बारिश की घटना हुई थी उसके बारे में नानी को बता दिया। नानी ये बात सुन कर झट से बिस्तर पर बैठ गयी।
नानी ने राज से बारिश की और घर से रवाना होने की सारी घटनाएं राज से जानी। नानी अजीब सी चिंता मैं डूब गई थी।
राज की नानी राज को लेकर परेशान हो गयी थी। ये परेशानी वाला चेहरा कोई भी समझदार आदमी नानी के चेहरे को देख कर पढ़ सकता था।
लेकिन राज तो अभी बच्चा ही था उसे इस बात का ध्यान भी नही था की उसकी नानी वो सब घटनाएं सुन कर परेशान हो गयी है।
नानी अभी बिचार कर ही रही थी कि राज को अचानक अपनी बड़ी बहन रानी की बात याद आती है कि नानी को बहुत सारी जादू की कहानियां आती है। राज मन ही मन बहुत खुश हो जाता है और अपनी नानी को कहानी सुनाने को बोलता है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
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