19-01-2020, 08:43 PM
(This post was last modified: 21-04-2021, 12:28 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरी सास के बेटे का
मूसल
" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये "
मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
ऐसे डरते सकुचाते ,झिझकते उन्होंने फोन पकड़ा जाइए गौने की रात कोई नयी नवेली पहली बार लजाते डरते हिचकिचाते अपने पति का पहली बार लन्ड पकड़ती है।
स्पीकर फोन तो आन था ही , मम्मी मुझे मुस्करा के देख रही थीं और मैं उन्हें उकसा रही थी ,उनकी हिम्मत बढ़ा रही थी।
लेकिन हम दोनों एकदम चुपचाप ,सिर्फ मेरी सास और मेरे 'उनके' की आवाज ,
थोड़ा वात्सल्य और दुलार ,लेकिन उसके पीछे से छिपी छलकती वासना , कुछ मान मन्नौवल ,कुछ शिकवा शिकायत और ज्यादातर डबल मीनिंग डायलाग ,
साफ़ था आग दोनों तरफ लगी थी।
शुरुआत मेरी सास ने ही की ,
" तुम लोग दो तीन दिन में पहुंच रहे हो ,लेकिन मैं तो उसके एक दिन पहले ही चली जाउंगी ,तुझे देखने को बहुत मन था ,
बहू से भी मिलने का , पर ,.. "
उन्होंने कुछ टिपीकल छूट्टी नहीं मिलती , काम बहुत है टाइप बोलने की कोशिश की तो बात माँ जी ने ही सम्हाली ,
उनका मन रखते हिम्मत बढ़ाते बोलीं।
" अरे मुझे मालूम नहीं है क्या , लेकिन चलो तेरे आने से मेरा फायदा होगया न , वरना घर खाली छोड़ के कैसे मैं ,
अब तुम दोनों आओगे ,७-८ दिन रहोगे तो मेरा भी तीरथ जाने का इतने दिन से प्रोग्राम बना था , वो पूरा हो गया , वरना कैसे जा पाती।
फिर तेरी भाभी भी ,अकेले कैसे रह पातीं तुम दोनों रहोगे तो उनका भी मन लगा रहेगा। "
" हाँ बस ,कल परसों की बात है ,उसके अगले दिन , नरसों हम दोनों सुबह सुबह ही घर पहुँच जाएंगे। एक हफ्ते की मैंने पूरी छुट्टी ले ली है " चहकते हुए वो बोले।
" चलो ठीक है ,पहले तुम यहाँ आ जाओ फिर तीरथ से लौटने के बाद , तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "
हंसते हुए मेरी सास बोलीं।
यहाँ हम सब समझ रहे थे वो 'किस सेवा' की बात कर रही थीं।
उन्होंने कुछ जवाब दिया लेकिन मैंने कमान अपने हाथ में ले ली।
फोन उनसे लेती हुयी मैं बोली , पहले प्रणाम किया फिर कहा ,
" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी ,
ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ,"
मैं बोली।
" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी ,
मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , ...लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,... "
वो हँसते हुए बोलीं।
" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। "
मैं भी हँसते हुए बोली।
" बहुत तरफदारी करती है तू अपने पति की , मरद की चमची , एक बार ज़रा उससे भी तो बात कराओ , "
मैंने फिर उनको फोन पकड़ा दिया और खुद उनका टनटनाया खूंटा पकड़ लिया और लगी हुमच हुमच कर मुठियाने ,
" तू ज़रा भी परेशान न हो , हाँ लेकिन अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,
जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना ,
वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी।
अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "
वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,
" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। "
मैंने हँसते खिलखलाते बोला।
मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।
" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , दस दिन पर। "
ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।
" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "
मूसल
" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये "
मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।
ऐसे डरते सकुचाते ,झिझकते उन्होंने फोन पकड़ा जाइए गौने की रात कोई नयी नवेली पहली बार लजाते डरते हिचकिचाते अपने पति का पहली बार लन्ड पकड़ती है।
स्पीकर फोन तो आन था ही , मम्मी मुझे मुस्करा के देख रही थीं और मैं उन्हें उकसा रही थी ,उनकी हिम्मत बढ़ा रही थी।
लेकिन हम दोनों एकदम चुपचाप ,सिर्फ मेरी सास और मेरे 'उनके' की आवाज ,
थोड़ा वात्सल्य और दुलार ,लेकिन उसके पीछे से छिपी छलकती वासना , कुछ मान मन्नौवल ,कुछ शिकवा शिकायत और ज्यादातर डबल मीनिंग डायलाग ,
साफ़ था आग दोनों तरफ लगी थी।
शुरुआत मेरी सास ने ही की ,
" तुम लोग दो तीन दिन में पहुंच रहे हो ,लेकिन मैं तो उसके एक दिन पहले ही चली जाउंगी ,तुझे देखने को बहुत मन था ,
बहू से भी मिलने का , पर ,.. "
उन्होंने कुछ टिपीकल छूट्टी नहीं मिलती , काम बहुत है टाइप बोलने की कोशिश की तो बात माँ जी ने ही सम्हाली ,
उनका मन रखते हिम्मत बढ़ाते बोलीं।
" अरे मुझे मालूम नहीं है क्या , लेकिन चलो तेरे आने से मेरा फायदा होगया न , वरना घर खाली छोड़ के कैसे मैं ,
अब तुम दोनों आओगे ,७-८ दिन रहोगे तो मेरा भी तीरथ जाने का इतने दिन से प्रोग्राम बना था , वो पूरा हो गया , वरना कैसे जा पाती।
फिर तेरी भाभी भी ,अकेले कैसे रह पातीं तुम दोनों रहोगे तो उनका भी मन लगा रहेगा। "
" हाँ बस ,कल परसों की बात है ,उसके अगले दिन , नरसों हम दोनों सुबह सुबह ही घर पहुँच जाएंगे। एक हफ्ते की मैंने पूरी छुट्टी ले ली है " चहकते हुए वो बोले।
" चलो ठीक है ,पहले तुम यहाँ आ जाओ फिर तीरथ से लौटने के बाद , तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "
हंसते हुए मेरी सास बोलीं।
यहाँ हम सब समझ रहे थे वो 'किस सेवा' की बात कर रही थीं।
उन्होंने कुछ जवाब दिया लेकिन मैंने कमान अपने हाथ में ले ली।
फोन उनसे लेती हुयी मैं बोली , पहले प्रणाम किया फिर कहा ,
" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी ,
ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ,"
मैं बोली।
" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी ,
मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , ...लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,... "
वो हँसते हुए बोलीं।
" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। "
मैं भी हँसते हुए बोली।
" बहुत तरफदारी करती है तू अपने पति की , मरद की चमची , एक बार ज़रा उससे भी तो बात कराओ , "
मैंने फिर उनको फोन पकड़ा दिया और खुद उनका टनटनाया खूंटा पकड़ लिया और लगी हुमच हुमच कर मुठियाने ,
" तू ज़रा भी परेशान न हो , हाँ लेकिन अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,
जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना ,
वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी।
अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "
वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,
" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। "
मैंने हँसते खिलखलाते बोला।
मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।
" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , दस दिन पर। "
ये कहकर उन्होंने फोन रख दिया।
" मादरचोद ,अरे मेरी समधन की सेवा दस दिन के बाद करना लेकिन चल पहले मैंगो शेक बना के पिला और इसके बाद सासु की सेवा कर। "