19-01-2020, 08:12 AM
धूप काफ़ी तेज थी और उस टेलर की शॉप थोड़ी दूर थी इसलिए हम दोनो ने रिक्शा कर लिया. रिक्शे मे बैठ कर हम दोनो टेलर की दुकान की तरफ चल दिए. वो रिक्शा चलाते हुए बार बार पलट कर मेरी तरफ देखे जा रहा था. मुझे बड़ा अजीब लग रहा था एक तो गर्मी की वजह से पूरी सड़क सुनसान दूसरा गाँव मे खेत और कच्ची सड़क.. मेरा दिल पता नही एक अंजाने डर से बैठा जा रहा था.
वो बार बार मेरी कभी अनिता की तरफ पलट कर देखे जा रहा था जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उसको बोल दिया “ये बार बार पीछे मूड कर क्या देख रहे हो सामने देख कर रिक्शा चलाओ चुपचाप”
वो मेरी बात के जवाब मे कुछ नही बोला और अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाने लगा. और फिर रिक्शा चलाने लग गया. उसने थोड़ी ही देर मे आगे जा कर रिक्शा रोक दिया. उसके यूँ अचानक रिक्शा रोक देने से मैं थोड़ा घबरा गयी.. लेकिन अपनी घबराहट को च्छूपा कर मैने गुस्से मे उस से कहा “ये रिक्शा बीच मे क्यू रोक दिया है..!”
“मेंसाब् वो बड़ी ज़ोर से पेशाब आ रहा है. पेशाब कर लू फिर चलता हू” कह कर वो रिक्शे से नीचे उतर गया. और मेरी तरफ देखने लग गया. उसके रिक्शे से उतरते ही मेरी नज़र उसके पुराने गंदे से पाजामे के उपर गयी जहाँ उसके लिंग वाली जगह पर टेंट सा बना हुआ था. “मेडम जी आप की इजाज़त हो तो कर लू” उसने मेरी तरफ देख कर अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा.
“ठीक है जल्दी करो और यहाँ से चलो” मैने कहा तो वो हस्ता हुआ थोड़ी ही दूरी पर जा कर खड़ा हो कर पेशाब करने लग गया. अनिता चुप चाप मेरे बगल मे ही बैठी हुई थी. वो जिस तरह से खड़े हो कर पेशाब कर रहा था ऐसा लग रहा था कि वो अपने लिंग को पकड़ कर हिला रहा हो. वो हमारी ही तरफ बार बार पलट कर देख रहा था. मैने अपनी आँख वहाँ से हटा ली. ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान एक बार फिर से जैसे ही उस की तरफ गया, वो शायद अपना पाजामा बाँध रहा था. उसको पाजामा बांधता देख कर मुझे तसल्ली हुई. कि अब वो चलेगा. वो जैसे ही पास आया मैं उस से बोली “अब जल्दी से चलो हम काफ़ी लेट हो रहे है”
“जी मेम्साब बस चलते है" उसने कहा और वापस रिक्शा चलाने लग गया.
वो बार बार मेरी कभी अनिता की तरफ पलट कर देखे जा रहा था जब मुझसे रहा नही गया तो मैने उसको बोल दिया “ये बार बार पीछे मूड कर क्या देख रहे हो सामने देख कर रिक्शा चलाओ चुपचाप”
वो मेरी बात के जवाब मे कुछ नही बोला और अपनी बत्तीसी निकाल कर दिखाने लगा. और फिर रिक्शा चलाने लग गया. उसने थोड़ी ही देर मे आगे जा कर रिक्शा रोक दिया. उसके यूँ अचानक रिक्शा रोक देने से मैं थोड़ा घबरा गयी.. लेकिन अपनी घबराहट को च्छूपा कर मैने गुस्से मे उस से कहा “ये रिक्शा बीच मे क्यू रोक दिया है..!”
“मेंसाब् वो बड़ी ज़ोर से पेशाब आ रहा है. पेशाब कर लू फिर चलता हू” कह कर वो रिक्शे से नीचे उतर गया. और मेरी तरफ देखने लग गया. उसके रिक्शे से उतरते ही मेरी नज़र उसके पुराने गंदे से पाजामे के उपर गयी जहाँ उसके लिंग वाली जगह पर टेंट सा बना हुआ था. “मेडम जी आप की इजाज़त हो तो कर लू” उसने मेरी तरफ देख कर अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा.
“ठीक है जल्दी करो और यहाँ से चलो” मैने कहा तो वो हस्ता हुआ थोड़ी ही दूरी पर जा कर खड़ा हो कर पेशाब करने लग गया. अनिता चुप चाप मेरे बगल मे ही बैठी हुई थी. वो जिस तरह से खड़े हो कर पेशाब कर रहा था ऐसा लग रहा था कि वो अपने लिंग को पकड़ कर हिला रहा हो. वो हमारी ही तरफ बार बार पलट कर देख रहा था. मैने अपनी आँख वहाँ से हटा ली. ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान एक बार फिर से जैसे ही उस की तरफ गया, वो शायद अपना पाजामा बाँध रहा था. उसको पाजामा बांधता देख कर मुझे तसल्ली हुई. कि अब वो चलेगा. वो जैसे ही पास आया मैं उस से बोली “अब जल्दी से चलो हम काफ़ी लेट हो रहे है”
“जी मेम्साब बस चलते है" उसने कहा और वापस रिक्शा चलाने लग गया.