19-01-2020, 08:09 AM
एक अजीब सा सुकून मिल रहा था मनीष के हाथो को अपने उरोजो पर दबाते हुए महसूस करके. मनीष के हाथ जैसे कोई जादूगर की तरह चल रहे थे लेकिन उस समय मुझे ना जाने क्यू ऐसा लग रहा था कि मनीष थोड़ा और तेज़ी के साथ मेरे यूरोजो को दबाए. मैने सिसकारिया निकालते हुए ही मनीष से और तेज़ी के साथ यूरोजो को मसलने को कहा. मनीष को शायद मॅक्सी के उपर से यूरोजो को दबाने मे मज़ा नही आ रहा था इस लिए वो बोले “निशा यार इस मॅक्सी को निकाल दो मज़ा नही आ रहा है”
मनीष की बात सुन कर मैने जल्दी से अपनी मॅक्सी को अपने सरीर से अलग कर दिया. मॅक्सी के अलग होते ही मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी. मनीष ने मुझे बिस्तर पर चित लेटा दिया और मेरे उपर चढ़ कर एक उरोज को जल्दी से अपने मुँह मे ले कर चूसने लग गये और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लग गये. वो रोज ही की तरह कर रहे थे जैसे करते थे पर मुझे मज़ा नही आ रहा था मुझे कही ना कही कमी लग रही थी समझ नही आ रहा था कि मनीष थकान की वजह से इतने ढीले ढीले कर रहे है या मुझे ही ताक़त से यूरोजो को मसलवाने का मन हो रहा है.
खेर उन्होने थोड़ी देर उरोजो को उसी तरह धीमे धीमे मसला पर मुझे मज़ा नही आ रहा था इस लिए मैने मनीष से सिसकारिया निकालते हुए ही कहा “आहह आहहाअ मनीष थोड़ा और ताक़त से दबाइए ना आआहहाअ” मनीष ने मेरी बात सुन कर अपने हाथो से और तेज़ी के साथ मेरे उरोजो को मसला पर फिर भी आज ना जाने क्यू मुझे अपने उरोजो पर मनीष का हाथ हल्का ही महसूस हो रहा था. पर मैने भी ज़्यादा ज़ोर देना सही नही समझा.
उसके बाद तो जैसे मनीष ने जो भी किया ऐसे किया जैसे की वो फॉरमॅलिटी निभा रहे हो. मेरी योनि पर दो-तीन बार हाथ फिरा कर उन्होने डाइरेक्ट अपने लिंग को मेरी योनि मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि उन्होने ऐसा क्यू किया थोड़ी देर पहले तो वो इतने जोश मे थे और अब यूँ इस तरह से अचानक.. और आज जब मुझे सेक्स करने की इच्छा इतनी ज़्यादा हो रही थी उस पर मनीष आज जल्दी ही फारिग हो गये. मुझे लगा था कि आज कम से कम दो-तीन राउंड तो होंगे ही पर मनीष का पानी निकलते ही वो बिस्तर पर ऐसे फैल गये जैसे अब उनकी बॉडी मे जान ही नही हो. मैं क्या करती मैं भी बुझे मन के साथ ही उनके साथ बिस्तर पर लेट गयी.
ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान बार बार मनीष के मुरझाए हुए लिंग की तरफ जा रहा था मेरी प्यास अधूरी रह गयी थी और मनीष मेरे बगल मे ही लेटे हुए ज़ोर ज़ोर से खराते ले रहे थे. थोड़ी देर तक मैं भी यूँ ही पड़े पड़े बिस्तर पर इधर उधर करवट बदलती रही पर नींद तो जैसे आँखो से कोसो दूर गायब थी. मेरी आँखो के आगे लिंग था और मैं कुछ नही कर सकती थी उस से अपनी प्यास बुझाने के लिए.
उस समय जो ख़याल मेरे मन मे आ रहे थे वो मुझे मनीष से दूर कर रहे थे. मैं इस समय पूरी तरह से सेक्स की आग मे जल रही थी मैं बिस्तर से उठ कर बैठ गयी और थोड़ा सा आगे मनीष की तरफ हो कर मैने मनीष के मुरझाए हुए लिंग को अपने एक हाथ से पकड़ लिया और उसे सहलाने लग गयी.. मेरा दूसरा हाथ खुद-बा-खुद मेरी योनि से जा लगा और मेरी एक उंगली मेरी योनि के अंदर बाहर होना शुरू हो गयी. मैं एक हाथ से मनीष का लिंग और दूसरे हाथ से अपनी योनि को सहला रही थी और धीरे धीरे जब मेरी उंगली के अंदर बाहर होने की रफ़्तार तेज हो गयी तो मैने कही मनीष जाग ना जाए इस लिए मनीष के लिंग को छ्चोड़ दिया. और थोड़ी ही देर मे मैने खुद से खुद को शांत किया और बिस्तर पर आँख बंद कर के लेट गयी.
बिस्तर पर लेट कर मुझे नींद नही आ रही थी क्यूकी जो मैने सोचा था वैसा कुछ भी नही हुआ बल्कि आज तो जिस तरह से मनीष ने मेरे साथ किया आज से पहले कभी नही हुआ था. मैं बार बार बिस्तर पर करवट बदलती रही.. अमित के हाथ की छुवन बार बार मुझे मेरे नितंब पर महसूस हो रही थी उसने जिस तरह से मेरे नितंब को पकड़ कर मसल दिया था एक अजीब सा मज़ा आ गया था. पर फिर अचानक से विकास का ख्याल आ गया क्यूकी वो सुजाता के साथ था और सुजाता भी प्रोग्राम ख़तम होने के बाद भी कही दिखयी नही दी थी. मेरा मन किया कि जा कर एक बार चेक कर लू पर फिर थकान होने के कारण आलस कर गयी और यूँ ही पड़े पड़े सोने की कोसिस करने लगी. और इसी तरह करवाते बदलते बदलते पता ही नही चला की कब मुझे नींद आ गयी.
मनीष की बात सुन कर मैने जल्दी से अपनी मॅक्सी को अपने सरीर से अलग कर दिया. मॅक्सी के अलग होते ही मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी. मनीष ने मुझे बिस्तर पर चित लेटा दिया और मेरे उपर चढ़ कर एक उरोज को जल्दी से अपने मुँह मे ले कर चूसने लग गये और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लग गये. वो रोज ही की तरह कर रहे थे जैसे करते थे पर मुझे मज़ा नही आ रहा था मुझे कही ना कही कमी लग रही थी समझ नही आ रहा था कि मनीष थकान की वजह से इतने ढीले ढीले कर रहे है या मुझे ही ताक़त से यूरोजो को मसलवाने का मन हो रहा है.
खेर उन्होने थोड़ी देर उरोजो को उसी तरह धीमे धीमे मसला पर मुझे मज़ा नही आ रहा था इस लिए मैने मनीष से सिसकारिया निकालते हुए ही कहा “आहह आहहाअ मनीष थोड़ा और ताक़त से दबाइए ना आआहहाअ” मनीष ने मेरी बात सुन कर अपने हाथो से और तेज़ी के साथ मेरे उरोजो को मसला पर फिर भी आज ना जाने क्यू मुझे अपने उरोजो पर मनीष का हाथ हल्का ही महसूस हो रहा था. पर मैने भी ज़्यादा ज़ोर देना सही नही समझा.
उसके बाद तो जैसे मनीष ने जो भी किया ऐसे किया जैसे की वो फॉरमॅलिटी निभा रहे हो. मेरी योनि पर दो-तीन बार हाथ फिरा कर उन्होने डाइरेक्ट अपने लिंग को मेरी योनि मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. मुझे कुछ समझ मे नही आया कि उन्होने ऐसा क्यू किया थोड़ी देर पहले तो वो इतने जोश मे थे और अब यूँ इस तरह से अचानक.. और आज जब मुझे सेक्स करने की इच्छा इतनी ज़्यादा हो रही थी उस पर मनीष आज जल्दी ही फारिग हो गये. मुझे लगा था कि आज कम से कम दो-तीन राउंड तो होंगे ही पर मनीष का पानी निकलते ही वो बिस्तर पर ऐसे फैल गये जैसे अब उनकी बॉडी मे जान ही नही हो. मैं क्या करती मैं भी बुझे मन के साथ ही उनके साथ बिस्तर पर लेट गयी.
ना चाहते हुए भी मेरा ध्यान बार बार मनीष के मुरझाए हुए लिंग की तरफ जा रहा था मेरी प्यास अधूरी रह गयी थी और मनीष मेरे बगल मे ही लेटे हुए ज़ोर ज़ोर से खराते ले रहे थे. थोड़ी देर तक मैं भी यूँ ही पड़े पड़े बिस्तर पर इधर उधर करवट बदलती रही पर नींद तो जैसे आँखो से कोसो दूर गायब थी. मेरी आँखो के आगे लिंग था और मैं कुछ नही कर सकती थी उस से अपनी प्यास बुझाने के लिए.
उस समय जो ख़याल मेरे मन मे आ रहे थे वो मुझे मनीष से दूर कर रहे थे. मैं इस समय पूरी तरह से सेक्स की आग मे जल रही थी मैं बिस्तर से उठ कर बैठ गयी और थोड़ा सा आगे मनीष की तरफ हो कर मैने मनीष के मुरझाए हुए लिंग को अपने एक हाथ से पकड़ लिया और उसे सहलाने लग गयी.. मेरा दूसरा हाथ खुद-बा-खुद मेरी योनि से जा लगा और मेरी एक उंगली मेरी योनि के अंदर बाहर होना शुरू हो गयी. मैं एक हाथ से मनीष का लिंग और दूसरे हाथ से अपनी योनि को सहला रही थी और धीरे धीरे जब मेरी उंगली के अंदर बाहर होने की रफ़्तार तेज हो गयी तो मैने कही मनीष जाग ना जाए इस लिए मनीष के लिंग को छ्चोड़ दिया. और थोड़ी ही देर मे मैने खुद से खुद को शांत किया और बिस्तर पर आँख बंद कर के लेट गयी.
बिस्तर पर लेट कर मुझे नींद नही आ रही थी क्यूकी जो मैने सोचा था वैसा कुछ भी नही हुआ बल्कि आज तो जिस तरह से मनीष ने मेरे साथ किया आज से पहले कभी नही हुआ था. मैं बार बार बिस्तर पर करवट बदलती रही.. अमित के हाथ की छुवन बार बार मुझे मेरे नितंब पर महसूस हो रही थी उसने जिस तरह से मेरे नितंब को पकड़ कर मसल दिया था एक अजीब सा मज़ा आ गया था. पर फिर अचानक से विकास का ख्याल आ गया क्यूकी वो सुजाता के साथ था और सुजाता भी प्रोग्राम ख़तम होने के बाद भी कही दिखयी नही दी थी. मेरा मन किया कि जा कर एक बार चेक कर लू पर फिर थकान होने के कारण आलस कर गयी और यूँ ही पड़े पड़े सोने की कोसिस करने लगी. और इसी तरह करवाते बदलते बदलते पता ही नही चला की कब मुझे नींद आ गयी.