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Adultery मेहमान बेईमान
मनीष के साथ सेक्स करने के ख़याल से ही मैं जल्दी जल्दी पानी डाल कर अपने आप को सॉफ करने लगी. नहाते हुए ही मुझे अमित का अपने नितंबो को मसलना याद आया जो उसने बुरी तरह से अपनी हथेली मे ले कर मसल दिए थे. उसके भीमकाय जैसे लिंग का एहसास मुझे अपने नितंब के बीच मे होने लगा. मैं खुद को जितना भी उस ख़याल से दूर करने की कोसिस कर रही थी पर वो तो जैसे जाने का नाम ही नही ले रहा था. नहाते हुए ही मुझे विकास और सुजाता का ख़याल आया क्यूकी पूरा फंक्षन ख़तम होने के बाद भी सुजाता मुझे कही दिखाई नही दी.

“अरे क्या कर रही हो अभी तक नहा नही पाई क्या” मनीष ने मुझे आवाज़ लगाते हुए कहा

मनीष की आवाज़ सुन कर मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आई. “बस नहा ली आ रही हू” मनीष की बात का रिप्लाइ करके मैने जल्दी से पानी अपने उपर डाल कर टॉवल से अपने आप को पोंच्छा और मॅक्सी डाल कर बाहर आ गयी. अंदर कुछ पहना नही था. क्यूकी पता था कि वैसे भी सब उतरनी ही है और इस समय तो मेरी खुद की हालत ऐसी थी कि मनीष से अपने नितंबो को मसलवाने के लिए बे करार हो रही थी.

मैं जैसे ही बाथरूम से बाहर निकल कर आई तो देखा मनीष वैसे ही एक दम नंगे हो कर लेटे हुए है. उन्हे इस तरह देख कर मेरे चहरे पर मुस्कुराहट फैल गयी. उनका लिंग एक दम किसी बिजली के खंबे के जैसे एक दम सीधा खड़ा हुआ था और उनकी आँखे बंद थी. शायद कुछ सोच रहे थे. उनके सीधे खड़े हुए लिंग को देख कर मेरे मुँह मे पानी आ गया. मैं बिल्कुल धीमे से दबे हुए कदमो के साथ बेड के पास गयी और उनके लिंग को अपने हाथ मे कस कर पकड़ लिया.

मेरे यूँ अचानक लिंग पकड़ लेने से मनीष थोड़ा हड़बड़ा गये. और फिर आँख खोल कर मुस्कुरा दिए. मैने जब उनसे पूछा की “ये सब क्या है मनीष मैने आप के कपड़े निकाल दिए थे और आप ने कपड़े क्यू नही पहने अब तक, अगर कोई आ जाता तो”

“क्या करना है कपड़े पहन कर और वैसे भी गर्मी बोहोत है यहा गाँव मे सोचा थोड़ी हवा खा ली जाए.”

“अरे तो आप अंडरवेर पहन सकते थे ना. और ये क्या है ये आप का लिंग खंबे की तरह से सीधा क्यू खड़ा हुआ है ?” मैने मनीष को लिंग को हाथ मे पकड़ कर सहलाते हुए कहा.

“कैसे पहनता तुम इतने प्यार से जो कह कर गयी थी कि अभी आती हू. बस उसी बात को सोच कर ही पहनने की इच्छा नही हुई.” मनीष ने मुस्कुराते हुए कहा और मुझे अपने उपर खींच लिया.

“आप भी ना.. बाल तो सूखा लेने दीजिए” मैने मनीष के बालो मे हाथ घूमाते हुए कहा. मेरा दूसरा हाथ अब भी मनीष के लिंग को सहला रहा था.

“आज बड़े मूड मे दिख रही हो क्या बात है” मनीष ने मेरी आँखो मे झाँकते हुए देख कर कहा.

मनीष की बात सुन कर मैं शर्मा गयी. पर उस वक़्त तो जैसे मेरे योनि मे आग ही लगी हुई थी और उसको बुझाने मे मैं कोई देरी नही करना चाहती थी. इस लिए मैने मनीष की किसी बात का जवाब दिए बिना ही अपने होंठो को मनीष के होंठो पर टिका दिया. हम दोनो के होंठ जैसे ही एक दूसरे से जुड़े फिर तो जैसे चिपक ही गये. दोनो के होंठ एक दूसरे के होंठो को ऐसे चूम रहे थे जैसे कि आज पहली बार वो एक दूसरे को छू रहे हो. मनीष ने मेरे नीचले होंठ को अपने होंठो के बीच मे दबा लिया और उसे जोरो से चूसने लग गये. धीरे धीरे होंठ चूस्ते चूस्ते मनीष ने मेरी जीब को भी अपने होंठो के बीच मे दबा कर सक करना शुरू कर दिया.

उस समय तो जैसे उत्तेजना एक दम अपने चरम पर आ गयी थी. मैने भी मनीष की जीभ को अपने होंठो मे दबा कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर यूँ ही किस करने के बाद मनीष ने अपने दोनो हाथो को मेरे उरोजो पर रख कर उन्हे हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. मैं पहले से ही काफ़ी उत्तेजित थी और मनीष के हाथ अपने उरोजो पर पड़ते ही मेरे मुँह से सिसकारिया निकलनी शुरू हो गयी और आँखे अपने आप बंद होती चली गयी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 19-01-2020, 08:08 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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