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Adultery मेहमान बेईमान
मैने उसकी तरफ घूरते हुए देखा वो फिर से मुस्कुराते हुए बोला “भाभी जी पूरा डाल दू” मैने उसकी बात को अनसुना किया और आगे जा कर बाकी का खाना अपनी प्लेट मे ले कर खाने लगी. खाना खाते हुए मुझे बड़ा अफ़सोस हो रहा था कि अनिता ने कितने मन के साथ मुझे अपनी साडी पहन ने को दी और मैने उसकी साडी को खराब कर दिया. अगर उसने ये निशान देखे तो क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे..

थोड़ी ही देर मे वहाँ मौजूद बाकी बची हुई औरतो ने भी खाना खाया और मुझे, मम्मी जी और चाची जो को बधाई दे कर जाने लग गयी. सब लोगो को जाने के बाद हम भी वापस वहाँ से अंदर कमरे मे आ गये. मेरा पूरा बदन थकान से टूट रहा था और दूसरा बार बार रह रह कर विकास और सुजाता का ख़याल आ रहा था. सब ने खाना ख़तम कर लिया था पर सुजाता का कोई पता नही था. क्या विकास और सुजाता अब भी छत पर… सोच सोच कर मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी.

मुझे इस वक़्त जो चीज़ चाहिए थी वो मनीष ही दे सकते थे पर मनीष मुझे कही दिखाई ही नही दे रहे थे. मेरी आँखे बेचैनी के साथ मनीष को चारो तरफ खोजे जा रही थी. जिन्हे शायद अनिता ने पढ़ लिया था. “क्या हुआ भाभी जी जब से मनीष भैया गये है आप काफ़ी परेशान सी हो रही हो?? क्या हम लोगो के साथ अच्छा नही लग रहा है??” अनिता ने लग-भग मेरी चुटकी लेते हुए कहा. सब लोग काफ़ी थक चुके थे और काम भी काफ़ी फैला हुआ था. तभी मनीष भी पापा जी के साथ ही वहाँ पर आ गये. मम्मी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा “जा बेटी थक गयी होगी आराम कर ले यहाँ तो काम ऐसे ही फैला रहेगा”

“हान्ं बेटा जा बहू को ले जाकर थोड़ा आराम कर ले जब से आए हो दोनो ही काम मे लगे हुए हो” पापा जी ने भी मम्मी की बात को सपोर्ट करते हुए कहा.

मैं कुछ कहती इस से पहले ही अनिता बोल पड़ी ” भैया भाभी जी आप को बोहोत प्यार करती है जब से आप गये हो तब से आप को चारो तरफ ढूँढते फिर रही है.”

“चुप कर लड़की और जा जाकर तू भी आराम कर ले सुबह जल्दी उठ कर बाकी के काम करने है” मम्मी जी ने अनिता को डाँट ते हुए कहा.

मैं और मनीष दोनो ही अनिता की बात सुन कर शर्मा गये. और पापा मम्मी और सुजाता के वहाँ से जाने के बाद हम भी अपने कमरे मे आ गये. अपने कमरे मे आ कर मैने कुछ राहत की साँस ली. कमरे मे आ कर मनीष बाथरूम मे फ्रेश होने के लिए चले गये और मैने अपने कपड़े बदल कर चेंज करने लग गयी. साड़ी ब्लाउस पेटिकोट उतारने के बाद मुझे जैसे एक राहत की साँस मिली. अब मैं केवल ब्रा और पॅंटी मे थी. पॅंटी की जो हालत हो रखी थी वो देख कर ही कोई भी बता सकता था कि मेरी हालत उस समय कैसी है. मैने अपनी ब्रा खोल कर एक तरफ रख दी और पॅंटी भी उतार ही रही थी कि अपनी योनि से बहते हुए लावे को देख कर मैं मन ही मन मनीष के साथ आज की रात खूब जम कर सेक्स के बारे मे सोचने लग गयी. मनीष के साथ अपनी प्यास बुझाने की बात सोच कर ही मेरी योनि ने फिर से बहना शुरू कर दिया.

मैने जल्दी से अपनी पॅंटी को भी अपने शरीर से अलग किया और बाग खोल कर, जिसकी चाभी मनीष की जेब से निकाल कर मैने मनीष के कपड़े भी निकाल दिए और अपने भी निकाल लिए. थोड़ी ही देर मे मनीष नहा कर बाथरूम से बाहर आ गये. वो टवल लपेट कर अपने बालो मे हाथ फेरते हुए मुझे देख कर मुस्कुराते हुए बोले “निशा तुम भी फ्रेश हो लो तुम भी काफ़ी थक गयी हो”

मैने रिप्लाइ मे शरारती अंदाज मे उनके करीब गयी और उनकी आँखो मे झाँकते हुए उन्हे देखने लग गयी. मुझे इस तरह अपनी तरफ देखते हुए वो बोले “ऐसे क्या देख रही हो ?” कह कर उन्होने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मैने संभलने के लिए अपने दोनो हाथ उनकी कमर पर टिका दिए. थोड़ी देर तक हम यूँ ही एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर देखते रहे पर जैसे ही वो अपने होंठो को मेरे होंठो के करीब लाने की कोसिस की “छ्चोड़िए ना.. पहले नहा कर तो आ जाने दीजिए मुझे.” मैने मनीष से कहा और मनीष की पकड़ से खुद को आज़ाद करा कर बाथरूम के दरवाजे पर आ गयी और मनीष की तरफ देख कर हँसने लग गयी. मनीष की समझ मे नही आया की मैं हंस क्यू रही हू. और जब आया तो वो मेरी तरफ दौड़ पड़े इस से पहले कि वो मुझे पकड़ते मैने झट से दरवाजा बंद कर लिया.

और अपने हाथ मे लगी टवल को वही दरवाजे के पीछे लगी खूँटि पर टाँग दिया.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 19-01-2020, 08:06 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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