04-02-2019, 08:42 PM
अपडेट - 13
सुरेश: ( अपनी गलती का एहसास करते हुए) देखो चंचल...
चंचल: बस बहुत हुआ मिस्टर सुरेश, में आपकी पत्नी हूँ कोई ग़ुलाम नहीं।
सुरेश: चंचल... सुनो तो।
चंचल गुस्से में फ़ोन काट देती है और बिस्तर पर उल्टी लेट कर रोने लगती है। सुरेश के एक एक शब्द चंचल के सीने को छल्ली कर रहे थे। रोते रोते कब सुबह हो गयी चंचल को भी पता नहीं चला। चंचल ने जब अपना मोबाइल देखा तो उसमें सुरेश की तकरीबन 10 से 12 मिस्ड कॉल थी। चंचल गुस्से में फ़ोन को बिस्तर पर पटक कर बाथरूम में नहाने चली जाती है।
अब आगे...
चंचल नहा कर एक टॉवल अपने बदन पर लपेट कर अपने बेडरूम में आ जाती है।
अपना हेयर ड्रायर निकाल कर अपने बालों को सुखाते हुए बार बार सुरेश के रवैये के बारे में सोच रही थी। और उसी सोच में चंचल को कभी रौना आ रहा था तो कभी सुरेश पर गुस्सा।
चंचल अपने बाल सूखा कर जैसे ही अपने कपड़ों के ड्रॉर को खोलती है तो उसकी नज़र उस पार्सल पर पड़ती है जो कल समीर ने चंचल को दिया था। चंचल करीब पांच मिनट तक उस पार्सल को देखती रहती है लेकिन फिर उस पार्सल को उठा कर वो कपड़े पहनने लगती है।
कुछ ज्यादा मॉडर्न कपड़े तो थे नही न ही छोटे थे जिन्हें पहनने में चंचल को कोई आपत्ति होती। एक पेंसिल स्कर्ट और टॉप था।
चंचल ने उसे पहना और थोड़ा सा मेकअप किया फिर खुद को एक बार फिर से आईने में देखा तो चंचल शर्मा कर रह गयी। दर असल चंचल अपने मासूम चेहरे के कारण 21-22 साल की लड़की लग रही थी। लेकिन अपने फिगर के कारण वो 25 - 26 साल की कॉलेज गर्ल लग रही थी जिसकी शादी की उम्र हो। और इस मॉडर्न ड्रेस में चंचल बहुत ग्लैमरस लग रही थी। चंचल अपने बेडरूम से बाहर निकलती है तो देखती है सरिता और बाहर खाने पर उसका इंतजार कर रही थी। और उसकी नौकरानी घर का काम। सरिता की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है तो सरिता एक बार तो देखते ही रह जाती है।
सरिता: वाव दीदी यु लुक सो अमेज़िंग आमद सो ब्यूटीफुल।
चंचल: हट पगली, कब मुझे सताएगी तू।
दोनो बहने मिलकर हसने लगती है।
सरिता: लेकिन दीदी आज अचानक मॉडर्न ड्रेस कैसे? मैंने आपसे कहा था तब तो...
चंचल: वो क्या है ना अब आफिस में मुझे हर तरफ़ से एक्टिव रहना होगा ना। अंगार हर बार साड़ी में जाउंगी तो मेरे अपने आफिस वाले मुझे ओल्ड फैशनड नहीं समझेंगे।
सरिता: वो तो है दीदी। लेकिन क्या एक ही ड्रेस रोज रोज पहनोगे या फिर और भी लायी है आप।
चंचल: (कुछ सोच कर) अरे नहीं नहीं एक ही ड्रेस क्यों और भी है। और कम पड़ी तो तू है ना ले आना।
एक फिर से दोनों मुस्कुरा पड़ी। चंचल अपना खाना खत्म करके आफिस की और निकल पड़ती है। आज पहली बार ड्राइवर ने चंचल को इन कपड़ो में देखा था। लेकिन ड्राइवर ने तुरंत अपनी नज़रें फेर ली। चंचल का इस बात पर कोई खास ध्यान नही था।
चंचल कार में बैठे बैठे समीर को कॉल करती है लेकिन समीर कॉल अटेंड नहीं करता बल्कि चंचल का कॉल काट देता है। करीब पांच मिनट बाद चंचल के फ़ोन पर एक मैसेज आता है। ये समीर का मैसेज था। चंचल तुरन्त मैसेज को पढ़ती है।
मैसेज:-
देर चंचल मैंने तुम्हें जो पार्सल दिया था यदि तुम वो कोड़े पहन कर आई हो तो सीधे आफिस निकल जाना। मैं वही पर मिलूंगा। अगर उन कपड़ों में तुम नहीं आयी हो तो में तुम्हारे आफिस से बिना तुमसे मिले निकल जाऊंगा।
चंचल वो मैसेज पढ़ कर एक बार तो बहुत कन्फ्यूज्ड होती है लेकिन अगले ही पल चंचल खुद को समझा लेती है। ड्राइवर कार को आफिस के सामने रोक देता है। कार के रुकते ही चंचल उतर कर अपने आफिस में जाने लगती है। जैसे ही चंचल आफिस में एंटर करती है सारा स्टाफ चंचल को गुड मोर्निंग विश करता है साथ ही चंचल का लुक देख कर सरप्राइज भी होता है। हक़ीक़त तो ये थी कि सारा स्टॉफ चंचल को अब तक ओल्ड फैशनड समझने लगा था लेकिन आज का लूके देख कर आफिस स्टाफ का पॉइंट ऑफ व्यू बदल गया।
करीब 15 या 20 मिनट के चंचल के केबिन में रघु आता है।
रघु: हेलो मैडम, अभी मिस्टर समीर का अपॉइंटमेंट है।
चंचल: समीर ... ओके... उन्हें मेरे केबिन में भेज दो।
रघु: जी मेडम...
रघु बाहर जाकर समीर को चंचल के केबिन में भेज देता है।
समीर: गुड मॉर्निंग मेडम
चंचलमुस्कुराते हुए) गुड मॉर्निंग माय मास्टर समीर....
समीर: अरे नहीं नहीं मैडम मैं आपका अभी मास्टर नहीं हुआ हूँ । ये कपड़े पहन कर तो आपने अभी तक ये साबित किया है कि आप दिल से मेरी स्लेव बनना चाहती है। लेकिन अभी तो आपको ये साबित करना है कि क्या आप मेरी स्लाव बनने के लायक है भी की नहीं।
चंचल: और वो सब साबित करने के लिए मुझे क्या करना होगा।
समीर: मेरे चार काम करने होंगे आपको। और वो ऐसे काम होंगे जो केवल मेरी पक्की स्लेव कर सकती है जिसके लिए मैं भी कुछ भी कर सकता हूँ।
चंचल: अच्छा बोलो क्या करना है।
समीर: ये लो (एक पैकेट चंचल की तरफ बढ़ाते हुए) इस आफिस से बाहर निकल कर ये कपड़े पहनना और सीधे मेरे फार्म हाउस पर आ जाना। और हाँ चंचल के कान के पास जाकर । नो इनरवेयर ओनली ड्रेस। याद रखना वरना वही से वापस लौट जाना और मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।
समीर बिना चंचल की बात सुने मुस्कुराता हुआ चंचल के केबिन से बाहर निकल जाता है।
चंचल ने समीर के पहले पैकेट को स्वीकार करके ये साबित कर दिया था कि वो जल्दी से समीर को किसी बात के लिए इनकार नहीं कर सकती
चंचल: समीर समीर (समीर को चंचल रोकने का असफल प्रयास करती है)
अब चंचल के लिए ये नई मुसीबत थी। लेकिन चंचल को ये पता नहीं था कि वो क्या करे। समीर ने उसे कैसे कपड़े दिए है। आखिर समीर चाहता क्या है?
करीब चार घंटे बाद समीर का कॉल चंचल के पास आता है।
समीर: अगर मेरी स्लेव बनना है तो आ जाओ, अभी
चंचल: लेकिन समीर (फ़ोन काट)
चंचल फ़ोन को एक टक देखती रहती है। उसे समीर का सुरेश की तरह फ़ोन काटना बिल्ककुल पसंद नहीं आता। चंचल कैसे - जैसे हिम्मत करके आफिस से बाहर निकलती है। और पास के बने मॉल में जाकर चेंजिंग रूम में घुस जाती है। चेंजिंग रूम में चंचल समीर का दिया हुआ पैकेट खोलती है। चंचल के लिए सब बिल्कुल सामान्य नहीं था। कल जो पैकेट दिया था उसमें और आज के पैकेट में बहुत अंतर था। इस तरह के कपड़े चंचल ने ना तो कभी पहने थे ना ही वो पहन सकती थी। इस तरह के कपड़े केवल और केवल अंग प्रदर्शन और अश्लीलता को भड़काने के काम आते है।
ये एक टॉप था जो कि बैकलैस था। लेकिन चंचल ने फिर भी पता नही क्या सोच कर उस कपड़े को पहनने का निर्णय ले लिया। चंचल चेंजिंग रूम में वो कपड़े पहन कर बाहर अपने को सामने लगे आईने में निहारती है। चंचल इस वक़्त वाकई में ऐसी लग रही थी जैसे कई पुरुषों को आकर्षित करने के उदेश्य से उसने अपने जीवन मे पहली बार सेक्सी कपड़ो को पहना है। चंचल वो कपड़े पहनने के बाद एक तरफ एक्साइटेड थी तो दूसरी तरफ थोड़ा घबरा भी रही थी।
चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।
चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।
समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।
चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)
सुरेश: ( अपनी गलती का एहसास करते हुए) देखो चंचल...
चंचल: बस बहुत हुआ मिस्टर सुरेश, में आपकी पत्नी हूँ कोई ग़ुलाम नहीं।
सुरेश: चंचल... सुनो तो।
चंचल गुस्से में फ़ोन काट देती है और बिस्तर पर उल्टी लेट कर रोने लगती है। सुरेश के एक एक शब्द चंचल के सीने को छल्ली कर रहे थे। रोते रोते कब सुबह हो गयी चंचल को भी पता नहीं चला। चंचल ने जब अपना मोबाइल देखा तो उसमें सुरेश की तकरीबन 10 से 12 मिस्ड कॉल थी। चंचल गुस्से में फ़ोन को बिस्तर पर पटक कर बाथरूम में नहाने चली जाती है।
अब आगे...
चंचल नहा कर एक टॉवल अपने बदन पर लपेट कर अपने बेडरूम में आ जाती है।
अपना हेयर ड्रायर निकाल कर अपने बालों को सुखाते हुए बार बार सुरेश के रवैये के बारे में सोच रही थी। और उसी सोच में चंचल को कभी रौना आ रहा था तो कभी सुरेश पर गुस्सा।
चंचल अपने बाल सूखा कर जैसे ही अपने कपड़ों के ड्रॉर को खोलती है तो उसकी नज़र उस पार्सल पर पड़ती है जो कल समीर ने चंचल को दिया था। चंचल करीब पांच मिनट तक उस पार्सल को देखती रहती है लेकिन फिर उस पार्सल को उठा कर वो कपड़े पहनने लगती है।
कुछ ज्यादा मॉडर्न कपड़े तो थे नही न ही छोटे थे जिन्हें पहनने में चंचल को कोई आपत्ति होती। एक पेंसिल स्कर्ट और टॉप था।
चंचल ने उसे पहना और थोड़ा सा मेकअप किया फिर खुद को एक बार फिर से आईने में देखा तो चंचल शर्मा कर रह गयी। दर असल चंचल अपने मासूम चेहरे के कारण 21-22 साल की लड़की लग रही थी। लेकिन अपने फिगर के कारण वो 25 - 26 साल की कॉलेज गर्ल लग रही थी जिसकी शादी की उम्र हो। और इस मॉडर्न ड्रेस में चंचल बहुत ग्लैमरस लग रही थी। चंचल अपने बेडरूम से बाहर निकलती है तो देखती है सरिता और बाहर खाने पर उसका इंतजार कर रही थी। और उसकी नौकरानी घर का काम। सरिता की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है तो सरिता एक बार तो देखते ही रह जाती है।
सरिता: वाव दीदी यु लुक सो अमेज़िंग आमद सो ब्यूटीफुल।
चंचल: हट पगली, कब मुझे सताएगी तू।
दोनो बहने मिलकर हसने लगती है।
सरिता: लेकिन दीदी आज अचानक मॉडर्न ड्रेस कैसे? मैंने आपसे कहा था तब तो...
चंचल: वो क्या है ना अब आफिस में मुझे हर तरफ़ से एक्टिव रहना होगा ना। अंगार हर बार साड़ी में जाउंगी तो मेरे अपने आफिस वाले मुझे ओल्ड फैशनड नहीं समझेंगे।
सरिता: वो तो है दीदी। लेकिन क्या एक ही ड्रेस रोज रोज पहनोगे या फिर और भी लायी है आप।
चंचल: (कुछ सोच कर) अरे नहीं नहीं एक ही ड्रेस क्यों और भी है। और कम पड़ी तो तू है ना ले आना।
एक फिर से दोनों मुस्कुरा पड़ी। चंचल अपना खाना खत्म करके आफिस की और निकल पड़ती है। आज पहली बार ड्राइवर ने चंचल को इन कपड़ो में देखा था। लेकिन ड्राइवर ने तुरंत अपनी नज़रें फेर ली। चंचल का इस बात पर कोई खास ध्यान नही था।
चंचल कार में बैठे बैठे समीर को कॉल करती है लेकिन समीर कॉल अटेंड नहीं करता बल्कि चंचल का कॉल काट देता है। करीब पांच मिनट बाद चंचल के फ़ोन पर एक मैसेज आता है। ये समीर का मैसेज था। चंचल तुरन्त मैसेज को पढ़ती है।
मैसेज:-
देर चंचल मैंने तुम्हें जो पार्सल दिया था यदि तुम वो कोड़े पहन कर आई हो तो सीधे आफिस निकल जाना। मैं वही पर मिलूंगा। अगर उन कपड़ों में तुम नहीं आयी हो तो में तुम्हारे आफिस से बिना तुमसे मिले निकल जाऊंगा।
चंचल वो मैसेज पढ़ कर एक बार तो बहुत कन्फ्यूज्ड होती है लेकिन अगले ही पल चंचल खुद को समझा लेती है। ड्राइवर कार को आफिस के सामने रोक देता है। कार के रुकते ही चंचल उतर कर अपने आफिस में जाने लगती है। जैसे ही चंचल आफिस में एंटर करती है सारा स्टाफ चंचल को गुड मोर्निंग विश करता है साथ ही चंचल का लुक देख कर सरप्राइज भी होता है। हक़ीक़त तो ये थी कि सारा स्टॉफ चंचल को अब तक ओल्ड फैशनड समझने लगा था लेकिन आज का लूके देख कर आफिस स्टाफ का पॉइंट ऑफ व्यू बदल गया।
करीब 15 या 20 मिनट के चंचल के केबिन में रघु आता है।
रघु: हेलो मैडम, अभी मिस्टर समीर का अपॉइंटमेंट है।
चंचल: समीर ... ओके... उन्हें मेरे केबिन में भेज दो।
रघु: जी मेडम...
रघु बाहर जाकर समीर को चंचल के केबिन में भेज देता है।
समीर: गुड मॉर्निंग मेडम
चंचलमुस्कुराते हुए) गुड मॉर्निंग माय मास्टर समीर....
समीर: अरे नहीं नहीं मैडम मैं आपका अभी मास्टर नहीं हुआ हूँ । ये कपड़े पहन कर तो आपने अभी तक ये साबित किया है कि आप दिल से मेरी स्लेव बनना चाहती है। लेकिन अभी तो आपको ये साबित करना है कि क्या आप मेरी स्लाव बनने के लायक है भी की नहीं।
चंचल: और वो सब साबित करने के लिए मुझे क्या करना होगा।
समीर: मेरे चार काम करने होंगे आपको। और वो ऐसे काम होंगे जो केवल मेरी पक्की स्लेव कर सकती है जिसके लिए मैं भी कुछ भी कर सकता हूँ।
चंचल: अच्छा बोलो क्या करना है।
समीर: ये लो (एक पैकेट चंचल की तरफ बढ़ाते हुए) इस आफिस से बाहर निकल कर ये कपड़े पहनना और सीधे मेरे फार्म हाउस पर आ जाना। और हाँ चंचल के कान के पास जाकर । नो इनरवेयर ओनली ड्रेस। याद रखना वरना वही से वापस लौट जाना और मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना।
समीर बिना चंचल की बात सुने मुस्कुराता हुआ चंचल के केबिन से बाहर निकल जाता है।
चंचल ने समीर के पहले पैकेट को स्वीकार करके ये साबित कर दिया था कि वो जल्दी से समीर को किसी बात के लिए इनकार नहीं कर सकती
चंचल: समीर समीर (समीर को चंचल रोकने का असफल प्रयास करती है)
अब चंचल के लिए ये नई मुसीबत थी। लेकिन चंचल को ये पता नहीं था कि वो क्या करे। समीर ने उसे कैसे कपड़े दिए है। आखिर समीर चाहता क्या है?
करीब चार घंटे बाद समीर का कॉल चंचल के पास आता है।
समीर: अगर मेरी स्लेव बनना है तो आ जाओ, अभी
चंचल: लेकिन समीर (फ़ोन काट)
चंचल फ़ोन को एक टक देखती रहती है। उसे समीर का सुरेश की तरह फ़ोन काटना बिल्ककुल पसंद नहीं आता। चंचल कैसे - जैसे हिम्मत करके आफिस से बाहर निकलती है। और पास के बने मॉल में जाकर चेंजिंग रूम में घुस जाती है। चेंजिंग रूम में चंचल समीर का दिया हुआ पैकेट खोलती है। चंचल के लिए सब बिल्कुल सामान्य नहीं था। कल जो पैकेट दिया था उसमें और आज के पैकेट में बहुत अंतर था। इस तरह के कपड़े चंचल ने ना तो कभी पहने थे ना ही वो पहन सकती थी। इस तरह के कपड़े केवल और केवल अंग प्रदर्शन और अश्लीलता को भड़काने के काम आते है।
ये एक टॉप था जो कि बैकलैस था। लेकिन चंचल ने फिर भी पता नही क्या सोच कर उस कपड़े को पहनने का निर्णय ले लिया। चंचल चेंजिंग रूम में वो कपड़े पहन कर बाहर अपने को सामने लगे आईने में निहारती है। चंचल इस वक़्त वाकई में ऐसी लग रही थी जैसे कई पुरुषों को आकर्षित करने के उदेश्य से उसने अपने जीवन मे पहली बार सेक्सी कपड़ो को पहना है। चंचल वो कपड़े पहनने के बाद एक तरफ एक्साइटेड थी तो दूसरी तरफ थोड़ा घबरा भी रही थी।
चंचल कपड़े बदल कर फिर से समीर के फार्महाउस की और निकल पड़ती है। चंचल कुछ देर बाद समीर के फार्महाउस पर जाकर डोर बेल बजाती है। समीर खुद आकर डोर खोलता है। समीर की नज़र जैसे ही चंचल पर पड़ती है समीर मुस्कुरा पड़ता है।
समीर: आज से तुम मेरी स्लेव हुई। अब तुम्हे वो हर काम करना होगा जो मैं तुमसे कहूंगा। मंज़ूर है।
चंचल: जब तुम्हारी स्लाव बन ही गयी हूँ तो मुझे सब मंज़ूर है।
समीर: आओ अंदर आओ। आज तुम्हे में तुम्हारे मालिक की असली दुनिया से रूबरू करवाता हूँ। याद रखना यहां इस दुनिया मे आने वाला वापस अपनी दुनिया मे तब तक नहीं जा सकता जब तक वो खुद मालिक बनने की औकात नहीं रखता।
चंचल: मंज़ूर है। (चंचल समीर के साथ फार्महाउस में अंदर जाती है।)
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
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[b]द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) {A Tale of Tilism}[/b]
https://xossipy.com/thread-2651.html
Hawas ka ghulam
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