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Romance मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक
#27
अध्याय 6


लेकिन इस वसीयत के इस आखिरी भाग ने सभी को हैरान कर दिया और उसमें सबसे ज्यादा उलझन रागिनी, अनुराधा और प्रबल को थी..... क्योंकि उन तीनों की तो पहचान ही खो गयी..... लेकिन अचानक रागिनी को कुछ याद आया तो उसने अभय से कहा

“तुम तो मेरे और विक्रम के साथ कॉलेज मे पढ़ते थे... तो तुम्हें तो मेरे बारे में पता होगा?” और उम्मीद भरी नज़रों से अभय को देखने लगी......

अब आगे..................................

“रागिनी में कॉलेज मे तुम्हारे साथ तो पढ़ा हूँ, लेकिन मेरा तुमसे कोई ताल्लुक नहीं रहा... विक्रम मेरा दोस्त था और तुम्हारा दुश्मन। मुझे तो आज तक भी ताज्जुब होता है की विक्रम ने तुम्हारे लिए इतना सब क्यों किया..... जबकि कॉलेज में तुमने हमेशा उसे दुखी, परेशान और बेइज्जत करने की ही कोशिश की थी... ये तो सब बाद की बातें हैं.... तुम्हारे बारे में इतना ही मुझे पता था कि तुम्हारा एक भरा पूरा परिवार था... माँ-बाप, भाई-भाभी और उनके बच्चे…. इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं पता” अभय ने रागिनी को बताया और फिर सब को संबोधित करके बोला “आप सब के किसी भी सवाल का जवाब में नहीं दे पाऊँगा क्योंकि में विक्रम के अलावा आप सब में से किसी के भी बारे मे कुछ नहीं जानता....हाँ! विक्रम ने सिर्फ इन तीनों के लिए ही नहीं.... सभी के लिए अलग-अलग लिफाफे छोड़े हैं जो में आपको देता हूँ.... इन लिफाफों को पढ़कर शायद आपको कोई नई जानकारी मिले.... साथ ही एक बार फिर से बता दूँ कि इन लिफाफों में दी हुई जानकारी.... आप अपनी इच्छा से किसी को बता भी सकते हैं या फिर अपने तक सीमित रख सकते हैं....इसके लिए आप पर कोई दवाब नहीं डाल सकता”

और अभय ने उस फोंल्डर में से निकालकर बलराज सिंह, मोहिनी देवी और ऋतु को भी एक-एक लिफाफा दिया.... और उस फोंल्डर को वापस बाग मे रखते हुये कहा “इस वसीयत की मेरी ज़िम्मेदारी अब खत्म होती है... मुझे जल्द से जल्द विक्रम के मृत्यु प्रमाण पत्र की कॉपी दे देना जिसे कोर्ट मे जमा करके इस वसीयतनामे को लागू किया जा सके.... में कल सुबह दिल्ली निकाल जाऊंगा... वहाँ भी काम देखना है... और श्रीगंगानगर पुलिस से इस मामले की अपडेट लेता रहूँगा...”

“में आपको वहाँ के फोन नंबर्स दे देती हूँ” कहते हुये रागिनी ने अपने फोन से वो नंबर अभय को दिये

तभी ऋतु ने कहा “भैया का मृत्यु प्रमाण पत्र भी श्रीगंगानगर से ही जारी होगा आप इन्हीं पुलिस वालों से बोलकर मँगवा लेना”

इसके बाद सभी अंदर की ओर चल दिये एक कमरे मे ऋतु और मोहिनी देवी के सोने की व्यवस्था थी, दूसरे में रागिनी और अनुराधा के .... और 3 कमरे बलराज सिंह, अभय और प्रबल के लिए थे लेकिन बलराज सिंह ने कहा की गाँव के नियमानुसार दाह संस्कार करनेवाले को बैठक में ही मतलब सार्वजनिक स्थान पर तेरह दिन तक रहना होता है...साथ में घर के 1-2 पुरुष सदस्य को भी इसलिए वो और प्रबल बैठक में ही सोयेंगे। तब अभय ने भी बैठक मे ही सोने की इच्छा जताई। इन तीनों के बैठक मे चले जाने पर ऋतु और अनुराधा भी अलग कमरों में सोने चली गईं।

.......................................................

“हैलो सुरेश! में गाँव में आ गयी हूँ... तुम कहाँ पर हो?” पूनम ने अपने पति को फोन पर पूंछा।

“में कोटा पहुँच गया हूँ... तुम वहीं रुकना ....में कल शाम तक बच्चों को लेकर पहुँच जाऊंगा” सुरेश ने जवाब दिया “तुम तो अपने घर पर ही होगी?”

“हाँ में घर ही आ गयी थी.... गाँव मे होते हुये अपने घर की बजाय उनके घर रुकना मेंने सही नहीं समझा... बच्चों के स्कूल में भी छुट्टी के लिए बोल देना...की उनके चाचा की मृत्यु की वजह से गाँव जा रहे हैं”

“ठीक है” कहते हुये सुरेश ने फोन काट दिया और बेड पर लेटे बच्चों को चादर उढ़ाकर एक कोने मे रखी मेज के सामने कुर्सी पर आँखें मूंदकर बैठ गया

11 साल पहले

“सुरेश मेरे भाई तू पागल तो नहीं हो गया? पूनम से शादी करेगा.... में किसी भी लड़की से तेरी शादी करा दूँगा.... लेकिन यार तू मेरा छोटा भाई है.... और मेरे और पूनम के रिश्ते को सिर्फ जानता ही नहीं.... बहुत कुछ देखा भी है तूने.... फिर भी” विक्रम ने चिल्लाते हुये सुरेश से कहा

“विक्रम यार अगर तुझे पूनम से शादी करनी है तो में रास्ते से हट जाऊंगा.... पूनम से खुद कह दूँगा की तुझ से शादी कर ले .... लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो फिर मुझे मत रोक .... में और पूनम एक दूसरे को प्यार करते हैं.... और एक न एक दिन हम दोनों को ही किसी न किसी से शादी करनी ही होगी.... तो क्यों न एक दूसरे से कर लें.... वैसे तो शायद मेरे या पूनम के घरवाले न भी मानते लेकिन तू ये शादी करवा ही देगा... मुझे मालूम है” सुरेश ने लगभग गिड़गिड़ाते हुये विक्रम से कहा

“यार में तेरे या पूनम के प्यार के खिलाफ नहीं हूँ.... लेकिन मेरे और पूनम के बीच जो रिश्ता रहा है.... एक दिन तेरे मेरे बीच नफरत पैदा कर देगा, आज प्यार के जोश में तू सब भूल गया लेकिन कल तुझे येही कांटे से चुभेंगे.......... और सबसे बड़ी बात... में खुद अपनी नज़रों मे गिर जाऊंगा जब तुझे पूनम के साथ देखुंगा.... में कैसे तुम दोनों का सामना कर पाऊँगा”

“विक्की मेरे भाई.... ऐसा इस जनम मे कभी मत सोचना... की मेरी नज़र में आपकी इज्ज़त कम हो सकती है”

“ठीक है.... तू पूनम को बोल दे.... में तुम दोनों के माँ बाप से बात करके शादी की तारीख निकलवाता हूँ”

15 दिन के अंदर सुरेश और पूनम की शादी हो जाती है.... विक्रम स्टेज पर बैठे सुरेश और पूनम को एक गाड़ी और एक फ्लॅट की चाबियाँ देता है... और धीरे से कहता है...... “तुम दोनों ने एक दूसरे को पा लिया मुझे बहुत खुशी हुई लेकिन आज के बाद कभी मुझसे मिलने की सोचना भी मत.... और में भी जीतेजी कभी तुम दोनों के सामने नहीं पड़ूँगा...” और उन दोनों के कुछ कहने से पहले ही पलट कर सीधा वहाँ से चला जाता है

अब...............

सुरेश मन में “मेरे भाई जीतेजी क्या तू तो मरने के बाद भी मेरे सामने नहीं आया” और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं...

....................................................

इधर गाँव में............

सभी अपने अपने कमरों में चले गए.... रागिनी भी अपने कमरे में जाकर पलंग पर बैठ गयी और हाथ में पकड़े लिफाफे को टकटकी लगाए देखती रही..... कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद उसने लिफाफे को खोला और उसमे रखे कागजात को बाहर निकाला....

सबसे ऊपर एक पुराने से कागज पर दिल्ली के एक अस्पताल का नाम पता और 14 अगस्त 1979 की तारीख दर्ज थी लेकिन उस कागज पर और कुछ भी नहीं लिखा हुआ था। उसके बाद दिल्ली के ही एक कॉलेज का प्रवेश पत्र जिसमें रागिनी का विवरण दिया हुआ था अप्रैल 2000 का उसमें केवल कोर्स का नाम, परीक्षाओं की तारीखें और रागिनी का नाम और फोटो था।

उसे अभी रागिनी गौर से देख ही रही थी की उसे अपने दरवाजे पर हल्की सी खटखटने की आवाज सुनाई दी तो उसने उन कागजातों को वापस लिफाफे मे रखा और उठकर दरवाजे के पास पहुँचकर धीरे से पूंछा “कौन?”

“माँ! में अनुराधा” बाहर से जवाब सुनते ही रागिनी ने दरवाजा खोलकर अनुराधा को अंडर आने का रास्ता दिया...अनुराधा अंदर आकार पलंग पर बैठ गयी...रागिनी ने भी दरवाजे को बंद किया और आकार अनुराधा के पास ही पलंग पर बैठ गयी... रागिनी के बैठते ही अनुराधा ने अपनी बाहें उसकी कमर में लपेटी और उसके सीने में मुंह छुपकर रोने लगी....रागिनी की भी आँखों में आँसू आ गए और अनुराधा के आँसू पूंछते हुये उसे उठाकर अपनी गोद मे लिटाकर चुप करने लगी।

“माँ! ये विक्रम भैया ने झूठ लिखा है ना!...आप ही मेरी माँ हो” अनुराधा ने रोते हुये कहा

“अनुराधा! मेरे और तुम्हारे बीच में क्या रिश्ता है या कोई रिश्ता है भी या नहीं... मुझे नहीं मालूम लेकिन तुम्हें मेंने जन्म नहीं दिया.... ये मुझे पता है” रागिनी ने कहा

“माँ! आपकी याददस्त चले जाने के कारण आप ऐसे समझती हैं लेकिन में जानती हूँ, बचपन से में आपके साथ ही रही थी...अपने ही मुझे पाला है.... हमारा इन सब से कोई रिश्ता नहीं... ये मुझे भी पता है क्योंकि पहले हमारा घर कहीं और था किसी बड़े शहर में.... एक दोमंजिला मकान था जिसमें में आपके साथ रहती थी...वहाँ हमारे घर के और भी लोग रहते थे.... लेकिन उनकी शक्लें अब मुझे याद नहीं....मेंने विक्रम भैया को पहली बार उसी दिन देखा था जब वो उस मकान से मुझे कोटा उस हवेली मे लेकर आए थे.... उनके साथ पुलिस थी जो वहाँ दूसरी मंजिल पर रह रही औरत को पकड़कर ले गयी थी और मुझे विक्रम भैया के हवाले कर दिया था” अनुराधा ने बताया तो रागिनी चौंक कर उसकी ओर गहरी नज़र से देखने लगी

“लेकिन ... बेटा तुम भी अब बच्ची नहीं हो... तुम्हें मालूम होगा की एक औरत बच्चे को जन्म कैसे देती है... मे... मे... मेरे साथ आजतक किसी ने शारीरिक संबंध यानि संभोग ही नहीं किया है बच्चा होना तो दूर की बात है.... ये बात मुझे एक डॉक्टर ने कोटा मे बताई थी.....”

अब चौंकने की बारी अनुराधा की थी.... अचानक अनुराधा को कुछ ध्यान आया तो वो पलंग से उठकर दरवाजा खोलकर बाहर निकाल गयी और कुछ क्षणो में ही हाथ में लिफाफा लिए अंडर आकार रागिनी के पास आकार बैठ गयी और अपना लिफाफा रागिनी की ओर बढ़ा दिया... रागिनी ने काँपते हाथों से उस लिफाफे को पकड़ा और खोलकर उसमें रखे समान को बाहर निकाला उसमें एक फोटो था जिसमें एक युवती की गोद में एक छोटी बच्ची थी... फोटो को दोनों ने गौर से देखा तो वो युवती रागिनी थी.... साथ में एक FIR थी जिसे विक्रम ने दर्ज कराया था किसी विमला पत्नी विजय सिंह के खिलाफ दिल्ली के गुमशुदा तलाश केंद्र कोतवाली दरियागंज में रागिनी पुत्री विजय सिंह के गायब होने की सूचना के साथ 7 जुलाई 2000 की तारीख को ये सूचना दर्ज कराई गयी थी।

ये देखते ही रागिनी ने अनुराधा से कहा की बैठक से प्रबल को बुला लाये और वो अपना लिफाफा साथ लेकर आए.....
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RE: मोक्ष : तृष्णा से तुष्टि तक - by kamdev99008 - 18-01-2020, 08:33 PM



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