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Adultery मेहमान बेईमान
वो पूरी तरह से नीच पने पर आ गया था. मेरा मन नही था वहाँ पर अब ज़रा भी देर रुकने का पर अमित तो ज़बरदस्ती मेरे पीछे पड़ गया था. मैने सोचा इस से पहले कि ये कुछ करने के लिए मुझे मजबूर करे मैं इसका हिला कर शांत कर देती हू.

“क्या सोचने लग गयी भाभी जी ? थोड़ा हिला दो ना वरना पूरी रात भर नींद नही आएगी. आप का क्या है आप तो मनीष भैया के साथ रात को चुदाई कर लोगि पर मेरा क्या होगा. मेरी तो शादी भी नही हुई है जो अपनी लुगाई की गांद मार कर अपने लंड को शांत कर साकु. आप अपने नरम नरम हाथो से हिलाओगी तो जल्दी निकल जाएगा.” कह कर उसने मेरे हाथ को अपने लिंग पर कस दिया. अमित का लिंग हाथ मे लेते ही मेरे पूरे शरीर मे एक कंपन सा हुआ और मेरी योनि फिर ने फिर से रिसना शुरू कर दिया.

मुझे कुछ ना करता हुआ देख कर वो फिर से बोला “हिला दो ना भाभी आप तो ऐसे शर्मा रहे हो जैसे आप पहली बार च्छू रहे हो. भूल गयी आप आप को आधी औरत से पूरी औरत मैने ही बनाया है. इस लिए आप का आधा पति होने का अधिकार तो मुझे मिल ही गया है. अब हिलाना शुरू भी करो” कह कर उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने लिंग पर आगे पीछे चलना शुरू कर दिया.

“अपना मुँह बंद रखो, ये तुम जो भी कर रहे हो मेरे साथ बिल्कुल भी ठीक नही है. तुम अपने किए पर बाद मे ज़रूर पछताओगे”

“जिस ने आप जैसी लड़की की गांद पा ली हो उसे किस बात की चिंता होगी” कह कर उसने अपना एक हाथ मेरे नितंबो पर मारा और मेरे एक नितंब को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर बुरी तरह से दबा दिया. उसने इतनी ज़ोर से मेरे नितंब को पकड़ कर मसल दिया था कि पूरे बदन मे दर्द की एक लहर दौड़ गयी पर उस दर्द मे ज़रा भी तकलीफ़ होने की जगह एक अलग ही तरह का मज़ा महसूस हुआ. मन मे तो आया कि उस से कह दू कि ऐसे ही थोड़ा और दबा दे पर अपने मुँह से उस से इस तरह की बात कैसे कह सकती थी इस लिए चुप चाप ही रही.

उसने कब अपना हाथ मेरे हाथ के उपर से हटा लिया मुझे पता ही नही चला और मेरा हाथ उसके लिंग को बराबर तेज़ी के साथ आगे पीछे करने लगा हुआ था. जब मुझे इस बात का एहसास हुआ तो मैं शरम से ज़मीन मे धँसी जा रही थी. पर मुझे जल्दी थी नीचे जाने की क्यूकी यहा पर आए हुए काफ़ी टाइम हो गया था और नीचे कही मनीष या मम्मी जी मुझे ढूँढ ना रहे हो इस लिए मैने उसके लिंग को तेज़ी के साथ हिलाना शुरू कर दिया ताकि उसका वीर्य जल्दी से निकल जाए और मेरी जान च्छुटे.

उसका लिंग हिलाते हिलाते काफ़ी टाइम हो गया और अब तो मेरा हाथ भी दर्द करने लग गया था पर उसके लिंग से तो वीर्य की एक बूँद नही निकली. उसके लिंग पर मेरे हाथ से आगे पीछे करने की स्पीड काफ़ी कम हो गयी जिसका एहसास शायद उसे भी हो गया था.

“क्या हुआ भाभी इतना धीमे धीमे क्यू हिला रहे हो ?”

“मेरा हाथ दर्द करने लग गया है मुझसे अब और नही होगा, मैं नीचे जा रही हू.”

“बस भाभी थोड़ी देर और हिला दो मेरा निकलने ही वाला”

“मैने कहा ना मेरा हाथ सच मे दर्द कर रहा है मुझसे अब नही होगा ये सब.”

“भाभी अगर आप का हाथ दर्द कर रहा है तो आप इसे मुँह मे लेकर चूसो ना मुँह मे लेकर चूसने से जल्दी निकल जाता है”

उसकी बात सुन के की ‘मुँह मे ले कर चूसो’ सुन कर मैने एक नज़र उसके भीमकाय जैसे लिंग को देखा. ये ख़याल आते ही मेरे पूरे बदन मे एक ज़ुर-झूरी सी दौड़ गयी. इतना बड़ा लिंग कैसे मैं….. नही मैं ये सब नही कर सकती.. मैने अपने ही आप को जैसे जवाब देते हुए कहा. उसका लिंग एक दम लोहे की रोड़े के जैसा सख़्त था और हल्के हल्के झटके से ले रहा था. ऐसा लग रहा था मानो झटका की जगह अपना सर हिला कर पूछ रहा हू बताओ मुझे मुँह मे लोगि क्या ?

मैं मुँह मे नही ले सकती थी इस लिए मैने अपने दुख़्ते हुए हाथ से ही उसके लिंग को और भी तेज़ी के साथ हिलाना शुरू कर दिया. और कुछ ही देर मे उसका शरीर अकड़ने लग गया और उसके लिंग ने बुरी तरह से झटके खाते हुए वीर्य की बारिश सी कर दी. मैं जब तक हट पाती तब तक तो उसके लिंग से निकले वीर्य ने मेरी साडी खराब कर दी…. मुझे उसकी इस हरकत पर बोहोत गुस्सा आया पर वो वाक़त उस समय गुस्सा करने का नही वहाँ से निकल लेने का थाऔर इसी लिए मैं भी वहाँ से जल्दी से वापस नीचे की तरफ आ गयी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 17-01-2020, 08:22 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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