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Adultery मेहमान बेईमान
मैं अभी अपनी सोच मे ही आँखे बंद किए हुए डूबी थी कि मैं बुरी तरह से चौंक गयी. अमित ने अपने दोनो हाथ से मेरे नंगे नितंब को दबाना शुरू कर दिया. उसके हाथ अपने नंगे नितंब पर पड़ते ही मेरे पूरे शरीर मे एक बिजली सी कोंध गयी. पूरा शरीर बुरी तरह से थर-थारा उठा. इधर मनीष अपने फ़ोन पर पता नही किस से बात किए जा रहे थे.

मेरी हालत तो ऐसी हो गयी थी कि उसे बयान नही किया जा सकता है. कब उसने मेरी साड़ी को उपर उठा दिया और कब अपने हाथो से मेरे नितंब को सहलाने लगा पता ही नही चला. अभी वो समस्या हाल हुई नही थी कि अंदर से विकास की आवाज़ आना शुरू हो गयी.. “अब जल्दी से अपनी सलवार का नाडा खोल दे और मुझसे अब और इंतजार नही हो रहा है.”

“मुझे लग रहा है बाहर कोई है” सुजाता ने डरती हुई आवाज़ के साथ कहा. और फिर दोनो ही खामोश हो गये. दोनो ही बोहोत धीमे बात कर रहे थे.

अंदर से आती हुई आवाज़ ने तो जैसे मेरे प्राण ही गले मे अटका दिए. मुझे डर लग रहा था कि कही मनीष इनकी आवाज़ सुन कर यहा पर ना आ जाए. वो बोहोत धीमी आवाज़ मे बात कर रहे थे पर उस समय डर के कारण जैसे वो आवाज़े मुझे किसी लाउड स्पीकर के जैसे सुनाई दे रही थी. इधर अमित की हरकत और बढ़ती जा रही थी उसने मेरे नितंब सहलाते सहलाते ही अपने लिंग को मेरे मेरे नितंब पर टिका दिया. उसके लिंग को अपने नितंब पर महसूस करते ही डर के कारण मेरी हालत खराब होने लग गयी. उस दिन का दर्द आज भी वैसे ही ताज़ा था. मैने जल्दी से अपने हाथ को पीछे ले जा कर अपनी साड़ी जो उसने अपने हाथो से उपर कर रखी थी, को छुड़ा कर नीचे करने की कोसिस की. पर उसने अपने लिंग को दवाब मेरे नितंब पर और दबा दिया. जिस कारण उसके लिंग का सुपाडा ठीक मेरे नितंब छेद से जा टकराया.

उसके लिंग को अपने नितंब छेद पर छुते ही मैं एक झटके के साथ पलट गयी. जिस कारण उसके हाथ से मेरी साडी छूट गयी और मैं उसकी बाँहो के घेरे मे आ गयी. हम दोनो के ही चेहरे एक दूसरे से कुछ ही इंच की दूरी पर थे. वो मुझे देख कर लगातार मुस्कुराए जा रहा था. और मेरी आँखो मे देख रहा था. उसको अपनी तरफ यूँ मुस्कुराता हुआ देख कर मेरा खून जला जा रहा था. मैं मन ही मन उपर वाले से दुआ कर रही थी कि कैसे भी करके मनीष यहाँ से चले जाए. और शायद उपर वाले को मेरी हालत पर तरस आ गया. वो फ़ोन पर बात करते हुए ही वो वापस नीचे की तरफ चल दिए.

उनके वहाँ से चले जाने से मेरी जान मे जान आई. पर इन सब के चलते हम दोनो जिस तरह से चिपके हुए थे और हम दोनो क चेहरे आमने सामने थे अमित ने एक पल की भी देरी नही की और मेरे होंठो को अपने होंठो मे लेकर चूसना शुरू कर दिया. उसने मेरे होंठो को अपने मुँह मे लेकर धीरे धीरे बड़े आराम से चूसना शुरू किया ही था कि मैने अमित को अपने आप से झटक कर दूर किया और उसकी तरफ घूर्ने लग गयी.

मैं उस से अभी कुछ कहने ही वाली थी कि अंदर से सुजाता के बोलने की आवाज़ आई “देखो अभी मनीष भैया की आवाज़ आ रही थी पता नही वो है या नही. मुझे बोहोत डर लग रहा है. हम बाद मे भी कर लेंगे ये सब”

“तू इतना डर क्यू रही है मैं हू ना कुछ नही होगा बस अब तू जल्दी तू ये उतार मैं ज़रा झाँक कर देखता हू कि भैया गये कि नही.” कह कर विकास वहाँ से थोड़ी दूर गया और इधर उधर देख कर वापस सुजाता के पास आ गया.

“तूने अभी तक ये पाजामी नही उतारी ?”

“मुझे बोहोत शरम आ रही है.. आज रहने दो फिर कभी करेगे”

“रहने दो.. कैसे रहने दू आज जैसे तैसे करके तो मौका मिला है तेरी बजाने का और तू कह रही है रहने दो.” कह कर विकास ने उसे खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होंठ चूसने लग गया.

इधर अमित वापस मेरे पास आ गया और मुझसे दोबारा लिपटने की कोसिस करने लग गया, पर मैने उसे दोबारा कोई चान्स नही दिया ”खबरदार जो मुझे हाथ लगाने या मेरे ज़रा भी करीब आने की कोसिस की तो मुझसे बुरा कोई नही होगा”

“ये अचानक आप को क्या हो गया है, अभी तो कितने प्यार से सब कुछ कर रही थी और ये अचानक… क्या हुआ भाबी”

“मुझे कुछ नही हुआ… और मुझसे दूर रहो बस…” मैं अमित से बात कर रही थी कि अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान अपनी तरफ खींच लिया.

“अरे वा सुजाता तेरी चूत तो एक दम मक्खन के जैसी मुलाया रखी हुई है और एक बाल भी नही है तेरी चूत पर, लगता है तूने आज ही झाँते सॉफ की है. लगता है तुझे पहले से पता था कि आज तेरी चूत की मालिश होनी है इसलिए झाँते सॉफ करके आई है” विकास ने हंसते हुए उस से कहा, और अपने हाथ को उसकी नंगी योनि पर रख कर घुमाने लग गया. सुजाता पूरी की पूरी नंगी खड़ी हुई थी…
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 17-01-2020, 08:17 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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