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Adultery मेहमान बेईमान
मैं अभी अंदर ही देख रही थी कि मनीष फ़ोन पर बात करते हुए हमारी ही तरफ आ ने लग गये. मेरा दिल इस समय जैसे जेट विमान की रफ़्तार से भी तेज चल रहा था. उस पर अमित ने पीछे से ही अपने हाथ आगे की तरफ बढ़ा कर मेरे उरोजो पर टिका दिए. मैने उसके हाथ हटाने की कोसिस की पर उसकी पकड़ बोहोत मजबूत थी और ज़्यादा शोर या कुछ ऐसी हरकत मैं अभी कर नही सकती थी जिसकी वजह से आवाज़ हो और मनीष हमारी तरफ आए.

उपर वाले को भी शायद मेरी हालत पर रहम आ गया था कि अंदर से विकास और सुजाता की आवाज़ आनी बंद हो गयी थी. मेरी नज़र सामने की तरफ गयी तो विकास और सुजाता दोनो एक दूसरे को किस कर रहे थे. इधर अमित के हाथ मेरे उरोजो को हल्के हल्के मसलने लग गये जिस की वजह से मैं भी मचलने लग गयी थी. वो बोहोत ही होल होल मेरे उरोजो को दबा रहा था और पीछे की तरफ से उसका लिंग मुझे मेरे नितंब के अंदर घुसता हुआ महसूस हो रहा था.

उसने हल्के हल्के उरोजो को दबाते हुए मेरे लेफ्ट निपल को अपने हाथ मे ले कर मसलना शुरू कर दिया जिसकी वजह से मैं और भी ज़्यादा उत्तेजित होती जा रही थी उसने हल्के हल्के निपल को दबाते हुए ही अचानक से कस कर बुरी तरह से दबा दिया मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मुझे उस पर गुस्सा तो बोहोत आया पर मैं उस वक़्त बोहोत लाचार और मजबूर थी. क्यूकी उस वक़्त की गयी कोई भी ऐसी वैसी हरकत मुझे पूरी तरह से बर्बाद कर सकती थी इस लिए मैने चुप चाप दर्द बर्दाश कर लिया अपने दोनो हाथो से उसके हाथ को कस कर पकड़ लिया.

मेरे हाथ पकड़ लेने से वो भी एक दम रुक गया और अपना मुँह पीछे से ही मेरे कान के पास ला कर बोला.

“क्या हुआ भाभी मज़ा नही आ रहा क्या.?” चलो मेरे घर पर चलते है वहाँ कोई भी नही है. मा इस वक़्त आप के घर पर ही है.” कह कर उसने मेरी गर्दन को चूमा और फिर मेरे कान को चूसने लग गया. वो जैसे ही अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और उसकी गर्म साँसे मेरे कान से टकराई मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनई सी दौड़ गयी. मेरी दोनो टाँगो मे बुरी तरह से कंपन होने लग गया.

“क्या हुआ भाभी मज़ा नही आ रहा क्या.?” चलो मेरे घर पर चलते है वहाँ कोई भी नही है. मा इस वक़्त आप के घर पर ही है.” कह कर उसने मेरी गर्दन को चूमा और फिर मेरे कान को चूसने लग गया. वो जैसे ही अपना मुँह मेरे कान के पास लाया और उसकी गर्म साँसे मेरे कान से टकराई मेरे पूरे शरीर मे एक सनसनई सी दौड़ गयी. मेरी दोनो टाँगो मे बुरी तरह से कंपन होने लग गया.

मुझसे उस समय ना तो कुछ सोचते ही बन रह था और ना ही कुछ करते बन रहा था. करती भी तो क्या करती बाहर मनीष खड़े हो कर फ़ोन पर बात कर रहे थे और अंदर विकास सुजाता के साथ था. उसकी निकलती हुई गरम गरम साँसे जैसे मेरे कान पर महसूस हो रही थी मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. जिस वजह से मेरे हाथो की पकड़ उसके हाथो पर ढीली हो गयी. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि कैसे खुद को इन सब से आज़ाद करू.

मनीष बात करते हुए अब और भी ज़्यादा नज़दीक आ गये थे. उनकी आवाज़ इतने नज़दीक से सुन कर मेरी तो जैसे जान ही निकलती जा रही थी. उसने अपने हाथ मेरे उभारो से हटा कर मेरी कमर पर चलाने शुरू कर दिए थे और बराबर मेरे कानो को चूसे जा रहा था. उसके कानो को चूसे जाने से और मेरी बेबसी को महसूस करते हुए मैने अपनी आँखे बंद कर ली और उपर वाले से सब कुछ सही होने की दुआ करने लग गयी. मनीष अब भी वही खड़े हुए थे.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 17-01-2020, 08:16 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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