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Adultery मेहमान बेईमान
मैं अभी खड़ी ही हुई थी कि नीचे से मनीष की आवाज़ आती हुई सुनाई दी वो भी शायद छत पर ही आ रहे थे. मेरा तो दिल ही बैठा जा रहा था पता नही क्या होगा. पर अमित को तो जैसे इस से कोई फरक ही नही था वो अपनी ही धुन मे मस्त बत्तीसी फाड़ते हुए बोला..

“भाभी अब भी आप के वो मज़े लेने वाली यादे मेरे पास है.. आप यकीन नही करोगे कि ऐसी कोई रात नही है आप के घर से वापस आने के बाद जब मैने आप को ना देखा हो. और आज भी आप को याद ही कर रहा था कि आप सच मे आ गयी.”

वो जो बोल रहा था उस समय उस से ज़्यादा मुझे नीचे से उपर की तरफ आते हुए मनीष की चिंता हो रही थी मेरा दिल बार बार इस बात को लेकर बैठा जा रहा था कि मनीष मुझे ढूँढते हुए तो नही आ रहे है.? कही किसी ने मुझे छत पर आते हुए तो नही देख लिया था और मनीष को बता दिया हो कि मैं छत पर ही हू… हाय राम……. क्या करू मैं…. अगर मनीष ने मुझे यहाँ इस हालत मे देख लिया तो… नही… मेरा दिल बुरी तरह से घबरा रहा था और इधर ये अमित मुझे चैन नही लेने दे रहा था. मेरी हालत इस समय बोहोत बुरी तरह से खराब होती जा रही थी डर के मारे मेरा पूरा चेहरा पसीने से भीगा जा रहा था.

“ढंग से चूस ना पूरा मुँह मे ले कर इतनी हड़बड़ा क्यू रही है ?” अंदर से आती हुई आवाज़ ने फिर से मेरा ध्यान उस तरफ खींच लिया. विकास ने अपनी पेंट के साथ अपनी शर्ट भी उतार दी थी और सुजाता के सर पर हाथ रख कर उसके सर को अपने लिंग पर दबा रहा था.

अब मुझे विकास की भी चिंता होने लगी की कही मनीष ने विकास को देख लिया तो.. विकास मनीष की बोहोत इज़्ज़त करता था और मनीष भी उसे बोहोत प्यार करते थे पर अगर मनीष ने उसे इस तरह देख लिया तो.. एक बार को तो मेरा मन किया कि मैं आवाज़ लगा कर विकास को बता दू की मनीष आ रहे है पर फिर मैने अपने आप को समझाते हुए चुप ही रहने का फ़ैसला किया और मन ही मन मनीष के वापस नीचे जाने की दुआ माँगने लग गयी. थोड़ी ही देर मे मनीष भी छत पर ही आ गये वो शायद किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे.

उन्हे छत पर फ़ोन पर बात करते हुए देख कर मैने राहत की एक साँस ली पर जिस तरह से वो छत पर टहल रहे थे उसे देख कर तो मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी बार बार मेरा दिल ये सोच कर घबरा रहा था कि कही मनीष इस तरफ ना आ जाए.. मैं अभी सोच ही रही थी कि अमित ने फिर से अपनी लिंग को मेरे नितंब पर दबाना शुरू कर दिया. मैं पूरी तरह से दीवार से सॅट कर खड़ी थी अगर थोड़ा और आगे की तरफ होती तो जो कंडे रखे हुए थे वो विकास की तरफ गिरना शुरू हो जाते और अगर अमित को कुछ करने से रोकती तो मेरी आवाज़ सुन कर मनीष वहाँ आ जाते इस लिए मैने खामोश रहना ही ठीक समझा..

वो अपने लिंग का दवाब मेरे नितंब पर बढ़ाए चला जा रहा था. जिस वजह से मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. इधर आँखो के सामने सुजाता विकास के लिंग को मुँह मे लेकर आराम से चूसे जा रही थी. और विकास उसके सर पर हाथ फिरा कर उसे और और तेज़ी के साथ लिंग चूसने का इशारा कर रहा था
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 15-01-2020, 08:31 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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