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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
साली चली - जीजू के गाँव 


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कुछ देर हम लोग और काम में लगे रहे, तब तक मिश्रायिन भाभी गईं। 





मिश्रायिन भाभी, सब भौजाइयों की लीडर थीं। 

मम्मी से दो चार साल ही छोटी, 32-33 साल के आस-पास और मम्मी की तरह की फिगर वाली, दीर्घ नितम्बा, भरे-भरे चोली फाड़ उरोजों वाली थीं, मिश्रायिन भाभी। 


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रिश्ते में भले ही बहू लगें, लेकिन थीं वो मम्मी की पक्की सहेली।

 
किचेन के काम में उन्होंने हम लोगों का हाथ बटाना शुरू कर दिया, और छुटकी के बारे में पूछा।
 
जवाब उन्हें सामने से मिल गया, जहाँ सीढ़ी से छुटकी उतर रही थी। 


और उसे देखकर कोई नौसिखिया भी समझ लेती, की हचक के चुदी है बिचारी।


[Image: Girl-2e16900ca8ec02860df4f767cc79d31c.jpg]
 
एक भी कदम उसका सीधे नहीं पड़ रहा था। 

एक ओर से रीतू भाभी और दूसरी ओर से ये उसे कसकर पकड़े हुए थे।

हर कदम पर कहर रही थी। उसके गालों पे दाँतों के निशान साफ दिख रहे थे। 

टाप के ऊपर के दो बटन दिख रहे थे, और किशोर जस्ट उभरती उठती गोलाइयां सिर्फ झाँक रही थीं, बल्की खुलकर दिख रही थीं और उनपर लगे दांत और नाखून के निशान भी।


 
लेकिन यहाँ तो मिश्रायिन भौजी ऐसी खेली खायी, घाट-घाट का पानी पी हुई, अनुभवी महिला थीं। 

उन्होंने ऊपर से नीचे तक अपनी छुटकी ननद को देखा, जो अब क्लास 9 में ही उनकी बिरादरी में गई थी। 

जिसकी सोन चिरैया फुर्र-फुर्र कर उड़ चुकी थी, बुलबुल ने चारा गटक लिया था। 

और उनकी निगाह ने जैसे सहला दुलरा दिया हो, अपनी प्यारी दुलारी कुँवारी छोटी ननद को।
 
छुटकी शर्मा गई।
 
उसके गुलाबी लाजवन्ती गाल पे मिश्रायिन भाभी ने जोर से चिकोटी काटी, और पूछा





क्यों जा रही हो आज, अपने जीजा के साथ…”

[Image: MIL-indian-women-in-saree1.jpg]
 
वो और शर्मा गई, जैसे वो समझ गई हो उसकी दीदी की ससुराल में क्या होना है?
 
लेकिन जवाब भौजी के नंदोई ने दिया, वो भी उदास स्वर में

अरे क्या भाभी, जा रही है लेकिन 15-20 दिन के बाद वापस जाएगी…”
 
जबकी उसके दो हफ्ते बाद, गर्मी की दो महीने की छुट्टियां शुरू हो जाएँगी…” 

छुटकी ने भी अपना दुःख जाहिर किया।


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अरे गरमी की छुट्टी का मजा तो गाँव में ही, हमारी अपनी इतनी बड़ी आम की बाग है, खूब गझिन

जहाँ दिन में रात हो जाय, लंगड़ा, दसहरी, सब कुछ, लेकिन अब इसको तो लौटना ही है…” '

[Image: mango-grove-4.jpg]






भौजी के नंदोई का उदास स्वर चालू था।
 
लेकिन काहे को लौटोगी, नंदोई जी सही तो कह रहे हैं

अबकी गर्मी छुट्टी का मजा दीदी की ससुराल में ही लो , दीदी का भी तुम्हारे मन लगा रहेगा…”


मिश्रायिन भाभी ने कहा।



 
मन तो मेरा भी यही कर रहा है, लेकिन…” 

छुटकी उदास मन से बोली।

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और बात पूरी की, मम्मी ने-

अरे आना तो पड़ेगा ही बिचारी को, आखिर सालाना इम्तहान है…”
 
मिश्रायिन भाभी मुश्कुराईं और फिर, प्यार से छुटकी का गाल सहला के पूछीं-

तेरा क्या मन कर रहा है, जीजू के साथ गर्मी छुट्टी बिताने का, या फिर लौटकर आने का
 
छुटकी को तो अभी इतना मस्त जो नया-नया मजा मिला था, वो यहाँ लौट कर आने पर कहाँ मिलने वाला था, उसके मुँह से दिल की बात निकल ही गई

वहीं गर्मी की छुट्टी बिताने का…”

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तो रहो , क्यों लौट रही है 10 दिन के लिए…” मुश्कुराहट रोकती हुई, मिश्रायिन भाभी बोलीं।
 
अरे तो इम्तहान कौन देगा मेरा? झुंझलाते हुए छुटकी बोली।
 
तो मत देना ना…” 

मिश्रायिन भाभी बोलीं। फिर हँसकर उसे गले लगाते बोली-

अरे बुद्धू, मैं किस दिन काम आऊँगी। तेरे छमाही में बहुत अच्छे नंबर थे, मुझे मालूम हैं, बस उसी के बेसिस पर, सप्लीमेंट्री जायेगी। और वैसे भी नौवें के नंबर कहाँ जुड़ते हैं। मेरी गारंटी…”
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मिश्रायिन भाभी छुटकी के स्कूल की वाइस प्रिंसिपल थी और उनके वो मैंनेजिंग कमेटी के सेक्रेटरी भी थे, किसकी हिम्मत थी उनकी बात टालती।
 
मारे खुशी छुटकी उनसे चिपक गई।
 
और उससे भी ज्यादा खुश हो रहे थे, वो उसके जीजू। 


और साथ में मैं, जिसमें उनकी खुशी, उसमें मेरी खुशी।


 
और तभी मंझली भी गई। 

उसका हाईस्कूल के बोर्ड का इम्तहान कल ही था। 


तय ये हुआ की बोर्ड का इम्तहान खत्म करके, वो भी मेरे पास जायेगी, और फिर पूरी गर्मी की छुट्टी, दोनों बहने वहीं गाँव में बिताएंगी, मेरे साथ।
 
मैं मम्मी के साथ किचेन में लग गई। 

बस दो घंटे बचे थे, हमें निकलने में। 

आधे पौन घंटे में हम लोगों ने खाने का काम आलमोस्ट कर लिया।
 
मिश्रायिन भाभी और रीतू भाभी, नयी बछेड़ी, छुटकी को कबड्डी के दांव पेंच सिखा रही थीं। 

आखिर भाभियां थीं- नाम मत डुबोना हमारा…” 

रीतू भाभी उसके टिकोरे मसलते बोलीं।
 
अरे भाभी निचोड़ के रख दूंगी…” हँसते हुए छुटकी बोली।
 
और फिर मिश्रायिन भाभी पिछवाड़े के दरवाजे के गुर सिखाने में जुट गईं।
 
मम्मी मुझसे बोलीं

जरा मैं छुटकी के कपड़े सामान चेक कर लूँ…”
 
और मैं ऊपर छुटकी के कमरे की ओर चल दी। 

उसके कपड़ों में से मैंने उसकी ब्रा और पैंटी निकाल के वापस बाहर कर दी। 


सिवाय एक सेट के। 

ये उन्हीं का इंस्ट्रकशन था की, मैं उसकी ब्रा पैंटी निकाल दूँ। 


[Image: dress-bra-6c00afe2061187a79fdae3583f533a22.jpg]


बात सही थी, गाँव में ये सब कौन पहनता है।
 
फिर उनका और नंदोई जी का फायदा

जब चाहा, पकड़ा, निहुराया, सटाया 


और चोद दिया।
 
कुछ शरारत और की मैंने, उसके टाप की ऊपर की दो बटनें मैंने तोड़ दी


अरे जब तक बहन के खुले-खुले जोबन, पूरे गाँव में आग लगाएं, तो मजा क्या?
 
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RE: मजा पहली होली का ससुराल में , - by komaalrani - 15-01-2020, 11:19 AM



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