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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
छुटकी - 


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आने वाले दिन , जीजू के संग 








आज रात में ट्रेन में


फिर उसके कोरे पिछवाड़े के पीछे मेरे नंदोई पड़े थे, और ये भी तो ब्वायिश चूतड़ों के शौकीन। 

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तो एक बार मेरी ससुराल जहाँ वह पहुंची, फिर तो ये भी पिछवाड़े का तबला जरूर बजायेंगे। 


और उसके बाद मेरे ससुराल के लड़के, नइकी भौजी की छुटकी बहिनियां, कोई भी छोड़ने वाला नहीं है। 


फिर ऊपर से मेरी कन्या प्रेमी सास, ननदें, कच्ची कली का भोजन किये बिना।

[Image: lez-frndssss.jpg]

 
छुटकी ने हल्के से आँखें खोलीं और बोली- जीजू…” 

और फिर जोर से उन्हें बाहों में भींच लिया।
 
आधे जागे आधे सोये, उन्होंने भी अपनी सबसे छोटी साली को कस के दबोच लिया। 


दोनों गुथमगुथा, एक दूसरे के ऊपर चढ़े हुए थे। 

[Image: sleep-5d8f20551aa1ef645db201b23b753b38.jpg]

और इनका मोटा लण्ड अभी भी जड़ तक छुटकी की चूत में घुसा था। 





आधा सोया आधा जागा।

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रीतू भाभी ने अपना भौजाई का धर्म अदा किया। 



[Image: Teej-Actress-Chaitra-Hot-Photos-11.jpg]

पहले तो उन्होंने, उनके गाल पे हल्की सी चुम्मी ली, और एक प्यारी सी बाइट भी।
 
बस, वो रीतू भाभी की और मुड़े और 

प्लाप, मोटा कड़ियल, आधा सोया आधा जाग लण्ड

छुटकी की चूत से बाहर निकल आया।
 
छुटकी की किशोर थकी-थकी, खुली जांघें अभी भी पूरी तरह फैली थीं। 

और वहां हुए हमले के  पूरे निशान मौजूद थे। 



[Image: Joru-K-creampie-5-1.jpg]
रीतू भाभी ने उन्हीं के रुमाल से, थक्के-थक्के, जमे खून के दाग, और वीर्य में मिले खून को साफ किया, एक-एक दाग।
 
अगर छुटकी वो खून देख लेती तो हदस जाती।
 
हाँ उसकी चूत में भरे वीर्य, गाढ़ी बनारसी रबड़ी लच्छेदार रबड़ी की तरह उन्होंने छोड़ दिया, और कुछ ब्लड स्पॉट भी नहीं साफ हो पाये। 

लेकिन कच्ची कली चुदी थी, कुछ निशान तो रहने ही चाहिए थे।


 
तब तक वो फिर मुड़े और आधी नींद में, उन्होंने छुटकी को अपनी बाँहों में भींच लिया, और एकदम अपनी स्टाइल में, एक हाथ चूची पे चूतड़ पे और लण्ड सीधे सेंटर पर।

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और छुटकी भी आखिर मेरी ही बहन थी। 



उसने उन्हें कसकर भींच लिया, और यही नहीं उसका एक कोमल कोमल हाथ, सीधे उनके लण्ड पर।
 
मैंने और रीतू भाभी ने दूसरे को देखा, मुश्कुराईं और अपने कपड़े ठीक किये। 

वैसे कपड़े ज्यादा ठीक करने के लिए तो थे नहीं, बस पेटीकोट पहन लिया

ब्लाउज के ज्यादातर बटन तो हम लोगों ने एकदूसरे के ब्लाउज के तोड़ ही दिए थे, जो एक आध बचे थे बस उसी से जस का तस अपनी बड़ी-बड़ी, मोटी-मोटी चूचियों पर टांग लिए। 


साढ़े पांच बज गए थे।
 
मम्मी कभी भी उठ सकती थीं।
 
चार बजे से ये जीजा-साली लीला चालू हुई थी। 

रीतू भाभी ने किसी तरह दोनों को अलग किया। सो वैसे भी वो नहीं रहे थे। छुटकी बस थक कर निढाल थी।
 
और छुटकी जब उठी, तो अपने जाँघों बीच खून के दाग देखकर देख चौंक उठी और घबड़ा गई। (गनीमत थी रीतू भाभी ने खून खच्चर साफ कर दिया था, और वो अगर पूरा हाल देख लेती तो शायद हदस जाती, और दुबारा चुदवाने का नाम नहीं लेती)
 
रीतू भाभी फिर मैदान में आयीं और उसे समझाने लगीं

[Image: Teej-Actress-Chaitra-Hot-Photos-165.jpg]


अरे मेरी प्यारी बिन्नो, ये तो तेरे जीजू के लिए खुशी मनाने की बात है, की उन्होंने एक कच्ची कली को फूल बना दिया। 

यही खून तो इस बात की गवाही है, की आज से मेरी ननद अब मेरी और तुम्हारी दीदी की बिरादरी में गई…”
 
तब तक नीचे से मम्मी की दस्तक सुनाई दी और मैं दरवाजा खोलने के लिए भागी। 

किसी तरह डारे पर लटकी एक साड़ी उतारकर जल्दी से मैंने लपेटा और सिटकनी खोल दी।
 
मम्मी मेरी हालत देखकर मुश्कुराई और जब तक मैं दरवाजा बंद करूँ, उन्होंने सवाल दाग दिया

दामाद जी, कहाँ हैं?
 
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ऊपर…” 


मैंने बोला, उनकी ओर मुड़ कर देखते हुए। 

मेरी मुश्कुराहट ही उनके अनपूछे सवाल का जवाब थी।
 
लेकिन उन्होंने पूछ ही लिया- खुश हैं?


 
हाँ, बहुत मम्मी…” 

मैंने मनभर उन्हें बाहों में भींच लिया।


 
और उन्होंने भी।
 
कल शाम को जब वो मुँह फुला कर बैठे थे, जब छुटकी ने पहले तो उन्हें ग्रीन सिग्नल दिया 

और जब गाड़ी स्टेशन में घुसने वाली थी, तभी दरवाजा बंद कर दिया, तो मम्मी भी एकदम परेशान हो गई थीं। 

और उन्हें कुछ समझ में रहा था मुझे

वो तो भला हो रीतू भाभी का उन्होंने मामला सलटा दिया। 

और छुटकी का भी, जिसने अपने जीजू को मना लिया।
 
मेरा इतना जवाब काफी था, मम्मी को समझाने के लिए की जो भरतपुर स्टेशन कल बच गया था, आज अच्छी तरह लुट गया है। 

और लूटने वाला और लुटवाने वाला दोनों खुश है।
 
दिल की बस्ती भी अजीब बस्ती है।
 
लूटने वाले को तरसती है।
 
कितने बजे ट्रेन है तुम लोगों की? 

मम्मी ने मुझसे अलग होते हुये पूछा।
 
साढ़े नौ बजे…”
 
और मम्मी किचन में घुस गईं, दामाद के फेवरिट पकवान बनाने। और मैं भी उनके साथ लग गई।
 
छुटकी का सामान एक बार चेक कर लेना, कहीं कुछ छूट जाय…” वो साथ में इंस्ट्रक्शन भी दिए जा रही थीं।
 
चाय चढ़ा दूं मम्मी? मैंने पूछा।
 
तो बोलीं आने दो दामाद जी को नीचे, अभी थोड़ा आराम कर लेने दो उसको, वो बोलीं।
 
कुछ देर हम लोग और काम में लगे रहे, तब तक मिश्रायिन भाभी गईं।
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RE: मजा पहली होली का ससुराल में , - by komaalrani - 15-01-2020, 11:16 AM



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