15-01-2020, 11:05 AM
सफल और कामयाब दांपत्य जीवन और अच्छे-भरे पूरे परिवार के साथ रह रहे तोल्स्तोय जैसे-जैसे लिखते जा रहे थे वैसे-वैसे जीवन क्या है और भगवान कहां हैं जैसे प्रश्न और-और परेशान करते जा रहे थे. इसी दौरान उनकी एक बेटी का देहांत हो जाता है. इस दुख के बाद वृद्ध तोल्स्तोय अपने में ही खो गए. धीरे-धीरे परिवार और तोल्स्तोय की वैरागी होती जीवनशैली के बीच तालमेल नहीं बन पाया और तोल्स्तोय ने घर छोड़ने का फैसला कर लिया. इनकी एक बेटी भी इनके साथ चल दीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.