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Non-erotic लिख-लिख कर खुदा खोजता रहा वो बूढ़ा
#7
तोल्स्तोय के ये तीनों महान उपन्यास सच्ची घटनाओं पर आधारित हैं. तोल्स्तोय अपने मित्रों को बताते थे, ‘कोई रचना तभी अच्छी होती है जब उसमें कल्पना और विवेक का सही सामंजस्य हो, जैसे ही इनमें से कोई एक, दूसरे पर हावी हो जाता है, सब कुछ समाप्त हो जाता है. तब बेहतर यही है कि इसे दरकिनार कर नई शुरूआत की जाए.’



[Image: dekstop3_201116-092412-600x264.jpg]



नेज़्वस्तस्नया- 1883 में इवान क्रामस्कोई की बनाई अज्ञात महिला की पेंटिंग आन्ना कारेनिना के मुखपृष्ठों पर छपती है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: लिख-लिख कर खुदा खोजता रहा वो बूढ़ा - by neerathemall - 15-01-2020, 11:02 AM



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