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Non-erotic लिख-लिख कर खुदा खोजता रहा वो बूढ़ा
#6
इस उपन्यास में तोल्स्तोय ने अपनी प्रेम कहानी और गांव में बिताए गए अपने सफल जीवन की कहानी को भी गूंथ दिया. तोल्स्तोय बहुत पैसे वाले थे. उन्होंने हाई सोसाइटी और शहरों की पार्टियों के पीछे की हक़ीक़त देखी थी और लिखी भी है जो पढ़ने पर आपको किसी भी देश की हाई सोसाइटी के किस्से जैसी लगेगी. आन्ना कारेनिना को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ सोशल नोवल माना जाता है.

और फिर आता है तोल्स्तोय का वो उपन्यास, पुनरुत्थान – जिसको पढ़कर मोहनदास करमचंद गांधी ने तोल्स्तोय को अपना आध्यात्मिक गुरू मान लिया. पुनरुत्थान में एक अमीरज़ादा अपने यहां काम करने वाली एक लड़की का लगातार बलात्कार करता है. वह लड़की उसे कई सालों बाद मिलती है – एक वेश्या और कैदी के रूप में. अदालत में इस वेश्या कैदी की सुनवाई करने वाली पंचायत में वह खुद भी होता है. एक मासूम लड़की को अपनी वजह से वेश्या बना हुआ देखकर हीरो पगला जाता है और फिर उसे छुड़ाने की कोशिश और पश्चाताप करता है. आखिर में हीरो इस वेश्या से शादी करना चाहता है लेकिन ये वेश्या ही इस पैसेवाले को ठुकरा देती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: लिख-लिख कर खुदा खोजता रहा वो बूढ़ा - by neerathemall - 15-01-2020, 11:01 AM



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