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Non-erotic लिख-लिख कर खुदा खोजता रहा वो बूढ़ा
#5
लेकिन इस कामयाबी के बाद तोल्स्तोय ने लिखना पढ़ना बंद कर दिया. युद्ध और शांति लिखने के दौरान लेखन कार्य ने तोल्स्तोय की शक्ति को निचोड़ दिया और तोल्स्तोय लिखना-पढ़ना बंद करके पहुंच जाते हैं अपने गांव. अपनी ज़मींदारी पर जाकर तोल्स्तोय अपने खेतों में काम करने लगे. अपने यहां काम करने वाले किसानों को पढ़ाने लगे. किसानों के बच्चों के लिए कॉलेज खोला, उन्हें कहानियां सुनाते. पर किसानों को पढ़ाने का प्लान मुंह के बल गिरा. जो पढ़ाई की कीमत न समझे वो बर्बाद होने के लिए अभिशप्त हैं, ये दुखभरा एहसास भी तोल्स्तोय के मन में घर करने लगा.

इसी निराशा के दिनों में एक ट्रेन यात्रा के दौरान उन्हें अपने दूसरे महान उपन्यास आन्ना कारेनिना का प्लॉट मिलता है. एक दिन तोल्स्तोय ने रेलवे प्लेटफॉर्म पर भीड़ देखी और पूछताछ करने पर पता चला कि एक खूबसूरत, अमीर महिला ने ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर ली है. इस महिला का पति बड़ा अधिकारी और बड़ी उम्र वाला था. ये पति को तलाक देकर अपने प्रेमी से शादी करना चाहती थी. पैसे और खूबसूरती के बावजूद जीवन की ये दुर्गति तोल्स्तोय को इतना हिला गई कि अगले तीन साल आन्ना कारेनिना लिखने में लगा दिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: लिख-लिख कर खुदा खोजता रहा वो बूढ़ा - by neerathemall - 15-01-2020, 11:00 AM



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