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Misc. Erotica मजा पहली होली का ससुराल में ,
फाड़ दो ,... फट गयी 


[Image: 276412e5158a7440640d7933c9b749f3.jpg]


रितू भाभी, छुटकी की गीली पनियाई चूत को एक हाथ से फैला रही थीं 

और दूसरे हाथ से नंदोई के मस्त मोटे लण्ड को अंदर घुसेड़ रही थी साथ में ललकार रही थीं- 


“पेल दो साले, साल्ली की फुद्दी में, फाड़ दो रज्जा इसकी चूत…” 

[Image: Fucking-CU-16938903.png]

 
और वो भी दोनों हाथ से उसकी पतली कमर पकड़े हुए थे और उन्होंने करारा धक्का मारा, आधा सुपाड़ा अंदर। 


हाथ मेरे कब्जे में थे और उसके मुँह में मेरी मोटी चूची घुसी हुई थी। बिचारी गों-गों करती रही, दर्द से बिलबिलाती रही। 


[Image: Lez-nip-21861945.gif]

लेकिन ऐसे मौके पे वो दया माया दिखाने वालों में से नहीं थे। और दिखानी चाहिए भी नहीं (ये बात मुझसे बढ़कर कौन जानता था)
 
बल्की उससे उनका जोश और बढ़ जाता था।
 
और यहाँ आग में घी डालने वाली, उनका जोश बढ़ाने वाली, रितू भाभी भी थीं। 

अगला धक्का उन्होंने दूने जोर से मारा। 

मेरे लाख जोर से पकड़ने के बावजूद उसकी एक कलाई छूट ही गई, इतनी जोर से छटपटा रही थी वो। 

पानी के बाहर मछली की तरह तड़प रही थी, बिचारी छुटकी।
 
मैंने पूरी ताकत से अपनी चूची उसके मुँह में पेल रखी थी। तब भी उसके होंठों से चीखें, गों-गों की आवाज आ रही थी, वो जोर-जोर से अपने चूतड़ पटक रही थी। 

उनका मोटा पहाड़ी आलू ऐसा सुपाड़ा अभी भी पूरा अंदर नहीं घुसा था। आलमोस्ट ¾ अंदर पैबस्त हो गया था, बाकी बाहर था।


[Image: CU-fucking-19437736.gif]
 
रितू भाभी ने ललकारा उन्हें- 

“अरे नंदोई जी जरा जोर से धक्का मारो, कमर की सारी ताकत, क्या अपनी बहनों के साथ पूरी खर्च करके आये हो।




कच्ची कली की चूत है कोई, मेरी नंनद की…”
 
रितू भाभी की बात अधूरी रह गई।
 
उन्होंने छुटकी की कमर एक बार फिर जोर से पकड़ी और, हल्का सा लण्ड पीछे खींच के पूरे जोर से धक्का मारा। 

[Image: fucking-ruff-14169509.gif]


छुटकी की गों-गों की आवाज गूँज रही थी। 


उसके आँखों से शबनम उतरकर उसके गोरे गुलाबी गालों को गीला कर रही थी। दर्द से उसका पूरा चेहरा डूबा था। 

और अब उनका मोटा सुपाड़ा पूरी तरह अंदर पैबस्त हो चुका था। 

छुटकी की कच्ची कसी चूत ने उसे कस के दबोच रखा था, जैसे कब के बिछुड़े बालम मिले हों। लेकिन पिक्चर अभी काफी बाकी थी।
 
रितू भाभी ने मुझे इशारा किया की मैं उसके हाथ छोड़ दूँ और चूची उसके मुँह से निकाल लूँ।
 
और मैंने वैसा ही किया। 

मैं उनका प्लान पूरी तरह समझ रही थी, अब छुटकी लाख चूतड़ पटके, ये मोटा सुपाड़ा टस्स से मस्स नहीं होने वाला था। 

[Image: CU-Fucking-11.jpg]

अब बिचारी बिना चुदे नहीं बच सकती थी।
 
छुटकी हल्की हल्की कराह रही थी, लेकिन अब उसकी कुँवारी किशोर चूत को मोटे सुपाड़े की आदत सी पड़ गई थी। 

और ये भी उसकी चूत छोड़कर उसके कच्चे टिकोरों के पीछे पड़ गए थे। 

[Image: nips-sexy-hot.jpg]

थोड़ी देर तक उसे सहलाते रहे, दबाते रहे, मसलते रहे, 

फिर होंठों के बीच लेकर हल्के-हल्के उन खटमिठिया कच्ची अमियों का स्वाद लेने लगे। 

कभी निपल को फ्लिक करते और अचानक उन्होंने उसके बस आते उभरते, निपल्स को काट लिया।

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चीख निकल गई छुटकी की।
 
रितू भाभी कुछ उनके कान में फुसफुसा रही थीं, और उन्होंने छुटकी की टांगों को दुहरा कर दिया। 

उनका एक हाथ अब उसके नितम्ब पे था और एक कमर पे। छुटकी की टाँगें, उनके कंधे पे फँसी थी।

उन्होंने थोड़ा लण्ड बाहर खींचा, छुटकी ने राहत की सांस ली, लेकिन उस बिचारी को क्या मालूम था कि असली हमला अभी बाकी था। 




और फिर पूरी ताकत से खूब हचक के, जोर से पेल दिया।


[Image: fucking-ruff-15135570.gif]
 
खूब जोर से चीख निकली- “ओह्ह्ह्ह… आह्ह… जान गई…” 



झिल्ली फट चुकी थी। 

खून की दोचार बूँदें बाहर चुहचुहा उठी थीं।
 
लेकिन अभी रुकने का समय नहीं था, दूसरा, तीसरा, चौथा, एक के बाद एक धक्का, वो मारते गए।


वो तड़पती रही, चीखती रही, चिल्लाती रही- “ओह्ह्ह… नहीं जीजू… रुक जाओ आह्ह्ह… जान गई… दीदी… ओह्ह्ह… छोड़ो आह्ह…”
 
लेकिन उनका बीयर कैन ऐसा मोटा लण्ड आधे से भी ज्यादा अब धंसा था। 



जैसे कोई घुड़सवार, किसी बाँकी भागती, हिरणी का पीछा करे और उसे अपने भाले से बींध दे, और हिरणी लथपथ गिर पड़े, बार-बार अपनी गर्दन मोड़कर अपने शिकारी की ओर देखे, बस वही हालत छुटकी की थी।
 
थकी, निढाल, दर्द से डूबी और पूरी तरह फैली जांघों के बीच, खून खच्चर।


[Image: pussy-ruptured-467139896.jpg]

 
एक बार तो मैं सहम गई, लेकिन रितू भाभी ने मुझे आँख मार के इशारा किया, अरे कच्ची कली की चूत फटी है, वो भी मूसल ऐसे लण्ड से। 

ये तो होना ही था। अब नदी पार हो गई है, घबड़ाना मत। 
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RE: मजा पहली होली का ससुराल में , - by komaalrani - 15-01-2020, 10:38 AM



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