03-02-2019, 11:36 PM
रविन्द्र
और मैं चन्दा के साथ घर के लिये चल दी।
…………………
रास्ते में चन्दा ने बात छेड़ी-
“आज जो तुम्हारी कस के चुदाई हुई, वह तुम्हारे भाई रवीन्द्र के लिये बहुत जरूरी थी…”
मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं बनावटी गुस्से में बोली-
“बेचारे मेरे भाई रवीन्द्र को क्यों घसीटती हो इसमें…”
चन्दा ने मेरे गाल पे चिकोटी काट कर कहा-
“इसलिये मेरी प्यारी बिन्नो कि रवीन्द्र का, सुनील बल्की अब तक मैंने जितने भी देखे हैं सबसे बहुत लंबा और मोटा है, इसलिये अब कम से कम वह अपना सुपाड़ा तो घुसा सकेगा, अपनी प्यारी बहना की चूत में…”
मेरी आँखों के सामने रवीन्द्र की तस्वीर घूम रही थी, पर मैंने चन्दा को छेड़ते हुए कहा-
“अगर ऐसी बात है तो तू ही क्यों नहीं चुदवा लेती रवीन्द्र से…”
“अरे यार, मैं तो अपनी चूत हाथ पे लेके घूम रही हूँ, पर उसको तो अपनी इस प्यारी बहना को ही चोदना है ना, साल्ला… बहनचोद…” चन्दा हँस के बोली।
“हे गाली क्यों देती है, मेरे प्यारे भाई को…” मैं उसे घूर के बोली।
चन्दा ने मुश्कुराकर कहा-
“अपनी इस प्यारी प्यारी बहना को तो वह बिना चोदे मानेगा नहीं और अब इस बहना की चूत में भी इतनी खुजली मच रही होगी की वह भी अपने भैय्या से बिना चुदवाये रहेगी नहीं।
तो बहनचोद वह हुआ की नहीं और उसकी इस बहन को गांव के मेरे सारे भाई बिना चोदे तो जाने नहीं देंगे, और जिसकी बहन यहां चुदेगी वह साला हुआ की नहीं…”
बात तो उसकी सही थी पर मेरे मन में बार-बार रवीन्द्र की शक्ल घूम रही थी। मुझसे नहीं रहा आया और मैंने चन्दा से पूछ ही लिया-
“लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आता कि… वह इत्ता शर्मीला है… मैं शुरूआत कैसे करूं…”
थोड़ी देर में खिलखिलाती हुई चन्दा बोली-
“मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है… जब तुम घर लौटोगी तो उसके कुछ दिन बाद ही सावन की पूनो, पड़ेगी, राखी…”
“तो…” उसकी बात बीच में काटकर मैं बोली।
“तो जब तुम उसको राखी बांधना तो वह पूछेगा की क्या चाहिये… तुम उसकी पैंट पर हाथ रखकर मांग लेना, भैय्या, मुझे तुम्हारा लण्ड चाहिये…” चन्दा जोर-जोर से हँस रही थी।
“हां जरुर मांगूंगी पर ये बोलूंगी की… मेरी प्यारी सहेली चन्दा के लिये चाहिये…”
मैंने चन्दा की पीठ पर हाथ मारकर कहा। बार-बार चन्दा की बात और रवीन्द्र मेरे मन में आ रहा था, इसलिये मैंने बात बदली-
“यार रवी… जब चूसता है तो… आग लग जाती है…”
“सही बात है, पक्का चूत चटोरा है, एक बार तो… अच्छा छोड़ो तुम विश्वास नहीं करोगी…”
“नहीं नहीं… बताओ ना…” मैंने जिद की।
“एक बार… हम लोग खेत में थे, मुझे पेशाब लगी थी मैं जैसे ही करके आयी, रवी ने मुझे पकड़ लिया, मैंने बहुत कहा कि मैंने अभी साफ नहीं किया, पर वह नहीं माना, कहने लगा- कोई बात नहीं, स्पेशल टेस्ट मिलेगा और उस दिन रोज से भी ज्यादा कस के चूसा और मुश्कुराके कहने लगा- थोड़ा खारा खारा था…”
“हाय… लगी हुई थी और…”
मैं आश्चर्य से बोली।
घर आ गया था इसलिये हम लोग बाहर खड़े-खड़े हल्की आवाज में बातें कर रहे थे।
“अरे, चौंक क्यों रही है देखना अभी चम्पा भाभी और कामिनी भाभी तुमसे क्या-क्या करवाती हैं…” चन्दा बोली।
मैं- “हां चम्पा भाभी हरदम चिढ़ाती रहती हैं कि कातिक में आओगी तो राकी के साथ…”
मेरी बात काटकर चन्दा ने फुसफुसाते हुए कहा-
“अरे राकी के साथ तो अब तुझे चुदवाना ही होगा उससे तो तू बच ही नहीं सकती। उसके साथ तो वो तेरी सुहागरात मनवाएंगी, पर… उसके बाद देखना, हर चीज तुम्हें पिलायेंगी-खिलायेंगी…”
तब तक घर के अंदर से भाभी की आवाज आयी, अरे तुम लोग बाहर क्या कर हो। जैसे ही हम अंदर गये चम्पा भाभी बोलीं-
“अरे मैं बताना भूल गयी थी, आज कामिनी भाभी के यहां सोहर और कजरी होगी, सबको बुलाया है तैयार हो जाओ, जल्दी चलना है…”
“ठीक है भाभी मैं चलती हूँ कामिनी भाभी के घर पे मिलूंगी…” ये कहकर चन्दा अपने घर को निकल गयी।
और मैं चन्दा के साथ घर के लिये चल दी।
…………………
रास्ते में चन्दा ने बात छेड़ी-
“आज जो तुम्हारी कस के चुदाई हुई, वह तुम्हारे भाई रवीन्द्र के लिये बहुत जरूरी थी…”
मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं बनावटी गुस्से में बोली-
“बेचारे मेरे भाई रवीन्द्र को क्यों घसीटती हो इसमें…”
चन्दा ने मेरे गाल पे चिकोटी काट कर कहा-
“इसलिये मेरी प्यारी बिन्नो कि रवीन्द्र का, सुनील बल्की अब तक मैंने जितने भी देखे हैं सबसे बहुत लंबा और मोटा है, इसलिये अब कम से कम वह अपना सुपाड़ा तो घुसा सकेगा, अपनी प्यारी बहना की चूत में…”
मेरी आँखों के सामने रवीन्द्र की तस्वीर घूम रही थी, पर मैंने चन्दा को छेड़ते हुए कहा-
“अगर ऐसी बात है तो तू ही क्यों नहीं चुदवा लेती रवीन्द्र से…”
“अरे यार, मैं तो अपनी चूत हाथ पे लेके घूम रही हूँ, पर उसको तो अपनी इस प्यारी बहना को ही चोदना है ना, साल्ला… बहनचोद…” चन्दा हँस के बोली।
“हे गाली क्यों देती है, मेरे प्यारे भाई को…” मैं उसे घूर के बोली।
चन्दा ने मुश्कुराकर कहा-
“अपनी इस प्यारी प्यारी बहना को तो वह बिना चोदे मानेगा नहीं और अब इस बहना की चूत में भी इतनी खुजली मच रही होगी की वह भी अपने भैय्या से बिना चुदवाये रहेगी नहीं।
तो बहनचोद वह हुआ की नहीं और उसकी इस बहन को गांव के मेरे सारे भाई बिना चोदे तो जाने नहीं देंगे, और जिसकी बहन यहां चुदेगी वह साला हुआ की नहीं…”
बात तो उसकी सही थी पर मेरे मन में बार-बार रवीन्द्र की शक्ल घूम रही थी। मुझसे नहीं रहा आया और मैंने चन्दा से पूछ ही लिया-
“लेकिन मेरी समझ में ये नहीं आता कि… वह इत्ता शर्मीला है… मैं शुरूआत कैसे करूं…”
थोड़ी देर में खिलखिलाती हुई चन्दा बोली-
“मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है… जब तुम घर लौटोगी तो उसके कुछ दिन बाद ही सावन की पूनो, पड़ेगी, राखी…”
“तो…” उसकी बात बीच में काटकर मैं बोली।
“तो जब तुम उसको राखी बांधना तो वह पूछेगा की क्या चाहिये… तुम उसकी पैंट पर हाथ रखकर मांग लेना, भैय्या, मुझे तुम्हारा लण्ड चाहिये…” चन्दा जोर-जोर से हँस रही थी।
“हां जरुर मांगूंगी पर ये बोलूंगी की… मेरी प्यारी सहेली चन्दा के लिये चाहिये…”
मैंने चन्दा की पीठ पर हाथ मारकर कहा। बार-बार चन्दा की बात और रवीन्द्र मेरे मन में आ रहा था, इसलिये मैंने बात बदली-
“यार रवी… जब चूसता है तो… आग लग जाती है…”
“सही बात है, पक्का चूत चटोरा है, एक बार तो… अच्छा छोड़ो तुम विश्वास नहीं करोगी…”
“नहीं नहीं… बताओ ना…” मैंने जिद की।
“एक बार… हम लोग खेत में थे, मुझे पेशाब लगी थी मैं जैसे ही करके आयी, रवी ने मुझे पकड़ लिया, मैंने बहुत कहा कि मैंने अभी साफ नहीं किया, पर वह नहीं माना, कहने लगा- कोई बात नहीं, स्पेशल टेस्ट मिलेगा और उस दिन रोज से भी ज्यादा कस के चूसा और मुश्कुराके कहने लगा- थोड़ा खारा खारा था…”
“हाय… लगी हुई थी और…”
मैं आश्चर्य से बोली।
घर आ गया था इसलिये हम लोग बाहर खड़े-खड़े हल्की आवाज में बातें कर रहे थे।
“अरे, चौंक क्यों रही है देखना अभी चम्पा भाभी और कामिनी भाभी तुमसे क्या-क्या करवाती हैं…” चन्दा बोली।
मैं- “हां चम्पा भाभी हरदम चिढ़ाती रहती हैं कि कातिक में आओगी तो राकी के साथ…”
मेरी बात काटकर चन्दा ने फुसफुसाते हुए कहा-
“अरे राकी के साथ तो अब तुझे चुदवाना ही होगा उससे तो तू बच ही नहीं सकती। उसके साथ तो वो तेरी सुहागरात मनवाएंगी, पर… उसके बाद देखना, हर चीज तुम्हें पिलायेंगी-खिलायेंगी…”
तब तक घर के अंदर से भाभी की आवाज आयी, अरे तुम लोग बाहर क्या कर हो। जैसे ही हम अंदर गये चम्पा भाभी बोलीं-
“अरे मैं बताना भूल गयी थी, आज कामिनी भाभी के यहां सोहर और कजरी होगी, सबको बुलाया है तैयार हो जाओ, जल्दी चलना है…”
“ठीक है भाभी मैं चलती हूँ कामिनी भाभी के घर पे मिलूंगी…” ये कहकर चन्दा अपने घर को निकल गयी।
![[Image: Geeta-bcfc7830101b88acde98f3ebb2d5c69c.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/10/16/Geeta-bcfc7830101b88acde98f3ebb2d5c69c.md.jpg)