14-01-2020, 07:49 PM
(This post was last modified: 25-03-2021, 05:32 PM by komaalrani. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
रात अभी बाकी है
और इंटरवल ही हुआ था , बिचारे वो नहीं ,उनका वो।
रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी ,और वो वैसे का वैसे तना।
इतना मस्त तन्नाया खूंटा खड़ा हो ,
और दो दो प्रौढ़ाएँ , परफेक्ट , एम् आई एल ऍफ़ ,....
पहल मंजू बाई ने ही की ,
सच्च में उसके जोबन एकदम गदराये , रिकार्ड तोड़ , मेरे सास से भी एक दो नंबर बड़ी साइज के और उन्ही के तरह बिना ब्लाउज के भी हरदम कड़े , ज़रा भी झुकाव नहीं , खूब मांसल , ३८ डी डी से बड़े ही रहे होंगे ,
किसी मर्द की पक्की फैंटेसी ,
और उन्ही दोनों जुबना के बीच पकड़ कर , उनके खूंटे को ,
खुद रगड़ घस्स , रगड़ घस्स ,
वो कुछ नहीं कर रहे थे ,
और उन्होंने कुछ करने की कोशिश की भी तो मंजू बाई ने बरज दिया ,
वो खुद अपनी दोनों बड़ी बड़ी चूँचियों को पकड़ के जोर जोर से दबा कर रगड़ रही थी ,
उनके मोटे तन्नाए खूंटे पर ,...
जब उन्होंने मेरी सास बनी अपनी सास के ओखल से अपना मूसल निकाला था , आधे पौन घंटे से ज्यादा हो गया था ,
और ये दोनों लोग उनके पिछवाड़े के पीछे पड़ी थीं ,
मम्मी उन्हें डिलडो चूसने की ट्रेनिंग दे रही थीं , और मंजू बाई उनके पिछवाड़े , जबरदस्त ऊँगली ,...
और उनका खूंटा जस का तस भूखा ,
चूँची चोदन के साथ मंजू बाई कभी कभी अपनी जीभ निकाल कर उनके मोटे सुपाड़े को चाट लेती ,
तो कभी मुंह में लेकर चुभलाने लगती ,
ऐसे मस्त बड़े बड़े गदराये जोबन , जिन्हे सिर्फ छूने को ही मन ललक रहा हो ,
उसके बीच लंड को दबा कर मस्त चुदाई , ...
सोच कर ही ,... और दूसरा कोई होता तो शायद पांच छह मिनट में पर ये भी ,...
और आज मेरी सास के बारे में सोच कर कुछ ज्यादा ही जोश में थे , ...
पन्दरह मिनट तक हचक हचक कर मंजू बाई उन्हें अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से चोदती रही ,...
फिर उसने उन्हें उनकी सास के हवाले कर दिया ,
मैंने चिढ़ाते हुए मम्मी को कॉक रिंग की ओर इशारा किया , लेकिन उन्होंने साफ़ जोर जोर से मना कर दिया ,
अभी इस लढके ने जबरदस्त रगड़ाई मंजू बाई और मम्मी की की थी , और उनकी जादुई लकड़ी वैसे की वैसे कड़ी , ...
मैं भी जानती थी , मेरा बाबू , मेरा सोना मोना , ..
बिना किसी कॉक रिंग के भी अपनी सास की ऐसी की तैसी करने में काफी है ,
और अबकी शुद्ध मिशनरी पोजीशन , सास नीचे दामाद ऊपर ,
मैं अपने ' उनके ; ओर
और मंजू बाई मम्मी की ओर , ....
कुछ देर तो उन्होने धक्के हलके लगाए ,
लेकिन फिर दोनों ओर से गालियों की बौछार , मम्मी भी मंजू बाई भी और अबकी गालियों का केंद्र ,
मेरी सास नहीं ननद थी , उनका बचपन का माल , वही गुड्डी ,...
" अरे भोंसड़ी के रंडी के जने , ये तेरी उस छिनार बहन गुड्डी की कसी कच्ची चूत नहीं है , लगा जोर जोर से धक्का , ... "
मम्मी नीचे से बोलीं ,
और मंजू ने भी आग लगाई ,
" स्साले , ले आएगा न उस कच्ची कली को देखना , महीने भर में भोसड़ा कर दूंगी , उसका पेल कस के "
" याद है , तुझे उसे गाभिन भी करना है , महीने भर के अंदर , अपने सामने करवाउंगी उसे गाभिन , ... तीन महीने में पेट फुलायेगी घूमेगी और नौ महीने में सोहर , ... "
मम्मी ने नीचे से धक्के लगाते उन्हें याद दिलाया ,
" एकदम फिर चुसूर चुसूर दूध पीना अपनी बहन का ,... पहिलौठी का दूध , और वो भी बहन का मस्त नशा होगा तुझे "
मंजू ने पीछे से उनकी पीठ सहलाते कहा
" अरे जैसे इनकर मामा , जब ई हुए थे तो इनकी माँ की चूँची से चूस चूस के पीते थे , "
नीचे से धक्के लगाते हुए उनकी सास ने जोड़ा ,
और मैं समझने लगी थी मंजू बाई और मम्मी की मिली जुली चाल ,
मेरे खसम ने इन दोनों लोगो को दो दो बार अच्छी तरह से झाड़ कर पिछली बार थेथर कर दिया था , बिना झड़े
और उनका झंडा ज़रा भी ढीला नहीं हुआ था ,
बस वही अबकी दोनों लोगो को यह डर सता रहा था की कहीं इस बार फिर , ... ये उन्हें झाड़ दें और खुद ,...
कम से कम अबकी इनकी सास और मंजू बाई चाहतीं थी ,... अबकी ये पहले झड़ें , ...
और इसके लिए वो दोनों लोग मिलकर ,... उनके धक्के धीमे थे , इसलिए दोनों को लग रहा था की इस बार फिर वो एक बार खूब देर तक , ...
इसलिए दोनों उन्हें उकसा रही थीं की पूरी तेजी से लगातार धक्के मारें जिससे वो जल्दी झड़ जाएँ ,...
पर मैं अपने शोना को जानती थी , ये दोनों प्रौढ़ाएँ चाहे जो कहें करे , ..
पर ये असर तो हुआ की , मारे जोश के उन्होंने अपनी सास को दुहरा कर दिया ,
अपने खूंटे को आलमोस्ट बाहर निकाल के क्या जोरदार धक्का मारा , सीधे बच्चेदानी पर
उनकी सास हिल गयीं ,
दूसरी बार फिर उसी तरह ऑलमोस्ट बाहर निकाल कर , पहली बार से भी ज्यादा करारा धक्का ,
सास ने उनकी दोनों हाथ से चादर पकड़ ली थी , और अब वो सिसक रहीं , मचल रही थीं ,
और ये फूल स्पीड में , .. दस बारह धक्के ,
मंजू मेरी ओर देख के मुस्करा रही थी , ...
इस तूफानी तेजी से तो वो भी सात आठ मिनट से ज्यादा , ...
और शर्तिया अपनी सास से पहले झड़ जाते , और उसके पहले मंजू ने पन्दरह मिनट तक जबरदस्त अपनी चूँची से रगड़ाई की थी ,... उसका भी तो असर होना था ,...
और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,... मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,... मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,
और इंटरवल ही हुआ था , बिचारे वो नहीं ,उनका वो।
रात आधी से ज्यादा गुजर गयी थी ,और वो वैसे का वैसे तना।
इतना मस्त तन्नाया खूंटा खड़ा हो ,
और दो दो प्रौढ़ाएँ , परफेक्ट , एम् आई एल ऍफ़ ,....
पहल मंजू बाई ने ही की ,
सच्च में उसके जोबन एकदम गदराये , रिकार्ड तोड़ , मेरे सास से भी एक दो नंबर बड़ी साइज के और उन्ही के तरह बिना ब्लाउज के भी हरदम कड़े , ज़रा भी झुकाव नहीं , खूब मांसल , ३८ डी डी से बड़े ही रहे होंगे ,
किसी मर्द की पक्की फैंटेसी ,
और उन्ही दोनों जुबना के बीच पकड़ कर , उनके खूंटे को ,
खुद रगड़ घस्स , रगड़ घस्स ,
वो कुछ नहीं कर रहे थे ,
और उन्होंने कुछ करने की कोशिश की भी तो मंजू बाई ने बरज दिया ,
वो खुद अपनी दोनों बड़ी बड़ी चूँचियों को पकड़ के जोर जोर से दबा कर रगड़ रही थी ,
उनके मोटे तन्नाए खूंटे पर ,...
जब उन्होंने मेरी सास बनी अपनी सास के ओखल से अपना मूसल निकाला था , आधे पौन घंटे से ज्यादा हो गया था ,
और ये दोनों लोग उनके पिछवाड़े के पीछे पड़ी थीं ,
मम्मी उन्हें डिलडो चूसने की ट्रेनिंग दे रही थीं , और मंजू बाई उनके पिछवाड़े , जबरदस्त ऊँगली ,...
और उनका खूंटा जस का तस भूखा ,
चूँची चोदन के साथ मंजू बाई कभी कभी अपनी जीभ निकाल कर उनके मोटे सुपाड़े को चाट लेती ,
तो कभी मुंह में लेकर चुभलाने लगती ,
ऐसे मस्त बड़े बड़े गदराये जोबन , जिन्हे सिर्फ छूने को ही मन ललक रहा हो ,
उसके बीच लंड को दबा कर मस्त चुदाई , ...
सोच कर ही ,... और दूसरा कोई होता तो शायद पांच छह मिनट में पर ये भी ,...
और आज मेरी सास के बारे में सोच कर कुछ ज्यादा ही जोश में थे , ...
पन्दरह मिनट तक हचक हचक कर मंजू बाई उन्हें अपनी बड़ी बड़ी चूँचियों से चोदती रही ,...
फिर उसने उन्हें उनकी सास के हवाले कर दिया ,
मैंने चिढ़ाते हुए मम्मी को कॉक रिंग की ओर इशारा किया , लेकिन उन्होंने साफ़ जोर जोर से मना कर दिया ,
अभी इस लढके ने जबरदस्त रगड़ाई मंजू बाई और मम्मी की की थी , और उनकी जादुई लकड़ी वैसे की वैसे कड़ी , ...
मैं भी जानती थी , मेरा बाबू , मेरा सोना मोना , ..
बिना किसी कॉक रिंग के भी अपनी सास की ऐसी की तैसी करने में काफी है ,
और अबकी शुद्ध मिशनरी पोजीशन , सास नीचे दामाद ऊपर ,
मैं अपने ' उनके ; ओर
और मंजू बाई मम्मी की ओर , ....
कुछ देर तो उन्होने धक्के हलके लगाए ,
लेकिन फिर दोनों ओर से गालियों की बौछार , मम्मी भी मंजू बाई भी और अबकी गालियों का केंद्र ,
मेरी सास नहीं ननद थी , उनका बचपन का माल , वही गुड्डी ,...
" अरे भोंसड़ी के रंडी के जने , ये तेरी उस छिनार बहन गुड्डी की कसी कच्ची चूत नहीं है , लगा जोर जोर से धक्का , ... "
मम्मी नीचे से बोलीं ,
और मंजू ने भी आग लगाई ,
" स्साले , ले आएगा न उस कच्ची कली को देखना , महीने भर में भोसड़ा कर दूंगी , उसका पेल कस के "
" याद है , तुझे उसे गाभिन भी करना है , महीने भर के अंदर , अपने सामने करवाउंगी उसे गाभिन , ... तीन महीने में पेट फुलायेगी घूमेगी और नौ महीने में सोहर , ... "
मम्मी ने नीचे से धक्के लगाते उन्हें याद दिलाया ,
" एकदम फिर चुसूर चुसूर दूध पीना अपनी बहन का ,... पहिलौठी का दूध , और वो भी बहन का मस्त नशा होगा तुझे "
मंजू ने पीछे से उनकी पीठ सहलाते कहा
" अरे जैसे इनकर मामा , जब ई हुए थे तो इनकी माँ की चूँची से चूस चूस के पीते थे , "
नीचे से धक्के लगाते हुए उनकी सास ने जोड़ा ,
और मैं समझने लगी थी मंजू बाई और मम्मी की मिली जुली चाल ,
मेरे खसम ने इन दोनों लोगो को दो दो बार अच्छी तरह से झाड़ कर पिछली बार थेथर कर दिया था , बिना झड़े
और उनका झंडा ज़रा भी ढीला नहीं हुआ था ,
बस वही अबकी दोनों लोगो को यह डर सता रहा था की कहीं इस बार फिर , ... ये उन्हें झाड़ दें और खुद ,...
कम से कम अबकी इनकी सास और मंजू बाई चाहतीं थी ,... अबकी ये पहले झड़ें , ...
और इसके लिए वो दोनों लोग मिलकर ,... उनके धक्के धीमे थे , इसलिए दोनों को लग रहा था की इस बार फिर वो एक बार खूब देर तक , ...
इसलिए दोनों उन्हें उकसा रही थीं की पूरी तेजी से लगातार धक्के मारें जिससे वो जल्दी झड़ जाएँ ,...
पर मैं अपने शोना को जानती थी , ये दोनों प्रौढ़ाएँ चाहे जो कहें करे , ..
पर ये असर तो हुआ की , मारे जोश के उन्होंने अपनी सास को दुहरा कर दिया ,
अपने खूंटे को आलमोस्ट बाहर निकाल के क्या जोरदार धक्का मारा , सीधे बच्चेदानी पर
उनकी सास हिल गयीं ,
दूसरी बार फिर उसी तरह ऑलमोस्ट बाहर निकाल कर , पहली बार से भी ज्यादा करारा धक्का ,
सास ने उनकी दोनों हाथ से चादर पकड़ ली थी , और अब वो सिसक रहीं , मचल रही थीं ,
और ये फूल स्पीड में , .. दस बारह धक्के ,
मंजू मेरी ओर देख के मुस्करा रही थी , ...
इस तूफानी तेजी से तो वो भी सात आठ मिनट से ज्यादा , ...
और शर्तिया अपनी सास से पहले झड़ जाते , और उसके पहले मंजू ने पन्दरह मिनट तक जबरदस्त अपनी चूँची से रगड़ाई की थी ,... उसका भी तो असर होना था ,...
और मैं ये नहीं चाहती थी , मेरा बाबू ,... मेरा लाड़ला प्यारा शोना छोना ,... मैंने बस उनके कंधे को हलके से छू दिया , और मेरा इशारा काफी था ,