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Adultery सोलवां सावन
#37
दसवीं फुहार 

फिर से अमराई में 


[Image: mango-grove-2.jpg]

[Image: shalwar-5.md.jpg]


एक कली दो भंवरे 

कोई सोच भी नहीं सकता था कि वहां कोई कमरा होगा। 


शायद बाग के चौकीदार का हो। पर तबतक चन्दा मेरा हाथ पकड़कर कमरे के अंदर ले गयी और जब तक मेरी आँखें उसके अंधेरे की अभ्यस्त होतीं, उसने अंदर से सांकल लगा दी। 

अंदर पुवाल के एक ढेर पे सुनील और रवी लेटे थे, और एक बोतल से कुछ पी रहे थे। दोनों के पाजामे में तने तंबू बता रहे थे कि इंतजार में उनकी क्या हालत हो रही है। 

“हे, दोनों… तुमने तो कहा था कि…” शिकायत भरे स्वर में मैंने चन्दा की ओर देखा। 

तब तक सुनील ने मेरा हाथ पकड़कर अपनी गोद में खींच लिया, और जब तक मैं सम्हलती उसके बेताब हाथ मेरी चोली के हुक खोल रहे थे। 
“अरे एक से भले दो… आज दोनों का मजा लो…” चन्दा भी उनके पास सटकर बैठकर बोली। 


“अरे लड़कियां बनी इस तरह होती हैं, एक-एक गाल चूमे और दूसरा, दूसरा…” यह कहकर उसने मेरा गाल कस के चूम लिया। 


“और एक-एक चूची दबाये और दूसरा, दूसरा…” ये कहते हुए सुनील ने कस के मेरी एक चूची अधखुली चोली के ऊपर से दबायी और रवी ने चोली खोल के मेरा दूसरे जोबन का रस लूटा। 

[Image: lez-dom-boobs.md.jpg]

मैं समझ गयी की आज मैं बच नहीं सकती इसलिये मैंने बात बदली- 

“ये तुम दोनों क्या पी रहे थे, कैसी महक आ रही थी…” 

अभी भी उसकी तेज महक मेरे नथुनों में भर रही थी। 
“अरे चन्दा, जरा इसको भी चखा दो ना…” सुनील बोला। मैं उसकी गोद में पड़ी थी। 

मेरा एक हाथ रवी ने कस के पकड़ा और दूसरा चन्दा ने। 


चन्दा ने बोतल उठाकर मेरे मुँह में लगायी पर उसकी महक या बदबू इतनी तेज थी कि मैंने कसकर दोनों होंठ बंद कर लिये। 
पर चन्दा कहां मानने वाली थी, उसने कस के मेरे गाल दबाये और जैसे ही मेरा मुँह थोड़ा सा खुला, बोतल लगाकर उड़ेल दी। तेज तेजाब जैसे मेरे गले से लेकर सीधे चूत तक एक आग जैसी लग गयी। थोड़ी देर में ही एक अजीब सा नशा मेरे ऊपर छाने लगा। 


“अरे गांव की हर चीज ट्राई करनी चाहीये, चाहे वह देसी दारू ही क्यों ना हो…” चन्दा हँसते हुये बोली। पर चन्दा ने दुबारा बोतल मेरे मुँह को लगाया तो मैंने फिर मुँह बंद कर लिया। अबकी सुनील से नहीं रहा गया, और उसने मेरे दोनों नथुने कस के भींच दिये। 


“मुझे मुँह खुलवाना आता है…” सुनील बोला। 


मजबूरन मुझे मुँह खोलना पड़ा और अबकी चन्दा ने बोतल से बची खुची सारी दारू मेरे मुँह में उड़ेल दी। 

मेरे दिमाग से लेकर चूत तक आग सी लगा गयी और नशा मेरे ऊपर अच्छी तरह छा गया।


सुनील और रवी ने मिलकर मेरी चोली अलग कर दी थी और दोनों मिलकर मेरे जोबन की मसलायी, रगड़ायी कर रहे थे। 
“हे तुमने कहा था… की…” मैंने शिकायत भरे स्वर में सुनील की ओर देखा। 


सुनील ने मेरे प्यासे होंठों पर एक कसकर चुम्बन लेते हुये, मेरे निपल को रगड़ते हुये बोला- 

“तो क्या हुआ, रवी भी मेरा दोस्त है, और तुम भी… और वह बेचारा भी मेरी तरह तुम्हारे लिये तड़प रहा है, और इसके बाद तो मैं तुमको चोदूंग ही, बिना चोदे थोड़े ही छोड़ने वाला हूँ मैं। तुम मेरे दोस्त की प्यास बुझाओ तब तक मैं तुम्हारी सहेली की आग बुझाता हूं, चलो चन्दा…” और वह चन्दा को पकड़कर वहीं बगल में लेट गया।
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सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 03-02-2019, 11:07 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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