14-01-2020, 11:53 AM
मैने अपना गाउन(मॅक्सी) जो मैने नहा कर पहना था उसके बटन एक एक करके खोलना शुरू कर दिए. उसके नज़र मेरी छाती पर चिपकी हुई थी. वो एक तक मेरी छाती की तरफ देखे जा रहा था. उस समय उसके सामने कपड़े उतारते हुए मैं शरम से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी. धीरे धीरे करके मैने अपने सारे बटन खोल दिए. बटन के खुलते ही उसमे से मेरी ब्रा और पॅंटी सॉफ नज़र आने लगी. वाइट कलर की ब्रा और पॅंटी मेरा जिस्म खूब खिल रहा था. मैने अपनी मॅक्सी को अपने शरीर से अलग कर दिया. वो मुँह फेड मेरे को देखे जा रहा था.
ब्रा मे से मेरे दोनो उरोज इस तरह से झाँक रहे थे कि अभी ब्रा मे से निकल कर बाहर आ जाएगे.. और नीचे पॅंटी हल्की हल्की गीली हो गयी थी जिसकी वजह से मेरी योनि की कटान उस पर सॉफ उभर आई थी.. मैने अपने हाथो को पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के हुक को खोल दिया जिस से मेरी ब्रा मेरी छाती पर एक दम ढीली हो गयी. मैने अपनी ब्रा को अपने हाथो से थाम लिया. अपने शरीर से अपनी ब्रा को अलग करते हुए मैं बुरी तरह से शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.
“भाभी अपने हाथो से ब्रा को अब हटा भी दो… ताकि इन मतवाले रसभरे सन्तरो का दीदार ढंग से कर सकु” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने क्या करती मुझसे हिम्मत नही हो रही थी कि मैने अपने शरीर से ब्रा को अलग करू.. मुझे इस तरह से देख कर वो फिर से बोला कि “भाभी ये ग़लत है आप ने कहा था कि आप खुद सब दिखओगि. अब हाथ मे से ब्रा को हटा भी दो” मरती क्या ना करती मैने अपने हाथ से अपनी ब्रा को जैसे ही अलग करके टेबल पर रखा मानो मेरे आधे प्राण निकल गये.
शरम के मारे मैने अपने दोनो हाथो से अपने उरोजो को ढँक लिया. “क्या भाभी जी आप तो ऐसे शर्मा रहे हो जैसे आज आप पहली बार किसी के आगे नगी हो रही हो. मनीष भैया तो रोज ही आप की लेते है और उस दिन तो आप कितना शोर मचा रहे थे… आहह… कम ऑन… कम ऑन करके” उसकी बाते सुन कर मैं शर्म से मरी जा रही थी और वो मज़े से मुझे देख कर दाँत फाडे जा रहा था.
मैने अपने हाथ अपने उरोजो से हटाए ही थे कि वो बोल पड़ा “कसम से भाभी जी आप की दोनो चुचिया एक दम मस्त है. और उनकी घुंडी तो क्या कहु आज तक मैने ऐसी चुचिया नही देखी एक दम गोल कटोरी जैसे” उसकी बाते मुझे अंदर तक छू रही थी एक अजीब सा एहसास मुझे मेरे अंदर महसूस हो रहा था.
“भाभी जी अब अगर आप की ये चड्डी भी अगर अलग हो जाए तो मैं आप की जवानी का मज़ा ले लू देख कर” उसने मुझे यूँ शरमाते हुए देख कर कहा.
मेरी तो हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं अपने हाथो से अपनी पॅंटी को अलग कर सकु.. “भाभी जी क्या हुआ आप से नही उतर रही है तो मुझे बताओ मैं उतार देता हू” मैं अभी सोच ही रही थी कि वो फिर से बोल पड़ा.. उसकी बात सुन कर मुझसे बर्दास्त नही हुआ और मैने उसे कहा कि “तुम एक नंबर के हरामी आदमी हो.. मैं शर्म से मरी जा रही हू और तुम मुझ पर हंस रहे हो जाओ मैं कुछ नही दिखाती” कह कर मैने टेबल से अपनी ब्रा को अपने हाथ मे पकड़ने ही वाली थी कि वो बोल उठा..
“अरे भाभी जी मैं कहाँ हंस रहा हू आप ने ही कहा था कि आप अपने हाथो से अपने कपड़े उतारोगे.. मैने तो आप से कहा भी था कि आप की आप की चड्डी मैं उतारूँगा पर आप ने मना कर दिया. अब इसमे ग़लती किसकी है मेरी या आप की आप ने मुझसे छूने को मना किया मैने अपनी बात रखी आप भी अपनी बात रखो ना.. इस तरह आप अपनी बात से नही मुकर सकते” उसने इस तरह से कहा कि मैने जो ब्रा पकड़ी हुई थी वो वापस मेरे हाथ से निकाल कर टेबल पर ही रह गयी.
“मुझसे नही होगा.. अमित” मैने अपनी परेशानी उसे बताते हुए कहा.
“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”
“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”
मैने अपने कंपकँपाते हुए हाथो को अपनी पॅंटी पर लगाया और पॅंटी को उतारने के लिए थोड़ा झुकी जिसकी वजह से मेरे दोनो उरोज नीचे की तरफ झूल गये. उस समय मेरे दिल पर क्या बीत रही थी ये मैं ही जानती थी. अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने ही हाथो से उसे बर्बाद कर रही थी. मैने धड़कते हुए हुए दिल के साथ अपनी पॅंटी को नीचे की तरफ सरका दिया. वो मेरी तरफ घूरे जा रहा था. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.
“वाह भाभी जी आप की छोटी छोटी झाँते क्या मस्त लग रही है आपने तो इन पर डिज़ाइनिंग भी कर रखी है.” उसने खुस होते हुए कहा.
“अब तुमने देख लिया सब कुछ अब मैं अपने कपड़े पहन लेती हू.” कह कर मैं जैसे ही अपनी पॅंटी को हाथ मे लेकर उपर को करने लगी वो बोल पड़ा “भाभी जी अभी कहाँ पूरा दिखाया है आप ने असली चीज़ तो आप ने टेबल की तरफ कर रखी है वो तो मैन
ब्रा मे से मेरे दोनो उरोज इस तरह से झाँक रहे थे कि अभी ब्रा मे से निकल कर बाहर आ जाएगे.. और नीचे पॅंटी हल्की हल्की गीली हो गयी थी जिसकी वजह से मेरी योनि की कटान उस पर सॉफ उभर आई थी.. मैने अपने हाथो को पीछे ले जा कर अपनी ब्रा के हुक को खोल दिया जिस से मेरी ब्रा मेरी छाती पर एक दम ढीली हो गयी. मैने अपनी ब्रा को अपने हाथो से थाम लिया. अपने शरीर से अपनी ब्रा को अलग करते हुए मैं बुरी तरह से शर्म से ज़मीन मे गढ़ी जा रही थी.
“भाभी अपने हाथो से ब्रा को अब हटा भी दो… ताकि इन मतवाले रसभरे सन्तरो का दीदार ढंग से कर सकु” उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से शर्मा गयी. मैने क्या करती मुझसे हिम्मत नही हो रही थी कि मैने अपने शरीर से ब्रा को अलग करू.. मुझे इस तरह से देख कर वो फिर से बोला कि “भाभी ये ग़लत है आप ने कहा था कि आप खुद सब दिखओगि. अब हाथ मे से ब्रा को हटा भी दो” मरती क्या ना करती मैने अपने हाथ से अपनी ब्रा को जैसे ही अलग करके टेबल पर रखा मानो मेरे आधे प्राण निकल गये.
शरम के मारे मैने अपने दोनो हाथो से अपने उरोजो को ढँक लिया. “क्या भाभी जी आप तो ऐसे शर्मा रहे हो जैसे आज आप पहली बार किसी के आगे नगी हो रही हो. मनीष भैया तो रोज ही आप की लेते है और उस दिन तो आप कितना शोर मचा रहे थे… आहह… कम ऑन… कम ऑन करके” उसकी बाते सुन कर मैं शर्म से मरी जा रही थी और वो मज़े से मुझे देख कर दाँत फाडे जा रहा था.
मैने अपने हाथ अपने उरोजो से हटाए ही थे कि वो बोल पड़ा “कसम से भाभी जी आप की दोनो चुचिया एक दम मस्त है. और उनकी घुंडी तो क्या कहु आज तक मैने ऐसी चुचिया नही देखी एक दम गोल कटोरी जैसे” उसकी बाते मुझे अंदर तक छू रही थी एक अजीब सा एहसास मुझे मेरे अंदर महसूस हो रहा था.
“भाभी जी अब अगर आप की ये चड्डी भी अगर अलग हो जाए तो मैं आप की जवानी का मज़ा ले लू देख कर” उसने मुझे यूँ शरमाते हुए देख कर कहा.
मेरी तो हिम्मत ही नही हो रही थी कि मैं अपने हाथो से अपनी पॅंटी को अलग कर सकु.. “भाभी जी क्या हुआ आप से नही उतर रही है तो मुझे बताओ मैं उतार देता हू” मैं अभी सोच ही रही थी कि वो फिर से बोल पड़ा.. उसकी बात सुन कर मुझसे बर्दास्त नही हुआ और मैने उसे कहा कि “तुम एक नंबर के हरामी आदमी हो.. मैं शर्म से मरी जा रही हू और तुम मुझ पर हंस रहे हो जाओ मैं कुछ नही दिखाती” कह कर मैने टेबल से अपनी ब्रा को अपने हाथ मे पकड़ने ही वाली थी कि वो बोल उठा..
“अरे भाभी जी मैं कहाँ हंस रहा हू आप ने ही कहा था कि आप अपने हाथो से अपने कपड़े उतारोगे.. मैने तो आप से कहा भी था कि आप की आप की चड्डी मैं उतारूँगा पर आप ने मना कर दिया. अब इसमे ग़लती किसकी है मेरी या आप की आप ने मुझसे छूने को मना किया मैने अपनी बात रखी आप भी अपनी बात रखो ना.. इस तरह आप अपनी बात से नही मुकर सकते” उसने इस तरह से कहा कि मैने जो ब्रा पकड़ी हुई थी वो वापस मेरे हाथ से निकाल कर टेबल पर ही रह गयी.
“मुझसे नही होगा.. अमित” मैने अपनी परेशानी उसे बताते हुए कहा.
“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”
“मैं उतारू आप कहो तो” कह कर वो एक कदम जैसे ही मेरी तरफ बढ़ा मैने उसे हाथ से इशारा करके वही रोक दिया. “तुम जहाँ हो वही रहो मैं अपने आप उतार दुगी.”
मैने अपने कंपकँपाते हुए हाथो को अपनी पॅंटी पर लगाया और पॅंटी को उतारने के लिए थोड़ा झुकी जिसकी वजह से मेरे दोनो उरोज नीचे की तरफ झूल गये. उस समय मेरे दिल पर क्या बीत रही थी ये मैं ही जानती थी. अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए अपने ही हाथो से उसे बर्बाद कर रही थी. मैने धड़कते हुए हुए दिल के साथ अपनी पॅंटी को नीचे की तरफ सरका दिया. वो मेरी तरफ घूरे जा रहा था. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू.
“वाह भाभी जी आप की छोटी छोटी झाँते क्या मस्त लग रही है आपने तो इन पर डिज़ाइनिंग भी कर रखी है.” उसने खुस होते हुए कहा.
“अब तुमने देख लिया सब कुछ अब मैं अपने कपड़े पहन लेती हू.” कह कर मैं जैसे ही अपनी पॅंटी को हाथ मे लेकर उपर को करने लगी वो बोल पड़ा “भाभी जी अभी कहाँ पूरा दिखाया है आप ने असली चीज़ तो आप ने टेबल की तरफ कर रखी है वो तो मैन