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Adultery मेहमान बेईमान
#90
थोड़ी देर तक मैं वही चुप चाप खड़ी रही और उसके जाने का इंतजार करती रही. जैसे ही वो चली गयी दीवार के पीछे से निकल कर मैं भी अमित की छत की तरफ बढ़ गयी. मैं बोहोत ही दबे पाँव चल रही थी ताकि कोई मुझे देख ना सके. जैसे ही मैं चलते हुए छत पर बने एक अधूरे कमरे की तरफ आई जहाँ पर तमाम सारा कबाड़ सा भरा हुआ दिख रहा था कंडे गोबर भी जमा थे, वहाँ कॅंडो के पीछे से आती हुई आवाज़ ने मुझे चौंकने पर मजबूर कर दिया.

“औऊिईए माआआअ धीरे दब्ाओ ना दर्द हो रहा है आराम से करो ना” सुजाता ने बोहोत ही धीमे से दर्द भरी आवाज़ के साथ कहा.

“अरे जानेमन पुच…पुच कब से इन्हे हिला हिला के नाच रही थी नीचे. और मेरे हाथो मे खुजली हो रही थी इन्हे दबाने के लिए और तू कह रही है कि आराम से दबौउ” अंदर से बोहोत धीमे से बोलने की आवाज़ आ रही थी. मुझे अमित से इसी तरह की घटिया किस्म की उम्मीद थी कि वो सुजाता के साथ इसी तरह की हरकत करेगा.

“ आप को केवल मेरे ही हिलते हुए नज़र आ रहे थे निशा भाभी भी तो साथ मे नाच रही थी उनके भी तो हिल रहे थे उनके नही दिखे आप को ? और वो तो कितने कसे हुए कपड़े पहनी थी उनके तो ब्लाउस मे से आधे से ज़्यादा निकल निकल कर बाहर आ रहे थे” सुजाता ने आहे भरती हुई आवाज़ के साथ मे बोहोत धीरे से कहा.

मुझे आवाज़ सॉफ नही सुनाई दे रही थी इस लिए मैने इधर उधर देखना शुरू कर दिया ताकि मुझे कुछ दिखाई दे तभी मुझे पास ही मे लकड़ी की एक छोटी सी चोकी दिखाई दी मैं उसके उपर ही खड़े हो कर अंदर देखने की कोसिस की ताकि सॉफ सुनाई दे और दिखाई भी दे जाए. कॅंडो के बीच मे होने के कारण मुझे कोई भी नही देख सकता था पर मैं अंदर की तरफ सब देख सकती थी. लेकिन मुझे अभी भी अंदर कुछ दिखाई नही आ रहा था कि वो दोनो कहाँ है. मैने और गौर से देखने की कोसिस की तो थोड़ी दूर पर दो साए एक लड़के और लड़की का दिखाई दिया जो एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे, जिसे देख मुझे समझने मे ज़रा भी देर नही लगी कि वो अमित और सुजाता है.

“ अरे मेरी जान बोहोत तडपा हू मैं तेरे लिए आज बड़ी मुश्किल से मौका मिला है. आज तो जी भर कर तेरे साथ मज़े करूगा. अब खोल भी दे ना कितना तडपाएगी अपने इन मस्त संतरो को चुसवाने मे…” आवाज़ बोहोत धीमे से आ रही थी. जिसे समझने के लिए मुझे बोहोत ध्यान लगाना पड़ रहा था.

“मुझे बोहोत शरम आ रही है. आप ही उतार लो मुझसे नही उतारा जाएगा…” सुजाता ने फिर से आहे भरते हुए धीमी सी आवाज़ मे कहा.

मैं अभी ध्यान से आवाज़ सुन ही रही थी कि मुझे अपने नितंब पर किसी का हाथ महसूस हुआ. मैने पलट कर देखा तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया आँखे बाहर की तरफ आने को हो गयी. अमित गंदी सी हँसी हंसते हुए मेरे नितंब पर अपने हाथ चला रहा था. मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी. मैने अंदर की तरफ देखा तो वो दोनो साए अब भी एक दूसरे से चिपके हुए थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे. “अगर तुम यहाँ पर हो तो अंदर कॉन है ?” मैने बुरी तरह से चौक्ते हुए उस से सवाल किया.

“अंदर जिसे होना चाहिए वही है पर आपके छुप-छुप कर देखने की आदत अभी तक नही गयी..हहे..” कह कर वो दाँत फाड़ कर अपनी गंदी हँसी मे हंस ने लग गया.

“बंद करो अपनी ये गंदी हँसी.. और ये बताओ कि अंदर कॉन है उस लड़की के साथ” मैने गुस्से से उस से सवाल किया.

“बड़ी उतावली हो रही हो भाभी जी चुदाई देखने को.” कह कर उसने अपने हाथ को अपने लिंग पर फिराना शुरू कर दिया.. मैने उसकी तरफ गुस्से से देखने लगी और अंदर जाने ही वाली थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया मुझे अपने से चिपका लिया. उसके यूँ अचानक से मुझे खींचने से मैं उस से एक दम चिपक गयी जिस वजह से मेरे दोनो उरोज उसके सीने मे दब गये और उसका खड़ा हुआ लिंग मुझे मेरी योनि के उपर दस्तक देता हुआ महसूस हुआ. उसके लिंग को अपनी योनि पर महसूस होते ही मुझे मेरे शरीर मे बिजली का सा एक झटका महसूस हुआ. मैं अपनी पूरी ताक़त लगा कर उस से एक ही झटके मे अलग हो गयी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 14-01-2020, 11:51 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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