13-01-2020, 10:04 AM
साडी पहन कर मैं वापस अपने कमरे मे आ कर अपने कपड़े बॅग मे रखे और थोड़ा आराम करने की सोच ही रही थी कि मा जी की आवाज़ आ गयी..
“अरे निशा बेटी…” आवाज़ लगते हुए मम्मी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं इस साडी को पहन कर शरमा रही थी. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि पता नही मम्मी क्या सोचेगी कि मैं इस तरह के कपड़े पहनती हू… “अरे बेटा सुन आज गीत संगीत का प्रोग्राम है और बाहर मेहमान भी आ रहे है चल मेरे साथ वहाँ मेहमानो के बीच चल कर बैठ यहाँ अकेले मे क्या करेगी”
मैने सोचा था कि थोड़ी देर आराम कर लू पर “जी मम्मी जी चलिए” मैने अपने कपड़े बॅग मे रखते हुए कहा.
मैं मम्मी के साथ कमरे से बाहर निकली ही थी कि तभी सामने से अमित आता हुआ दिखाई दिया. अमित को देख कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी. वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.
“अरे पीनू कहाँ डोल रहा है. अंदर वाले कमरे मे लाइट का इंतज़ाम कर दिया ? पंखे वगेरा सब चल रहे या नही “ मम्मी ने उसे सामने से आता हुआ देख कर टोकते हुए कहा.
वो आगे बढ़ कर मेरे करीब आया और मुस्कुराते हुए मेरे पैर छू कर बोला “नमस्ते भाभी जी गाँव कब आए आप ?” उसकी शकल देख कर मुझे गुस्सा तो बोहोत आ रहा था पर मम्मी के सामने कुछ बोल नही सकती थी. “जी वही इंतज़ाम करने मे लगा हुआ हू. एक दो पंखे और लगाने है बस” अमित ने हसते हुए मम्मी से कहा जिसे सुन कर मम्मी ने कहा “अच्छा चल ठीक है जल्दी जाकर सब काम कर और बिजल्ली भी देख ले रोशनी हो रही है कि नही.” कह कर मम्मी मेरे साथ आगे बढ़ गयी और वो दूसरी तरफ चला गया.
उसके वहाँ से चले जाने से मुझे कुछ शांति मिली वरना मेरा दिल जोरो से घबराए जा रहा था. मैं मम्मी जी के साथ आगन मे आ गयी जहाँ गाने बजाने का प्रोग्राम होना था. घर बड़ा होने की वजह से वहाँ इस सब प्रोग्राम को करने के लिए जगह खूब सारी थी और फिर गाँव मे शादी थी तो मेहमान लोग भी खूब सारे आने थे. थोड़ी ही देर मैं देखते ही देखते खूब सारी औरते जमा हो गयी. मैं भी अपनी उमर की औरते जो रिश्ते मे मेरी भाभी थी उनके साथ बैठ गयी और मम्मी जी वहाँ से किसी काम के चक्कर मे चली गयी.
मैं जिन भाभी वगेरह के साथ बैठी थी वो मुझे देख कर मेरी फिटनेस की तारीफ किए बिना नही रह सकी. तभी उनमे से एक भाभी जो मुझसे उमर मे थोड़ी बड़ी थी बोली “नये मेहमान के आने मे कितना टाइम बाकी है ?” भाभी जी बात सुन कर मैं शरमा गयी “अभी कुछ सोचा नही है” मैने शरमाते हुए लहजे मे धीरे से जवाब दिया.
मेरी बात सुन कर पास मे ही जो एक और भाभी थी वो बोल पड़ी “कुछ सोचा नही नही है तभी इतना सुंदर शरीर बना रखा है, वरना शादी के बाद च्चरहरा शरीर कहाँ रहता है… हहहे”
"अच्छा हुआ हमारे जैसे मरद नही है जो कि एक महीने मे ही सारा फिगर बिगाड़ देते है दबा दबा के लटका देते है" फिर से मुझसे उमर मे बड़ी जो भाभी थी वो बोल पड़ी. उन भाभी जी बात सुन कर सब लोगो की हँसी निकल गयी. गाँव की औरतो की ऐसी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. तभी मेरी नज़र सामने की तरफ गयी जहाँ पर शर्मा अंकल खड़े हुए थे और मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे.
थोड़ी ही देर मे वहाँ पर परदा टाइप का कपड़ा लगा दिया गया जिस से कोई भी आदमी अंदर का प्रोग्राम ना देख सके. ये इंतज़ाम देख कर मुझे बोहोत ख़ुसी हुई पर मैं इन कपड़ो मे अपने आप को बोहोत कसा हुआ महसूस कर रही थी.
थोड़ी ही देर मे गाने बजाने का प्रोग्राम शुरू हो गया. बाकी की जो गाँव वाली पुरानी लॅडीस थी वो वही गाँव वाले स्टाइल मे गाने गा रही थी. जिन पर कुछ औरते डॅन्स भी कर रही थी और बाकी की क्लॅप्स कर रही थी. थोड़ी देर उस तरह गाने का प्रोग्राम चलने के बाद. म्यूज़िक सिस्टम ऑन कर दिया गया जिस पर “मेरे हाथो मे नो नो चूड़िया है” गाना चल रहा था फिल्म चाँदनी का. और उस गाने पर सब औरतो के बीचो बीच मे एक लड़की डॅन्स कर रही थी.
उस लड़की का डॅन्स देख कर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गये जब मैं कॉलेज मे डॅन्स सीखा करती थी. “ये लड़की अच्छा डॅन्स कर रही है.” मैने अपने पास बैठी भाभी से कहा.
“अरे वो सुजाता है हमारे गाँव मे सबसे अच्छा डॅन्स करती है.” भाभी ने भी उसकी तारीफ करते हुए कहा.
“डॅन्स तो अच्छा कर रही है भाभी जी पर एक्सप्रेशन मे मजेदारी नही आ रही है.” मैने उसकी तारीफ से जलते हुए अंदाज मे कहा.
“ आरीए हां मेने सुना है तुम भी बहुत अच्छा डॅन्स करती हो चलो आज तुम्हारा ही डॅन्स देखते है” भाभी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहा.
“नही..भी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहाँ.मजेदारी नही आ रही है."हुआ महसूस कर ..म करने लगी. मेहमान ल नही.. भाभी मैं नही कर सकती. डॅन्स छ्चोड़े हुए मुझे बहुत टाइम हो गया है”
“अरे निशा बेटी…” आवाज़ लगते हुए मम्मी मेरे कमरे मे आ गयी. मैं इस साडी को पहन कर शरमा रही थी. मेरे दिमाग़ मे यही चल रहा था कि पता नही मम्मी क्या सोचेगी कि मैं इस तरह के कपड़े पहनती हू… “अरे बेटा सुन आज गीत संगीत का प्रोग्राम है और बाहर मेहमान भी आ रहे है चल मेरे साथ वहाँ मेहमानो के बीच चल कर बैठ यहाँ अकेले मे क्या करेगी”
मैने सोचा था कि थोड़ी देर आराम कर लू पर “जी मम्मी जी चलिए” मैने अपने कपड़े बॅग मे रखते हुए कहा.
मैं मम्मी के साथ कमरे से बाहर निकली ही थी कि तभी सामने से अमित आता हुआ दिखाई दिया. अमित को देख कर मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी. वो भी मुझे देख कर मुस्कुरा दिया.
“अरे पीनू कहाँ डोल रहा है. अंदर वाले कमरे मे लाइट का इंतज़ाम कर दिया ? पंखे वगेरा सब चल रहे या नही “ मम्मी ने उसे सामने से आता हुआ देख कर टोकते हुए कहा.
वो आगे बढ़ कर मेरे करीब आया और मुस्कुराते हुए मेरे पैर छू कर बोला “नमस्ते भाभी जी गाँव कब आए आप ?” उसकी शकल देख कर मुझे गुस्सा तो बोहोत आ रहा था पर मम्मी के सामने कुछ बोल नही सकती थी. “जी वही इंतज़ाम करने मे लगा हुआ हू. एक दो पंखे और लगाने है बस” अमित ने हसते हुए मम्मी से कहा जिसे सुन कर मम्मी ने कहा “अच्छा चल ठीक है जल्दी जाकर सब काम कर और बिजल्ली भी देख ले रोशनी हो रही है कि नही.” कह कर मम्मी मेरे साथ आगे बढ़ गयी और वो दूसरी तरफ चला गया.
उसके वहाँ से चले जाने से मुझे कुछ शांति मिली वरना मेरा दिल जोरो से घबराए जा रहा था. मैं मम्मी जी के साथ आगन मे आ गयी जहाँ गाने बजाने का प्रोग्राम होना था. घर बड़ा होने की वजह से वहाँ इस सब प्रोग्राम को करने के लिए जगह खूब सारी थी और फिर गाँव मे शादी थी तो मेहमान लोग भी खूब सारे आने थे. थोड़ी ही देर मैं देखते ही देखते खूब सारी औरते जमा हो गयी. मैं भी अपनी उमर की औरते जो रिश्ते मे मेरी भाभी थी उनके साथ बैठ गयी और मम्मी जी वहाँ से किसी काम के चक्कर मे चली गयी.
मैं जिन भाभी वगेरह के साथ बैठी थी वो मुझे देख कर मेरी फिटनेस की तारीफ किए बिना नही रह सकी. तभी उनमे से एक भाभी जो मुझसे उमर मे थोड़ी बड़ी थी बोली “नये मेहमान के आने मे कितना टाइम बाकी है ?” भाभी जी बात सुन कर मैं शरमा गयी “अभी कुछ सोचा नही है” मैने शरमाते हुए लहजे मे धीरे से जवाब दिया.
मेरी बात सुन कर पास मे ही जो एक और भाभी थी वो बोल पड़ी “कुछ सोचा नही नही है तभी इतना सुंदर शरीर बना रखा है, वरना शादी के बाद च्चरहरा शरीर कहाँ रहता है… हहहे”
"अच्छा हुआ हमारे जैसे मरद नही है जो कि एक महीने मे ही सारा फिगर बिगाड़ देते है दबा दबा के लटका देते है" फिर से मुझसे उमर मे बड़ी जो भाभी थी वो बोल पड़ी. उन भाभी जी बात सुन कर सब लोगो की हँसी निकल गयी. गाँव की औरतो की ऐसी बात सुन कर मुझे बोहोत शरम आ रही थी. तभी मेरी नज़र सामने की तरफ गयी जहाँ पर शर्मा अंकल खड़े हुए थे और मेरी तरफ ही देखे जा रहे थे.
थोड़ी ही देर मे वहाँ पर परदा टाइप का कपड़ा लगा दिया गया जिस से कोई भी आदमी अंदर का प्रोग्राम ना देख सके. ये इंतज़ाम देख कर मुझे बोहोत ख़ुसी हुई पर मैं इन कपड़ो मे अपने आप को बोहोत कसा हुआ महसूस कर रही थी.
थोड़ी ही देर मे गाने बजाने का प्रोग्राम शुरू हो गया. बाकी की जो गाँव वाली पुरानी लॅडीस थी वो वही गाँव वाले स्टाइल मे गाने गा रही थी. जिन पर कुछ औरते डॅन्स भी कर रही थी और बाकी की क्लॅप्स कर रही थी. थोड़ी देर उस तरह गाने का प्रोग्राम चलने के बाद. म्यूज़िक सिस्टम ऑन कर दिया गया जिस पर “मेरे हाथो मे नो नो चूड़िया है” गाना चल रहा था फिल्म चाँदनी का. और उस गाने पर सब औरतो के बीचो बीच मे एक लड़की डॅन्स कर रही थी.
उस लड़की का डॅन्स देख कर मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गये जब मैं कॉलेज मे डॅन्स सीखा करती थी. “ये लड़की अच्छा डॅन्स कर रही है.” मैने अपने पास बैठी भाभी से कहा.
“अरे वो सुजाता है हमारे गाँव मे सबसे अच्छा डॅन्स करती है.” भाभी ने भी उसकी तारीफ करते हुए कहा.
“डॅन्स तो अच्छा कर रही है भाभी जी पर एक्सप्रेशन मे मजेदारी नही आ रही है.” मैने उसकी तारीफ से जलते हुए अंदाज मे कहा.
“ आरीए हां मेने सुना है तुम भी बहुत अच्छा डॅन्स करती हो चलो आज तुम्हारा ही डॅन्स देखते है” भाभी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहा.
“नही..भी ने मेरी बात को सुन कर कुछ याद करते हुए कहाँ.मजेदारी नही आ रही है."हुआ महसूस कर ..म करने लगी. मेहमान ल नही.. भाभी मैं नही कर सकती. डॅन्स छ्चोड़े हुए मुझे बहुत टाइम हो गया है”