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Adultery मेहमान बेईमान
#84
मैने साडी ले ली और ब्लाउस को देखने लगी.. वो बॅक ओपन ब्लाउस था. घर पर तो मेरे सारे ब्लाउस ऐसे ही बॅक ओपन टाइप ही थे पर ये गाँव था इस लिए मैने यहाँ के लिए अलग ब्लाउस सिलवाए थे. पर वो सब सूटकेस मे बंद थे. मैने ब्लाउस को हाथ मे लिया और वहाँ से उसे ले कर अपने कमरे मे जाने लगी.

“अरे कहाँ जा रही हो भाभी यही पर ट्राइ कर लो मुझे कोई दिक्कत नही है.” उसने इस अंदाज से कहा जैसे मैं उसे देख कर शर्मा कर वहाँ से अपने कमरे मे जा रही थी.

उसका वो मुस्कुराता चेहरा देख कर मैं अपने कमरे मे जाते जाते रुक गयी. और वही उसके कमरे मे ही अपना ब्लाउस उतार कर उसका दिया हुआ ब्लाउस ट्राइ करने लगी. उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे काफ़ी टाइट था पूरी ताक़त लगाने के बाद भी वो मेरे फिट नही आ रहा था. थक हार कर मैने अनिता को आवाज़ लगा कर उसे बुलाया ताकि उसे दिखा सकु कि उसका दिया हुआ ब्लाउस मेरे ज़रा भी फिट नही आ रहा है…

मेरी आवाज़ सुन कर वो मेरे एक दम नज़दीक आ गयी और मैं उस से कुछ कहती उस से पहले ही वो बोल पड़ी..”भाभी इसमे ब्लाउस की कोई ग़लती नही है आप के दोनो पर्वत ही इतने उँचे उँचे है कि ब्लाउस मे क़ैद हो ही नही रहे है. भैया काफ़ी महनत करते है लगता है इन पर्वतो पर..हहे” कह कर उसने ब्लाउस को आगे से थोड़ा सा खींच कर उसके हुक लगा दिए. ब्लाउस पहनने मे ही मुझे 10-15 मिनट लग गये…

ब्लाउस पहनने के बाद अब मैने पेटिकोट को ले लिया पहनने के लिए. अनिता से टवल ले कर मैने अपने नितंब पर टवल लपेट लिया और अपना पेटिकोट उतार कर अनिता का दिया हुआ पेटिकोट पहन लिया. अनिता का दिया हुआ पेटिकोट मेरे नितंब पर एक दम कस रहा था. उस पेटिकोट को पहन कर ऐसा लग रहा था जैसे मैने कोई स्किन टाइट स्कर्ट पहन ली हो. एक दम कसी कसी. पेटिकोट पहन ने के बाद मुझे नाडा बाँधने की भी ज़रूरत नही थी पूरा का पूरा पेटिकोट मेरे नितंब पर कसा हुआ था.

पेटिकोट पहन कर जब मैने अनिता की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ एक तक देखे जा रही थी. अगर कोई लड़का या आदमी मेरी तरफ इस तरह देखता तो मैं समझ भी सकती थी की वो क्यू देख रहा है पर अनिता क्यू देख रही है… मुझसे रहा नही गया और मैने उस से पूछ ही लिया… “ऐसे क्या देख रही हो किसी को पहले नही देखा क्या ?”

“भाभी जी देखा तो बोहोत सारी औरतो को है पर आप अपने आप को एक बार शीशे मे देख लो आप खुद को देखने से रोक नही पाओगे… काश की मैं लड़का होती तो आज आप को..” कह कर वो मुस्कुरा दी.

उसकी बात सुन कर मुझसे रहा नही गया और मैं शीशे के सामने हो गयी और खुद को देखने लगी जैसे ही शीशे मे मैने खुद को देखा. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. शीशे मे जो मेरी झलक मुझे मिल रही थी वो किसी काम की देवी से कम नही थी. शीशे मे देखने पर मेरे दोनो उरोज मेरे ब्लाउस से झाँकते हुए मेरे गले को छूने की कोसिस कर रहे थे. सांसो के साथ उपर नीचे होते हुए उरोज देख कर मैं खुद ही शर्मा गयी. और नीचे पेटिकोट जो मेरे नितंब पर एक दम कसा हुआ था जिस कारण मेरे नितंब की शेप सॉफ दिखाई दे रही थी.

थोड़ी देर तक खुद को शीशे मे देखने के बाद मैने अनिता से कहा कि “अनिता क्या मुझे तुम्हारे ये कपड़े सही मे पहन ने चाहिए ?”

“अरे भाभी क्या बुराई है इसमे और वैसे भी आप अपने घर पर इसी तरह के कपड़े तो पहनती होगी. ना और वैसे भी आप पर ये साडी बोहोत अच्छी लगेगी और वैसे भी थोड़ी देर के लिए ही तो आप को साडी पहन नी है.” अनिता ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा.

मैने भी अपने आप को शीशे मे देख कर जोश मे आ गयी थी. और साडी पहन ली. साडी पहन कर जब मैने अनिता से पूछा कि “कैसी लग रही है साडी अनिता ज़्यादा ओल्ड तो नही लग रही है ?”

“भाभी जान आप तो बिजलिया गिराने वाले हो पूरे गाँव पर जो भी आप को देखेगा रात भर सो नही पाएगा. और भैया तो आज आप को नही छ्चोड़ने वाले है. हहहे” उसने फिर से वही शरारती हँसी हंसते हुए कहा.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 13-01-2020, 10:01 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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