13-01-2020, 10:00 AM
(13-01-2020, 09:58 AM)Deadman2 Wrote: Wait for next update
अपनी ननद की बात सुन कर मैं शरम से लाल हो गयी और चुप चाप हो कर चाइ नाश्ता करने लग गयी. चाइ नाश्ता करने के बाद मैं वहाँ से उठ कर अनिता के साथ अपने कमरे मे जो मनीष का कमरा था वहाँ आ गयी. शाम भी हो गयी थी और मुझे इन कपड़ो मे गर्मी भी बोहोत लग रही थी. इस लिए मैने जैसे ही कपड़े निकालने के लिए सूटकेस उठाया जो लॉक्ड था. मुझे याद आया कि मैने चाबी तो मनीष को दे दी थी. मुझे यू परेशान देख कर अनिता बोली..”क्या हुआ भाभी जी बड़ी परेशान देख रही हो… अभी भी भैया को ही याद कर रही हो… हहे” कह कर वो हंस दी.
“नही.. वो मुझे कपड़े चेंज करने है और सूटकेस की चाबी मनीष के पास है.” मैने अपनी समस्या उसे बताते हुए कहा.
“ले बस इतनी सी बात के पीछे इतना दुखी हो रही हैं हमारी प्यारी भाभी… अरे भाभी जी आप मेरे साथ आइए” कह कर अनिता ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने साथ अपने रूम मे ले आई.
उसका रूम काफ़ी सुंदर था और उसने अपने कमरे की दीवार पर शाहरुख और अजय देवगन के पोस्टर लगा रखे थे. मैं बड़े गौर से उसके रूम को देख रही थी… “तो आप को शाहरुख और अजय देवगन काफ़ी पसंद है” मैने पोस्टर देखने के बाद मुस्कुराते हुए उस से कहा.
“अरे ये पोस्टर तो बस ऐसे ही लगा रखे है… अच्छा आप ये ट्राइ करके देखो” उसने अपनी अलमारी से एक सूट निकाल कर मुझे देते हुए कहा. देखने मे सूट काफ़ी अच्छा था पर मैं आते ही सूट नही पहनना चाहती थी. इस लिए मैने अनिता को सूट के लिए मना कर दिया.
थोड़ी देर इधर उधर अपनी अलमारी मे कपड़ो को करने के बाद उसने एक साड़ी को निकाल कर मुझे दी…”ये साडी पहन लो भाभी जी आप हल्की भी है और आप पर काफ़ी अच्छी भी लगेगी” कह कर उसने वो सारी मेरे हाथ मे थमा दी.
साडी सच मे काफ़ी हल्की और सुंदर थी पर दिक्कत पेटिकोट और ब्लाउस की थी. जो अनिता ने साडी के साथ मुझे पहनने के लिए दिए थे. “अनिता साडी तो ठीक है पर मुझे नही लगता कि तुम्हारे ब्लाउस और पेटिकोट मेरे फिट आएगे” मैने अपने मन की बात उसे बता दी.
“ अरे भाभी केवल आज की ही तो बात है और वैसे भी थोड़ी देर मे भैया तो वैसे ही घर आ जाएगे फिर आप को कॉन सा साडी पहन्नी है… हहे” कह कर वो मेरे एक दम पास आ कर हँसने लग गयी.
उसकी बात सुन कर मैं एक दम हैरान रह गयी मुझे उम्मीद नही थी कि वो इतनी जल्दी मेरे साथ इतना फ्रॅंक हो कर बात करना शुरू कर देगी. शादी के समय मैं ज़्यादा दिन गाँव मे नही रही थी इस लिए मेरी घर वालो से अच्छे से बात चीत नही हो पाई थी. मम्मी पापा कभी कभी घर पर आ जाते थे तो उनसे बात चीत होती रही. उसकी बात सुन कर मैने प्यार से उसकी सर पर एक चपत लगाई और कहा… “चल बदमाश.. बोहोत शरारत सूझ रही है तुझे.”
“अब भाभी देखती रहोगी या पहनोगी भी” अनिता ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.
मैने साडी को खोला तो वो एक दम पतली झिल्ली दार साड़ी थी ऐसी कि आर पार का सब कुछ सॉफ सॉफ दिखाई दे. मैने जब पूरी सारी खोल कर देखी तो मेरी हिम्मत नही हुई उसे पहनने की.. “अनिता मैं ये सारी नही पहन सकती ये नेट सारी यहाँ पर नही पहन सकती किसी ने देखा तो क्या कहेगा.. लो अपनी साडी वापस रख लो.” कह कर मैने उसे साडी वापस पकड़ा दी.
“अरे भाभी ये साडी सिल्क की है और क्रीम कलर मे है. ये मैने पीछले साल शर्मा अंकल के लड़के की शादी मे खरीद कर पहनी थी. और आप पर तो ये सारी एक दम फिट रहेगी.” अनिता ने ज़ोर दे कर मुझे साडी वापस दी और पहन कर ट्राइ करने को कहा.