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Adultery सोलवां सावन
#34
नौवीं फुहार

सिंगार 

[i]हे, तूने कहां से देखा…” अब मेरे चौंकने की बारी थी। 
“जहां से तू कल देख रही थी…” मैं उसे पकड़ने को दौड़ी, पर वह मोटे चूतड़ मटकाती, तेजी से भाग निकली। मुझे घर के बाहर छोड़कर ही वह चली गयी। घर के अंदर पहुँचकर मैं सीधे अपने कमरे में गयी और अपनी हालत थोड़ी ठीक की। 
[/i]


[i]कुछ देर में भाभी मेरे कमरें में आयीं और बोली- 

“हे तैयार हो जाओ, अभी पूरबी, गीता, कामिनी भाभी और औरतें, आती होंगी, आज फिर झूला झूलने चलेंगे। और हां ये मैं अपनी कुछ पुरानी चोलियां लाई हूं, जब मैं तुमसे भी छोटी थी, ट्राई कर लेना और ये बाकी कपड़ें भी हैं…” 

चलते-चलते, दरवाजे पर रुक कर भाभी ने शरारत से पूछा- “तुम अपने आप तैयार हो जाओगी या… चम्पा भाभी को भेज दूं तैयार करवाने के लिये…” 
“नहीं भाभी मैं तैयार हो जाऊँगी…” हँसकर उनका मतलब समझते मैं बोली और मैंने दरवाजा बंद कर लिया। 

अच्छी तरह नहा धोकर मैं तैयार हो गयी। 

रंगीन घाघरा, पैरों में, खूब चौड़ी चांदी की घुंघरू वाली पाजेब जो जब चलूं तो दूर-दूर तक रुन झुन करे और जब… मैं सोचकर ही शर्मा गयी। हाथ में कंगन, बाजूबंद, कानों के लिये लंबे लटकते झुमके, मेरी चोटी भी मेरे नितम्बों तक लटकती थी, मैंने माथे को लाल बिंदी और गुलाबी होंठों पे गाढ़ी लिपिस्टक भी लगा ली।
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[Image: JKG-bride.jpg]
[i]
पर चोली जो थोड़ी फ़िट हुई वह पीले रंग की कोनिकल आकार वाली थी, और नीचे से मेरे टीन जोबन को पूरा उभार रही थी और टाइट भी बहुत थी। मुझे ऊपर के दो बटन खोलने पड़े पर अब मेरा गोरे-गोरे उभारों के बीच का क्लीवेज़ एकदम साफ दिख रहा था। जब मैंने दर्पण में देखा तो मैं खुद शर्मा गयी। 
[/i]


[i][i][i][Image: choli-7.md.jpg]

दरवाजे पे खटखट की आवाज सुनकर मेरा ध्यान हटा। दरवाजा खोला, तो सामने पूरबी खड़ी थी- 

“हे बड़ा सजा संवरा जा रहा है, आज किधर बिजली गिराने का इरादा है…” फिर मुझे बांहो में भर के मेरे कानों में बोली-

“यार लड़कों का कोई दोष नहीं हैं, तू चीज़ ही इतनी मस्त है, अगर मैं लड़का होती ना, तो मैं भी तुझे बिना चोदे नहीं छोड़ती…” 

वह मेरा हाथ पकड़ के बरामदे में ले गयी, जहां गीता, उसकी कुछ और सहेलियां, चमेली भाभी, चम्पा भाभी बैठी थीं और बसंती सबके पैर में महावर लगा रही थी। बसंती ने मेरा भी पैर पकड़ा, कि मुझे भी महावर लगा दे पर मैं आनाकानी कर रही थी। 

चमेली भाभी ने हँसकर मुझे छेड़ते हुये कहा- “अरे बसंती इसे तो सबसे कस के और चटख लगाना, गांव के जिस-जिस लड़के के माथे पे वो महावर लगा मिलेगा…” 
मेरे गोरे गाल उनका मतलब समझकर शर्म से लाल हो गये पर पूरबी बोली- 

“अरे भाभी, इसीलिये तो वो नहीं लगवा रही है कि चोरी पकड़ी जायेगी…” 
और बसंती से बोली- “अरे महावर लगाते लगाते, जरा अंदर का भी दर्शन कर लो…” 
“हां बसंती देख लो, अंदर घास फूस है या मैदान साफ है…” चमेली भाभी ने मुश्कुराकर पूछा। 
बसंती ने भी हँसकर मेरे घाघरे के अंदर झांकते हुए बोला- “मैदान साफ है, लगता है, घास फूस साफ करके पूरी तैयारी के साथ आयी हैं ननद रानी…”[/i]
 
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[Image: menahdi-henna-tattoo-ideas-chest-henna-d...est.md.jpg]
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Messages In This Thread
सोलवां सावन - by komaalrani - 10-01-2019, 10:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Bregs - 10-01-2019, 11:31 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 01-02-2019, 02:50 PM
RE: सोलवां सावन - by komaalrani - 03-02-2019, 12:36 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 13-02-2019, 06:40 PM
RE: सोलवां सावन - by Kumkum - 19-02-2019, 01:09 PM
RE: सोलवां सावन - by Logan555 - 26-02-2019, 11:10 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 08:44 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 04-05-2019, 11:46 PM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 19-05-2019, 11:15 AM
RE: सोलवां सावन - by Theflash - 03-07-2019, 10:31 AM
RE: सोलवां सावन - by Badstar - 14-07-2019, 04:07 PM
RE: सोलवां सावन - by usaiha2 - 09-07-2021, 05:54 PM



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