03-02-2019, 12:24 PM
जोरू का गुलाम भाग ११
मैं एक दिन बाजार से आ रही थी , इनके साथ।
और मैंने देखा , फलों की दूकान पे आम आगये थे ,
दसहरी ,लंगड़ा ,चौसा।
मेरी चमकी।
मैं तो भूल ही गयी थी अपनी शर्त ,छुटकी ननदिया के साथ ,
इन्हे आम खिलाने की वो भी उसके हाथ से।
और मैं अगर शर्त जीत जाती तो फिर वो मेरी गुलाम चार घंटों के लिए।
"यार कित्ते रसीले आम आये हैं। मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं। "
मैंने जान बूझ के उन्हें सुनाते हुए कहा।
वो एकदम से सिहर गए ,लेकिन कुछ बोले नहीं , और मैं मन ही मन मुस्कराती रही।
घर पहुँचने पर उनके आफिस का कोई मेल था , उन्हें अपना अगले तीन चार महीने का लीव प्लान भेजना था।
और वो मैंने तय कर दिया ,
" सुन यार , बहुत दिनों से तेरे मायके नहीं गए हैं। और जेठानी जी का फोन भी आया था , जुलाई एंड में तेरी मांम और भैया , कहीं तीर्थ यात्रा पे शायद एक हफ्ते के लिए जा रहे हैं , वो बुला रही थी तो ७ दिन के लिए तो तुम वही बना लो। "
उन्होंने प्लान कर लिया ,लेकिन मेरी आँखे कैलेण्डर पे टहल रही थीं।
अभीजून का महीना चल रहा था , और १२ दिन बाद उन की बर्थ डे थी ,
पहली जुलाई।
"एक काम करो , एक कोई है जिसकी बर्थ डे आने वाली है। " मैंने कहा।
" कौन है ,? "
बनते हुए उन्होंने पूछा। जान वो भी रहे थे , लेकिन सुनना चाहते थे।
और मैंने घुड़क दिया ,
" तुमसे मतलब ,हर चीज जानना जरूरी है क्या ?"
और फिर प्यार से उनके गाल चूम लिए और हंस के बोली ,
" अरे यार है कोई , मैं उसे बहुत बहुत बहुत प्यार करती हूँ , खूब सोना सा है ,मुन्ना मेरा , लेकिन कभी कभी बद्माशी करता है तो उसके कान का पान भी बनाना पड़ता है। "
और मैंने सच में उनके कान के पान बना दिए , फिर उन्हें साफ साफ इंस्ट्रक्शन दे दिए ,
"पहली जुलाई को छुट्टी ले ले तू यार, सेकेण्ड और थर्ड को सैटरडे ,सन्डे। बस लांग वीकेंड। कही जाएंगे वायंगे नहीं , बस यहीं घर पे , अपने सोना की बेबी की बर्थडे हाँ और ३० कोजल्दी आफिस से , पांच बजे तक घर। "
एक बार फिर उनके होंठ चूमते मैं बोली।
शाम को हम लोग फिर सुजाता के यहाँ से आ रहे थे , रास्ते में हम दोनों एक फ्रूट जूस स्टाल पे रूक गए।
" क्यों मैंगो जूस है क्या भैया "
मैंने उस से पुछा।
इनकी तो हालत ख़राब , .... लेकिन।
मैंने इनकी ओर देखा , बड़ी मुश्किल से ये नारमल लगने की कोशिश कर रहे थे।
इतना मजा आया मुझे की बता नहीं सकती।
मैं एक दिन बाजार से आ रही थी , इनके साथ।
और मैंने देखा , फलों की दूकान पे आम आगये थे ,
दसहरी ,लंगड़ा ,चौसा।
मेरी चमकी।
मैं तो भूल ही गयी थी अपनी शर्त ,छुटकी ननदिया के साथ ,
इन्हे आम खिलाने की वो भी उसके हाथ से।
और मैं अगर शर्त जीत जाती तो फिर वो मेरी गुलाम चार घंटों के लिए।
"यार कित्ते रसीले आम आये हैं। मुझे तो बहुत अच्छे लगते हैं। "
मैंने जान बूझ के उन्हें सुनाते हुए कहा।
वो एकदम से सिहर गए ,लेकिन कुछ बोले नहीं , और मैं मन ही मन मुस्कराती रही।
घर पहुँचने पर उनके आफिस का कोई मेल था , उन्हें अपना अगले तीन चार महीने का लीव प्लान भेजना था।
और वो मैंने तय कर दिया ,
" सुन यार , बहुत दिनों से तेरे मायके नहीं गए हैं। और जेठानी जी का फोन भी आया था , जुलाई एंड में तेरी मांम और भैया , कहीं तीर्थ यात्रा पे शायद एक हफ्ते के लिए जा रहे हैं , वो बुला रही थी तो ७ दिन के लिए तो तुम वही बना लो। "
उन्होंने प्लान कर लिया ,लेकिन मेरी आँखे कैलेण्डर पे टहल रही थीं।
अभीजून का महीना चल रहा था , और १२ दिन बाद उन की बर्थ डे थी ,
पहली जुलाई।
"एक काम करो , एक कोई है जिसकी बर्थ डे आने वाली है। " मैंने कहा।
" कौन है ,? "
बनते हुए उन्होंने पूछा। जान वो भी रहे थे , लेकिन सुनना चाहते थे।
और मैंने घुड़क दिया ,
" तुमसे मतलब ,हर चीज जानना जरूरी है क्या ?"
और फिर प्यार से उनके गाल चूम लिए और हंस के बोली ,
" अरे यार है कोई , मैं उसे बहुत बहुत बहुत प्यार करती हूँ , खूब सोना सा है ,मुन्ना मेरा , लेकिन कभी कभी बद्माशी करता है तो उसके कान का पान भी बनाना पड़ता है। "
और मैंने सच में उनके कान के पान बना दिए , फिर उन्हें साफ साफ इंस्ट्रक्शन दे दिए ,
"पहली जुलाई को छुट्टी ले ले तू यार, सेकेण्ड और थर्ड को सैटरडे ,सन्डे। बस लांग वीकेंड। कही जाएंगे वायंगे नहीं , बस यहीं घर पे , अपने सोना की बेबी की बर्थडे हाँ और ३० कोजल्दी आफिस से , पांच बजे तक घर। "
एक बार फिर उनके होंठ चूमते मैं बोली।
शाम को हम लोग फिर सुजाता के यहाँ से आ रहे थे , रास्ते में हम दोनों एक फ्रूट जूस स्टाल पे रूक गए।
" क्यों मैंगो जूस है क्या भैया "
मैंने उस से पुछा।
इनकी तो हालत ख़राब , .... लेकिन।
मैंने इनकी ओर देखा , बड़ी मुश्किल से ये नारमल लगने की कोशिश कर रहे थे।
इतना मजा आया मुझे की बता नहीं सकती।