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Adultery मेहमान बेईमान
#78
“तुम्हे तो बस मौका चाहिए ये सब के लिए जहाँ देखो वाहा शुरू हो जाते हो” मैने फिर से गुस्से मे कहा.

“अरे तो जान किसी और के साथ नही सिर्फ़ तुम्हारे साथ ही तो करता हू. वरना मेरे जैसे हॅंडसम लड़के के लिए लड़कियो की कमी नही है लड़किया लाइन लगा कर खड़ी रहती है मेरे इंतजार मे.

“हां पता है कितनी लड़किया लाइन लगा कर खड़ी रहती है” उनकी ये बात सुन कर मेरी हँसी निकल गयी.

मुझे हंसता हुआ देख कर मनीष भी मुस्कुरा दिए “वैसे निशा तुम गुस्से मे ज़्यादा खूबसूरत लगती हो. पूछो क्यू ?” मनीष ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा. “तुम्हारी दोनो आँखे एक दूसरे को किस करने लग जाती है गुस्से मे. हहहे” कहते हुए मनीष ज़ोर ज़ोर से हँसने लग गये.

मैने उनके हाथ पर प्यार से हाथ मारा और मैं भी ज़ोर से हँसने लग गयी थोड़ी देर यूँ ही हँसी मज़ाक करते हुए हम गाँव मे आ गये. गाँव के अंदर आते ही जो जान पहचान वाले लोग थे हमे देख कर नमस्ते वगेरह करने लग गये. मनीष भी हाथ हिला कर सबको थॅंक्स कर रहे थे. थोड़ी ही देर मैं हमारी कार सीधे आ कर हमारे घर पर खड़ी हो गयी.

गाँव वाले घर मे आते ही सारे घर वाले हमारे स्वागत के लिए आ गये. शादी के बाद से अब वापस आना हुआ था गाँव मे. इस लिए सब लोग बड़ी ख़ुसी-ख़ुसी आ कर हम लोगो का स्वागत करने लगे. मम्मी-पापा, चाचा-चाची, मेरे देवर और बाकी के घर वाले सबने मिल कर हमारा खूब स्वागत किया.

मैने और मनीष ने मम्मी पापा चाचा-चाची के पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लिया और बाकी घर वालो से गले मिल ली. मनीष भी बाकी घर वालो के साथ घुल मिल कर अपने हाल चल लेने लगे.

“अरे यही बाहर खड़े रहोगे या अंदर भी चलेगे” मॅमी ने हम दोनो को अंदर चलने के लिए कहा.

हम सभी अब घर मे आ गये थे पापा और चाचा ने बाकी लोगो से कह कर गाड़ी से सामान उतरवा लिया. अंदर आ कर मैं मम्मी के साथ ही हो गयी. जो मुझे बाकी लोगो से मिलवाने लगी. शादी का महॉल था इसलिए काफ़ी सारे रिश्तेदार आए हुए थे जिनमे से कुछ मे जानती थी कुछ को नही. मम्मी एक एक करके मुझे सब लोगो से मिल्वाति गयी. सब से मिल लेने के बाद मुझे काफ़ी ख़ुसी हुई पर गाड़ी मे सफ़र करके आने के कारण शरीर मे काफ़ी थकावट भी थी.

शादी को अभी 1 हफ़्ता था, शादी घर मे ही थी इस लिए हमे जल्दी आना पड़ा. ताकि शादी मे होने वाली रस्मो को पूरा किया जा सके, गाँव के लोग वैसे भी पुराने ख़यालात के होते है जल्दी बुरा मान जाते है. और हमारा जो घर था वो इस गाँव का सबसे माना हुआ घराना था. पूरा गाँव हमारे घर वालो की इज़्ज़त करता था.

मैं सब से मिल कर मम्मी से कहने ही वाली थी कि मम्मी मैं थक गयी थोड़ा फ्रेश होना चाहती हू. उस से पहले ही कुछ लोग और भी आ गये शायद मनीष के आने की खबर सुन कर आए थे. मम्मी ने उनका स्वागत किया और मुझे भी उनसे मिलवाया. “बेटी इनसे मिलो ये है शर्मा जी और इनकी पत्नी, बेटी पैर छुओ इनके” मम्मी ने मुझे उनसे मिलवाते हुए पैर छूने का इशारा किया. आंटी जी के पैर छू कर मैने जैसे ही अंकल जी के पैर छूने को झुकी अंकल जी ने मेरे कंधे से मुझको पकड़ लिया. “अरे बेटी क्या कर रही हो तुम्हारी जगह पैरो मे नही है” मैने शर्मा जी की तरफ देखा तो मुझे उनकी आँखे कुछ अजीब लगी उनकी आँखो मे वासना की झलक सॉफ दिख रही थी.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 12-01-2020, 06:40 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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