11-01-2020, 11:24 AM
मनीष ने मुझे गोद मे उठाए हुए ही दोबारा से बेड पर ले जा कर लेटा दिया. मैने अब भी अपना चेहरा अपने दोनो हाथो से ढक रखा था. मनीष मेरी दोनो टाँगो को फैला कर उनके बीच मे आ गये और अपने होंठो को मेरी योनि पर लगा कर उसे किस करने लगे उनके हाथ कभी मेरी थाइ पर तो कभी मेरे पेट पर चल रहे थे जिस वजह से मुझे हल्की हल्की गुद-गुडी सी होने लग गयी. मनीष बराबर मेरी योनि को किस किए जा रहे थे. मैं बेड पर धीरे धीरे मचलने लग गयी. तभी मनीष का मोबाइल बजने लग गय
मनीष का मोबाइल बजते ही मैने एक राहत की साँस ली. और अपनी आँख खोल कर मनीष को देख कर उन्हे चिढ़ने लग गयी. मनीष मेरे पास से उठे और अपना मोबाइल उठा कर बात करने लगे. वो फ़ोन ड्राइवर का था जिसे मनीष ने अपने साथ गाड़ी चलाने के लिए कहा था. रास्ता ज़्यादा लंबा नही था गाँव का पर गाँव मे अपनी रेप्युटेशन दिखाने के लिए मनीष ने उसे हाईयर कर लिया था.
मैं भी वही खड़ी हुई थी और ड्राइवर और मनीष की बात सुन रही थी. जब मनीष ने फ़ोन रखा तो मैने मनीष से मना कर दिया और कहा “क्या ज़रूरत है अपने साथ ड्राइवर को ले जाने की. आप और मैं आराम से अपनी गाड़ी मे बैठ कर चलेगे.”
मनीष ने मेरी बात सुनी और एक नज़र मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दिए और बोले “ठीक है मेरी जान कोई ड्राइवर हमारे साथ नही चलेगा अब खुश इसी बात पर एक किस और दे दो.” मनीष की बात सुन कर मैं मुस्कुरा दी और “धात्त” बोल कर अलमारी से अपने और मनीष के लिए कपड़े निकालने लग गयी.
मनीष मेरे पीछे ही आ कर खड़े हो गये और पीछे से ही मुझे कस कर पकड़ लिया. “क्या कर रहे हो छ्चोड़ो ना कपड़े निकालने दो पहने के लिए” मैने मनीष से नखरे दिखाते हुए कहा.
“अरे गोली मारो कपड़ो को मेरा तो दिल करता है कि तुम्हारे साथ यूँ ही बिना कपड़ो के सारी जिंदगी पड़ा रहू.” मनीष ने मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा. मनीष का लिंग ठीक मेरे नितंब पर महसूस हो रहा था. उन्होने भी अपने लिंग को मेरे नितंब की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया. “क्या कर रहे हैं आप छ्चोड़िए ना… आप को तो बस मौका चाहिए कभी भी शुरू हो जाते है” मैने भी पीछे की तरफ देखते हुए मनीष से मुस्कुराते हुए कहा.
“चलो निशा एक बार और सुबह सुबह कर लेते है फिर पता नही गाँव मे मौका मिला नही मिला करने का” मनीष ने अपना एक हाथ मेरे उरोज पर रख कर उसे दबाते हुए और दूसरे हाथ से मेरे नितंब को मसल्ते हुए मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा.
“ना मिले तो अच्छा ही है. कम से कम आप मुझे तंग तो नही कर पाएगे. हहहे” मैने मनीष की बात पर हंसते हुए कहा.
मैने अलमारी से अपने और मनीष के कपड़े निकाल लिए और पलट कर मूड गयी पर मनीष तो जैसे मेरे से चिपक ही गये थे छ्चोड़ ही नही रहे थे मुझे “अरे अब छ्चोड़ो भी मनीष हमे तैयार हो कर गाँव के लिए भी निकलना है. आप भी जब तक फ्रेश हो लो जब तक मैं चाइ बना लेती हू” मैने मनीष को समझाते हुए कहा.
मनीष का दिल तो नही था मुझ से अलग होने का पर मैने जब थोड़ा सा गुस्से से उनकी तरफ देखा तो वो मान गये और अपने कपड़े ले कर फ्रेश होने चल दिए. मैं भी वहाँ से मेक्शी पहन कर किचन मे आ गयी चाइ बनाने के लिए. और अपनी लाइफ के बारे मे सोचने लगी.. कितना चाहते है मनीष मुझे कितना प्यार करते है और मैने उन्हे धोका दिया है. ये सोच कर ही मेरा मन ग्लानि से भर जाता है. मैने कितना ग़लत किया है मनीष के साथ मैने मनीष के प्यार और विश्वास दोनो का खून कर दिया. जिस दिन उन्हे पता चलेगा क्या बीतेगी उनके दिल पर. मैं अभी सोच ही रही थी कि तभी मनीष के बाथरूम से नहा कर बाहर निकलने की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और मैं वापस चाइ की तरफ ध्यान देने लगी. थोड़ी देर मे चाइ ले कर मैं मनीष के पास आ गयी और उनके साथ चाइ पीने लगी. मनीष को थोड़ा काम था ऑफीस से इस लिए वो चाइ नाश्ता करके थोड़ी देर मे वापस आने की ओर जाने की तैयार करने की बोल कर चले गये.
मैं भी जल्दी जल्दी से जो सामान मनीष कल ले कर आए थे वो और अपने मतलब का सब सामान पॅक करने लगी थोड़ी ही देर मैने मैने जाने की सारी पॅकिंग कर ली और तैयार होने के लिए मैं बाथरूम मे आ गयी. नहा कर मैं बेड रूम मे आ गयी और पहने के लिए कपड़े देखने लगी कि क्या पहन कर जाया जाए. काफ़ी देर तक सोच विचार करने के बाद एक हल्के स्काइ-ब्लू कलर की साड़ी पहन ली. हल्के होने की वजह से गर्मी मे भी ठीक थी.
थोड़ी ही देर मे मनीष भी आ गये. मुझे देख कर एक पल के लिए तो उनकी आँखे मुझ पर जमी की जमी रह गयी. “तुम तो सच मे आज कयामत लग रही हो. ्े
मनीष का मोबाइल बजते ही मैने एक राहत की साँस ली. और अपनी आँख खोल कर मनीष को देख कर उन्हे चिढ़ने लग गयी. मनीष मेरे पास से उठे और अपना मोबाइल उठा कर बात करने लगे. वो फ़ोन ड्राइवर का था जिसे मनीष ने अपने साथ गाड़ी चलाने के लिए कहा था. रास्ता ज़्यादा लंबा नही था गाँव का पर गाँव मे अपनी रेप्युटेशन दिखाने के लिए मनीष ने उसे हाईयर कर लिया था.
मैं भी वही खड़ी हुई थी और ड्राइवर और मनीष की बात सुन रही थी. जब मनीष ने फ़ोन रखा तो मैने मनीष से मना कर दिया और कहा “क्या ज़रूरत है अपने साथ ड्राइवर को ले जाने की. आप और मैं आराम से अपनी गाड़ी मे बैठ कर चलेगे.”
मनीष ने मेरी बात सुनी और एक नज़र मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा दिए और बोले “ठीक है मेरी जान कोई ड्राइवर हमारे साथ नही चलेगा अब खुश इसी बात पर एक किस और दे दो.” मनीष की बात सुन कर मैं मुस्कुरा दी और “धात्त” बोल कर अलमारी से अपने और मनीष के लिए कपड़े निकालने लग गयी.
मनीष मेरे पीछे ही आ कर खड़े हो गये और पीछे से ही मुझे कस कर पकड़ लिया. “क्या कर रहे हो छ्चोड़ो ना कपड़े निकालने दो पहने के लिए” मैने मनीष से नखरे दिखाते हुए कहा.
“अरे गोली मारो कपड़ो को मेरा तो दिल करता है कि तुम्हारे साथ यूँ ही बिना कपड़ो के सारी जिंदगी पड़ा रहू.” मनीष ने मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा. मनीष का लिंग ठीक मेरे नितंब पर महसूस हो रहा था. उन्होने भी अपने लिंग को मेरे नितंब की दरार पर रगड़ना शुरू कर दिया. “क्या कर रहे हैं आप छ्चोड़िए ना… आप को तो बस मौका चाहिए कभी भी शुरू हो जाते है” मैने भी पीछे की तरफ देखते हुए मनीष से मुस्कुराते हुए कहा.
“चलो निशा एक बार और सुबह सुबह कर लेते है फिर पता नही गाँव मे मौका मिला नही मिला करने का” मनीष ने अपना एक हाथ मेरे उरोज पर रख कर उसे दबाते हुए और दूसरे हाथ से मेरे नितंब को मसल्ते हुए मेरी गर्दन पर किस करते हुए कहा.
“ना मिले तो अच्छा ही है. कम से कम आप मुझे तंग तो नही कर पाएगे. हहहे” मैने मनीष की बात पर हंसते हुए कहा.
मैने अलमारी से अपने और मनीष के कपड़े निकाल लिए और पलट कर मूड गयी पर मनीष तो जैसे मेरे से चिपक ही गये थे छ्चोड़ ही नही रहे थे मुझे “अरे अब छ्चोड़ो भी मनीष हमे तैयार हो कर गाँव के लिए भी निकलना है. आप भी जब तक फ्रेश हो लो जब तक मैं चाइ बना लेती हू” मैने मनीष को समझाते हुए कहा.
मनीष का दिल तो नही था मुझ से अलग होने का पर मैने जब थोड़ा सा गुस्से से उनकी तरफ देखा तो वो मान गये और अपने कपड़े ले कर फ्रेश होने चल दिए. मैं भी वहाँ से मेक्शी पहन कर किचन मे आ गयी चाइ बनाने के लिए. और अपनी लाइफ के बारे मे सोचने लगी.. कितना चाहते है मनीष मुझे कितना प्यार करते है और मैने उन्हे धोका दिया है. ये सोच कर ही मेरा मन ग्लानि से भर जाता है. मैने कितना ग़लत किया है मनीष के साथ मैने मनीष के प्यार और विश्वास दोनो का खून कर दिया. जिस दिन उन्हे पता चलेगा क्या बीतेगी उनके दिल पर. मैं अभी सोच ही रही थी कि तभी मनीष के बाथरूम से नहा कर बाहर निकलने की आवाज़ से मेरा ध्यान टूटा और मैं वापस चाइ की तरफ ध्यान देने लगी. थोड़ी देर मे चाइ ले कर मैं मनीष के पास आ गयी और उनके साथ चाइ पीने लगी. मनीष को थोड़ा काम था ऑफीस से इस लिए वो चाइ नाश्ता करके थोड़ी देर मे वापस आने की ओर जाने की तैयार करने की बोल कर चले गये.
मैं भी जल्दी जल्दी से जो सामान मनीष कल ले कर आए थे वो और अपने मतलब का सब सामान पॅक करने लगी थोड़ी ही देर मैने मैने जाने की सारी पॅकिंग कर ली और तैयार होने के लिए मैं बाथरूम मे आ गयी. नहा कर मैं बेड रूम मे आ गयी और पहने के लिए कपड़े देखने लगी कि क्या पहन कर जाया जाए. काफ़ी देर तक सोच विचार करने के बाद एक हल्के स्काइ-ब्लू कलर की साड़ी पहन ली. हल्के होने की वजह से गर्मी मे भी ठीक थी.
थोड़ी ही देर मे मनीष भी आ गये. मुझे देख कर एक पल के लिए तो उनकी आँखे मुझ पर जमी की जमी रह गयी. “तुम तो सच मे आज कयामत लग रही हो. ्े