11-01-2020, 11:20 AM
एक दूसरे का पानी सॉफ करने के बाद मनीष ने मुझे किस करते हुए ही बेड पर लेटा दिया और मेरे बगल मे ही लेट गये. थोड़ी देर यूँ ही लेटे रहने के बाद जब हम दोनो कुछ नॉर्मल हुए तो मनीष ने वापस मेरे होंठो को किस करना शुरू कर दिया और मेरे उपर चढ़ गये. मनीष का लिंग मुझे मेरे थाइस पर महसूस हो रहा था. उन्होने मेरे होंठो को छ्चोड़ कर एक हाथ से मेरे उरोज को पकड़ कर उसको दबाना शुरू कर दिया. और दूसरे उरोज को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू कर दिया.
मनीष के यूँ लगातार 15-20 मिनट तक मेरे उरोजो को चूसने से मैं एक बार फिर से उत्तेजना के असीम सागर मे गोते खाने लगी थी.
मनीष- “निशा मेरी जान तुम बोहोत खूबसूरत हो दिल ही नही भरता तुम से.. जान प्लीज़ आज मेरे इस को चूसो ना. तुम्हे भी बोहोत मज़ा आएगा” मनीष ने अपने लिंग को हाथ मे लेकर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं तो कब से मनीष के लिंग को चूसने की सोच रही थी पर पहल करने से डर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था. मुझे यूँ सोच मे खोया हुआ देख कर मनीष ने कहा “ ओके ठीक है कोई बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है” कह कर मनीष ने मुस्कुरा दिया.
मैने बिना कुछ बोले हुए ही मनीष के लिंग को अपने हाथ मे ले लिया. मनीष मेरे दूसरी तरफ लेटे हुए थे. मनीष को लिंग को जो हल्का हल्का खड़ा हुआ था मेरे हाथ लगते ही झटके लेटा हुआ खड़ा होने लगा और देखते ही देखते सख़्त हो कर एक दम किसी रोड के जैसा सख़्त हो गया. मैने मनीष के लिंग को हाथ मे पकड़ कर लिंग का सूपड़ा अपने मुँह मे ले लिया. मुँह के अंदर लिंग का सूपड़ा जाते ही मुझे बड़ा अजीब लगा एक बार तो ऐसा लगा कि मुझे उल्टी ना हो जाए. और मैने फॉरन मनीष के लिंग को अपने मुँह से निकाल दिया.
“क्या हुआ ? अच्छा नही लगा क्या ?” मनीष ने मेरे चेहरे पर आए उलझन के भाव को देखते हुए कहा.
“नही कुछ नही मैं ठीक हू. बस थोड़ा अजीब सा लग रहा था” मैने अपने मन की बात मनीष को बता दी.
“जान शुरू शुरू मे अजीब ही लगता है पर बाद मे मज़ा आने लग जाता है.” मनीष ने मेरे सर पर प्यार से हाथ फिराते हुए कहा.
मैने दोबारा से अपने उपर कंट्रोल करते हुए मनीष के लिंग को मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक तो अजीब लगा पर धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा. मैने मनीष के लिंग के आराम-आराम से चूस रही थी और एक हाथ से उसके टटटे को भी सहलाने लगी. मैं मनीष के लिंग के सूपदे को चूस्ते हुए बीच बीच मे काट लेती थी जिस कारण मनीष के मुँह से मस्ती भरी “आआअहह” की आवाज़ निकल जाती. अब मुझे लिंग चूसने मे बड़ा मज़ा आने लग गया था. और मैं तेज़ी के साथ मनीष के लिंग को चूसे जा रही थी. मनीष ने भी अपने हाथो को मेरे उरोज पर रख दिया और एक उरोज को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. मनीष का लिंग मेरे मूह मे अंदर बाहर हो रहा था और यहाँ तक कि मैं बीच बीच मे उसके टॅटू को भी चूस जया करती मज़े मज़े मे. बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है"आर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही आएग
थोड़ी देर तक मैं यूँ ही मनीष के लिंग और उसके टॅटू को चुस्ती रही चाट’ती रही फिर मनीष ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी दोनो टाँगो को फैला कर मेरी योनि को देखने लगे और फिर मेरी योनि को फैला कर अपनी जीभ को उसमे डाल कर घुमाने लगा..
सस्स्सीईई….. आहहााअ सस्स्सीईई….
मनीष के जीभ को योनि पर घूमाते ही मेरे मुँह से ज़ोर-ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी और मैने मनीष के सर को अपनी योनि पर दबाने लगी. मनीष भी योनि को सक करते हुए मेरे नितंब को मज़े से दबाए जा रहे थे. पता नही मनीष को क्या सूझा और वो 69 पोज़िशन मे हो गये अब मनीष का लिंग मेरे चेहरे के ठीक सामने था और मनीष मेरी योनि पर अपना मुँह लगा कर उसको बराबर सक किए जा रहे थे. मैने भी मनीष का इशारा समझते हुए उनके लिंग को हाथ मे पकड़ कर अपने मुँह मे लेकर उसको सक करने लगी.
मनीष के यूँ लगातार 15-20 मिनट तक मेरे उरोजो को चूसने से मैं एक बार फिर से उत्तेजना के असीम सागर मे गोते खाने लगी थी.
मनीष- “निशा मेरी जान तुम बोहोत खूबसूरत हो दिल ही नही भरता तुम से.. जान प्लीज़ आज मेरे इस को चूसो ना. तुम्हे भी बोहोत मज़ा आएगा” मनीष ने अपने लिंग को हाथ मे लेकर उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं तो कब से मनीष के लिंग को चूसने की सोच रही थी पर पहल करने से डर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही सब मेरे दिमाग़ मे चल रहा था. मुझे यूँ सोच मे खोया हुआ देख कर मनीष ने कहा “ ओके ठीक है कोई बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है” कह कर मनीष ने मुस्कुरा दिया.
मैने बिना कुछ बोले हुए ही मनीष के लिंग को अपने हाथ मे ले लिया. मनीष मेरे दूसरी तरफ लेटे हुए थे. मनीष को लिंग को जो हल्का हल्का खड़ा हुआ था मेरे हाथ लगते ही झटके लेटा हुआ खड़ा होने लगा और देखते ही देखते सख़्त हो कर एक दम किसी रोड के जैसा सख़्त हो गया. मैने मनीष के लिंग को हाथ मे पकड़ कर लिंग का सूपड़ा अपने मुँह मे ले लिया. मुँह के अंदर लिंग का सूपड़ा जाते ही मुझे बड़ा अजीब लगा एक बार तो ऐसा लगा कि मुझे उल्टी ना हो जाए. और मैने फॉरन मनीष के लिंग को अपने मुँह से निकाल दिया.
“क्या हुआ ? अच्छा नही लगा क्या ?” मनीष ने मेरे चेहरे पर आए उलझन के भाव को देखते हुए कहा.
“नही कुछ नही मैं ठीक हू. बस थोड़ा अजीब सा लग रहा था” मैने अपने मन की बात मनीष को बता दी.
“जान शुरू शुरू मे अजीब ही लगता है पर बाद मे मज़ा आने लग जाता है.” मनीष ने मेरे सर पर प्यार से हाथ फिराते हुए कहा.
मैने दोबारा से अपने उपर कंट्रोल करते हुए मनीष के लिंग को मुँह मे ले कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक तो अजीब लगा पर धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा. मैने मनीष के लिंग के आराम-आराम से चूस रही थी और एक हाथ से उसके टटटे को भी सहलाने लगी. मैं मनीष के लिंग के सूपदे को चूस्ते हुए बीच बीच मे काट लेती थी जिस कारण मनीष के मुँह से मस्ती भरी “आआअहह” की आवाज़ निकल जाती. अब मुझे लिंग चूसने मे बड़ा मज़ा आने लग गया था. और मैं तेज़ी के साथ मनीष के लिंग को चूसे जा रही थी. मनीष ने भी अपने हाथो को मेरे उरोज पर रख दिया और एक उरोज को हल्के हल्के दबाना शुरू कर दिया. मनीष का लिंग मेरे मूह मे अंदर बाहर हो रहा था और यहाँ तक कि मैं बीच बीच मे उसके टॅटू को भी चूस जया करती मज़े मज़े मे. बात नही तुम्हे नही पसंद तो कोई ज़बरदस्ती नही है"आर रही थी कि पता नही मनीष क्या सोचेगे. यही आएग
थोड़ी देर तक मैं यूँ ही मनीष के लिंग और उसके टॅटू को चुस्ती रही चाट’ती रही फिर मनीष ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरी दोनो टाँगो को फैला कर मेरी योनि को देखने लगे और फिर मेरी योनि को फैला कर अपनी जीभ को उसमे डाल कर घुमाने लगा..
सस्स्सीईई….. आहहााअ सस्स्सीईई….
मनीष के जीभ को योनि पर घूमाते ही मेरे मुँह से ज़ोर-ज़ोर से सिसकारिया निकालने लग गयी और मैने मनीष के सर को अपनी योनि पर दबाने लगी. मनीष भी योनि को सक करते हुए मेरे नितंब को मज़े से दबाए जा रहे थे. पता नही मनीष को क्या सूझा और वो 69 पोज़िशन मे हो गये अब मनीष का लिंग मेरे चेहरे के ठीक सामने था और मनीष मेरी योनि पर अपना मुँह लगा कर उसको बराबर सक किए जा रहे थे. मैने भी मनीष का इशारा समझते हुए उनके लिंग को हाथ मे पकड़ कर अपने मुँह मे लेकर उसको सक करने लगी.