02-02-2019, 10:27 PM
(This post was last modified: 16-12-2023, 02:46 PM by badmaster122. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैन पिछले कई हफ्तो से बहु के नाम की मुट्ठ मार और उसे चोद के थक गया था, मैं उस रात बहु के मुह पे अपने पापा का मुठ निकालते देख अपना पानी निकाल कर इतना थक गया की सुबह १० बजे तक सोता रहा। सुबह बहु कमरे में झाड़ू लगाने आयी और मुझे उठाने लगी।। मुझे हलकी हलकी आवाज़ सुनाइ दे रही थी।।लकिन थकान थी की मेरी नींद नहीं खुली।
कुछ देर बाद बहु और समधी की आवाज़ सुन कर मेरी नींद खुली, मैंने जब कमरे में अपनी नज़रें घुमाई तो हैरान रह गया। कमरा बिलकुल साफ़ था, टेबल पे न्यूज़पेपर रखा हुआ था तब मुझे याद आया की सुबह शायद बहु मुझे उठाने आयी थी।
मैने हैरान था, मेरा अंडरवियर घुटने तक था और मैं पूरा नंगा था। मैंने जब लेटे लेटे बेड पे हाथ लगाया तो बिस्तर की चादर पे एक बड़ा सा धब्बा था और उस जगह पे बेडशीट कड़ा हो का पापड़ की तरह सख्त हो गया था। मैंने अपने लंड को पकड़ कर अंडरवियर में डालना चाहा तो देखा की मेरा लंड एकदम गिला है जैसे की अभी-अभी मुट्ठ निकला हो।
लेकिन ये कैसे हो सकता है? मुट्ठ तो मैं रात में मारा था और वो बेडशीट पे गिर के सख्त भी हो गया फिर लंड गिला कैसे? मुझे कुछ समझ में नहीं आया मैं बाथरूम गया और फ्रेश हो कर बाहर हॉल में चला गया।
बहु सामने आयी और वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।। उसने चाय का प्याला मेरी ओर बढाया।।
सरोज - ये लिजीये बाबूजी।। चाय पीजिये।। आप रात में बहुत थक गए होंगे ( बहु ने आँख मारते हुए कहा।। )
मैने ने चाय का प्याला ले लिया और सोचने लगा की शायद बहु सुबह मेरे कमरे में आयी थे और उसने मेरा खुला लंड देख कर ये समझ गई होगी की मैंने रात में मुट्ठ मारा है।
सरोज - क्या बाबूजी मैं आपको सुबह उठाते उठाते थक गई। लेकिन आप हैं की उठते ही नही।। क्या - क्या नहीं किया मैंने आपको उठाने के लिए ( बहु ने फिर से मेरी ओर देख आँख मारी)
मेरे दिमाग में अचानक से बात आयी।। कहीं बहु सुबह मेरा लंड तो नहीं चूस रही थे और वो गीलापन उसके होठों का था?
मै - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी
प्यारेलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।
मै अपने मन में सोचा। समधी जी रिलैक्स तो जरूर हुये होंगे आखिर अपनी बेटी के मुह पे अपना माल गिराया है। बहुत कम ऐसे बाप होते होंगे जो अपनी जवान बेटी के सामने मुट्ठ मार कर सटिसफाई होते होंगे।
सरोज - बाबूजी, आज आप इतनी देर तक क्यों सोते रहे? ऐसा क्या कर रहे थे आप कल रात जो इतना थक गए?
कुछ देर बाद बहु और समधी की आवाज़ सुन कर मेरी नींद खुली, मैंने जब कमरे में अपनी नज़रें घुमाई तो हैरान रह गया। कमरा बिलकुल साफ़ था, टेबल पे न्यूज़पेपर रखा हुआ था तब मुझे याद आया की सुबह शायद बहु मुझे उठाने आयी थी।
मैने हैरान था, मेरा अंडरवियर घुटने तक था और मैं पूरा नंगा था। मैंने जब लेटे लेटे बेड पे हाथ लगाया तो बिस्तर की चादर पे एक बड़ा सा धब्बा था और उस जगह पे बेडशीट कड़ा हो का पापड़ की तरह सख्त हो गया था। मैंने अपने लंड को पकड़ कर अंडरवियर में डालना चाहा तो देखा की मेरा लंड एकदम गिला है जैसे की अभी-अभी मुट्ठ निकला हो।
लेकिन ये कैसे हो सकता है? मुट्ठ तो मैं रात में मारा था और वो बेडशीट पे गिर के सख्त भी हो गया फिर लंड गिला कैसे? मुझे कुछ समझ में नहीं आया मैं बाथरूम गया और फ्रेश हो कर बाहर हॉल में चला गया।
बहु सामने आयी और वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी।। उसने चाय का प्याला मेरी ओर बढाया।।
सरोज - ये लिजीये बाबूजी।। चाय पीजिये।। आप रात में बहुत थक गए होंगे ( बहु ने आँख मारते हुए कहा।। )
मैने ने चाय का प्याला ले लिया और सोचने लगा की शायद बहु सुबह मेरे कमरे में आयी थे और उसने मेरा खुला लंड देख कर ये समझ गई होगी की मैंने रात में मुट्ठ मारा है।
सरोज - क्या बाबूजी मैं आपको सुबह उठाते उठाते थक गई। लेकिन आप हैं की उठते ही नही।। क्या - क्या नहीं किया मैंने आपको उठाने के लिए ( बहु ने फिर से मेरी ओर देख आँख मारी)
मेरे दिमाग में अचानक से बात आयी।। कहीं बहु सुबह मेरा लंड तो नहीं चूस रही थे और वो गीलापन उसके होठों का था?
मै - गुड मॉर्निंग समधी जी।। कैसी रही रात आपकी
प्यारेलाल - बहुत अच्छी। काफी रिलैक्स हो के सोया।
मै अपने मन में सोचा। समधी जी रिलैक्स तो जरूर हुये होंगे आखिर अपनी बेटी के मुह पे अपना माल गिराया है। बहुत कम ऐसे बाप होते होंगे जो अपनी जवान बेटी के सामने मुट्ठ मार कर सटिसफाई होते होंगे।
सरोज - बाबूजी, आज आप इतनी देर तक क्यों सोते रहे? ऐसा क्या कर रहे थे आप कल रात जो इतना थक गए?