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Adultery मेहमान बेईमान
#67
लिंग को झटका ख़ाता हुआ देख कर शर्म के कारण मेरे चेहरे पर एक मुस्कान सी फैल गयी. पूरे शरीर पर साबुन लगाने के बाद मैने मनीष को शवर के नीचे खड़ा कर दिया जिस से उनके शरीर पर लगा साबुन धुल कर सॉफ हो गया. साबुन के सॉफ होते ही मनीष ने मुस्कुराते हुए अपनी आँख खोली और मुझे भी अपने सीने से चिपका लिया. और मेरे लबो पर अपने लब रख दिए. थोड़ी देर किस करने के बाद मनीष ने मुझे शवर के नीचे खड़ा कर दिया और मेरे हाथ से साबुन ले लिया.

साबुन को अपने हाथ मे लेकर मनीष ने साबुन को सबसे पहले मेरे मोटे-मोटे बड़े-बड़े उरोजो पर हल्के हाथ से लगाने लग गये जिस कारण मुझे मेरे शरीर मे गुदगुदी का एहसास होने लग गया मेरी हालत एक दम खराब से भी ज़्यादा खराब रही थी. जैसे जैसे मनीष के हाथ मेरे स्तनो पर चल रहे थे मैं मज़े की एक अलग दुनिया मे पहुँचती जा रही थी. ऊरोजो पर साबुन लगाने के बाद मनीष ने मेरे पूरे पेट पर गोल-गोल हाथ घुमा कर पूरे पेट पर साबुन लगा दिया मैने मज़े के कारण अपनी दोनो आँखे बंद कर ली. फिर मनीष ने मेरे बालो मे शॅमपू लगाया और मेरे चेहरे पर साबुन लगा दिया जिस कारण मेरी आँखे पूरी तरह बंद हो गयी थी. मनीष ने अब मुझे घुमा दिया और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगे. पीठ पर साबुन लगाने के बाद उन्होने अपने दोनो हाथ से मेरे नितंब को कस कर दबाया और मुझे थोड़ा सा आगे की तरफ बढ़ा कर मेरे दोनो हाथ को पकड़ कर मुझको दीवार से लगा दिया जिस कारण मनीष का लिंग मेरे नितंबो के बीच मे रगड़ खा रहा था.

थोड़ी देर यूँ ही अपना लिंग नितंबो के बीच रगड़ने के बाद मनीष वहाँ से हट गये और साबुन को मेरे नितंब पर उन्हे दबाते हुए लगाने लग गये.

“निशा कसम से तुम्हारे चूतर एक दम मस्त है मन कर रहा है कि अभी के अभी अपना लंड इन चूतर मे अंदर डाल दू.” मनीष ने अपने दोनो हाथो से मेरे नितंब को कस कर दबाते हुए कहा. जिस कारण मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गयी. मेरे नितंब को दबाने के बाद उन्होने अपने एक हाथ को मेरे नितंब के बीच मे घुसा दिया और उपर नीचे रगड़ते रहे. यूँ ही रगड़ते रगड़ते कब उन्होने अपनी एक उंगली अंदर घुसा दी पता ही नही चली साबुन लगा होने की वजह से पूरी उंगली एक ही बार मे अंदर तक घुसती चली गयी.

मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भारी एक चीख निकल गयी……. आआआहह मनीष…… कहते हुए मैं तोड़ा और आयेज दीवार से एक दम सात कर खड़ी हो गयी.

मेरे मुँह से हल्की सी दर्द भारी एक चीख निकल गयी……. आआआहह मनीष…… कहते हुए मैं थोड़ा और आगे दीवार से एक दम सॅट कर खड़ी हो गयी. मनीष की उंगली बराबर मेरे नितंबो मे अंदर बाहर चल रही थी. मनीष की उंगली मोटी होने के कारण मुझे दर्द हो रहा था पर इस दर्द मे भी मुझे मज़ा आ रहा था. आज पहली बार मनीष ने मेरे नितंब के अंदर उंगली करी हो. कहते तो हमेशा थे पर कभी मैने करने नही दिया पर वान्या के सीन को याद करके मैने भी मनीष को नही टोका क्यूकी मैं भी वो एहसास को महसूस करना चाहती थी कि मनीष मुझे वो मज़ा दे सकते हैं या नही. अमित ने तो डाइरेक्ट ही अपना लिंग मेरे अंदर डाल दिया था जिस कारण मुझे इतना दर्द हुआ था कि एक पल के लिए तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल गयी मैं मर जाउन्गि. पर उसके बाद जो मज़ा आया था वो तो बस उसे को याद करते ही मेरा पूरा शरीर अकड़ने लग गया और मैने अपने नितंब को मनीष के हाथ पर दबाते हुए अपनी योनि से पानी बहा दिया. कुछ देर झटके खाते हुए मेरी योनि पानी गिराती रही फिर मेरा शरीर ढीला पड़ गया. और मैं वापस वैसे ही खड़ी हो गयी. मनीष की उंगली अब भी बराबर मेरे नितंब मे चल रही थी.

“क्या कर रहे हो मनीष अब बस भी करो बोहोत हो गया” मैने हाँफती हुई आवाज़ मे कहा
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 10-01-2020, 08:44 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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