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Adultery मेहमान बेईमान
#65
अभी हमने चाइ पी कर ख़तम ही की थी कि वो कॉमपाउंडर फिर से आ गया. कॉमपाउंडर ने टेबल से चाइ के कप और प्लेट हटा ली. मेरे को बड़ी बैचैनि सी हो रही थी वहाँ पर इस लिए मैने वान्या से कहा “वान्या जी हमे अब चलना चाहिए यहाँ से, मनीष का भी टाइम हो गया है आने का” मैने वान्या से बोहोत धीमी आवाज़ मे कहा.

वान्या ने मेरी बात सुनी और कहा “हाँ चलो चल ही रहे है बस दवाई लिखवा लू डॉक्टर. साहब से” वान्या ने भी धीमी सी आवाज़ मे ही जवाब दिया.

मानव से दवाई लिखवाने के बाद हम दोनो वहाँ से अपनी गाड़ी मे बैठ कर अपने घर की तरफ चल दिए. वान्या का चेहरा इस समय बोहोत खिला खिला था उसके चेहरे पर मुस्कुराहट बनी हुई थी. मैं वान्या से इस सब के बारे मे पूछना चाहती थी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी कि कैसे पुच्छू ? “अगर कही उसने मुझे ग़लत समझ लिया तो..” यही सोच कर मैने उस से कुछ भी नही पूछा और चुप-चाप गाड़ी मे बैठ कर घर वापस आ गयी.

थोड़ी ही देर बाद मैं अपने घर पर आ गयी और घर पर आते ही सब से पहले मैं बाथरूम मे घुस गयी… जहाँ जा कर मैने अपने आप को शांत किया जिसे मैं कब से शांत करना चाहती थी. अपने आप को शांत करने के बाद मैने थोड़ा रिलॅक्स महसूस किया. पर वो एहसास जो एक आदमी के साथ करने से मिलता है उसकी कमी मुझे सॉफ महसूस हो रही थी.

मैं अभी अपने कमरे मे आई ही थी दरवाजे पर डोर बेल बज गयी. मैं जल्दी से वापस पलट कर दरवाजे की तरफ चल दी. दरवाजा खोल कर देखा तो मनीष खड़े हुए थे. उनके हाथ मे काफ़ी सारा सामान था. ऐसा लग रहा था कि वो खूब सारी शॉपिंग कर के आए है. उनके अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया और आधा सामान पकड़ कर अंदर आ गयी. अपने बेडरूम मे आकर मैने मनीष से पूछा कि “आज तो आप खूब सारी शॉपिंग कर लाए है… किस के लिए इतनी सारी शॉपिंग कर लाए है ?” मैने उन सारे सामान को अलमारी मे रखते हुए कहा.

अभी मैं सारे सामान को रख कर वापस बेड पर बैठी ही थी कि मनीष ने मुझे कस कर अपनी बाहो की क़ैद कर लिया. और कभी मेरे गाल तो कभी आँखे तो कभी मेरे माथे तो कभी गले और फिर लास्ट मे अपने होंठो को मेरे होंठो पर लगा कर उनको किस करने लगे

मैं जो सुबह से जिस आग मे तड़प रही थी अब वो बुझने का टाइम आ गया था. इसलिए मैने भी मनीष का साथ देते हुए उनके होंठो को किस करना शुरू कर दिया. हम दोनो के बीच करीब 15 मिनट तक इसी तरह से किस चलता रहा. हमने एक दूसरे को को जी भर कर खूब किस किया. मैं बेड पर नीचे लेटी हुई थी और मनीष मेरे उपर से मुझे किस कर रहे थे.

15 मिनट लगातार किस करने के बाद हम दोनो की ही साँसे बोहोत ज़ोर से चल रही थी. दोनो का ही साँस लेना थोड़ा मुश्किल होता जा रहा था. अभी मैं खुद की साँसे थोड़ा संभाल पाती मनीष ने मेरी साड़ी खोलना शुरू कर दिया. अपनी साड़ी खोलने मे मैने मनीष की मदद की और कुछ ही पॅलो मे मेरे सरीर से मेरी साड़ी निकल कर बेड के एक कोने मे जा गिरी.

मनीष तो आते के साथ ही शुरू हो गये थे. और मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी. पर फिर भी मैने खुद पर काबू रखते हुए मनीष से कहा कि “मनीष पहले आप फ्रेश हो कर कुछ खा पी तो लो इस के लिए तो पूरी रात पड़ी है.”
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 10-01-2020, 08:41 PM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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