10-01-2020, 11:17 AM
मैंने बच्चे को अनु को सौंपा और सबकी नजर बचा कर बाहर आ गया, बाहर एक बेंच थी जहाँ मैं सर झुका कर बैठ गया और रोने लगा| कुछ देर बाद अनु भी सब से नजर बचा कर आई और मुझे बाहर ढूँढने लगी| मैं उसे सर झुका कर रोता हुआ दिखा तो वो मेरी बगल में बैठ गई, मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोली; "प्लीज मत रोइये....मैं जानती हूँ आपकी जान नेहा में बस्ती है...पर हालत ऐसे हैं की....." अनु आगे बोलते-बोलते रुक गई|
"हालातों से तो मैं लड़ सकता हूँ पर उसकी नामुराद माँ का क्या करूँ? कमबख्त ....क्या बिगाड़ा था मैंने उसका? सब कुछ उसी ने किया ना? मैंने तो नहीं कहा था की मुझे प्यार कर! खुद मेरी जिंदगी में आई और सारी दुनिया उजाड़ दी! नहीं भूल सकता मैं नेहा को...she is my first born! कभी-कभी तो इतना दिल जलता है की मन करता है की उसे (रितिका को) बद्दुआ दे दूँ! पर फिर इस डर से रुक जाता हूँ की एक बार उसे बद्दुआ दी थी तो उसका पूरा घर उजड़ गया था, इस बार अगर उसे कुछ हो गया तो नेहा का क्या होगा?!" मैंने रोते हुए कहा| "जानती हूँ मैं कभी नेहा की कमी पूरी नहीं कर सकती पर शायद आपको अपनी औलाद दे कर उस दर्द को कुछ कम कर पाऊँ!" अनु मेरी आँखों में देखते हुए बोली और मेरे आँसूँ पोछे| "थैंक यू!" मैंने कहा और मुँह धो कर मैं अनु को अपने साथ अंदर ले आया| जब सब ने पुछा तो मैंने कह दिया की एक कॉल करना था| शाम तक भाभी को डिस्चार्ज मिल गया, बाकी घर वाले पहले ही घर आ चुके थे| मैं, चन्दर भैया, भाभी और अनु गाडी से घर पहुँचे, जहाँ पहले से ही पूजा की तैयारी हो चुकी थी| पूरे विधि-विधान से भाभी और मुन्ना ने घर में प्रवेश किया| शुरू के पंद्रह दिनों में जो रस्में निभाईं जाती हैं वो सब निभाईं गई| नामकरण हुआ तो मुन्ना का नाम किशोर रखा गया| जब वो रोता तो पूरे घर में उसे चुप कराने वाला कोई नहीं था| तब भाभी मुझे आवाज दे कर बुलाती और कहती; "लो सम्भालो अपने भतीजे को, जान खा जाता है मेरी| आखिर ऐसी कौन सा जादू है की तुम्हारी गोद में जाते ही चुप हो जाता है?" भाभी ने पुछा तो अनु पीछे से बोली; "भाभी जादू नहीं...ये तो प्यार है इनका!" ये सुनते ही भाभी ने अनु को छेड़ते हुए बोला; "कितना प्यार है वो तो दिख ही रहा है?!" अनु शर्म से लाल हो गई|
"हालातों से तो मैं लड़ सकता हूँ पर उसकी नामुराद माँ का क्या करूँ? कमबख्त ....क्या बिगाड़ा था मैंने उसका? सब कुछ उसी ने किया ना? मैंने तो नहीं कहा था की मुझे प्यार कर! खुद मेरी जिंदगी में आई और सारी दुनिया उजाड़ दी! नहीं भूल सकता मैं नेहा को...she is my first born! कभी-कभी तो इतना दिल जलता है की मन करता है की उसे (रितिका को) बद्दुआ दे दूँ! पर फिर इस डर से रुक जाता हूँ की एक बार उसे बद्दुआ दी थी तो उसका पूरा घर उजड़ गया था, इस बार अगर उसे कुछ हो गया तो नेहा का क्या होगा?!" मैंने रोते हुए कहा| "जानती हूँ मैं कभी नेहा की कमी पूरी नहीं कर सकती पर शायद आपको अपनी औलाद दे कर उस दर्द को कुछ कम कर पाऊँ!" अनु मेरी आँखों में देखते हुए बोली और मेरे आँसूँ पोछे| "थैंक यू!" मैंने कहा और मुँह धो कर मैं अनु को अपने साथ अंदर ले आया| जब सब ने पुछा तो मैंने कह दिया की एक कॉल करना था| शाम तक भाभी को डिस्चार्ज मिल गया, बाकी घर वाले पहले ही घर आ चुके थे| मैं, चन्दर भैया, भाभी और अनु गाडी से घर पहुँचे, जहाँ पहले से ही पूजा की तैयारी हो चुकी थी| पूरे विधि-विधान से भाभी और मुन्ना ने घर में प्रवेश किया| शुरू के पंद्रह दिनों में जो रस्में निभाईं जाती हैं वो सब निभाईं गई| नामकरण हुआ तो मुन्ना का नाम किशोर रखा गया| जब वो रोता तो पूरे घर में उसे चुप कराने वाला कोई नहीं था| तब भाभी मुझे आवाज दे कर बुलाती और कहती; "लो सम्भालो अपने भतीजे को, जान खा जाता है मेरी| आखिर ऐसी कौन सा जादू है की तुम्हारी गोद में जाते ही चुप हो जाता है?" भाभी ने पुछा तो अनु पीछे से बोली; "भाभी जादू नहीं...ये तो प्यार है इनका!" ये सुनते ही भाभी ने अनु को छेड़ते हुए बोला; "कितना प्यार है वो तो दिख ही रहा है?!" अनु शर्म से लाल हो गई|