10-01-2020, 11:16 AM
"बेटा काम भी जर्रूरी होता है, तुम दोनों जाओ और काम सम्भालो हम सब हैं यहाँ!" ताऊ जी बोले पर अनु ने साफ़ मना कर दिया; "ताऊ जी, भाभी की देखभाल जर्रूरी है और मेरे न होने से यहाँ घर का काम कौन देखेगा? आखिर माँ, ताई जी और भाभी को ही काम करना पड़ेगा और ये मुझे कतई गवारा नहीं|" अनु बोली|
"ताऊ जी, अनु ठीक कह रही है| मैं वैसे भी लखनऊ में घर और ऑफिस की जगह देख रहा हूँ तो हम दोनों का ही यहाँ रहना जर्रूरी है|" मैंने कहा, ताऊ जी ने मेरी पीठ थपथपाई और बोले; "मुझे मेरे बच्चों पर नाज है!"
चूँकि अनु भी प्रेग्नेंट थी और उसे ही ज्यादा काम करना पड़ता था इसलिए मैंने घर के लिए एक वाशिंग मशीन ले ली, जिससे अनु का काम काफी कम हो गया|
दिन बीतने लगे और भाभी का नौवाँ महीना शुरू हो गया और अनु ने भाभी का बहुत ख्याल रखना शुरू कर दिया| भाभी का लगाव भी अनु से बहुत ज्यादा बढ़ गया था, दोनों साथ खाते और रात में अनु भाभी के पास ही सोती| ऑफिस का सारा काम मेरे ऊपर था और मैं रात-रात भर जाग कर सारा काम करने लगा था| खेती-किसानी का काम चन्दर भय ने संभाल लिया था और अब पैसे के तौर पर हालात सुधरने लगे थे| इधर दिवाली आ गई और घर की साफ़-सफाई मैंने और चन्दर भैया ने संभाली| दिवाली से 2 दिन पहले पिताजी ने घर में हवन करवाया ताकि घर में सुख-शान्ति बनी रहे| धन तेरस पर मैं माँ और ताई जी को बजार ले कर गया और उन्होंने शॉपिंग की| दिवाली के एक दिन पहले मम्मी-डैडी जी आये और वो भी बहुत तौह्फे लाये, ख़ास कर भाभी के लिए| आखिर दिवाली वाले दिन अच्छे से पूजा हुई, चूँकि शादी के बाद अनु की ये पहली दिवाली थी तो पूजा में हमें सबसे आगे बिठाया गया| पूजा के बाद सब ने अनु को उपहार में बहुत से जेवर दिए और उसे बहुत सारा आशीर्वाद मिला| अनु की आँखें उस पल नम हो गईं थीं, माँ ने उसे अपने पास बिठा कर खूब दुलार किया| दिवाली के 5 दिन बाद सुबह भाभी को लेबर पैन शुरू हो गया, मैं और अनु उन्हें ले कर तुरंत हॉस्पिटल भागे| हम समय से पहुँच गए थे और डॉक्टर ने प्राथमिक जाँच शुरू कर दी थी| इधर सभी घरवाले पहुँच गए थे, कुछ देर बाद नर्स ने हमें खुशखबरी दी; "मुबारक हो लड़का हुआ है!" ये खुशखबरी सुनते ही सब ख़ुशी से झूम उठे| ताऊ जी ने नर्स को 2,001/- दिए और सब भाभी से मिलने आये| मैं और अनु भाभी के पास खड़े थे और उनका हाल-चाल पूछ रहे थे| भाभी का दमकता हुआ चेहरा देख सब को ख़ुशी हो रही थी| सब ने बारी-बारी बच्चे को चूमा और आशीर्वाद दिया, बस हम दोनों ही बचे थे| पहले मैंने अनु को मौका दिया तो अनु ने जैसे ही बच्चे को गोद में उठाया वो रोने लगा| ये देख वो घबरा गई और तुरंत बच्चे को मेरी गोद में दे दिया| मैंने जैसे ही उसके मस्तक को चूमा वो चुप हो गया और उसके चेहरे पर मुस्कराहट की एक किरण झलकने लगी| "लो भाई, अब जब कभी मुन्ना रोयेगा तो उसे मानु को दे देना| उसकी गोद में जाते ही बच्चे चुप जाते हैं!" भाभी बोलीं| पता नहीं क्यों पर उस बच्चे को देख मुझे नेहा की याद आ गई और मेरी आंखें छल-छला गईं| जिस प्यार को मैं अंदर दबाये हुआ था वो बाहर आ ही गया, अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे रोने से रोकना चाहा पर अब ये आँसूँ नहीं रुकने वाले थे|
"ताऊ जी, अनु ठीक कह रही है| मैं वैसे भी लखनऊ में घर और ऑफिस की जगह देख रहा हूँ तो हम दोनों का ही यहाँ रहना जर्रूरी है|" मैंने कहा, ताऊ जी ने मेरी पीठ थपथपाई और बोले; "मुझे मेरे बच्चों पर नाज है!"
चूँकि अनु भी प्रेग्नेंट थी और उसे ही ज्यादा काम करना पड़ता था इसलिए मैंने घर के लिए एक वाशिंग मशीन ले ली, जिससे अनु का काम काफी कम हो गया|
दिन बीतने लगे और भाभी का नौवाँ महीना शुरू हो गया और अनु ने भाभी का बहुत ख्याल रखना शुरू कर दिया| भाभी का लगाव भी अनु से बहुत ज्यादा बढ़ गया था, दोनों साथ खाते और रात में अनु भाभी के पास ही सोती| ऑफिस का सारा काम मेरे ऊपर था और मैं रात-रात भर जाग कर सारा काम करने लगा था| खेती-किसानी का काम चन्दर भय ने संभाल लिया था और अब पैसे के तौर पर हालात सुधरने लगे थे| इधर दिवाली आ गई और घर की साफ़-सफाई मैंने और चन्दर भैया ने संभाली| दिवाली से 2 दिन पहले पिताजी ने घर में हवन करवाया ताकि घर में सुख-शान्ति बनी रहे| धन तेरस पर मैं माँ और ताई जी को बजार ले कर गया और उन्होंने शॉपिंग की| दिवाली के एक दिन पहले मम्मी-डैडी जी आये और वो भी बहुत तौह्फे लाये, ख़ास कर भाभी के लिए| आखिर दिवाली वाले दिन अच्छे से पूजा हुई, चूँकि शादी के बाद अनु की ये पहली दिवाली थी तो पूजा में हमें सबसे आगे बिठाया गया| पूजा के बाद सब ने अनु को उपहार में बहुत से जेवर दिए और उसे बहुत सारा आशीर्वाद मिला| अनु की आँखें उस पल नम हो गईं थीं, माँ ने उसे अपने पास बिठा कर खूब दुलार किया| दिवाली के 5 दिन बाद सुबह भाभी को लेबर पैन शुरू हो गया, मैं और अनु उन्हें ले कर तुरंत हॉस्पिटल भागे| हम समय से पहुँच गए थे और डॉक्टर ने प्राथमिक जाँच शुरू कर दी थी| इधर सभी घरवाले पहुँच गए थे, कुछ देर बाद नर्स ने हमें खुशखबरी दी; "मुबारक हो लड़का हुआ है!" ये खुशखबरी सुनते ही सब ख़ुशी से झूम उठे| ताऊ जी ने नर्स को 2,001/- दिए और सब भाभी से मिलने आये| मैं और अनु भाभी के पास खड़े थे और उनका हाल-चाल पूछ रहे थे| भाभी का दमकता हुआ चेहरा देख सब को ख़ुशी हो रही थी| सब ने बारी-बारी बच्चे को चूमा और आशीर्वाद दिया, बस हम दोनों ही बचे थे| पहले मैंने अनु को मौका दिया तो अनु ने जैसे ही बच्चे को गोद में उठाया वो रोने लगा| ये देख वो घबरा गई और तुरंत बच्चे को मेरी गोद में दे दिया| मैंने जैसे ही उसके मस्तक को चूमा वो चुप हो गया और उसके चेहरे पर मुस्कराहट की एक किरण झलकने लगी| "लो भाई, अब जब कभी मुन्ना रोयेगा तो उसे मानु को दे देना| उसकी गोद में जाते ही बच्चे चुप जाते हैं!" भाभी बोलीं| पता नहीं क्यों पर उस बच्चे को देख मुझे नेहा की याद आ गई और मेरी आंखें छल-छला गईं| जिस प्यार को मैं अंदर दबाये हुआ था वो बाहर आ ही गया, अनु ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे रोने से रोकना चाहा पर अब ये आँसूँ नहीं रुकने वाले थे|