10-01-2020, 11:14 AM
उसकी गाडी देखते ही मैं तमतमाता हुआ नीचे आया, वो गाडी से अकेली उतरी काली रंग की शिफॉन की साडी, लो कट ब्लाउज जो देख कर ही लगा रहा था की बहुत टाइट है, स्लीवलेस और वही कमीनी हँसी! अब सारे घर वाले नीचे मेरे साथ खड़े हो गए थे| वो कुछ बोलती उसके पहले ही मैं चिल्लाते हुए बोला; "Get the fuck out of here!" मेरे गुस्से से आज भी उसे डर लगता था इसलिए वो एक पल को सहम गई, फिर हिम्मत बटोरते हुए बोली; "मैं तो तुम्हें wish करने आई थी!"
"Fuck you and fuck your wishes! Now get lost or I'll call the cops!" मैंने फिर से गरजते हुए कहा| वो अकड़ कर गाडी में बैठ गई और चली गई, सब का मूड खराब ना हो इसलिए मैंने संकेत को इशारा कर के म्यूजिक चालू करने को कहा और फिर सब को ले कर अंदर आ गया|
"सब चलिए ऊपर...अभी तो पार्टी शुरू हुई है!" मैंने बात पलटते हुए कहा और सब ऊपर आ गए पर सब का मूड ऑफ था!
ये मायूसी देख मेरे मुँह से ये शब्द निकले;
"ना जाने वक्त खफा है या खुदा नाराज है हमसे,
दम तोड़ देती है हर खुशी मेरे घर तक आते-आते।"
ये सुनते ही ताऊ जी उठे और संकेत से बोले; "अरे बेटा जरा मेरा वाला गाना तो लगा..." मैं हैरानी से ताऊ जी को देखने लगा और तभी गाना बजा; "दर्द-ऐ-दिल ....दर्द-ऐ-जिगर दिल में जगाया आपने|" ताऊ जी ने ताई जी की तरफ इशारा करते हुए गाना शुरू किया| उनका गाना सुन पार्टी में जान आ गई और सब खुश हो गए| इधर ताई जी शर्म के मारे लाल हो गईं अब तो पिताजी भी जोश में आ गए और उन्होंने गाने का अगला आन्तरा संभाला;
"कब कहाँ सब खो गयी
जितनी भी थी परछाईयाँ
उठ गयी यारों की महफ़िल
हो गयी तन्हाईयाँ"
अब शर्म से लाल होने की बारी माँ की थी, माँ तो ताई जी के पीछे छुप गईं| इधर डैडी जी ने संकेत से गाना बदलवाया जिसे सुन सारे जोश में आ गए, आदमियों की एक टीम बन गई और औरतों की एक टीम|
'ऐ मेरी जोहराजबीं' ओये होये होये !!! क्या महफ़िल जमी छत पर की अंताक्षरी शुरू हो गई| मर्द गा रहे थे और औरतें शर्मा रहीं थी, सब को उनकी जवानी के दिन याद आ गए| इस सब का थोड़ा बहुत श्रेय शराब को भी जाता है जिस ने समां बाँधा था और सब मर्द थोड़ा झूम उठे थे| तभी अनु उठ के जाने लगी तो मैंने गाना शुरू किया; "आज जाने की जिद्द न करो!" मेरा गाना सुन वो वहीं ठहर गई, घूंघट के नीचे उसके गाल लाल हो गए थे और भाभी उसका हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा लिया| रात दस बजे तक महफ़िल चली और फिर सब धीरे-धीरे जाने लगे| आखिर बस परिवार के लोग रह गए, ताऊ जी ने मुझे अपने पास बुलाया और बोले; "बेटा दुबारा उदास मत होना!" मैंने सर हाँ में हिला कर उनकी बात मानी| आज एक बार रितिका को हार मिली थी....वो आई तो थी यहाँ मेरा बर्थडे और अनु के माँ बनने की ख़ुशी को नजर लगाने पर आज उसे एक बार मुँह की खानी पड़ी थी| उसकी लाख कोशिशों के बाद भी मेरा परिवार नहीं टूटा बल्कि ताऊ जी की वजह से वो एक साथ खड़ा रहा| रात को सारे मर्द छत पर सोये थे और तब ताऊ जी ने डैडी जी से साड़ी बात कही जिसे सुन वो बहुत हैरान हुए और मुझे डाँटा भी की मैंने उन्हें क्यों कुछ नहीं बताया, पर काम के चलते मुझे होश ही नहीं रहा था| अगली सुबह को मम्मी-डैडी अयोध्या चले गए, उन्हें वहाँ मंदिर में माथा टेकना था|
डैडी जी के जाने के बाद अनु मेरे पास आई और मुझसे बोली; "आपको लगता है की वो वाक़ई में wish करने आई थी?"
"वो यहाँ सिर्फ हमारी खुशियों को नजर लगाने आई थी! अपना रुपया-पैसा और ऐशों-आराम की झलक दिखाने आई थी! इतनी मुश्किल से ये परिवार सम्भल रहा था और वो ...." मेरे मुँह से गाली निकलने वाली थी सो मैंने खुद को रोक लिया और आगे बात पूरी नहीं की| खेर दिन बीतने लगे और हमदोनों बैंगलोर वापस नहीं गए| जाते भी कैसे? यहाँ कोई नहीं था जो घर संभाल सके और भाभी का ख्याल रख सके|
"Fuck you and fuck your wishes! Now get lost or I'll call the cops!" मैंने फिर से गरजते हुए कहा| वो अकड़ कर गाडी में बैठ गई और चली गई, सब का मूड खराब ना हो इसलिए मैंने संकेत को इशारा कर के म्यूजिक चालू करने को कहा और फिर सब को ले कर अंदर आ गया|
"सब चलिए ऊपर...अभी तो पार्टी शुरू हुई है!" मैंने बात पलटते हुए कहा और सब ऊपर आ गए पर सब का मूड ऑफ था!
ये मायूसी देख मेरे मुँह से ये शब्द निकले;
"ना जाने वक्त खफा है या खुदा नाराज है हमसे,
दम तोड़ देती है हर खुशी मेरे घर तक आते-आते।"
ये सुनते ही ताऊ जी उठे और संकेत से बोले; "अरे बेटा जरा मेरा वाला गाना तो लगा..." मैं हैरानी से ताऊ जी को देखने लगा और तभी गाना बजा; "दर्द-ऐ-दिल ....दर्द-ऐ-जिगर दिल में जगाया आपने|" ताऊ जी ने ताई जी की तरफ इशारा करते हुए गाना शुरू किया| उनका गाना सुन पार्टी में जान आ गई और सब खुश हो गए| इधर ताई जी शर्म के मारे लाल हो गईं अब तो पिताजी भी जोश में आ गए और उन्होंने गाने का अगला आन्तरा संभाला;
"कब कहाँ सब खो गयी
जितनी भी थी परछाईयाँ
उठ गयी यारों की महफ़िल
हो गयी तन्हाईयाँ"
अब शर्म से लाल होने की बारी माँ की थी, माँ तो ताई जी के पीछे छुप गईं| इधर डैडी जी ने संकेत से गाना बदलवाया जिसे सुन सारे जोश में आ गए, आदमियों की एक टीम बन गई और औरतों की एक टीम|
'ऐ मेरी जोहराजबीं' ओये होये होये !!! क्या महफ़िल जमी छत पर की अंताक्षरी शुरू हो गई| मर्द गा रहे थे और औरतें शर्मा रहीं थी, सब को उनकी जवानी के दिन याद आ गए| इस सब का थोड़ा बहुत श्रेय शराब को भी जाता है जिस ने समां बाँधा था और सब मर्द थोड़ा झूम उठे थे| तभी अनु उठ के जाने लगी तो मैंने गाना शुरू किया; "आज जाने की जिद्द न करो!" मेरा गाना सुन वो वहीं ठहर गई, घूंघट के नीचे उसके गाल लाल हो गए थे और भाभी उसका हाथ पकड़ उसे अपने पास बिठा लिया| रात दस बजे तक महफ़िल चली और फिर सब धीरे-धीरे जाने लगे| आखिर बस परिवार के लोग रह गए, ताऊ जी ने मुझे अपने पास बुलाया और बोले; "बेटा दुबारा उदास मत होना!" मैंने सर हाँ में हिला कर उनकी बात मानी| आज एक बार रितिका को हार मिली थी....वो आई तो थी यहाँ मेरा बर्थडे और अनु के माँ बनने की ख़ुशी को नजर लगाने पर आज उसे एक बार मुँह की खानी पड़ी थी| उसकी लाख कोशिशों के बाद भी मेरा परिवार नहीं टूटा बल्कि ताऊ जी की वजह से वो एक साथ खड़ा रहा| रात को सारे मर्द छत पर सोये थे और तब ताऊ जी ने डैडी जी से साड़ी बात कही जिसे सुन वो बहुत हैरान हुए और मुझे डाँटा भी की मैंने उन्हें क्यों कुछ नहीं बताया, पर काम के चलते मुझे होश ही नहीं रहा था| अगली सुबह को मम्मी-डैडी अयोध्या चले गए, उन्हें वहाँ मंदिर में माथा टेकना था|
डैडी जी के जाने के बाद अनु मेरे पास आई और मुझसे बोली; "आपको लगता है की वो वाक़ई में wish करने आई थी?"
"वो यहाँ सिर्फ हमारी खुशियों को नजर लगाने आई थी! अपना रुपया-पैसा और ऐशों-आराम की झलक दिखाने आई थी! इतनी मुश्किल से ये परिवार सम्भल रहा था और वो ...." मेरे मुँह से गाली निकलने वाली थी सो मैंने खुद को रोक लिया और आगे बात पूरी नहीं की| खेर दिन बीतने लगे और हमदोनों बैंगलोर वापस नहीं गए| जाते भी कैसे? यहाँ कोई नहीं था जो घर संभाल सके और भाभी का ख्याल रख सके|