10-01-2020, 11:13 AM
भैया को उस समय कहीं जाना था सो मैं दोनों को ले कर डॉक्टर के पास आ गया| डॉक्टर ने पहले अनु का चेक-अप किया और उसके प्रेग्नेंट होने की बात कन्फर्म की| ये सुनते ही हम तीनों के चेहरे खिल उठे, फिर डॉक्टर ने भाभी का भी चेक-अप किया और उन्हें भी सब कुछ नार्मल ही लगा| मैंने अनु के घर फ़ोन लगाया और अनु ने मेरे घर फ़ोन लगा दिया| डैडी जी को जब ये बात पता चली तो वो बहुत खुश हुए और कल आने की बात कही" इधर अनु ने माँ से बात कर के बताया की सभी लोग मंदिर में हैं| हम तीनों मिठाई ले कर सीधा मंदिर गए जहाँ पुजारी जी ने अनु और मुझे ख़ास भगवान् का आशीर्वाद दिया| फिर हम सब घर लौट आये, हमारा घर खुशियों से भर गया था और चूँकि कल मेरा जन्मदिन था तो पूरा परिवार डबल ख़ुशी मना रहा था| ताऊ जी ने ये डबल खुशखबरी मनाने के लिए तुरंत अपने समधी जी (अनु के डैडी) को कॉल किया और कल की दावत के बारे में बता दिया| पूरे गाँव भर में ढिंढोरा पीटा जा चूका था, ये खबर उड़ती-उड़ती रितिका तक भी जा पहुँची थी| उसे अनु की प्रेगनेंसी के बारे में जान कर बहुत कोफ़्त हुई क्योंकि अब उसका तुरुख का पत्ता पिट चूका था| उसने अपनी अगली चाल की प्लानिंग शुरू कर दी थी! रितिका ने अपने पाँव राजनीति की तरफ बढ़ा दिए थे और उसने अब वहाँ कनेक्शन बनाने शुरू कर दिए थे......
रात को खाने के बाद मैं लैपटॉप पर काम कर रहा था की अनु बिस्तर से उठ कर मेरे पास आई| उसने पीछे से अपनी बाहों को मेरी गर्दन पर सामने की तरफ लॉक किया और मेरे कान में फुसफुसाई; "Happy Birthday my शोना!" मैं उठा और अनु को गोद में उठा लिया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया, झुक कर उसके होठों को मुँह में भर चूसने लगा| अनु कसमसा रही थी, मैं रुका और उसकी आँखों में देखते हुए मुस्कुराया और बोला; "ऐसे सूखे-सूखे कौन बर्थडे wish करता है!" मैंने कहा तो अनु मुस्कुराई और बोली; "तो मेरे शोना, बोलो क्या चाहिए आपको?"
"आपने मुझे दुनिया का सबसे बेस्ट गिफ्ट दिया है!" मैंने कहा और अनु की बगल में लेट गया| अनु कसमसाती हुई मेरे से चिपक गई और सोने लगी| मैं उसके बालों में हाथ फेरता रहा और नेहा को याद करता रहा| महीना होने वाला था मुझे नेहा से दूर, आज बाप बनने की इस ख़ुशी ने मुझे जिंझोड़ कर रख दिया था| नेहा के लिए प्यार आज फिर उमड़ आया था और आँखों से एक क़तरा निकल कर तकिये पर जा गिरा| अगली सुबह मैं जल्दी उठा और सब ने बारी-बारी मुझे जन्मदिन की बधाइयाँ दी और मैंने सब का आशीर्वाद लिया| इतने में मम्मी-डैडी जी भी आ गये और मेरे हाथ में चाय की ट्रे देख हैरान हुए, दोनों ने मुझे खूब प्यार दिया और आशीर्वाद दिया! इतने में अनु ऊपर से उत्तरी और अपने मम्मी-डैडी को देख कर उसने उनका आशीर्वाद लिया| फिर उन्होंने सवाल अनु से सवाल पुछा; "तू पहले ये बता की मानु चाय की ट्रे ले कर क्यों खड़ा है?" अनु कुछ बोल पाती उससे पहले मैं ही उसके बचाव में कूद पड़ा; "डैडी जी ये तो रोज का है, मैं जल्दी उठ जाता हूँ तो सब के लिए चाय बना लेता हूँ|" मेरा जवाब सुन ताऊ जी बोले; "समधी जी, ये छोटे-मोटे काम करने के लिए हमने इसे (यानी मुझे) रखा हुआ है|" ताऊ जी की बात सुन सारे हँस पड़े! मम्मी-डैडी जी को दरअसल शाम को वापस जान था इसलिए वो जल्दी आये थे, पर ताऊ जी कहाँ मानने वाले थे उन्होंने जबरदस्ती उन्हें भी शाम के जश्न में शरीक होने के लिए रोक लिया| शाम को बड़ी जोरदार पार्टी हुई और पूरा गाँव पार्टी में हिस्सा लेने आया| रात के 8 बजे थे और अँधेरा हो गया था, सारे आदमी लोग ऊपर छत पर थे और सभी औरतें नीचे आंगन में, खाना-पीना जारी था की तभी घर के सामने रितिका की काली Mercedes आ कर रुकी|
रात को खाने के बाद मैं लैपटॉप पर काम कर रहा था की अनु बिस्तर से उठ कर मेरे पास आई| उसने पीछे से अपनी बाहों को मेरी गर्दन पर सामने की तरफ लॉक किया और मेरे कान में फुसफुसाई; "Happy Birthday my शोना!" मैं उठा और अनु को गोद में उठा लिया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया, झुक कर उसके होठों को मुँह में भर चूसने लगा| अनु कसमसा रही थी, मैं रुका और उसकी आँखों में देखते हुए मुस्कुराया और बोला; "ऐसे सूखे-सूखे कौन बर्थडे wish करता है!" मैंने कहा तो अनु मुस्कुराई और बोली; "तो मेरे शोना, बोलो क्या चाहिए आपको?"
"आपने मुझे दुनिया का सबसे बेस्ट गिफ्ट दिया है!" मैंने कहा और अनु की बगल में लेट गया| अनु कसमसाती हुई मेरे से चिपक गई और सोने लगी| मैं उसके बालों में हाथ फेरता रहा और नेहा को याद करता रहा| महीना होने वाला था मुझे नेहा से दूर, आज बाप बनने की इस ख़ुशी ने मुझे जिंझोड़ कर रख दिया था| नेहा के लिए प्यार आज फिर उमड़ आया था और आँखों से एक क़तरा निकल कर तकिये पर जा गिरा| अगली सुबह मैं जल्दी उठा और सब ने बारी-बारी मुझे जन्मदिन की बधाइयाँ दी और मैंने सब का आशीर्वाद लिया| इतने में मम्मी-डैडी जी भी आ गये और मेरे हाथ में चाय की ट्रे देख हैरान हुए, दोनों ने मुझे खूब प्यार दिया और आशीर्वाद दिया! इतने में अनु ऊपर से उत्तरी और अपने मम्मी-डैडी को देख कर उसने उनका आशीर्वाद लिया| फिर उन्होंने सवाल अनु से सवाल पुछा; "तू पहले ये बता की मानु चाय की ट्रे ले कर क्यों खड़ा है?" अनु कुछ बोल पाती उससे पहले मैं ही उसके बचाव में कूद पड़ा; "डैडी जी ये तो रोज का है, मैं जल्दी उठ जाता हूँ तो सब के लिए चाय बना लेता हूँ|" मेरा जवाब सुन ताऊ जी बोले; "समधी जी, ये छोटे-मोटे काम करने के लिए हमने इसे (यानी मुझे) रखा हुआ है|" ताऊ जी की बात सुन सारे हँस पड़े! मम्मी-डैडी जी को दरअसल शाम को वापस जान था इसलिए वो जल्दी आये थे, पर ताऊ जी कहाँ मानने वाले थे उन्होंने जबरदस्ती उन्हें भी शाम के जश्न में शरीक होने के लिए रोक लिया| शाम को बड़ी जोरदार पार्टी हुई और पूरा गाँव पार्टी में हिस्सा लेने आया| रात के 8 बजे थे और अँधेरा हो गया था, सारे आदमी लोग ऊपर छत पर थे और सभी औरतें नीचे आंगन में, खाना-पीना जारी था की तभी घर के सामने रितिका की काली Mercedes आ कर रुकी|