10-01-2020, 11:11 AM
ताऊ जी से मिल कर मैं और भैया वापस आये तो मैंने उन्हें भाभी का ख़ास ख्याल रखने को कहा क्योंकि वो 6 महीना प्रेग्नेंट थीं| मैं माँ और ताई जी के पास आया और उनके बीच में बैठ गया, दोनों ने अपना सर मेरे दोनों कन्धों पर रख दिया| "माँ, ताई जी आपका बेटा है ना यहाँ तो फि आपको कोई चिंता करने की कोई जर्रूरत नहीं|" मैंने कहा तो दोनों रो पड़ीं, तभी अनु आ गई और उसने माँ को संभाला और मैंने ताई जी को| कुछ देर बाद अनु को मैं वहीँ छोड़ कर भाभी के पास आया|
चन्दर भैया भाभी के पास सर झुका कर बैठे थे; "क्या भैया मैंने आपको यहाँ भाभी का ख्याल रखने को भेजा और आप हो की सर झुका कर बैठे हो?! अच्छा भाभी ये बताओ, आप चाय पीओगे?" मैंने कमरे में कैद शान्ति को भंग करते हुए कहा, भाभी ने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और अपने पास बिठाया| "तूने दुःख छुपाना कहाँ से सीखा?" भाभी ने भीगी आँखों से पुछा| "जब लगने लगा की मेरे रोने से मेरे परिवार को कितना दुःख होता है तो ये आँसूँ अपने आप सूख गए!" मैंने कहा और सब के लिए चाय बनाने लगा| चाय बना कर मैने सब को दी, दोपहर में किसी ने कुछ नहीं खाया और मैं बस एक कमरे से दूसरे कमरे में आता-जाता रहा ताकि थोड़ी चहल-पहला रहे और घर वाले ज्यादा दुखी न हों| संकेत ने भी जब फ़ोन किया तो मैंने उसे सब बता दिया|
रात हुई और अनु ने सब के लिए खाना बनाया पर किसी का मन नहीं था, मैंने एक-एक कर सबको उनके कमरों से बाहर निकाला और एक साथ बिठा कर सब को खाना खिलाया| जैसे-तैसे सब ने चुप-चाप खाना खाया, और सब सोने चले गए| मैं और अनु साथ ही ऊपर आये और उस सूने कमरे को देख दोनों भावुक हो गए, अनु मेरे कंधे पर सर रख कर रोने लगी| पर मेरी आँखों में अब आँसू नहीं बचे थे, मुझे इस वक़्त मजबूत बनना होगा यही सोच कर मैंने अपने होंठ सी लिए| अनु को बड़ी मुश्किल से चुप करा कर लिटाया और मैं भी उसकी तरफ करवट ले कर लेट गया| अनु मेरे नजदीक आई और अपना सर मेरे सीने में छुपा कर सोने की कोशिश करने लगी| आज उसे भी वही दर्द हो रहा था जो मुझे 'मुन्ना' के चले जाने के बाद हुआ था| कुछ देर बाद अनु सो गई, पर मैं सोचता रहा....
अगले दो दिन इसी तरह गमगीन निकले, इधर मैं अरुण और सिद्धार्थ से मिला और उनसे बिज़नेस यहाँ शिफ्ट करने की बात की| जब मैंने उन्हें detail में सब बताया तो वो दोनों मान गए, पर partnership के लिए नहीं| उनका family background इतना strong नहीं था और उन्हें एक constant और stable income चाहिए थी जो उन्हें सैलरी से मिलती| वो मेरे साथ सैलरी पर काम करने को मान गए, उनके साथ मिल कर मैंने ऑफिस के लिए जगह देखनी शुरू की| मैंने बैंगलोर फ़ोन कर के पांचों को हालात बता दिए और ये भी की मैं ऑफिस लखनऊ शिफ्ट कर रहा हूँ| उनके पास बतेहरा टाइम था नै जॉब ढूँढने के लिए| मैंने ये बात घर में भी बता दी तो सब को इत्मीनान हुआ की जल्द ही मैं उनके नजदीक रहूँगा| अनु ने घर के साथ-साथ ऑफिस का काम भी संभाला| खेती का काम मैंने समझना शुरू कर दिया, ताऊ जी, पिता जी और चन्दर भैया मुझे साड़ी चीजें समझा रहे थे और खुश भी थे की मैं इतनी दिलचस्पी ले रहा हूँ| एक दिन वो मुझे व्यापारियों से मिलने ले गए तो मैंने उनके साथ रेट को ले कर भाव-ताव करना शुरू कर दिया| मैंने थोड़ी जांच-पड़ताल के बाद खेतों का soil test भी करवा दिया और उससे जो बातें सामने आईं उसे जान कर पिताजी और ताऊ जी काफी हैरान हुए| दिन बीतते गए और घर के हालत अब सुधरने लगे, पैसों के तौर पर नहीं बल्कि घर की सुख और शान्ति के तौर पर|
2 सितंबर आया और सुबह मैं सब के लिए चाय बना रहा था की अनु को उल्टियाँ शुरू हो गईं| मैं चाय छोड़ कर उसके पास जाने को हुआ तो माँ हँसती हुईं मेरे पास आईं और बोलीं; "तू बाप बनने वाला है!" ये सुन कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैं दौड़ता हुआ ऊपर आया और अनु ने मुझे एकदम से गले लगा लिया, उसकी ख़ुशी आज सैकड़ों गुना ज्यादा थी| “Thank you baby!!!!” मैंने अनु को कस कर बाहों में जकड़ा और उसे कमर से उठा कर छत पर गोल घूमने लगा| अब तक माँ ने सब को ये खबर दे दी थी, ताऊ जी ने मुझे नीचे से आवाज मारी और हम दोनों नीचे आये| अनु ने हमेशा की तरह घूंघट किया हुआ था, ताऊजी उसके पास आये और जेब से 2000 का नोट निकाला और अनु के सर से वार कर ताई जी को देते हुए कहा की वो ये मंदिर में दान कर दें| ताऊ जी ने मुझे अनु को डॉक्टर के ले जाने को कहा ताकि अनु का एक बार चेक-अप हो जाए, मैंने चन्दर भैया से कहा की वो भाभी को भी ले लें एक साथ दोनों का चेक-अप हो जायेगा|
चन्दर भैया भाभी के पास सर झुका कर बैठे थे; "क्या भैया मैंने आपको यहाँ भाभी का ख्याल रखने को भेजा और आप हो की सर झुका कर बैठे हो?! अच्छा भाभी ये बताओ, आप चाय पीओगे?" मैंने कमरे में कैद शान्ति को भंग करते हुए कहा, भाभी ने मुझे इशारे से अपने पास बुलाया और अपने पास बिठाया| "तूने दुःख छुपाना कहाँ से सीखा?" भाभी ने भीगी आँखों से पुछा| "जब लगने लगा की मेरे रोने से मेरे परिवार को कितना दुःख होता है तो ये आँसूँ अपने आप सूख गए!" मैंने कहा और सब के लिए चाय बनाने लगा| चाय बना कर मैने सब को दी, दोपहर में किसी ने कुछ नहीं खाया और मैं बस एक कमरे से दूसरे कमरे में आता-जाता रहा ताकि थोड़ी चहल-पहला रहे और घर वाले ज्यादा दुखी न हों| संकेत ने भी जब फ़ोन किया तो मैंने उसे सब बता दिया|
रात हुई और अनु ने सब के लिए खाना बनाया पर किसी का मन नहीं था, मैंने एक-एक कर सबको उनके कमरों से बाहर निकाला और एक साथ बिठा कर सब को खाना खिलाया| जैसे-तैसे सब ने चुप-चाप खाना खाया, और सब सोने चले गए| मैं और अनु साथ ही ऊपर आये और उस सूने कमरे को देख दोनों भावुक हो गए, अनु मेरे कंधे पर सर रख कर रोने लगी| पर मेरी आँखों में अब आँसू नहीं बचे थे, मुझे इस वक़्त मजबूत बनना होगा यही सोच कर मैंने अपने होंठ सी लिए| अनु को बड़ी मुश्किल से चुप करा कर लिटाया और मैं भी उसकी तरफ करवट ले कर लेट गया| अनु मेरे नजदीक आई और अपना सर मेरे सीने में छुपा कर सोने की कोशिश करने लगी| आज उसे भी वही दर्द हो रहा था जो मुझे 'मुन्ना' के चले जाने के बाद हुआ था| कुछ देर बाद अनु सो गई, पर मैं सोचता रहा....
अगले दो दिन इसी तरह गमगीन निकले, इधर मैं अरुण और सिद्धार्थ से मिला और उनसे बिज़नेस यहाँ शिफ्ट करने की बात की| जब मैंने उन्हें detail में सब बताया तो वो दोनों मान गए, पर partnership के लिए नहीं| उनका family background इतना strong नहीं था और उन्हें एक constant और stable income चाहिए थी जो उन्हें सैलरी से मिलती| वो मेरे साथ सैलरी पर काम करने को मान गए, उनके साथ मिल कर मैंने ऑफिस के लिए जगह देखनी शुरू की| मैंने बैंगलोर फ़ोन कर के पांचों को हालात बता दिए और ये भी की मैं ऑफिस लखनऊ शिफ्ट कर रहा हूँ| उनके पास बतेहरा टाइम था नै जॉब ढूँढने के लिए| मैंने ये बात घर में भी बता दी तो सब को इत्मीनान हुआ की जल्द ही मैं उनके नजदीक रहूँगा| अनु ने घर के साथ-साथ ऑफिस का काम भी संभाला| खेती का काम मैंने समझना शुरू कर दिया, ताऊ जी, पिता जी और चन्दर भैया मुझे साड़ी चीजें समझा रहे थे और खुश भी थे की मैं इतनी दिलचस्पी ले रहा हूँ| एक दिन वो मुझे व्यापारियों से मिलने ले गए तो मैंने उनके साथ रेट को ले कर भाव-ताव करना शुरू कर दिया| मैंने थोड़ी जांच-पड़ताल के बाद खेतों का soil test भी करवा दिया और उससे जो बातें सामने आईं उसे जान कर पिताजी और ताऊ जी काफी हैरान हुए| दिन बीतते गए और घर के हालत अब सुधरने लगे, पैसों के तौर पर नहीं बल्कि घर की सुख और शान्ति के तौर पर|
2 सितंबर आया और सुबह मैं सब के लिए चाय बना रहा था की अनु को उल्टियाँ शुरू हो गईं| मैं चाय छोड़ कर उसके पास जाने को हुआ तो माँ हँसती हुईं मेरे पास आईं और बोलीं; "तू बाप बनने वाला है!" ये सुन कर मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, मैं दौड़ता हुआ ऊपर आया और अनु ने मुझे एकदम से गले लगा लिया, उसकी ख़ुशी आज सैकड़ों गुना ज्यादा थी| “Thank you baby!!!!” मैंने अनु को कस कर बाहों में जकड़ा और उसे कमर से उठा कर छत पर गोल घूमने लगा| अब तक माँ ने सब को ये खबर दे दी थी, ताऊ जी ने मुझे नीचे से आवाज मारी और हम दोनों नीचे आये| अनु ने हमेशा की तरह घूंघट किया हुआ था, ताऊजी उसके पास आये और जेब से 2000 का नोट निकाला और अनु के सर से वार कर ताई जी को देते हुए कहा की वो ये मंदिर में दान कर दें| ताऊ जी ने मुझे अनु को डॉक्टर के ले जाने को कहा ताकि अनु का एक बार चेक-अप हो जाए, मैंने चन्दर भैया से कहा की वो भाभी को भी ले लें एक साथ दोनों का चेक-अप हो जायेगा|