10-01-2020, 11:07 AM
पिताजी और ताऊ जी आंगन में पड़ी चारपाई पर सर झुका कर बैठ गए, माँ और ताई जी रसोई की दहलीज पर बैठ गए, भाभी और चन्दर बरामदे में पड़ी चारपाई पर बैठ गए और मैं और अनु स्तब्ध खड़े रहे! जो कुछ अभी हुआ उससे हम दोनों के सारे सपने चूर-चूर हो गए थे| माँ ने हम दोनों को 2-3 आवाजें मारी पर हमारे कानों में जैसे वो आवाज ही नहीं गई| आखिर भाभी ने उठ कर हमारे कन्धों पर हाथ रखा तब जा कर हमें होश आया| अनु ने मेरी तरफ देखा तो मेरी आँखें आंसुओं की धारा बहा रही थी| वो कस कर मुझसे लिपट गई और जोर-जोर से रोने लगी! भाभी ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे शांत करवाना चाहा पर वो चुप नहीं हुई| वो रो रही थी पर मैं तो रो भी नहीं पा रहा था, दिल में आग जो लगी हुई थी! आज तीसरी बार मैंने नेहा को खोया था और ये दर्द दिल में आग बन कर सुलग उठा था| मैंने अनु को खुद से अलग किया और तेजी से दरवाजे की तरफ बढ़ा तो अनु ने एकदम से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया| वो जानती थी की मैं रितिका की जान ले कर रहूँगा; "प्लीज....अभी आपकी जर्रूरत… यहाँ इस घर को है!" अनु ने रोते हुए कहा और कस कर मेरा हाथ थामे रही| उसकी बात सही थी, पहले मुझे अपने परिवार को संभालना था उसके बाद मैं रितिका की हेकड़ी ठिकाने लगाने वाला था| मैंने हाँ में सर हिला कर उसकी बात मान ली और वापस आंगन में आ गया|
मैं ताऊ जी के सामनेघुटने मोड़ कर बैठ गया और उनसे पूछने लगा; "ताऊ जी...आप ने मेरी शादी में कितने पैसे खर्चा किये?....बोलिये?"
"मैंने जो भी किया वो सब से पूछ कर अपनी ख़ुशी से किया! ये हमारे घर की आखरी शादी थी....अगली शादी देख सकूँ इतनी मेरी उम्र नहीं! और तू भी उसकी बातों पर ध्यान मत दे!" ताऊ जी बोले| फिर उन्होंने चन्दर भय से कहा की वो सब को मना कर दें आज की पार्टी के लिए! इतना कह कर ताऊ जी उठ कर जाने लगे तो मैं उनके गले लग गया| "बेटा......!!!" वो बस इतना कह पाए और फिर अपनी आँखों में आँसू लिए अपने कमरे में चले गए| पिताजी ने मुझे अपने पास बैठने को कहा, उधर अनु और भाभी माँ-ताई जी के पास बैठ गईं| "बेटा.....हम सब ने ये सोचा भी नहीं था.... इस परिवार को फिर से बिखरने मत दिओ!" पिताजी रोते हुए बोले| मैंने उनके आँसू पोछे और उनसे घर के असली हालात जाने| रितिका की शादी में मेरी शादी से भी दुगना खर्च हुआ था और इसके चलते घर के हालात डगमगा गए थे| ताऊ जी और पिताजी ने जैसे-तैसे हालात संभाले ही थे की रितिका के साथ वो काण्ड हुआ, फिर चन्दर भैया का नशा मुक्ति केंद्र जाना और पोलिस की पहरेदारी, इस सब के चलते हालात खराब होने लगे| ले दे कर अब हमारे पास जमीन के दो बड़े टुकड़े बचे थे जिनसे आराम से गुजर-बसर हो रही है| ऐसा नहीं था की हालात बहुत पतले थे पर अब हालत वो नहीं थे जो 2 साल पहले हुआ करते थे| मुझे ये सब जानकार बहुत धक्का लगा था पर मैं इसे जताना नहीं चाहता था| कुछ देर बाद जब चन्दर भैया वापस आये तो मैं उन्हें ले कर ताऊजी के कमरे में गया| ताऊ जी दिवार से सर लगाए जमीन पर बैठे थे, मैं और चन्दर भैया उनके सामने बैठ गए; "ताऊ जी आप चिंता क्यों करते हैं? आपके दोनों बेटे आपके सामने बैठे हैं, हम दोनों मिल कर घर संभाल सकते हैं और देखना इस बार फिर से खुशियाँ वापस आएँगी!" मैंने ताऊ जी को उम्मीद बंधाते हुए कहा, उन्होंने मुझे और चन्दर भैया को अपने गले लगने को बुलाया| हमें अपने सीने से लगाए वो बोले; "बच्चों अब तुम दोनों का ही सहारा है! संभाल लो इस घर की कश्ती को!"
मैं ताऊ जी के सामनेघुटने मोड़ कर बैठ गया और उनसे पूछने लगा; "ताऊ जी...आप ने मेरी शादी में कितने पैसे खर्चा किये?....बोलिये?"
"मैंने जो भी किया वो सब से पूछ कर अपनी ख़ुशी से किया! ये हमारे घर की आखरी शादी थी....अगली शादी देख सकूँ इतनी मेरी उम्र नहीं! और तू भी उसकी बातों पर ध्यान मत दे!" ताऊ जी बोले| फिर उन्होंने चन्दर भय से कहा की वो सब को मना कर दें आज की पार्टी के लिए! इतना कह कर ताऊ जी उठ कर जाने लगे तो मैं उनके गले लग गया| "बेटा......!!!" वो बस इतना कह पाए और फिर अपनी आँखों में आँसू लिए अपने कमरे में चले गए| पिताजी ने मुझे अपने पास बैठने को कहा, उधर अनु और भाभी माँ-ताई जी के पास बैठ गईं| "बेटा.....हम सब ने ये सोचा भी नहीं था.... इस परिवार को फिर से बिखरने मत दिओ!" पिताजी रोते हुए बोले| मैंने उनके आँसू पोछे और उनसे घर के असली हालात जाने| रितिका की शादी में मेरी शादी से भी दुगना खर्च हुआ था और इसके चलते घर के हालात डगमगा गए थे| ताऊ जी और पिताजी ने जैसे-तैसे हालात संभाले ही थे की रितिका के साथ वो काण्ड हुआ, फिर चन्दर भैया का नशा मुक्ति केंद्र जाना और पोलिस की पहरेदारी, इस सब के चलते हालात खराब होने लगे| ले दे कर अब हमारे पास जमीन के दो बड़े टुकड़े बचे थे जिनसे आराम से गुजर-बसर हो रही है| ऐसा नहीं था की हालात बहुत पतले थे पर अब हालत वो नहीं थे जो 2 साल पहले हुआ करते थे| मुझे ये सब जानकार बहुत धक्का लगा था पर मैं इसे जताना नहीं चाहता था| कुछ देर बाद जब चन्दर भैया वापस आये तो मैं उन्हें ले कर ताऊजी के कमरे में गया| ताऊ जी दिवार से सर लगाए जमीन पर बैठे थे, मैं और चन्दर भैया उनके सामने बैठ गए; "ताऊ जी आप चिंता क्यों करते हैं? आपके दोनों बेटे आपके सामने बैठे हैं, हम दोनों मिल कर घर संभाल सकते हैं और देखना इस बार फिर से खुशियाँ वापस आएँगी!" मैंने ताऊ जी को उम्मीद बंधाते हुए कहा, उन्होंने मुझे और चन्दर भैया को अपने गले लगने को बुलाया| हमें अपने सीने से लगाए वो बोले; "बच्चों अब तुम दोनों का ही सहारा है! संभाल लो इस घर की कश्ती को!"