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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
नानू ने वासना के ज्वर से कांपती अपनी बेटी को गोद में उठा लिया। ऋतु मौसी ने अपनी गुदाज़ बाहें पिता के गले के इर्द-गिर्द फैंक कर अपनी जांघों से उनकी कमर जकड़ कर उनसे लिपट गयीं। 
राज मौसा ने बिना कोई क्षण खोये, जैसे ही उनके पिता का लंड उनकी बहन की चूत में जड़ तक समा गया, उन्होंने अपने लंड के पिता समान मोटे सुपाड़े को अपनी बहन की गांड के नन्हे छेद पर दबा दिया। नानू ने राज मौसा को अपना सुपाड़ा ऋतु मौसी की गांड में डालने का मौका दिया। फिर दोनों लम्बे ऊंचे मर्दों ने ऋतू मौसी को निरीह चिड़िया की तरह मसल कर ऊंचा उठाया और फिर नीचे अपने वज़न से गिरने दिया। 

दो वृहत मोटे लंड एक साथ एक लम्बे जानलेवा ठेल से ऋतू मौसी की और गांड में रेल के इंजन के पिस्टन की ताक़तभरी रफ़्तार से जड़ तक ठुंसगए। दो मोटे लंडों के निर्मम आक्रमण ने ऋतु मौसी को मीठी पीड़ा भरे आनंद से अभिभूत कर दिया। 

ऋतु मौसी की ऊंची सिस्कारियां उनकी घुटी-घुटी चीखों में मिलकर वासना के संगीत का वाद यंत्र बजाने लगीं। राज मौसा और मनोहर नाना ने ऋतु मौसी को दो बार झड़ने में लम्बी देर नहीं लगाई। उन्होंने कांपती सिसकती ऋतु मौसी को बड़े मामा और गंगा बाबा के नादीदे उन्नत मोटे लंडों के प्रहार के लिए भेंट कर दिया। 

ऋतू मौसी की सिस्कारियां जो उनके रति -निष्पति के आभार से मंद हो उठीं थीं बड़े मामा और गंगा बाबा के मोटे लंडों के उनकी चूत और गांड के ऊपर निर्दयी आक्रमण से फिर चलीं। 

दोनों लंड बिजली की रफ़्तार से ऋतू मौसी की गांड और चूत का लतमर्दन करने लगे। ऋतू मौसी का देवी सामान सुंदर चेहरा वासना की अग्नि से लाल हो गया था। उनकी सांस अटक-अटक कर आ रही थी। उनके सिस्कारियां कभी-कभी वासना के अतिरेक से भद्र महिला की शोभा से भिन्न कामुकता की कराहटों से गूँज जाती। 

हॉल में हज़ारों साल पुराना सम्भोग नग्न नृत्य के संगीत से गूँज उठा। वासना में लिप्त नारी की सिकारियां और उसके गुदाज़ शरीर के लतमर्दन में व्यस्त पुरुषों की आदिमानव सामान गुरगुराहट हम सबके कानों में मीठे संगीत के स्वर के सामान प्रतीत हो रहे थे। 

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हम चारों की कामाग्नि भी प्रज्ज्वलित हो गयी थी। नम्रता चाची ने इस बार मुझे घोड़ी की तरह निहार कर पीछे से मेरी तंग रेशमी गांड में अपना लम्बा मोटा नकली रबड़ का लंड दो भीषण धक्कों से ठूंस कर मेरी सिसकियों की अपेक्षा कर मेरी हिलते डोलते उरोज़ों को मसलने लगीं। 

जमुना दीदी ने मीनू के नन्हे शरीर को मेरी तरह घोड़ी बना कर उसकी दर्दीली चूत में डिल्डो उसके बिलबिलाने के बावज़ूद पूरा का पूरा ठूंस कर उसे मर्दों की तरह चोदने लगीं। 

हम चारों की सिस्कारियां ऋतु मौसी की सिस्कारियों से स्वर मिला कर हॉल में कामोन्माद के संगीत को बलवान चढ़ाने लगीं। 

ऋतु मौसी की चुदाई तुकबंदी की रीति से हो रही थी। दो मर्द जब झड़ने के निकट पहुँचते तो उन्हें दो और लंडों को सौंप कर खुद को शांत कर लेते थे। पर ऋतु मौसी के चरम-आनंद अविरत उन्हें समुन्द्र में तैरते वनस्पति के सामान तट पर पटक रहे थे। दो घंटों तक ऋतू मौसी की दोनों सुरंगों की चुदाई की भीषणता देखते ही बनती थी। 

नम्रता चाची और जमुना दीदी भी मेरी और मीनू की अविरत ताबड़तोड़ चुदाई करने की साथ-साथ बार-बार झड़ने की थकान से थोड़ी शिथिल हो चलीं थीं। मीनू और मैं तो थक कर फर्श पर ढलक गए। 

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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 04:38 PM



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