08-01-2020, 04:35 PM
"मीनू रानी तुम्हारी मखमली गांड की चुदाई करते हुए मैं तो न जाने कितनी बार आ चुकीं हूँ। हाय मेरे पास पापाजी जैसा
वास्तविक लंड होता। " जमुना दीदी सिसक कर फिर से झड़ते हुए मीनू की गांड में नकली लंड को लम्बी ज़ोरदार ठोकरों से रेल
के पिस्टन की तरह अंदर बाहर धकेल रहीं थीं।
मीनू की महकभरी की गांड की सुगंध से वातावरण की हवा सुगन्धित हो चली थी।
जमुना दीदी के रबड़ के लंड पर मीनू की गांड का महक भरा रस सन चूका था, "मीनू देख मेरे लंड पर तेरी गांड का रस कैसे
चमक रहा है। जब चुदाई से मैं संतुष हो जाऊंगीं तो मेरे लंड को चाट कर साफ़ करेगी। गांड की चुदाई का प्रशाद चाहिये ना ?"
जमुना दीदी कामोन्माद से जलती हुईं घुटी घुटी आवाज़ से सिसक कर बोल रहीं थीं।
"हाँ दीदी, मैं आपका लंड कर चमका दूंगी। मेरी गांड से निकले आपके लंड को मुझे ज़रूर चुस्वाना।" मीनू बिलबिलाते हुए
सिस्कारियां मार कर अपनी गांड जमुना दीदी के मोटे लंड के ऊपर पटक रही थी।
जमुना दीदी ने अपने रति-निष्पत्ति से सुलगते हुए मीनू के थरकते चूतड़ों पर ज़ोर से तीन चार थप्पड़ तड़ाक से जमा दिए। मीनू
की घुटी चीखों में दर्द थोड़ा कामोन्माद अधिक था।
जमुना दीदी की मीनू की गांड की चुदाई घर के किसी भी पुरुष की चुदाई तुलना में बीस से बहुत दूर नहीं थी।
नानाजी गुर्रा कर बोले, " इस रंडी की की मुंह-चुदाई से तो हम में से एक भी नहीं झड़ा। देखें इसकी चूत कुछ बेहतर हो
शायद ?"
उन्होंने अपनी सुंदर बेटी का गदराया लज्जत भरा शरीर को उठा कर घोड़ी बना सोफे पर टिका दिया। उस ऊंचाई से लम्बे मर्दों
को झुकने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
उनका अपनी बेटी पर प्राकृतिक अधिकार था और उन्होंने अपने घोड़े जैसे वृहत ऋतु मौसी के थूक, आंसुओं से सने लंड को
उनकी रति-रस से भरी चूत में तीन षण -पंजर हिला धक्के से धक्कों से मोटी जड़ तक ठूंस दिया। सुरेश चाचा ने उनके मौंग
के आगे बैठ कर अपना लंड ऋतू मौसी के सिसकते हाँफते खुले मुँह में ठूंस दिया। दोनों ने ठीक शुरूआत से ही ऋतू की चुदाई
जानलेवा धक्कों से करनी शुरू कर दी। ऋतु मौसी के हलक से एक बार फिर से घुटने की गों गों आवाज़ें उबलने लगीं।
राज मौसा और बड़े मामा ने ऋतु मौसी के एक एक हिलते मनमोहक स्तनों को मसलना रगड़ना शुरू कर दिया। संजू और
गंगा बाबा ने ऋतु मौसी के नाजुक हाथों को अपने भूखे लंडों को सहलाने के लिए उनके ऊपर रख दिया। ऋतु मौसी का सर
सुरेश चाचा अपने लंड पर दबा रहे थे।
मनोहर नानू ऋतु मौसी के थिरकते चूतड़ों को जकड़ कर अपने लंड से उनकी चूत लतमर्दन निर्मम धक्कों से करने लगे। ऋतु
मौसी वासना की आग में जलती रिरिया रहीं थीं। उनकी सिस्कारियां उनके घुटते गले से और भी मादक हो गयीं।
जैसे ही ऋतू मौसी मचल कर झड़ने लगीं तो सुरेश चाचा और नानू ने अपने लंड निकाल कर बड़े मामा और गंगा बाबा को
चोदने का मौका दिया।
गंगा बाबा ने ऋतु मौसी की चूत हथिया ली। बड़े मामा ने ऋतू मौसी के सुंदर मलिन चेहरे को और भी बेदर्दी से छोड़ना
प्रारम्भ कर दिया।
गंगा बाबा ने अपना लंड जैसे ही ऋतू मौसी का शरीर उनकी रति -निष्पत्ति से कपकपाने लगा भर निकल लिया। राज मौसा ने
अपनी बहन की चूत में अपना लंड दो विध्वंसक धक्कों से ढूंस कर ऋतू मौसी की भीषण चुदाई की लहर को निरंतर कायम
रखा। संजू ने अपनी प्यारी देवी सामान मौसी के मलिन सुबकते चेहरे को उठा कर पहले प्यार से चाट कर साफ़ कर लिया।
ऋतू मौसी के सुंदर नथुने उनकी वासना के अतिरेक से हांफने से फड़क रहे थे। संजू ने अपनी जीभ की नोक से ऋतु मौसी के
दोनों फड़कते नथुनों को चोदने लगा।
ऋतु मौसी की सिस्कारियों में अनुनासिक ध्वनि मिल गयी।
संजू ने कुछ देर बाद अपने मुँह को अपने थूक से भर कर ऋतु मौसी के खुले हाँफते मुँह को भर दिया। मौसी ने सिसक कर
सटकने की कोशिश की पर संजू के बेसब्र लंड ने उनके मुँह एक बार फिर से चोदने के लिए ठूंस दिया।
ऋतु मौसी के कांपते शरीर ने उनके अगले चरम-आनंद की घोषणा कर दी। राज मौसा और संजू ने ऋतु मौसी को कुछ देर तक
और चोदा और फिर उन्हें अनगिनत रति-निष्पत्ति के अतिरेक से शिथिल हो गए मांसल गदराये देवियों जैसे घुमावदार कमनीय
शरीर को चौड़े सोफे पर लुड़कने दिया।
वास्तविक लंड होता। " जमुना दीदी सिसक कर फिर से झड़ते हुए मीनू की गांड में नकली लंड को लम्बी ज़ोरदार ठोकरों से रेल
के पिस्टन की तरह अंदर बाहर धकेल रहीं थीं।
मीनू की महकभरी की गांड की सुगंध से वातावरण की हवा सुगन्धित हो चली थी।
जमुना दीदी के रबड़ के लंड पर मीनू की गांड का महक भरा रस सन चूका था, "मीनू देख मेरे लंड पर तेरी गांड का रस कैसे
चमक रहा है। जब चुदाई से मैं संतुष हो जाऊंगीं तो मेरे लंड को चाट कर साफ़ करेगी। गांड की चुदाई का प्रशाद चाहिये ना ?"
जमुना दीदी कामोन्माद से जलती हुईं घुटी घुटी आवाज़ से सिसक कर बोल रहीं थीं।
"हाँ दीदी, मैं आपका लंड कर चमका दूंगी। मेरी गांड से निकले आपके लंड को मुझे ज़रूर चुस्वाना।" मीनू बिलबिलाते हुए
सिस्कारियां मार कर अपनी गांड जमुना दीदी के मोटे लंड के ऊपर पटक रही थी।
जमुना दीदी ने अपने रति-निष्पत्ति से सुलगते हुए मीनू के थरकते चूतड़ों पर ज़ोर से तीन चार थप्पड़ तड़ाक से जमा दिए। मीनू
की घुटी चीखों में दर्द थोड़ा कामोन्माद अधिक था।
जमुना दीदी की मीनू की गांड की चुदाई घर के किसी भी पुरुष की चुदाई तुलना में बीस से बहुत दूर नहीं थी।
नानाजी गुर्रा कर बोले, " इस रंडी की की मुंह-चुदाई से तो हम में से एक भी नहीं झड़ा। देखें इसकी चूत कुछ बेहतर हो
शायद ?"
उन्होंने अपनी सुंदर बेटी का गदराया लज्जत भरा शरीर को उठा कर घोड़ी बना सोफे पर टिका दिया। उस ऊंचाई से लम्बे मर्दों
को झुकने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
उनका अपनी बेटी पर प्राकृतिक अधिकार था और उन्होंने अपने घोड़े जैसे वृहत ऋतु मौसी के थूक, आंसुओं से सने लंड को
उनकी रति-रस से भरी चूत में तीन षण -पंजर हिला धक्के से धक्कों से मोटी जड़ तक ठूंस दिया। सुरेश चाचा ने उनके मौंग
के आगे बैठ कर अपना लंड ऋतू मौसी के सिसकते हाँफते खुले मुँह में ठूंस दिया। दोनों ने ठीक शुरूआत से ही ऋतू की चुदाई
जानलेवा धक्कों से करनी शुरू कर दी। ऋतु मौसी के हलक से एक बार फिर से घुटने की गों गों आवाज़ें उबलने लगीं।
राज मौसा और बड़े मामा ने ऋतु मौसी के एक एक हिलते मनमोहक स्तनों को मसलना रगड़ना शुरू कर दिया। संजू और
गंगा बाबा ने ऋतु मौसी के नाजुक हाथों को अपने भूखे लंडों को सहलाने के लिए उनके ऊपर रख दिया। ऋतु मौसी का सर
सुरेश चाचा अपने लंड पर दबा रहे थे।
मनोहर नानू ऋतु मौसी के थिरकते चूतड़ों को जकड़ कर अपने लंड से उनकी चूत लतमर्दन निर्मम धक्कों से करने लगे। ऋतु
मौसी वासना की आग में जलती रिरिया रहीं थीं। उनकी सिस्कारियां उनके घुटते गले से और भी मादक हो गयीं।
जैसे ही ऋतू मौसी मचल कर झड़ने लगीं तो सुरेश चाचा और नानू ने अपने लंड निकाल कर बड़े मामा और गंगा बाबा को
चोदने का मौका दिया।
गंगा बाबा ने ऋतु मौसी की चूत हथिया ली। बड़े मामा ने ऋतू मौसी के सुंदर मलिन चेहरे को और भी बेदर्दी से छोड़ना
प्रारम्भ कर दिया।
गंगा बाबा ने अपना लंड जैसे ही ऋतू मौसी का शरीर उनकी रति -निष्पत्ति से कपकपाने लगा भर निकल लिया। राज मौसा ने
अपनी बहन की चूत में अपना लंड दो विध्वंसक धक्कों से ढूंस कर ऋतू मौसी की भीषण चुदाई की लहर को निरंतर कायम
रखा। संजू ने अपनी प्यारी देवी सामान मौसी के मलिन सुबकते चेहरे को उठा कर पहले प्यार से चाट कर साफ़ कर लिया।
ऋतू मौसी के सुंदर नथुने उनकी वासना के अतिरेक से हांफने से फड़क रहे थे। संजू ने अपनी जीभ की नोक से ऋतु मौसी के
दोनों फड़कते नथुनों को चोदने लगा।
ऋतु मौसी की सिस्कारियों में अनुनासिक ध्वनि मिल गयी।
संजू ने कुछ देर बाद अपने मुँह को अपने थूक से भर कर ऋतु मौसी के खुले हाँफते मुँह को भर दिया। मौसी ने सिसक कर
सटकने की कोशिश की पर संजू के बेसब्र लंड ने उनके मुँह एक बार फिर से चोदने के लिए ठूंस दिया।
ऋतु मौसी के कांपते शरीर ने उनके अगले चरम-आनंद की घोषणा कर दी। राज मौसा और संजू ने ऋतु मौसी को कुछ देर तक
और चोदा और फिर उन्हें अनगिनत रति-निष्पत्ति के अतिरेक से शिथिल हो गए मांसल गदराये देवियों जैसे घुमावदार कमनीय
शरीर को चौड़े सोफे पर लुड़कने दिया।