08-01-2020, 04:23 PM
मनोहर नानाजी ने अपनी छोटी बेटी की चोली के बटन खोल कर उनके विशाल पर गोल उन्नत स्तनों को मुक्त कर
दिया। ऋतू मौसी के भारी, कोमल, मलायी जैसे गोर उरोज़ अपने ही भार से थोड़े ढलक गए।
इनके होल होल हिलते मादक उरोज़ों ओ देख कर सारे लंड और भी थिरकने लगे। राज मौसा ने अपनी छोटी बहिन के
लहंगे का नाड़ा खोल दिया और ऋतू मौसी का लहंगा लहरा कर उनके फुले गदराये भरे-भरे गोल उन्नत नीतिम्बो के
मनमोहक घुमाव को और भी बड़ा-चढ़ा दिया।
ऋतू मौसी की गोल भरी-पूरी झाँगों के बीच में घघुंघराली झांटों से ढके ख़ज़ाने की ओर सब की नज़र टिक गयी। ऋतू
मौसी की झांटें उनके रतिरस से भीग गयीं थीं। और उनसे एक हल्की सी मादक सुगंध रजनीगंधा और चमेली के फूलों की
महक से मिल सारे पुरुषों की इंद्रियों पर धावा बोल दिया।
ऋतु मौसी के मोहक रति रस की सौंदाहटके प्रभाव से सब पुरुषों के नाममात्र के संयम के बाँध टूट गए।
छः अमानवीय विशाल लंडों के बीच में निरीह मृगनी की तरह घिरी ऋतु
मौसी को सब पुस्रुषों में मिल कर चूमना चाटना शुरू कर दिया। अनेक हाथ उनके थिरकते मादक विशाल उरोज़ों को मसलने मडोड़ने लगे। कई उंगलियां उनकी रेशमी घुंघराली झांटों को भाग कर उनकी कोमल योनि-पंखुण्डियों को खोल कर उनकी रति रस से भरे छूट की तंग गलियारे में घूंस गयीं।
ऋतू मौसी की ऊंची पहली सिकारी ने रात की रासलीला की माप-दंड को और भी उत्तर दिशा की और प्रगतिशील कर दिया।
"मम्मी, हमारे पास तो एक भे लंड नहीं है," मीनू कुनमुनाई। उसकी नन्ही गुलाबी चूत मादक रतिरस से भर उठी थी।
मीनू परेशान नहीं हो, हमने सारा इंतिज़ाम कर रखा है ," जमुना दीदी लपक कर भागीं और शीघ्र दो दो-मुहें बड़े मोटे ठोस नम्र रबड़ के बने लिंग के प्रतिरूप डिल्डो को विजय-पताका की तरह हिलाती हुईं वापस आयीं।
एक डिल्डो नम्रता चाची को दे कर उन्होंने दुसरे डिल्डो के बहुत मोटे पर थोड़े छोटे नकली लंड को सिसक कर अपनी योनि में घुसा कर डिल्डो की पत्तियां अपने झांघों और कमर पे बाँध कर एक मर्द की तरह लम्बे मोटे 'लंड' को अपने हाथ से सहलाती हुईं बोलीं ,"आजा मीनू रानी। तुम्हारे लिए लंड खड़ा है। यह लंड हमेश सख्त रहेगा। चाहे जितनी देर तक चाहो यह चोदने के
लिए तैयार है।
नम्रता चाची भी तैयार थीं। उन्होंने सोफे पर बैठ कर मुझे अपनी और। खींचा मैं उनकी तरफ कमर करके धीरे धीरे उनके लम्बे मोटे लंड पर अपनी मुलायम चूत को टिका कर नीचे लगी। मैंने अपना निचला होंठ दबा कर थोड़े दर्द को दबाने का निष्फल प्रयास किया। बड़े मामा के निर्मम 'कौमार्यभंग' से फटी मेरी चूत जैसे जैसे नम्रता चाची के 'लंड' को भीतर लेने लगी उसमे उपजे दर्द से मैं बिलबिला उठी।
"नेहा बेटी, बड़े मामा के लंड को तो बड़े लपक के अपनी चूत में निगल रहीं थीं। क्या चाची के लंड आया और इतना बिलबुला रही हो ?" नमृता चाची ने मेरे दोनों फड़कते स्तनों को कस कर मसल दिया।
चाची ने अपने भारी चूतड़ों को कास ऊपर धकेला और मेरे कमसिन चूचियों को को कस कर मसलते हुए मुझे नीच दबाते हुए अपना नकली लंड मेरी चूत में पूरा का पूरा जड़ तक ढूंस दिया। मेरी सिसकती चीख के बिना नम्रता चाची मर्दों की तरह बेदर्दी से मेरे उरोज़ों को मसल कर बोलीं, "नेहा बेटी आज आई है बकरी ऊँट के नीचे। अपनी चूत और गांड को घर के हर लंड से
चुदवा चुकी अब चाची की बारी है। मैं नहीं छोड़ने वाले अपने प्यारी बेटी को बिना चूत और गांड फाड़े। "
मैं भी वासना के ज्वार से भभक उठी , "चाची आप भी चोद लीजिये मेरी चूत। "
जमुना दीदी भी मीनू को भीच कर अपने लंड पे बिठा रहीं थी ,"ठीक है मीनू यदि तुम्हारी चूत अभी दर्दीली है तो गांड
मरवाओ। पर आज रात तुम्हारी मस्तानी चूत मारे बिना तुम्हे नहीं छोड़ने वाले तुम्हारी जमुना दीदी। "
जमुना दीदी अपने थूक और मीनू के चूत के रस से सने चिकने भरी रबड़ के लंड को इंच इंच करके मीनू की गांड में डालने
लंगी। मीनू ने होंठों को दबा कर गांड में उपजे दर्द को घूंट कर पी जाने का प्रयास किया। पर जमुना दीदी भी खेली-खाईं थीं।
उन्होंने डिल्डो की सात इंच मीनू की गांड में ठूंस उसकी गोल कमर को मज़बूती से पकड़ कर नीचे खींचते हुए अपने 'लंड' को पूरी ताकत से ऊपर धकेला।
"ऊईईईई दीदी मैं मर गयी। मेरी गांड फाड़ दी आपने तो।” मीनू बिलबिलायी।
"मीनू रानी अभी कहाँ फटी है आपकी गांड। आपकी गांड तो अभी मुझे फाड़नी है। वैसे भी अपने डैडी से गांड फड़वाने में आपको कोई तकलीफ नहीं होती ?" जमुना दीदी ने मीनू के सीने पे तने चूचुकों को कस कर निचोड़ कर उसे अपने 'लंड' पे बेदर्दी से दबा लिया।
दिया। ऋतू मौसी के भारी, कोमल, मलायी जैसे गोर उरोज़ अपने ही भार से थोड़े ढलक गए।
इनके होल होल हिलते मादक उरोज़ों ओ देख कर सारे लंड और भी थिरकने लगे। राज मौसा ने अपनी छोटी बहिन के
लहंगे का नाड़ा खोल दिया और ऋतू मौसी का लहंगा लहरा कर उनके फुले गदराये भरे-भरे गोल उन्नत नीतिम्बो के
मनमोहक घुमाव को और भी बड़ा-चढ़ा दिया।
ऋतू मौसी की गोल भरी-पूरी झाँगों के बीच में घघुंघराली झांटों से ढके ख़ज़ाने की ओर सब की नज़र टिक गयी। ऋतू
मौसी की झांटें उनके रतिरस से भीग गयीं थीं। और उनसे एक हल्की सी मादक सुगंध रजनीगंधा और चमेली के फूलों की
महक से मिल सारे पुरुषों की इंद्रियों पर धावा बोल दिया।
ऋतु मौसी के मोहक रति रस की सौंदाहटके प्रभाव से सब पुरुषों के नाममात्र के संयम के बाँध टूट गए।
छः अमानवीय विशाल लंडों के बीच में निरीह मृगनी की तरह घिरी ऋतु
मौसी को सब पुस्रुषों में मिल कर चूमना चाटना शुरू कर दिया। अनेक हाथ उनके थिरकते मादक विशाल उरोज़ों को मसलने मडोड़ने लगे। कई उंगलियां उनकी रेशमी घुंघराली झांटों को भाग कर उनकी कोमल योनि-पंखुण्डियों को खोल कर उनकी रति रस से भरे छूट की तंग गलियारे में घूंस गयीं।
ऋतू मौसी की ऊंची पहली सिकारी ने रात की रासलीला की माप-दंड को और भी उत्तर दिशा की और प्रगतिशील कर दिया।
"मम्मी, हमारे पास तो एक भे लंड नहीं है," मीनू कुनमुनाई। उसकी नन्ही गुलाबी चूत मादक रतिरस से भर उठी थी।
मीनू परेशान नहीं हो, हमने सारा इंतिज़ाम कर रखा है ," जमुना दीदी लपक कर भागीं और शीघ्र दो दो-मुहें बड़े मोटे ठोस नम्र रबड़ के बने लिंग के प्रतिरूप डिल्डो को विजय-पताका की तरह हिलाती हुईं वापस आयीं।
एक डिल्डो नम्रता चाची को दे कर उन्होंने दुसरे डिल्डो के बहुत मोटे पर थोड़े छोटे नकली लंड को सिसक कर अपनी योनि में घुसा कर डिल्डो की पत्तियां अपने झांघों और कमर पे बाँध कर एक मर्द की तरह लम्बे मोटे 'लंड' को अपने हाथ से सहलाती हुईं बोलीं ,"आजा मीनू रानी। तुम्हारे लिए लंड खड़ा है। यह लंड हमेश सख्त रहेगा। चाहे जितनी देर तक चाहो यह चोदने के
लिए तैयार है।
नम्रता चाची भी तैयार थीं। उन्होंने सोफे पर बैठ कर मुझे अपनी और। खींचा मैं उनकी तरफ कमर करके धीरे धीरे उनके लम्बे मोटे लंड पर अपनी मुलायम चूत को टिका कर नीचे लगी। मैंने अपना निचला होंठ दबा कर थोड़े दर्द को दबाने का निष्फल प्रयास किया। बड़े मामा के निर्मम 'कौमार्यभंग' से फटी मेरी चूत जैसे जैसे नम्रता चाची के 'लंड' को भीतर लेने लगी उसमे उपजे दर्द से मैं बिलबिला उठी।
"नेहा बेटी, बड़े मामा के लंड को तो बड़े लपक के अपनी चूत में निगल रहीं थीं। क्या चाची के लंड आया और इतना बिलबुला रही हो ?" नमृता चाची ने मेरे दोनों फड़कते स्तनों को कस कर मसल दिया।
चाची ने अपने भारी चूतड़ों को कास ऊपर धकेला और मेरे कमसिन चूचियों को को कस कर मसलते हुए मुझे नीच दबाते हुए अपना नकली लंड मेरी चूत में पूरा का पूरा जड़ तक ढूंस दिया। मेरी सिसकती चीख के बिना नम्रता चाची मर्दों की तरह बेदर्दी से मेरे उरोज़ों को मसल कर बोलीं, "नेहा बेटी आज आई है बकरी ऊँट के नीचे। अपनी चूत और गांड को घर के हर लंड से
चुदवा चुकी अब चाची की बारी है। मैं नहीं छोड़ने वाले अपने प्यारी बेटी को बिना चूत और गांड फाड़े। "
मैं भी वासना के ज्वार से भभक उठी , "चाची आप भी चोद लीजिये मेरी चूत। "
जमुना दीदी भी मीनू को भीच कर अपने लंड पे बिठा रहीं थी ,"ठीक है मीनू यदि तुम्हारी चूत अभी दर्दीली है तो गांड
मरवाओ। पर आज रात तुम्हारी मस्तानी चूत मारे बिना तुम्हे नहीं छोड़ने वाले तुम्हारी जमुना दीदी। "
जमुना दीदी अपने थूक और मीनू के चूत के रस से सने चिकने भरी रबड़ के लंड को इंच इंच करके मीनू की गांड में डालने
लंगी। मीनू ने होंठों को दबा कर गांड में उपजे दर्द को घूंट कर पी जाने का प्रयास किया। पर जमुना दीदी भी खेली-खाईं थीं।
उन्होंने डिल्डो की सात इंच मीनू की गांड में ठूंस उसकी गोल कमर को मज़बूती से पकड़ कर नीचे खींचते हुए अपने 'लंड' को पूरी ताकत से ऊपर धकेला।
"ऊईईईई दीदी मैं मर गयी। मेरी गांड फाड़ दी आपने तो।” मीनू बिलबिलायी।
"मीनू रानी अभी कहाँ फटी है आपकी गांड। आपकी गांड तो अभी मुझे फाड़नी है। वैसे भी अपने डैडी से गांड फड़वाने में आपको कोई तकलीफ नहीं होती ?" जमुना दीदी ने मीनू के सीने पे तने चूचुकों को कस कर निचोड़ कर उसे अपने 'लंड' पे बेदर्दी से दबा लिया।