08-01-2020, 03:48 PM
संजू ने मेरे मुँह में एक हल्की से सिसकारी भर दी। मैं संजू के लंड को चूसने के लिए बेताब थी।
मैंने हलके से अपने को संजू के चुम्बन और आलिंगन से मुक्त कर उसके लंड के तरफ अपना लार से भरा
मुँह ले कर उसे प्यार से चूम लिया।
संजू का लंड इस कमसिन उम्र में इतना बड़ा था। इस परिवार के मर्दों की विकराल लंड के अनुवांशिक श्रेष्ठता के
आधिक्य से वो सबको पीछे छोड़ देगा।
मैंने संजू के गोरे लंड के लाल टोपे को अपने मुँह में भर लिया।
मीनू मेरे उरोज़ों को छोड़ कर मेरे उठे हुए नीतिमबोन को चूमने और चूसने लगी। मीनू मेरे भरे भरे चूतड़ों को
मसलने के साथ साथ मेरे गांड की दरार को अपने गरम गीली जीभ से चाटने भी लगी।
मेरी लपकती उन्माद से भरी सिसकी ने दोनों भाई बहिन को और भी उत्तेजित कर दिया।
संजू ने मेरे सर तो पकड़ कर अपने लंड के ऊपर दबा कर मापने मोटे लंड को मेरे हलक में ढूंस दिया। मेरे घुटी-घुटी
कराहट को उनसुना कर संजू ने अपने लंड से मेरे मुँह को चोदने लगा।
मीनू ने मेरी गुदा-छिद्र को अपनी जीभ की नोक से चाट कर ढीला कर दिया था और उसकी जीभ मेरी गांड के गरम
अंधेरी गुफा में दाखिल हो गयी।
मीनू ने ज़ोर से सांस भर कर मेरी गांड की सुगंध से अपने नथुने भर लिए।
"दीदी, अब मुझे आपको चोदना है," संजू धीरे से बोला।
मैंने अनिच्छा से उसके मीठे चिकने पर लोहे के खम्बे जैसे सख्त लंड तो अपने लालची मुँह से मुक्त कर बिस्तर पे अपनी
जांघें फैला कर लेट गयी।
संजू घुटनो के बल खिसक कर मेरी टांगों के बीच में मानों पूजा करने की के लिए घुटनों पर बैठा था। मीनू घोड़ी बन
कर मेरे होंठों को चूस थी। पर उसकी आँखे आँखें अपने भाई के मोटे लम्बे चिकने लंड पर टिकी थीं। संजू का मोटा
फड़कता सुपाड़ा मेरी गुलाबी चूत के द्वार पे खटखटा रहा था। मेरी चूत पे पिछले दो सालों में कुछ रेशम मुलायम जैसे
घुंघराले बाल उग गए थे। संजू ने सिसकी मार कर अपने मोटे लम्बे हल्लवी लंड के सुपाड़े को मेरी गीली योनि की
तंग दरार पर रगड़ा। मेरी भगशिश्न सूज कर मोटी और लम्बी हो गयी थी। संजू के लंड ने उसे रगड़ कर और भी
संवेदनशील कर दिया। मेरी हल्की सी सिसकारी और भी ऊंची हो चली।
"संजू मेरी चूत में अपना लंड अंदर तक दाल दो, मेरे प्यारे छोटे भैया। अपनी बड़ी बहिन की चूत को अब और
तरसाओ," मैं अपनी कामाग्नि से जल उठी थी।
संजू ने मेरे दोनों थरकते चूचियों को अपने बड़े हाथों में भर कर अपने मोटे सुपाड़े को हौले हौले मेरी नाजुक चूत में
धकेल दिया। मेरी तंग योनि की सुरंग संजू के मोटे लंड के स्वागत करने के लिए फैलने लगी। संजू ने एक एक इंच
करके अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया।
मैं संजू के कमसिन लंड को अपनी चूत में समा पा कर सिहर उठी। मेरा प्यारा छोटा सा भैया अब इतने बड़े लंड का
स्वामी हो गया था।
"संजू, तेरा लंड कितना बड़ा है। अब अपनी बहिन को इस लम्बे मोटे खम्बे जैसे लंड से चोद डाल," मैं वासना के
अतिरेक से व्याकुल हो कर बिलबिला उठी।
मीनू ने भी मेरी तरफदारी की, "संजू, कितने दिनों से नेहा दीदी की चूत के लिए तड़प रहे थे। अब वो खुद कह रहीं हैं
की उनकी चूत को चोद कर फाड़ दो। संजू नेहा दीदी की चूत तुम्हारे लंडे के लिए तड़प रही है। "
संजू ने हम दोनों को उनसुना कर अपने लंड को इंच इंच कर मेरी फड़कती तड़पती चूत के बाहर निकल उतनी ही
बेदर्दी से आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा।
मैंने अपनी बाहें में कस कर मीनू को जकड लिया। हम दोनों के होंठ मानों गोंद से चिपक गए थे। मैं अब तड़प गयी
थी। अब तक बड़े मामा, सुरेश चाचा और गंगा बाबा मेरी चूत की धज्जियां उड़ा रहे होते। संजू किसी जालिम की तरह
मेरी चूत को अपने चिकने मोटे लंड से धीरे धीरे मेरी चूत को मार रहा था।
मेरी चूत झड़ने के लिए तैयार थी पर उसे संजू के मोटे लंड की मदद की ज़रुरत थी।
मैं कामाग्नि से जल रही थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब किसी ने मीनू को बिस्तर के किनारे पर खींच लिया।
मैंने मीनू की ऊंची कर उसकी तरफ देखा। सुरेश चाचा ने अपनी कमसिन अविकसित बेटी की चूत में अपना
दैत्याकार लंड एक बेदर्द धक्के से जड़ तक ठूंस दिया था।
"डैडी, आअह आप कितने बेदर्द हैं। अपनी छोटी बेटी की कोमल चूत में अपना दानवीय लंड कैसी निर्ममता से ठूंस दिया
है आपने। मिझे इतना दर्द करने में आपको क्या आनंद आता है?" मीनू दर्द से बिलबिला उठी थी।
"मेरी नाजुक बिटिया इस लंड को तो तुम तीन सालों से लपक कर ले रही हो। अब क्यों इतने नखरे करने का प्रयास
कर रही हो। मेरी बेटी की चूत तो वैसे भी मेरी है। मैं जैसे चाहूँ वैसे ही तुम्हारी चूत मारूंगा," सुरेश चाचा ने तीन
चार बार बेदर्दी से अपना लंड सुपाड़े तक निकल कर मीनू की तंग संकरी कमसिन अविकसित चूत में वहशीपने से ठूंस
दिया।
"डैडी, आप सही हैं। आपकी छोटी बेटी की चूत तो आपके ही है। आप जैसे चाहें उसे चोद सकते हैं," मीनू दर्द सी
बिलबिला उठी थी अपर अपने पिताजी के प्यार को व्यक्त करने की उसकी इच्छा उसके दर्द से भी तीव्र थी।
"संजू, भैया, देखो चाचू कैसे मीनू की चूत मार रहें हैं। प्लीज़ अब मुझे ज़ोर से चोदो," मैंने मौके का फायदा उठा कर
संजू को उकसाया।
शीघ्र दो मोटे लम्बे लंड दो नाजुक संकरी चूतों का मर्दन निर्मम धक्कों से करने लगे। कमरे में मेरी और मीनू की
सिस्कारियां गूंजने लगीं।
संजू मेरे दोनों उरोज़ों का मर्दन उतनी ही बेदर्दी से करने लगा जितनी निर्ममता से उसका लंड मेरी चूत-मर्दन में
व्यस्त था। सुरेश चाचा और संजू के लंड के मर्दाने आक्रमण से मीनू और मेरी चूत चरमरा उठीं। उनके मूसल जैसे लंड
बिजली की तीव्रता से हमारी चूतों के अंदर बाहर रेल के पिस्टन की तरह अविरत चल रहे थे। सपक-सपक की आवाज़ें
कमरे में गूँज उठीं।
मेरी सिस्कारियां मेरे कानों में गूँज रहीं थीं। मीनू की सिस्कारियों में वासनामय दर्द की चीखें भी शामिल थीं। सुरेश
चाचा का दानवीय लंड न जाने कैसे कैसे मीनू सम्भाल पा रही थी? सुरेश चाचा का दानवीय लंड न जाने कैसे कैसे
मीनू सम्भाल पा रही थी? चाचू के विशाल भरी-भरकम शरीर के नीचे हाथों में फांसी नन्ही बेटी किसी चिड़िया जैसी
थी.
चाचू मीनू को दनादन जान लेवा धक्कों से चोदते हुए उसके सूजे चूचुकों को बेदर्दी से मसल रहे थे। अभी मीनू के
उरोज़ों का विकास नहीं हुआ था।
"डैडी,चोदिये अपनी लाड़ली बेटी को। फाड़ डालिये अपनी नन्ही बेटी की चूत अपने हाथी जैसे लंड से," मीनू
कामवासना के अतिरेक से अनाप-शनाप बोलने लगी।
मैंने हलके से अपने को संजू के चुम्बन और आलिंगन से मुक्त कर उसके लंड के तरफ अपना लार से भरा
मुँह ले कर उसे प्यार से चूम लिया।
संजू का लंड इस कमसिन उम्र में इतना बड़ा था। इस परिवार के मर्दों की विकराल लंड के अनुवांशिक श्रेष्ठता के
आधिक्य से वो सबको पीछे छोड़ देगा।
मैंने संजू के गोरे लंड के लाल टोपे को अपने मुँह में भर लिया।
मीनू मेरे उरोज़ों को छोड़ कर मेरे उठे हुए नीतिमबोन को चूमने और चूसने लगी। मीनू मेरे भरे भरे चूतड़ों को
मसलने के साथ साथ मेरे गांड की दरार को अपने गरम गीली जीभ से चाटने भी लगी।
मेरी लपकती उन्माद से भरी सिसकी ने दोनों भाई बहिन को और भी उत्तेजित कर दिया।
संजू ने मेरे सर तो पकड़ कर अपने लंड के ऊपर दबा कर मापने मोटे लंड को मेरे हलक में ढूंस दिया। मेरे घुटी-घुटी
कराहट को उनसुना कर संजू ने अपने लंड से मेरे मुँह को चोदने लगा।
मीनू ने मेरी गुदा-छिद्र को अपनी जीभ की नोक से चाट कर ढीला कर दिया था और उसकी जीभ मेरी गांड के गरम
अंधेरी गुफा में दाखिल हो गयी।
मीनू ने ज़ोर से सांस भर कर मेरी गांड की सुगंध से अपने नथुने भर लिए।
"दीदी, अब मुझे आपको चोदना है," संजू धीरे से बोला।
मैंने अनिच्छा से उसके मीठे चिकने पर लोहे के खम्बे जैसे सख्त लंड तो अपने लालची मुँह से मुक्त कर बिस्तर पे अपनी
जांघें फैला कर लेट गयी।
संजू घुटनो के बल खिसक कर मेरी टांगों के बीच में मानों पूजा करने की के लिए घुटनों पर बैठा था। मीनू घोड़ी बन
कर मेरे होंठों को चूस थी। पर उसकी आँखे आँखें अपने भाई के मोटे लम्बे चिकने लंड पर टिकी थीं। संजू का मोटा
फड़कता सुपाड़ा मेरी गुलाबी चूत के द्वार पे खटखटा रहा था। मेरी चूत पे पिछले दो सालों में कुछ रेशम मुलायम जैसे
घुंघराले बाल उग गए थे। संजू ने सिसकी मार कर अपने मोटे लम्बे हल्लवी लंड के सुपाड़े को मेरी गीली योनि की
तंग दरार पर रगड़ा। मेरी भगशिश्न सूज कर मोटी और लम्बी हो गयी थी। संजू के लंड ने उसे रगड़ कर और भी
संवेदनशील कर दिया। मेरी हल्की सी सिसकारी और भी ऊंची हो चली।
"संजू मेरी चूत में अपना लंड अंदर तक दाल दो, मेरे प्यारे छोटे भैया। अपनी बड़ी बहिन की चूत को अब और
तरसाओ," मैं अपनी कामाग्नि से जल उठी थी।
संजू ने मेरे दोनों थरकते चूचियों को अपने बड़े हाथों में भर कर अपने मोटे सुपाड़े को हौले हौले मेरी नाजुक चूत में
धकेल दिया। मेरी तंग योनि की सुरंग संजू के मोटे लंड के स्वागत करने के लिए फैलने लगी। संजू ने एक एक इंच
करके अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया।
मैं संजू के कमसिन लंड को अपनी चूत में समा पा कर सिहर उठी। मेरा प्यारा छोटा सा भैया अब इतने बड़े लंड का
स्वामी हो गया था।
"संजू, तेरा लंड कितना बड़ा है। अब अपनी बहिन को इस लम्बे मोटे खम्बे जैसे लंड से चोद डाल," मैं वासना के
अतिरेक से व्याकुल हो कर बिलबिला उठी।
मीनू ने भी मेरी तरफदारी की, "संजू, कितने दिनों से नेहा दीदी की चूत के लिए तड़प रहे थे। अब वो खुद कह रहीं हैं
की उनकी चूत को चोद कर फाड़ दो। संजू नेहा दीदी की चूत तुम्हारे लंडे के लिए तड़प रही है। "
संजू ने हम दोनों को उनसुना कर अपने लंड को इंच इंच कर मेरी फड़कती तड़पती चूत के बाहर निकल उतनी ही
बेदर्दी से आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा।
मैंने अपनी बाहें में कस कर मीनू को जकड लिया। हम दोनों के होंठ मानों गोंद से चिपक गए थे। मैं अब तड़प गयी
थी। अब तक बड़े मामा, सुरेश चाचा और गंगा बाबा मेरी चूत की धज्जियां उड़ा रहे होते। संजू किसी जालिम की तरह
मेरी चूत को अपने चिकने मोटे लंड से धीरे धीरे मेरी चूत को मार रहा था।
मेरी चूत झड़ने के लिए तैयार थी पर उसे संजू के मोटे लंड की मदद की ज़रुरत थी।
मैं कामाग्नि से जल रही थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब किसी ने मीनू को बिस्तर के किनारे पर खींच लिया।
मैंने मीनू की ऊंची कर उसकी तरफ देखा। सुरेश चाचा ने अपनी कमसिन अविकसित बेटी की चूत में अपना
दैत्याकार लंड एक बेदर्द धक्के से जड़ तक ठूंस दिया था।
"डैडी, आअह आप कितने बेदर्द हैं। अपनी छोटी बेटी की कोमल चूत में अपना दानवीय लंड कैसी निर्ममता से ठूंस दिया
है आपने। मिझे इतना दर्द करने में आपको क्या आनंद आता है?" मीनू दर्द से बिलबिला उठी थी।
"मेरी नाजुक बिटिया इस लंड को तो तुम तीन सालों से लपक कर ले रही हो। अब क्यों इतने नखरे करने का प्रयास
कर रही हो। मेरी बेटी की चूत तो वैसे भी मेरी है। मैं जैसे चाहूँ वैसे ही तुम्हारी चूत मारूंगा," सुरेश चाचा ने तीन
चार बार बेदर्दी से अपना लंड सुपाड़े तक निकल कर मीनू की तंग संकरी कमसिन अविकसित चूत में वहशीपने से ठूंस
दिया।
"डैडी, आप सही हैं। आपकी छोटी बेटी की चूत तो आपके ही है। आप जैसे चाहें उसे चोद सकते हैं," मीनू दर्द सी
बिलबिला उठी थी अपर अपने पिताजी के प्यार को व्यक्त करने की उसकी इच्छा उसके दर्द से भी तीव्र थी।
"संजू, भैया, देखो चाचू कैसे मीनू की चूत मार रहें हैं। प्लीज़ अब मुझे ज़ोर से चोदो," मैंने मौके का फायदा उठा कर
संजू को उकसाया।
शीघ्र दो मोटे लम्बे लंड दो नाजुक संकरी चूतों का मर्दन निर्मम धक्कों से करने लगे। कमरे में मेरी और मीनू की
सिस्कारियां गूंजने लगीं।
संजू मेरे दोनों उरोज़ों का मर्दन उतनी ही बेदर्दी से करने लगा जितनी निर्ममता से उसका लंड मेरी चूत-मर्दन में
व्यस्त था। सुरेश चाचा और संजू के लंड के मर्दाने आक्रमण से मीनू और मेरी चूत चरमरा उठीं। उनके मूसल जैसे लंड
बिजली की तीव्रता से हमारी चूतों के अंदर बाहर रेल के पिस्टन की तरह अविरत चल रहे थे। सपक-सपक की आवाज़ें
कमरे में गूँज उठीं।
मेरी सिस्कारियां मेरे कानों में गूँज रहीं थीं। मीनू की सिस्कारियों में वासनामय दर्द की चीखें भी शामिल थीं। सुरेश
चाचा का दानवीय लंड न जाने कैसे कैसे मीनू सम्भाल पा रही थी? सुरेश चाचा का दानवीय लंड न जाने कैसे कैसे
मीनू सम्भाल पा रही थी? चाचू के विशाल भरी-भरकम शरीर के नीचे हाथों में फांसी नन्ही बेटी किसी चिड़िया जैसी
थी.
चाचू मीनू को दनादन जान लेवा धक्कों से चोदते हुए उसके सूजे चूचुकों को बेदर्दी से मसल रहे थे। अभी मीनू के
उरोज़ों का विकास नहीं हुआ था।
"डैडी,चोदिये अपनी लाड़ली बेटी को। फाड़ डालिये अपनी नन्ही बेटी की चूत अपने हाथी जैसे लंड से," मीनू
कामवासना के अतिरेक से अनाप-शनाप बोलने लगी।