08-01-2020, 03:47 PM
"यदि इन कुंवारी कन्याओं की चीखों से हमारे कान न भरें और आप दोनों के लंडों पर इनके कौमार्यभंग का खून न दिखे तो
बहित शर्मिन्दगी की बात होगी चलिए मैं आप दोनों की थोड़ी सी मदद कर देतीं हूँ।" नम्रता चाची ने कोमल सूती चादर से मेरी
और मीनू की चूतों का सारा रस सुखा दिया।
"अब इस से पहली इन दोनों कामुक कुंवारियों की चूतें फिर से गीली हो जाएँ आप दोनों किला फतह कर लीजिये। " नम्रता चाची
ने बड़े मामा और अपने पति को सलाह दी।
बड़े मामा और सुरेश चाचा के चेहरों पर नम्रता चाची के शब्दों को वास्तविक रूप देने का ढृढ़ संकल्प साफ़ झलक रहा था।
बड़े मामा ने मेरी भरी भरी जांघों पूरा चौड़ा कर अपना दानवीय लंड मेरी सूखी छूट पर टिका दिया। मैं उनके अगले प्रयत्न के
अनुमान से रोमांचित हो उठी।
बड़े मामा का लंड मेरी सूखी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा।
बड़े मामा ने अपने बड़े सेब जैसे सुपाड़े को मेरी चूत में बेदर्दी से ठूंस दिया। यदि मैं इस दर्द से बिलबिला उठी तो आगे होने वाले
क्रिया से तो मर ही जाऊंगी।
बड़े मामा ने मुझे नन्ही बकरी के तरह अपने नीचे दबा कर अपने विशाल शरीर के पूूरी ताकत से अपना अमानवीय लंड मेरी
लगभग सूखी चूत में निर्ममता से ठूंस दिया।
मेरी चीख ने सरे हॉल को गूंजा दिया।
"हाय, बड़े मामा मेरी चूत फाड़ दी आपने। अऊऊ उउउन्न्नन्न नहीईईईइ ," मैं चीखी। मेरी चीख अभी भी उन्नत हो रही थी कि
मीनू के दर्द भरी चीख भी हॉल में गूँज उठी।
दोनों दूल्हों ने बेदर्दी से अपने विकराल लंड को अपनी शक्तिशाली शरीर के ज़ोर से हम दोनों कमसिन अविकसित दुलहनों की
'कुंवारी' चूत में जड़ तक ठूंसने के बाद ही सांस ली। मीनू औए मेरी चीखों से सबके कान दर्द कर उठे होंगें। जब बड़े मामा का
लंड मेरी दर्द से बिलबिलाती चूत से बाहर आया तो पूरा का पूरा लाल हो गया था। बड़े मामा ने मेरी चूत की कोमल दीवारों को
फाड़ कर मेरे कुंवारेपन को फिर से जीवन दे दिया।
नम्रता चाची ने हौसला बढ़ाया ,"शाबास दुल्हे राजाओं। इसी तरह इन दोनों की चूतों का लतमर्दन करते रहो। क्याचीखें
निकलवाई हैं आप दोनों ने। "
बड़े मामा और सुरेश चाचा ने मुझे और मीनू को निर्ममता से चोदना शुरू कर दिया। अगले पन्द्र्ह मिनटों तक हम दोनों ने चीख
चीख कर अपना गला बिठा लिया।
जान लेवा दर्द के बावज़ूद हम दोनों की चूतें मोटे लंडों के तड़प रहीं थीं।
बड़े मामा की निर्मम चुदाई से मैं सुबक सुबक कर और भी चुदने की दुहाई देने लगी।
वासना का पागलपन ने मेरे मस्तिष्क को अभिभूत कर लिया।
मुझे तो पता ही नहीं चला कि हॉल में क्या हो रहा था। नम्रता चाची ने पूरा हंगामा का अगले दिन मुझे और मीनू को विस्तार से
विवरण दिया था।
राज ने जमुना दीदी को अपने डैडी के लंड पर पटक दिया। जैसे ही नानाजी का लंड जमुना दीदी की चूत में समा गया राज ने
उनकी गांड में अपना वृहत लंड चार धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया। दोनों पुरुषों ने जमुना दीदी के उरोज़ों को मसल कर लाल
कर दिया। जमुना दीदी की चीखें शीघ्र ही सीसकारियों में बदल गयीं।
ऋतू दीदी भी गरम हो गयीं थी। उन्होंने गंगा बाबा के लंड से अपनी चूत भर कर संजू को अपनी गांड मरने का आदेश दिया।
हाल में में सिस्कारियों और चीखों की बाड़ आ गयी।
मेरे जलती हुई चूत में रस की नदी बह उठी। मेरी चूत में बड़े मामा ने उतना हे दर्द उपजाया था जितना उन्होंने मेरे कौमार्यभंग
करते हुए किया था। उस एतहासिक घटना को सिर्फ तीन दिन हे तो हुए थे।
नम्रता चाची हम दोनों को चुदते हुए देख कर अपनी चूत को चार उंगलीओं से बेसब्री से चोद रहीं थीं।
मैं अचानक निर्मम चुदाई के प्रभाव से विचलित हॉट हुए भी चरम-आनंद के कगार पर जा पहुँची,"बड़े मामा मैं झड़ने वाले हूँ। मेरी
चूत और मारिये। "
बड़े मामा को किसी भी उत्साहन की आवश्यकता नहीं थी। उनका अमानवीय विकराल लंड अब रेल के इंजन के पिस्टन की
तरह मेरी फटी चूत में अंदर बाहर जा रहा था।
मीनू भी चीख मर कर झड़ गयी।
बड़े मामा और सुरेश चाचा ने अब लम्बी चुदाई की रफ़्तार पकड़ ली।
जमुना दीदी और ऋतू मौसी की सिस्कारियां और भी ऊंची और तेज हो चलीं थीं।
उनके रति-स्खलन के बारे में कोई भ्रम नहीं रहा।
अगले एक घंटे तक हॉल में घुटी घुटते और हलक फाड़ सिस्कारियां गूँज रहीं थीं।सारे वातावरण में सम्भोग के मादक सुगंध
व्याप्त हो गयी थी।
मेरे रति-निष्पति कि तो कोई गिनती ही नहीं थी। मैं न जाने कितनी बार झाड़ चुकी थी पर बड़े मामा तो मानो चुदाई के देवता
बन गए थे। न वो रुकेंगे और न वो थकेंगें ।
जब बड़े मामा के महाकाय लंड ने उनके गरम जननक्षम वीर्य की बौछार मेरे गर्भाशय पर की तो मैं कामोन्माद के अतिरेक से
थकी बेहोश सी हो गयी। उसके बाद के लम्बे क्षणों से मेरा सम्बन्ध टूट गया।
हम सब वासना की अग्नि के ही रति सम्भोग की मीठी थकान के आलिंगन में समा कर गए। मैं सुबह देर से उठी। मेरे सारे शरीर में फैला
मीठा-मीठा दर्द मुझे रात की प्रचंड चुदाई की याद दिलाने लगा। मेरे होंठों पर स्वतः हल्की सी मुस्कान चमक उठी। ख़िड़की से देर सुबह की
मंद हवा ने चमेली, रजनीगंधा और अनेक बनैले फूलों की महक से मेरा शयनकक्ष महका दिया। मैंने गहरी सांस भर कर ज़ोर से अंगड़ाई भरी।
कमरे में पुष्पों की सुगंध के साथ रति रस और सम्भोग की महक भी मिल गयी।
मेरा अविकसित कमसिन शरीर में उठी मदमस्त ऐंठन ने मेरे अपरिपक्व मस्तिष्क में एक बार फिर से सिवाए संसर्ग और काम-क्रिया के
अलावा कोई और विचार के लिए कोइ अंश नहीं बचा था। नासमझ नेहा की जगह अब मैं स्त्रीपन की ओर लपक रही थी।
मैं अपने ख्यालों में इतनी डूबी हुई थी कि कब मीनू कमरे में प्रविष्ट हो गयी। उसने मेरे बिस्तर में कूद कर मुझे सपनों से वापिस यथार्थ में
खींच लिया।
मीनू खिलखिला कर हंस रही थी, "क्या नेहा दीदी? अभी तक रात की चुदायी याद आ रही है? कोइ फ़िक्र की बात नहीं अब तो पापा,
चाचा और गंगा बाबा गंगा बाबा के अलावा नानू, संजू और राजन भैया भी हैं। आपके लिए अब लंड की कोई कमी नहीं है। "
मैंने भी हँसते हुए मीनू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया, "मीनू की बच्ची तू कैसी गंदी बातें करने लगी है ? तू तो ऐसे कह रही है जैसे न
जाने कितने सालों से चुद रही है ?"
मीनू ने मेरे होंठों को चूम लिया, "नेहा दीदी, आपकी छोटी बहन का कौमार्य तो तीन साल पहले ही भंग हो गया था। आप आखिरी कुंवारी
थीं सारे परिवार में।"
मीनू नम्रता चाची की बड़ी बेटी है. मीनू मुझसे छोटी है. उसका छरहरा शरीर देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि मीनू इतनी
चुदक्कर है। उसके लड़कपन जैसे शरीर पे अभी स्तन भी अच्छी तरह नहीं विकसित हुए थे। लेकिन नम्रता चाची और ऋतु दीदी की तरह
मीनू का शरीर अपनी मम्मी और मौसी के जैसे ही भरा गदराया हुआ हो जायेगा। उन दोनों का भी विकास देर किशोर अवस्था में हुआ था।
"अच्छा मीनू की बच्ची यह बता कि अपने डैडी का लंड अभी तक नहीं मिस किया," मैंने मीनू को कस कर भींच ज़ोर से उसकी नाक की
नोक को काट कर उसे छेड़ा।
"नेहा दीदी डैडी के लंड का ख़याल तो रहीं थीं। मुझे और ऋतु दीदी को तीन लंडों की सेवा करनी पड़ी थी। अब तो संजू का लंड भी
लम्बा मोटा हो चला है। " मीनू मेरे दोनों उरोज़ों को मसल कर मेरे होठों को चूसने लगी।
संजू मीनू से डेढ़ साल छोटा है। मुझे संजू शुरू से ही बहुत प्यारा लगता है। उसके अविकसित शरीर से जुड़े वृहत लंड के विचार से ही मैं रोमांचित हो गयी।
मीनू ने मेरे सूजे खड़े चूचुकों को मसल कर कुछ बेसब्री से बोली, "अरे मैं तो सबसे ज़रूरी बात तो भूल गयी। दीदी संजू को जबसे आपके कौमार्यभंग के बारे में पता चला है तबसे मेरा प्यारा छोटा नन्हा भाई अपनी नेहा दीदी को चोदने के विचार से मानों पागल हो गया है। बेचारा सारे रास्ते आपको चोदने की आकांशा से मचल रहा था। उसने मुझे आपसे पूछने के लिए बहुत गुहार की है। "
मेरी योनि जो पहले से ही मीनू से छेड़छाड़ कर के गीली हो गयी थी अब नन्हे संजू की मुझे चोदने की भावुक और तीव्र तृष्णा से मानों सैलाब से भर उठी।
मीनू ने मेरे गालों को कस कर चूम कर फिर से कहा, "दीदी चुप क्यों हो। हाँ कर दो ना," मीनू ने धीरे से फुसफुसाई,
"बेचारा संजू बाहर ही खड़ा है। "
मैं अब तक कामोन्माद से मचल उठी थी। मैंने धीरे से मीनू को संजू को अंदर बुलाने को कहा.
"संजूऊऊ," मीनू चहक कर ज़ोर से चिल्लायी," नेहा दीदी मान गयीं हैं। "
संजू कमरे के अंदर प्रविष्ट हो गया। उसकी कोमल आयु के बावज़ूद उसका कद काफी लम्बा हो गया था। उसका देवदूत जैसा सुंदर चेहरा कुछ लज्जा और कुछ वासना से दमक रहा था।
संजू शर्मा कर मुस्कराया और हलके से बोला, "हेलो नेहा दीदी। "
मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निचल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।"
मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निष्चल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।"
संजू ने शर्माते हुए पर लपक कर अपने कपड़े उतार कर फर्श पर दिए। उसका गोरा लम्बा शरीर उस समय बिलकुल बालहीन था।
मेरी आँखे अपने आप ही संजू के खम्बे जैसे सख्त मोटे गोरे लंड पर टिक गयीं। उसके अंडकोष के ऊपर अभी झांटों का आगमन नहीं हुआ था। मेरा मुँह संजू के जैसे गोरे औए मक्खन जैसे चिकने लंड को देख कर लार से भर गया।
"संजू, जल्दी से बिस्तर पर आ जाओ न अब, " मुझसे भी अब सब्र नहीं हो रहा था।
संजू को हाथ से पकड़ कर मैंने उसे बिस्तर पर बैठ दिया।
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बहित शर्मिन्दगी की बात होगी चलिए मैं आप दोनों की थोड़ी सी मदद कर देतीं हूँ।" नम्रता चाची ने कोमल सूती चादर से मेरी
और मीनू की चूतों का सारा रस सुखा दिया।
"अब इस से पहली इन दोनों कामुक कुंवारियों की चूतें फिर से गीली हो जाएँ आप दोनों किला फतह कर लीजिये। " नम्रता चाची
ने बड़े मामा और अपने पति को सलाह दी।
बड़े मामा और सुरेश चाचा के चेहरों पर नम्रता चाची के शब्दों को वास्तविक रूप देने का ढृढ़ संकल्प साफ़ झलक रहा था।
बड़े मामा ने मेरी भरी भरी जांघों पूरा चौड़ा कर अपना दानवीय लंड मेरी सूखी छूट पर टिका दिया। मैं उनके अगले प्रयत्न के
अनुमान से रोमांचित हो उठी।
बड़े मामा का लंड मेरी सूखी चूत की धज्जियाँ उड़ा देगा।
बड़े मामा ने अपने बड़े सेब जैसे सुपाड़े को मेरी चूत में बेदर्दी से ठूंस दिया। यदि मैं इस दर्द से बिलबिला उठी तो आगे होने वाले
क्रिया से तो मर ही जाऊंगी।
बड़े मामा ने मुझे नन्ही बकरी के तरह अपने नीचे दबा कर अपने विशाल शरीर के पूूरी ताकत से अपना अमानवीय लंड मेरी
लगभग सूखी चूत में निर्ममता से ठूंस दिया।
मेरी चीख ने सरे हॉल को गूंजा दिया।
"हाय, बड़े मामा मेरी चूत फाड़ दी आपने। अऊऊ उउउन्न्नन्न नहीईईईइ ," मैं चीखी। मेरी चीख अभी भी उन्नत हो रही थी कि
मीनू के दर्द भरी चीख भी हॉल में गूँज उठी।
दोनों दूल्हों ने बेदर्दी से अपने विकराल लंड को अपनी शक्तिशाली शरीर के ज़ोर से हम दोनों कमसिन अविकसित दुलहनों की
'कुंवारी' चूत में जड़ तक ठूंसने के बाद ही सांस ली। मीनू औए मेरी चीखों से सबके कान दर्द कर उठे होंगें। जब बड़े मामा का
लंड मेरी दर्द से बिलबिलाती चूत से बाहर आया तो पूरा का पूरा लाल हो गया था। बड़े मामा ने मेरी चूत की कोमल दीवारों को
फाड़ कर मेरे कुंवारेपन को फिर से जीवन दे दिया।
नम्रता चाची ने हौसला बढ़ाया ,"शाबास दुल्हे राजाओं। इसी तरह इन दोनों की चूतों का लतमर्दन करते रहो। क्याचीखें
निकलवाई हैं आप दोनों ने। "
बड़े मामा और सुरेश चाचा ने मुझे और मीनू को निर्ममता से चोदना शुरू कर दिया। अगले पन्द्र्ह मिनटों तक हम दोनों ने चीख
चीख कर अपना गला बिठा लिया।
जान लेवा दर्द के बावज़ूद हम दोनों की चूतें मोटे लंडों के तड़प रहीं थीं।
बड़े मामा की निर्मम चुदाई से मैं सुबक सुबक कर और भी चुदने की दुहाई देने लगी।
वासना का पागलपन ने मेरे मस्तिष्क को अभिभूत कर लिया।
मुझे तो पता ही नहीं चला कि हॉल में क्या हो रहा था। नम्रता चाची ने पूरा हंगामा का अगले दिन मुझे और मीनू को विस्तार से
विवरण दिया था।
राज ने जमुना दीदी को अपने डैडी के लंड पर पटक दिया। जैसे ही नानाजी का लंड जमुना दीदी की चूत में समा गया राज ने
उनकी गांड में अपना वृहत लंड चार धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया। दोनों पुरुषों ने जमुना दीदी के उरोज़ों को मसल कर लाल
कर दिया। जमुना दीदी की चीखें शीघ्र ही सीसकारियों में बदल गयीं।
ऋतू दीदी भी गरम हो गयीं थी। उन्होंने गंगा बाबा के लंड से अपनी चूत भर कर संजू को अपनी गांड मरने का आदेश दिया।
हाल में में सिस्कारियों और चीखों की बाड़ आ गयी।
मेरे जलती हुई चूत में रस की नदी बह उठी। मेरी चूत में बड़े मामा ने उतना हे दर्द उपजाया था जितना उन्होंने मेरे कौमार्यभंग
करते हुए किया था। उस एतहासिक घटना को सिर्फ तीन दिन हे तो हुए थे।
नम्रता चाची हम दोनों को चुदते हुए देख कर अपनी चूत को चार उंगलीओं से बेसब्री से चोद रहीं थीं।
मैं अचानक निर्मम चुदाई के प्रभाव से विचलित हॉट हुए भी चरम-आनंद के कगार पर जा पहुँची,"बड़े मामा मैं झड़ने वाले हूँ। मेरी
चूत और मारिये। "
बड़े मामा को किसी भी उत्साहन की आवश्यकता नहीं थी। उनका अमानवीय विकराल लंड अब रेल के इंजन के पिस्टन की
तरह मेरी फटी चूत में अंदर बाहर जा रहा था।
मीनू भी चीख मर कर झड़ गयी।
बड़े मामा और सुरेश चाचा ने अब लम्बी चुदाई की रफ़्तार पकड़ ली।
जमुना दीदी और ऋतू मौसी की सिस्कारियां और भी ऊंची और तेज हो चलीं थीं।
उनके रति-स्खलन के बारे में कोई भ्रम नहीं रहा।
अगले एक घंटे तक हॉल में घुटी घुटते और हलक फाड़ सिस्कारियां गूँज रहीं थीं।सारे वातावरण में सम्भोग के मादक सुगंध
व्याप्त हो गयी थी।
मेरे रति-निष्पति कि तो कोई गिनती ही नहीं थी। मैं न जाने कितनी बार झाड़ चुकी थी पर बड़े मामा तो मानो चुदाई के देवता
बन गए थे। न वो रुकेंगे और न वो थकेंगें ।
जब बड़े मामा के महाकाय लंड ने उनके गरम जननक्षम वीर्य की बौछार मेरे गर्भाशय पर की तो मैं कामोन्माद के अतिरेक से
थकी बेहोश सी हो गयी। उसके बाद के लम्बे क्षणों से मेरा सम्बन्ध टूट गया।
हम सब वासना की अग्नि के ही रति सम्भोग की मीठी थकान के आलिंगन में समा कर गए। मैं सुबह देर से उठी। मेरे सारे शरीर में फैला
मीठा-मीठा दर्द मुझे रात की प्रचंड चुदाई की याद दिलाने लगा। मेरे होंठों पर स्वतः हल्की सी मुस्कान चमक उठी। ख़िड़की से देर सुबह की
मंद हवा ने चमेली, रजनीगंधा और अनेक बनैले फूलों की महक से मेरा शयनकक्ष महका दिया। मैंने गहरी सांस भर कर ज़ोर से अंगड़ाई भरी।
कमरे में पुष्पों की सुगंध के साथ रति रस और सम्भोग की महक भी मिल गयी।
मेरा अविकसित कमसिन शरीर में उठी मदमस्त ऐंठन ने मेरे अपरिपक्व मस्तिष्क में एक बार फिर से सिवाए संसर्ग और काम-क्रिया के
अलावा कोई और विचार के लिए कोइ अंश नहीं बचा था। नासमझ नेहा की जगह अब मैं स्त्रीपन की ओर लपक रही थी।
मैं अपने ख्यालों में इतनी डूबी हुई थी कि कब मीनू कमरे में प्रविष्ट हो गयी। उसने मेरे बिस्तर में कूद कर मुझे सपनों से वापिस यथार्थ में
खींच लिया।
मीनू खिलखिला कर हंस रही थी, "क्या नेहा दीदी? अभी तक रात की चुदायी याद आ रही है? कोइ फ़िक्र की बात नहीं अब तो पापा,
चाचा और गंगा बाबा गंगा बाबा के अलावा नानू, संजू और राजन भैया भी हैं। आपके लिए अब लंड की कोई कमी नहीं है। "
मैंने भी हँसते हुए मीनू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया, "मीनू की बच्ची तू कैसी गंदी बातें करने लगी है ? तू तो ऐसे कह रही है जैसे न
जाने कितने सालों से चुद रही है ?"
मीनू ने मेरे होंठों को चूम लिया, "नेहा दीदी, आपकी छोटी बहन का कौमार्य तो तीन साल पहले ही भंग हो गया था। आप आखिरी कुंवारी
थीं सारे परिवार में।"
मीनू नम्रता चाची की बड़ी बेटी है. मीनू मुझसे छोटी है. उसका छरहरा शरीर देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि मीनू इतनी
चुदक्कर है। उसके लड़कपन जैसे शरीर पे अभी स्तन भी अच्छी तरह नहीं विकसित हुए थे। लेकिन नम्रता चाची और ऋतु दीदी की तरह
मीनू का शरीर अपनी मम्मी और मौसी के जैसे ही भरा गदराया हुआ हो जायेगा। उन दोनों का भी विकास देर किशोर अवस्था में हुआ था।
"अच्छा मीनू की बच्ची यह बता कि अपने डैडी का लंड अभी तक नहीं मिस किया," मैंने मीनू को कस कर भींच ज़ोर से उसकी नाक की
नोक को काट कर उसे छेड़ा।
"नेहा दीदी डैडी के लंड का ख़याल तो रहीं थीं। मुझे और ऋतु दीदी को तीन लंडों की सेवा करनी पड़ी थी। अब तो संजू का लंड भी
लम्बा मोटा हो चला है। " मीनू मेरे दोनों उरोज़ों को मसल कर मेरे होठों को चूसने लगी।
संजू मीनू से डेढ़ साल छोटा है। मुझे संजू शुरू से ही बहुत प्यारा लगता है। उसके अविकसित शरीर से जुड़े वृहत लंड के विचार से ही मैं रोमांचित हो गयी।
मीनू ने मेरे सूजे खड़े चूचुकों को मसल कर कुछ बेसब्री से बोली, "अरे मैं तो सबसे ज़रूरी बात तो भूल गयी। दीदी संजू को जबसे आपके कौमार्यभंग के बारे में पता चला है तबसे मेरा प्यारा छोटा नन्हा भाई अपनी नेहा दीदी को चोदने के विचार से मानों पागल हो गया है। बेचारा सारे रास्ते आपको चोदने की आकांशा से मचल रहा था। उसने मुझे आपसे पूछने के लिए बहुत गुहार की है। "
मेरी योनि जो पहले से ही मीनू से छेड़छाड़ कर के गीली हो गयी थी अब नन्हे संजू की मुझे चोदने की भावुक और तीव्र तृष्णा से मानों सैलाब से भर उठी।
मीनू ने मेरे गालों को कस कर चूम कर फिर से कहा, "दीदी चुप क्यों हो। हाँ कर दो ना," मीनू ने धीरे से फुसफुसाई,
"बेचारा संजू बाहर ही खड़ा है। "
मैं अब तक कामोन्माद से मचल उठी थी। मैंने धीरे से मीनू को संजू को अंदर बुलाने को कहा.
"संजूऊऊ," मीनू चहक कर ज़ोर से चिल्लायी," नेहा दीदी मान गयीं हैं। "
संजू कमरे के अंदर प्रविष्ट हो गया। उसकी कोमल आयु के बावज़ूद उसका कद काफी लम्बा हो गया था। उसका देवदूत जैसा सुंदर चेहरा कुछ लज्जा और कुछ वासना से दमक रहा था।
संजू शर्मा कर मुस्कराया और हलके से बोला, "हेलो नेहा दीदी। "
मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निचल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।"
मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निष्चल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।"
संजू ने शर्माते हुए पर लपक कर अपने कपड़े उतार कर फर्श पर दिए। उसका गोरा लम्बा शरीर उस समय बिलकुल बालहीन था।
मेरी आँखे अपने आप ही संजू के खम्बे जैसे सख्त मोटे गोरे लंड पर टिक गयीं। उसके अंडकोष के ऊपर अभी झांटों का आगमन नहीं हुआ था। मेरा मुँह संजू के जैसे गोरे औए मक्खन जैसे चिकने लंड को देख कर लार से भर गया।
"संजू, जल्दी से बिस्तर पर आ जाओ न अब, " मुझसे भी अब सब्र नहीं हो रहा था।
संजू को हाथ से पकड़ कर मैंने उसे बिस्तर पर बैठ दिया।
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