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Misc. Erotica सेक्स, उत्तेजना और कामुकता -
हम सब वासना की अग्नि के ही रति सम्भोग की मीठी थकान के आलिंगन में समा कर गए। मैं सुबह देर से उठी। मेरे सारे शरीर में फैला मीठा-मीठा दर्द मुझे रात की प्रचंड चुदाई की याद दिलाने लगा। मेरे होंठों पर स्वतः हल्की सी मुस्कान चमक उठी। ख़िड़की से देर सुबह की मंद हवा ने चमेली, रजनीगंधा और अनेक बनैले फूलों की महक से मेरा शयनकक्ष महका दिया। मैंने गहरी सांस भर कर ज़ोर से अंगड़ाई भरी। कमरे में पुष्पों की सुगंध के साथ रति रस और सम्भोग की महक भी मिल गयी। मेरा अविकसित कमसिन शरीर में उठी मदमस्त ऐंठन ने मेरे अपरिपक्व मस्तिष्क में एक बार फिर से सिवाए संसर्ग और काम-क्रिया के अलावा कोई और विचार के लिए कोइ अंश नहीं बचा था। नासमझ नेहा की जगह अब मैं स्त्रीपन की ओर लपक रही थी। 

मैं अपने ख्यालों में इतनी डूबी हुई थी कि कब मीनू कमरे में प्रविष्ट हो गयी। उसने मेरे बिस्तर में कूद कर मुझे सपनों से वापिस यथार्थ में खींच लिया। मीनू खिलखिला कर हंस रही थी, "क्या नेहा दीदी? अभी तक रात की चुदायी याद आ रही है? कोइ फ़िक्र की बात नहीं अब तो पापा, चाचा और गंगा बाबा गंगा बाबा के अलावा नानू, संजू और राजन भैया भी हैं। आपके लिए अब लंड की कोई कमी नहीं है। " 

मैंने भी हँसते हुए मीनू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया, "मीनू की बच्ची तू कैसी गंदी बातें करने लगी है ? तू तो ऐसे कह रही है जैसे न जाने कितने सालों से चुद रही है ?" 

मीनू ने मेरे होंठों को चूम लिया, "नेहा दीदी, आपकी छोटी बहन का कौमार्य तो तीन साल पहले ही भंग हो गया था। आप आखिरी कुंवारी थीं सारे परिवार में।" मीनू नम्रता चाची की बड़ी बेटी है. मीनू मुझसे छोटी है. उसका छरहरा शरीर देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि मीनू इतनी चुदक्कर है। उसके लड़कपन जैसे शरीर पे अभी स्तन भी अच्छी तरह नहीं विकसित हुए थे। लेकिन नम्रता चाची और ऋतु दीदी की तरह मीनू का शरीर अपनी मम्मी और मौसी के जैसे ही भरा गदराया हुआ हो जायेगा। उन दोनों का भी विकास देर किशोर अवस्था में हुआ था। "अच्छा मीनू की बच्ची यह बता कि अपने डैडी का लंड अभी तक नहीं मिस किया," मैंने मीनू को कस कर भींच ज़ोर से उसकी नाक की नोक को काट कर उसे छेड़ा। "नेहा दीदी डैडी के लंड का ख़याल तो रहीं थीं। मुझे और ऋतु दीदी को तीन लंडों की सेवा करनी पड़ी थी। अब तो संजू का लंड भी चला है। " मीनू मेरे दोनों उरोज़ों को मसल कर मेरे होठों को चूसने लगी। संजू मीनू से डेढ़ साल छोटा है। मुझे संजू शुरू से ही बहुत प्यारा लगता है। उसके अविकसित शरीर से जुड़े वृहत लंड के विचार से ही मैं रोमांचित हो गयी। मीनू ने मेरे सूजे खड़े चूचुकों को मसल कर कुछ बेसब्री से बोली, "अरे मैं तो सबसे ज़रूरी बात तो भूल गयी। दीदी संजू को जबसे आपके कौमार्यभंग के बारे में पता चला है तबसे मेरा प्यारा छोटा नन्हा भाई अपनी नेहा दीदी को चोदने के विचार से मानों पागल हो गया है। बेचारा सारे रास्ते आपको चोदने की आकांशा से मचल रहा था। उसने मुझे आपसे पूछने के लिए बहुत गुहार की है। " मेरी योनि जो पहले से ही मीनू से छेड़छाड़ कर के गीली हो गयी थी अब नन्हे संजू की मुझे चोदने की भावुक और तीव्र तृष्णा से मानों सैलाब से भर उठी। मीनू ने मेरे गालों को कस कर चूम कर फिर से कहा, "दीदी चुप क्यों हो। हाँ कर दो ना," मीनू ने धीरे से फुसफुसाई, "बेचारा संजू बाहर ही खड़ा है। " मैं अब तक कामोन्माद से मचल उठी थी। मैंने धीरे से मीनू को संजू को अंदर बुलाने को कहा. "संजूऊऊ," मीनू चहक कर ज़ोर से चिल्लायी," नेहा दीदी मान गयीं हैं। " संजू कमरे के अंदर प्रविष्ट हो गया। उसकी कोमल आयु के बावज़ूद उसका कद काफी लम्बा हो गया था। उसका देवदूत जैसा सुंदर चेहरा कुछ लज्जा और कुछ वासना से दमक रहा था। संजू शर्मा कर मुस्कराया और हलके से बोला, "हेलो नेहा दीदी। " मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निचल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।" मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निष्चल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।" संजू ने शर्माते हुए पर लपक कर अपने कपड़े उतार कर फर्श पर दिए। उसका गोरा लम्बा शरीर उस समय बिलकुल बालहीन था। मेरी आँखे अपने आप ही संजू के खम्बे जैसे सख्त मोटे गोरे लंड पर टिक गयीं। उसके अंडकोष के ऊपर अभी झांटों का आगमन नहीं हुआ था। मेरा मुँह संजू के जैसे गोरे औए मक्खन जैसे चिकने लंड को देख कर लार से भर गया। "संजू, जल्दी से बिस्तर पर आ जाओ न अब, " मुझसे भी अब सब्र नहीं हो रहा था। संजू को हाथ से पकड़ कर मैंने उसे बिस्तर पर बैठ दिया। मैंने उसके दमकते सुंदर चेहरे को कोमल चुम्बनों से भर दिया। संजू अब अपने पहले झिझकपन से मुक्त हो चला। संजू ने मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ कर अपने खुले मुँह को मेरे भरी साँसों से भभकते मुँह के ऊपर कस कर चिपका दिया। संजू के मीठे थूक से लिसी जीभ मेरे लार से भरे मुँह में प्रविष्ट हो गयी। मीनू मेरी फड़कती चूचियों को मसलने लगी। मेरा एक हाथ संजू के मोटे लंड को सहलाने को उत्सुक था। मेरी तड़पती उंगलियां उसके धड़कते लंड की कोतलकश को नापने लंगी। मेरा नाज़ुक हाथ संजू के मोटे लंड के इर्दगिर्द पूरा नहीं जा पा रहा था। पर फिर भी मैं उसके लम्बे चिकने स्तम्भ को हौले-हौले सहलाने लगी। संजू ने मेरे मुँह में एक हल्की से सिसकारी भर दी। मैं संजू के लंड को चूसने के लिए बेताब थी। मैंने हलके से अपने को संजू के चुम्बन और आलिंगन से मुक्त कर उसके लंड के तरफ अपना लार से भरा मुँह ले कर उसे प्यार से चूम लिया। संजू का लंड इस कमसिन उम्र में इतना बड़ा था। इस परिवार के मर्दों की विकराल लंड के अनुवांशिक श्रेष्ठता के आधिक्य से वो सबको पीछे छोड़ देगा। मैंने संजू के गोरे लंड के लाल टोपे को अपने मुँह में भर लिया। मीनू मेरे उरोज़ों को छोड़ कर मेरे उठे हुए नीतिमबोन को चूमने और चूसने लगी। मीनू मेरे भरे भरे चूतड़ों को मसलने के साथ साथ मेरे गांड की दरार को अपने गरम गीली जीभ से चाटने भी लगी। मेरी लपकती उन्माद से भरी सिसकी ने दोनों भाई बहिन को और भी उत्तेजित कर दिया। संजू ने मेरे सर तो पकड़ कर अपने लंड के ऊपर दबा कर मापने मोटे लंड को मेरे हलक में ढूंस दिया। मेरे घुटी-घुटी कराहट को उनसुना कर संजू ने अपने लंड से मेरे मुँह को चोदने लगा। मीनू ने मेरी गुदा-छिद्र को अपनी जीभ की नोक से चाट कर ढीला कर दिया था और उसकी जीभ मेरी गांड के गरम अंधेरी गुफा में दाखिल हो गयी।

मीनू ने ज़ोर से सांस भर कर मेरी गांड की सुगंध से अपने नथुने भर लिए। "दीदी, अब मुझे आपको चोदना है," संजू धीरे से बोला। मैंने अनिच्छा से उसके मीठे चिकने पर लोहे के खम्बे जैसे सख्त लंड तो अपने लालची मुँह से मुक्त कर बिस्तर पे अपनी जांघें फैला कर लेट गयी। संजू घुटनो के बल खिसक कर मेरी टांगों के बीच में मानों पूजा करने की के लिए घुटनों पर बैठा था। मीनू घोड़ी बन कर मेरे होंठों को चूस थी। पर उसकी आँखे आँखें अपने भाई के मोटे लम्बे चिकने लंड पर टिकी थीं। संजू का मोटा फड़कता सुपाड़ा मेरी गुलाबी चूत के द्वार पे खटखटा रहा था। मेरी चूत पे पिछले दो सालों में कुछ रेशम मुलायम घुंघराले उग गए थे। संजू ने सिसकी मार कर अपने मोटे लम्बे हल्लवी लंड के सुपाड़े को मेरी गीली योनि की तंग दरार पर रगड़ा। मेरी भगशिश्न सूज कर मोटी और लम्बी हो गयी थी। संजू के लंड ने उसे रगड़ कर और भी संवेदनशील कर दिया। मेरी हल्की सी सिसकारी और भी ऊंची हो चली। "संजू मेरी चूत में अपना लंड अंदर तक दाल दो, मेरे प्यारे छोटे भैया। अपनी बड़ी बहिन की चूत को अब और तरसाओ," मैं अपनी कामाग्नि से जल उठी थी। संजू ने मेरे दोनों थरकते चूचियों को अपने बड़े हाथों में भर कर अपने मोटे सुपाड़े को हौले हौले मेरी नाजुक चूत में धकेल दिया। मेरी तंग योनि की सुरंग संजू के मोटे लंड के स्वागत करने के लिए फैलने लगी। संजू ने एक एक इंच करके अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। मैं संजू के कमसिन लंड को अपनी चूत में समा पा कर सिहर उठी। मेरा प्यारा छोटा सा भैया अब इतने बड़े लंड का स्वामी हो गया था। "संजू, तेरा लंड कितना बड़ा है। अब अपनी बहिन को इस लम्बे मोटे खम्बे जैसे लंड से चोद डाल," मैं वासना के अतिरेक से व्याकुल हो कर बिलबिला उठी। मीनू ने भी मेरी तरफदारी की, "संजू, कितने दिनों से नेहा दीदी की चूत के लिए तड़प रहे थे। अब वो खुद कह रहीं हैं की उनकी चूत को चोद कर फाड़ दो। संजू नेहा दीदी की चूत तुम्हारे लंडे के लिए तड़प रही है। " संजू ने हम दोनों को उनसुना कर अपने लंड को इंच इंच कर मेरी फड़कती तड़पती चूत के बाहर निकल उतनी ही बेदर्दी से आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा।
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RE: सेक्स, उत्तेजना और कामुकता - - by usaiha2 - 08-01-2020, 03:40 PM



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